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Submitted by PatientsEngage on 1 May 2020

अहमदाबाद के संजीव अपने स्कूल के दिनों में बिस्तर के पास ऑक्सीजन सिलिंडर रखकर सोते थे, लेकिन अब उन्हें ऐसा नहीं करना पड़ता। संजीव बताते हैं कि किस तरह उन्होंने अस्थमा की चुनौतियों का सामना करते हुए इस परजीत हासिल की और वे कौनसे तीन व्यायाम हैं जो ठीक तरह सांस लेने में उनकी मदद करते हैं।

मुझे बहुत छोटी उम्र से ही अस्थमा रहा है। अस्थमा के हल्के दौरे तो पूरे साल आते रहते हैं, लेकिन किसी ट्रिगर की मौजूदगी में येबढ़जाते हैं। ट्रिगर, जैसे धूम्रपान, गंध, धूल, खाने की कुछ चीजें जैसे मक्का और दही आदि। बदलता मौसम एक ऐसा मुख्यट्रिगर है जिसके बारे में कोई कुछ नहीं कर सकता हूँ। खाने वाली जिन चीजों से एलर्जी होती है, मैं उनसे दूर रहता हूं। शेविंग क्रीम,आफ्टर-शेवऔर खुशबूदार साबुनों से भी बचता हूं, लेकिन वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण और धूल से नहीं बच सकता। कच्छ के रेगिस्तान से अहमदाबाद बहुत दूर नहीं है, जिसके कारण यह एक धूल भरा शहर है।

समय के साथ मैंने अपने अस्थमा के ट्रिगर्स की पहचान करी है और परेशानियों को दूर करने एवं अपने स्कूल के दिनों में पलंग के पास लगे रहने वाले ऑक्सीजन सिलिंडर से छुटकारा पाने के लिए कुछ तकनीकों को अपनाया।

इनमें सबसे महत्वपूर्ण है सकारात्मक दृष्टिकोण। मेरा सौभाग्य रहा है कि घर और स्कूल दोनों ही जगह मैं हमेशा अपने अन्य साथियों के बराबर माना जाता रहा हूँ, जिसके कारण मेरी मानसिकता नकारात्मक नहीं बनीयह म्नेरे रवैय्ये को बनाने में बहुत महत्वपूर्ण रहा। स्कूल में मुझे कुछ दादा गिरी और डराने-धमकाने के हादसों का भी सामना करना पडा,के कारण मैं अपने लिए खड़ा होना सीखा।मुझे ऐसा लगा कि यह समस्या मुझ तक ही सीमित है, दूसरों  को ऐसी समस्या नहीं हो रही है ।

आज मैं अपनी श्वास संबंधी परेशानी को एक समस्या नहीं, बल्कि एक अनचाही स्थिति के रूप में मानता हूं। मुझे पहाड़ों से प्यार है और मैं अब तक 14,000फीट की ऊंचाई तक जा चुका हूं और मुझे पूरा विश्वास है कि इससे भी ज्यादा ऊंचाई तक चढ़ूंगा। हां, यह जरूर है कि इसमें मैंने पूरी सावधानी बरती और कोई मूर्खता पूर्ण खतरा मोल नहीं लिया।

नीचे बताए गए ऐसे 3 व्यायाम हैं जिन्हें मैंने कुछ ही साल पहले सीखा था,  और इन से मुझे बहुत फायदा पहुंचा है। इनके कारण मुझ पर मौसम के बदलाव का असर भी कम होता है।

सांससे संबंधित योग के कुछ व्यायाम के अलावाये नीचे लिखे 3 व्यायाम मेरी काफी मदद करते हैं:

1)   सीढ़ियों पर चढ़ना-उतरना: एक मंजिल ऊपर चढ़ना, फिर एक मंजिल नीचे उतरना, एक बार में अधिकतम 7 मिनट के लिए या तब तक, जब तक किमैं असहज महसूस नहीं करता। इससे मुझे अपनी सहनशक्ति बढ़ाने में मदद मिली है। ऐसी गतिविधियों में जिन में आम तौर पर सांस फूल सकती है, मैं उन्हें बिना तकलीफ के पहले से ज्यादा देर तक कर पाता हूँ।

2)   इंसेंटिवस्पाइरोमीटर का उपयोग: मैं 2500ml एमएलके स्पाइरोमीटर का उपयोग करता हूं। शुरुआत में, मैं मुश्किल से पिस्टन को 1500ml एमएल तक ही ले जा पाता था, लेकिन अब जब दौरा नहीं पड़ता है तब यह 2500एमएल तक आसानी से चला जाता है। मैं इसका उपयोग न केवल धीमी गतिसे गहरी सांस लेने के लिए करता हूं, बल्कि तेजी से सांस लेन में भी करता हूँ, हालाँकि डॉक्टर इसकी सलाह नहीं देते हैं। जानिए यह कैसा दिखता है: http://www.medical-supplies-equipment-company.com/files/media/images/Incentive-Spirometer-2500-1.jpeg

3)   "बबल" एक्सरसाइज: यह सांस छोड़ने का एक अभ्यास है, जिसमें तीन चौथाई तक पानी से भरे एक लंबे ग्लास में स्ट्रॉ की मदद से क्षमताअनुसार धीरे-धीरे सांस छोड़ना होता है। सांस छोड़ते समय हवा बुलबुलों की धारा के रूप में बाहर निकलती है। ग्लास में पानी की गहराई श्वास छोड़ने के लिए आवश्यक बल को नियंत्रित करती है। मैंने एक चौथाई तक पानी से भरे ग्लाससे शुरुआत की थी और अब मैं तीन-चौथाई तक भर कर यह अभ्यास कर पाता हूँ।

इस अभ्यास से मुझे स्वाभाविक रूप से सांस लेने की क्रिया को नियंत्रित करने में मदद मिली है। पहले मुझे सांस छोड़ने में 12 सेकंड लगते थे।अब यह समय बढ़कर लगभग 45 सेकंड हो गया है। इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि सांस छोड़ते समय किसी तरह का अनावश्यक तनाव न लिया जाए। सांस छोड़ने के समय को धीरे-धीरे और बिना तनाव के बढ़ाया जा सकता है (इस व्यायाम को करने से पहले किसी डॉक्टर से सलाह लेना बेहतर है)। इस अभ्यास से सांस लेना अधिक आसान होने लगता हैहै।साथही, यह फेफड़ों सेबलगम को बाहर निकालता है। इस व्यायाम को धीरे-धीरे करने से मुझे सुकून भी मिलता है।

ऐसे व्यायाम शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर बात करें।

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