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Submitted by PatientsEngage on 14 February 2021

डॉ रुचिरा मिश्रा, पीडियाट्रिक हेमटोलॉजी ऑन्कोलॉजी और बीएमटी यूनिट, एसआरसीसी चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट हैं। इस लेख में वे बच्चों के कैंसर से सम्बंधित कुछ आम सवालों के जवाब दे रही हैं।

क्या बच्चों को कैंसर होता है?

हां, बच्चों को कैंसर होता है। बच्चों का कैंसर बचपन के तमाम दौर में देखा जाता है - एक ओर हम ऐसे बच्चों को देखते हैं जो ट्यूमर के साथ पैदा हुए हैं या जो गर्भस्थ (माँ के गर्भ में) थे  जब उन के कैंसर का पता चला - पर बच्चों को कैंसर बाद में भी हो सकता है। गर्भस्थ अवस्था  से लेकर 18 साल तक देखे गए कैंसर को (बच्चों का कैंसर माना जाता है, और उस उम्र के बाद उत्पन्न कैंसर को वयस्क कैंसर (एडल्ट कैंसर) माना जाता है। वयस्क कैंसर और बच्चों के कैंसर का जीव-विज्ञान बहुत भिन्न होता है।

Read in English: Is Childhood Cancer Curable

बच्चों का कैंसर वयस्कों में देखे जाने वाले कैंसर से कैसे अलग होते हैं?

बच्चों के कैंसर और वयस्कों में देखे जाने वाले कैंसर के बीच कई अंतर हैं। यहाँ तक कि अब बाल चिकित्सा के क्षेत्र (पीडियाट्रिक्स) में बच्चों के कैंसर के लिए एक उप-विशेषता स्थापित की गयी है, जिसे पीडियाट्रिक ऑन्कोलॉजी  कहते हैं, क्योंकि बच्चों में कैंसर उपचार अलग तरीकों से करनी होती है।

  1. अधिकांश बच्चों के कैंसर इलाज से पूरी तरह से ठीक हो सकते हैं। अधिकाँश वयस्क कैंसर पर चर्चा करते समय हम “प्रोग्रेशन फ्री सर्वाइवल” की बात करते हैं - यानी कि कैंसर वाला वयस्क जीवित है (उत्तरजीवी, सर्वाइवर) और उनका कैंसर बढ़ नहीं रहा है और फैल नहीं रहा है। इसके विपरीत, बच्चों के कैंसर में ऑन्कोलॉजिस्ट “ओवरआल सर्वाइवल” के बारे में बात करते हैं। इसका मतलब यह है कि अगर बच्चे का कैंसर का इलाज हुआ है और उपचार शुरू होने के 5 साल बाद तक वह कैंसर से मुक्त रहता है, तब यह संभव है कि उसका बाकी जीवन कैंसर मुक्त होगा। अधिकांश बच्चों के कैंसर के लिए उचार से पूरी तरह से ठीक होने क दर लगभग 70% है और कुछ प्रकार के बच्चों के  कैंसर में सर्वाइवल (जीवित रहना) के दर 95% तक है। अफ़सोस, भारत में बच्चों के  कैंसर में  जीवित रहने का दर इस से कम है क्योंकि बच्चे इलाज के लिए देर से लाये जाते हैं (तब तक कैंसर ज्यादा बढ़ चुका होता है)।
     
  2. बच्चों के  कैंसर का जीव विज्ञान (बायोलॉजी) वयस्क कैंसर से अलग है। वयस्कों में कैंसर के अधिकाँश मामले प्रौढ़ कोशिकाओं में समस्या से होते हैं जबकि बच्चों में कैंसर उन विकासशील कोशिकाओं से उत्पन्न होता है जो अलग-अलग प्रकार की कोशिकाओं में विभाजित और परिपक्व होने की क्षमता रखते हैं। इसके अलावा, अधिकांश वयस्क कैंसर अंगों से उत्पन्न होते हैं-  इसलिए कैंसर को स्तन कैंसर, लीवर कैंसर, गर्भाशय कैंसर आदि कहा जाता है। लेकिन बच्चों के  कैंसर तब पैदा होते हैं जब अंग  पूरी तरह बने नहीं हैं और कोशिकाओं का विभेदन (डिफरेंशिएशन) पूरी तरह से नहीं हुआ है इसलिए, बच्चों के कैंसर के नाम में आम तौर पर "ब्लास्टोमा" जुड़ा होता है जैसे कि  हेपेटोबलास्टोमा, रेटिनोब्लास्टोमा, न्यूरोब्लास्टोमा, नेफ्रोबलास्टोमा आदि।
     
  3. वयस्क कैंसर कुछ मामलों में जीवनशैली से जुड़ा हो सकता है, लेकिन बच्चों के कैंसर के मामले में ऐसा नहीं है। बचपन के कैंसर से बचने के लिए कदम लेना संभव नहीं है।

बच्चों में कैंसर की incidence क्या है?

भारत में बच्चों के कैंसर के हर साल नए केस की संख्या लगभग 38 से 124 प्रति दस लाख (मिलियन) है। इस संख्या में अधिकांश केस अस्पताल की रजिस्ट्रियों द्वारा रिपोर्ट किये गए केस से हैं - अन्य केस पर उपलब्ध निदान की जानकारी शायद रिपोर्ट न हुई हो, इसलिए वास्तविक कैंसर केस की संख्या अधिक हो सकती है।

आप अपने काम के दौरान बच्चों में किस तरह के कैंसर देखती हैं?

ज्यादातर लोग सोचते हैं कि बच्चों में ब्लड कैंसर (रक्त का कैंसर) अधिक होता है। हालांकि ब्लड  कैंसर बच्चों में पाया जाने वाला सबसे आम कैंसर है, परन्तु लगभग 50% बच्चों में लीवर (यकृत), किडनी (गुर्दे) या ब्रेन (मस्तिष्क) ट्यूमर जैसे ठोस ट्यूमर विकसित होंगे। बच्चों में ब्लड  कैंसर भी अलग-अलग प्रकार के होते हैं और कुछ ब्लड कैंसर ऐसे भी होते हैं जो वयस्कों में देखे जाते हैं लेकिन बच्चों में शायद ही कभी दिखें।

हम अपने काम में बहुत सारे ब्रेन ट्यूमर और किडनी, मांसपेशियों, लिवर और गोनॉड्स से उत्पन्न होने वाले ट्यूमर को देखते हैं।

बच्चों को कैंसर क्यों होता है?

बच्चों के कैंसर के विशेषज्ञ मानते हैं कि दो या अधिक प्रकार की क्षति हो  तो ऐसे कारक से कैंसर शुरू  हो सकता है। एक है त्रुटि वाली कोशिकाओं को पहचानने की क्षमता में खराबी होना। फिर यदि कोई और समस्या भी हो तो शरीर में दोषपूर्ण कोशिकाओं के नष्ट होने की क्रिया ठीक नहीं रह पाती और कैंसर कोशिकाओं का उत्पादन अधिक होने लगता है - कुछ उदाहरण हैं - संक्रमण (इन्फेक्शन), कैंसर पैदा करने वाले एजेंट से संपर्क जैसे कुछ कीटनाशक आदि, या ओजोन परत के नुकसान की वजह से सूरज की हानिकारक किरणों या कुछ अन्य रेडिएशन से संपर्क। हम ठीक से नहीं जानते हैं कि संतुलन बिगड़ने के कारण क्या होता है लेकिन अब यह पहचान पाते हैं कि कुछ बदलाव हुआ है।

हम बच्चों के कैंसर का इलाज कैसे करते हैं?

बच्चों के कैंसर का उपचार के लिए अनेक क्षेत्रों पर ध्यान देना होता है। कैंसर के प्रकार के आधार पर उपचार के लिए कीमोथेरेपी, सर्जरी या रेडिएशन  या इनमें से दो या अधिक का संयोजन का इस्तेमाल  हो सकता है। इसके अतिरिक्त हमें इन बच्चों की जरूरतों को पूरा करने के लिए अन्य पहलुओं का भी ध्यान रखना होता हो, जैसे कि आहार विशेषज्ञ की सलाह से पौष्टिक आहार का प्रबंध और मनोवैज्ञानिक से सलाह - क्योंकि ये बच्चे अस्पताल में लम्बे समय तक रहते हैं और उन्हें अपने हम-उम्र दोस्तों का साथ नहीं मिल पाता। उनके बढ़ने की उम्र है - उनका विकास ठीक होता रहे इसके लिए उन्हें विविध प्रकार की गतिविधियों और नए अनुभवों की जरूरत है, और उनकी पढ़ाई भी जारी रखनी होती है। हमारा उद्देश्य यह है कि बच्चों का विकास ठीक होता रहे ताकि वे सामान्य इंसान बन पायें और  इसलिए हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि वे सामान्य जीवन के लिए और दुनिया का सामना करने के लिए तैयार हों और समाज में योगदान देने में भी सक्षम हों।

क्या बच्चों के कैंसर का इलाज बहुत महंगा है?

चूंकि उपचार में बहुपक्षीय देखभाल शामिल है, इसलिए उपचार महंगा हो सकता है। कई संस्थान, एनजीओ (गैर सरकारी संगठन)  और सरकार कैंसर वाले बच्चों की देखभाल के समर्थन में कार्यरत है। युवा माता-पिता के लिए अपने बच्चे के निदान को स्वीकारना और उस के लिए प्रबंध करना, और ऊपर से उपचार की लागत पर विचार करना - यह सब बहुत चुनौतीपूर्ण हो सकता है। लेकिन अगर  वे लगातार कोशिश नहीं करते रहेंगे, वे मदद नहीं प्राप्त कर पायेंगे और बच्चे का इलाज नहीं करवा पाएंगे।

भारत में, हम कई बार देखते हैं कि माँ-बाप कैंसर वाले बच्चों की देखभाल को लेकर हताश हो जाते हैं, हार मान लेते हैं और बच्चों को अपने हाल पर छोड़ देते हैं। इस सन्दर्भ में यह जागरूकता फैलाना जरूरी है कि बच्चों का कैंसर इलाज से ठीक हो सकता है और अगर ढूंढें तो इस के लिए मदद भी उपलब्ध है। बच्चों के कैंसर से संबंधी जागरूकता फैलाना समय की मांग  है। 15 फरवरी को बच्चों के कैंसर से सम्बंधित अंतर्राष्ट्रीय दिवस (इंटरनेशनल चाइल्डहुड कैंसर डे) के रूप में मान्यता प्राप्त है।

क्या कैंसर के उपचार में वैकल्पिक दवाओं की भूमिका है?

अन्य उपचार प्रणालियों (औल्टरनेटिव थेरेपी) के बारे में मेरा ज्ञान बहुत कम है। हमें नहीं पता कि एलोपैथिक कीमोथेरेपी के साथ दिए जाने पर ये अन्य दवाएँ पूरक के रूप में काम करेंगी या उन की वजह से अधिक दुष्परिणाम (साइड इफेक्ट्स) होंगे। इस पर रिसर्च किया जा रहा है और कुछ मामलों में यह पाया गया है कि अन्य प्रणालियों की दवा लेने से कीमोथेरेपी का प्रभाव  कम होता है। इसलिए हम सलाह देते हैं कि एलोपैथी के साथ इन दवाओं को न लें।

 

डॉ। रुचिरा मिश्रा नारायण हेल्थ द्वारा प्रबंधित एसआरसीसी चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल के पीडियाट्रिक हेमाटोलॉजी ऑन्कोलॉजी और बीएमटी यूनिट में सीनियर कंसलटेंट हैं। उनकी विशेषता के क्षेत्र हैं थैलेसीमिया और रिलैप्स कैंसर केस के लिए पीडियाट्रिक बोन मैरोट्रांसप्लांट ( अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण)। वे डॉक्टरों और आम लोगों में बच्चों के कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाना चाहती हैं।

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