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Submitted by PatientsEngage on 20 May 2022
The author, a woman in a red and yellow sari and a yellow blouse, holding birds

धूम्रपान न करने वाली 72 वर्षीया नलिनी सत्यनारायण को 10 साल पहले उनके घर में सेकेंड हैंड धुएं के संपर्क में आने के कारण गले (वॉयस बॉक्स) के कैंसर का निदान मिला। आज, उत्तरजीवी के रूप में, वे एक ऊर्जावान तंबाकू नियंत्रण योद्धा बन गई हैं और ऐसे लोगों को परामर्श देती हैं जिन्होंने स्वरयंत्र (लैरिन्क्स) की सर्जरी करवाई है जिसमें उनका वॉयस बॉक्स हटाया गया है - वे उन्हें कृत्रिम वॉयस बॉक्स से बात करना सिखाती हैं।

आपने कब और कैसे अपने गले की समस्या को पहचाना?

जनवरी 2010 की बात है। मुझे लगा कि मेरा गला रूखा है। मैं साफ नहीं बोल पा रही थी और मेरी सांस फूल रही थी। जब दवाओं से मुझे गले में कोई राहत नहीं मिली, तो मुझे गर्दन का सीटी स्कैन कराने की सलाह दी गई। स्कैन में एक वोकल कॉर्ड में ट्यूमर दिखाई दिया। बाद में, बायोप्सी से पता चला कि ट्यूमर मैलिगनेंट (दुर्दम) था।

Read in English: I Lost My Voice To Passive Smoking

आपको गले के कैंसर के कारण अपना वॉयस बॉक्स खोने के सदमे का अनुभव हुआ। कृपया स्थिति को प्रबंधित करने के अपने अनुभव का वर्णन करें?

मुझे “टोटल लैरिंजेक्टोमी” करवानी पड़ी - मुझे फिर से कैंसर न हो और मेरा कैंसर शरीर में फैले नहीं इसलिए सर्जरी द्वारा मेरे वोकल कॉर्ड और थायरॉयड को पूरी तरह से हटाना पड़ा । जब डॉक्टर ने कहा कि मैं बोल नहीं पाऊंगी तो मैं हताश हो गयी।

आप ठीक कैसे हुईं?

मैंने स्थिति को स्वीकार करने का फैसला किया और अपनी इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प के सहारे से मैंने एक नए तरह के जीवन (मेरा न्यू नार्मल) को अपनाया।

वोकल कॉर्ड्स हटा दिए जाने के बाद, आपने फिर से बोलना कैसे सीखा?

मैंने अपने गले में कृत्रिम आवाज बॉक्स के सहारे से बात करना सीखा। मुझे “स्टोमा” नामक गले के छिद्र से सांस भी लेनी थी और बात भी करनी थी। मैंने इस तरह से ली गयी सांस को मोड्यूलेट (ऊपर-नीचा) करना सीखा और एक मिनट के लिए क्लेरीनेट बजाना भी सीखा। यह वाकई एक बड़ी चुनौती थी लेकिन मैं दूसरों को दिखाना चाहती थी कि कैंसर उत्तरजीवी के लिए कुछ भी असंभव नहीं है।

अपने इलाज से ठीक होने में आपकी सबसे बड़ी चुनौती क्या रही है?

ठीक होने में सबसे बड़ी चुनौती खांसी थी। मुझे लेटना मुश्किल लगता था। लेकिन मैंने दो तकिए रखकर इस समस्या पर काबू पा लिया।

आपके ठीक होने के दौरान आपके समर्थन और प्रेरणा का मुख्य स्रोत क्या था?

मेरा मुख्य सहारा मेरा परिवार, डॉक्टर और दोस्त थे। मेरा एक बेटा और एक बेटी हैं, दोनों ही बहुत सपोर्टिव हैं। मेरे पति का मेरे कैंसर होने से पहले ही हृदय रोग के कारण निधन हो गया था।

गले के कैंसर के बाद आपने अपनी जीवनशैली में क्या बदलाव किए?

मुझे अपनी स्थिति के अनुरूप अपनी जीवन शैली बदलनी पड़ी। मैं अब नरम भोजन खाती हूँ - जैसे डोसा, चावल आदि। मैं कोशिश करती हूं कि मैं ठोस, चबाने में सख्त स्नैक्स से बचती हूँ। मैं अपनी नाक से सांस नहीं ले सकती क्योंकि मेरी नाक मेरे फेफड़ों से नहीं जुड़ी है। मेरे गले में मेरे खाने की नली और हवा की नली के बीच प्रोस्थेसिस (कृत्रिम अंग) लगा हुआ है। इसलिए जब मैं खाती हूं, तो कभी-कभी भोजन के कण कृत्रिम अंग में चिपक जाते हैं और छेद को अवरुद्ध कर देते हैं। फिर मुझे ब्रश से कृत्रिम अंग को साफ करना होता, तभी मैं बोल सकती हूं। जब मैं बाहर जाती हूं तो हमेशा अपने साथ एक ब्रश और एक शीशा रखती हूं। लेकिन यह महसूस नहीं करना चाहिए कि यह एक विकलांगता है। बल्कि मैं आभार महसूस करती हूँ कि मेरी एक अनूठी आवाज़ है जिस से मैं बात करने में सक्षम हूँ।

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आप कई वर्षों तक सेकेंड हैंड स्मोक (अन्य लोगों के धूम्रपान करने के कारण उत्पन्न धुआं) के संपर्क में रहीं जिससे आपको कैंसर हुआ। निष्क्रिय धूम्रपान के हानिकारक प्रभाव क्या हैं?

मेरे पति एक चेन स्मोकर थे, इसलिए मैं बरसों सेकंड हैण्ड स्मोक में सांस ले रही थी - लेकिन मुझे उस समय इस तरह के पैसिव स्मोकिंग (निष्क्रिय धूम्रपान) के गंभीर परिणामों का एहसास नहीं था। परिवार में, अगर कोई धूम्रपान करता है तो दूसरों को सावधान रहना चाहिए, क्योंकि आप अनजाने में तंबाकू के विषाक्त पदार्थों को सांस द्वारा अपने अंदर ले रहे होंगे।

निष्क्रिय धूम्रपान या सेकेंड हैंड धूम्रपान प्रत्यक्ष धूम्रपान से अधिक खतरनाक है,  क्योंकि उस स्थिति में निष्क्रिय धूम्रपान करने वाला धूम्रपान करने वाले द्वारा छोड़े गए सभी विषाक्त पदार्थों को (बिना अपनी किसी गलती के) साँस द्वारा अन्दर ले रहा है - जैसा कि मेरे मामले में हुआ था।

आप “वॉयस ऑफ टोबैको विक्टिम्स” और एचसीजी ग्लोबल में “पिंक होप सपोर्ट ग्रुप” की सदस्या हैं। आपका सबसे संतोषजनक क्षण क्या था?

मैं बीबीएमपी में एक स्वयंसेविका हूं - यह स्मोक-फ्री (धूम्रपान-मुक्त) बैंगलोर और निष्क्रिय धूम्रपान के लिए एक सरकारी निकाय है। मैं इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ, वॉयस ऑफ टोबैको विक्टिम और पिंक होप सपोर्ट ग्रुप की सदस्या भी हूं। पिंक होप सपोर्ट ग्रुप में 20 कैंसर सर्वाइवर सदस्य हैं। हमारी हर महीने मीटिंग होती है जहां हम एक विशेषज्ञ को बोलने के लिए आमंत्रित करते हैं। हम मरीजों की काउंसलिंग भी करते हैं। अब हमारी ऑनलाइन मीटिंग्स होती हैं। मेरे लिए सबसे संतोष देने वाले क्षण वे होते हैं जब मैं सर्जरी के बाद वाले मरीज को सलाह देती हूं और उन्हें बात करना सिखाती हूं, और वे मुझे अपनी मुस्कान से पुरस्कृत करते हैं। मैं ज्यादा से ज्यादा चेहरों पर मुस्कान लाना चाहती हूं।

 

जीवन में इतने बड़े झटके का सामना करने के बावजूद, आप सैकड़ों लोगों के लिए आशा और प्रेरणा की किरण हैं। आपको यह काम करते रहने की हिम्मत कैसे मिलती है?

मैंने अपनी आवाज कैंसर के कारण खो दी, लेकिन मैंने इससे जीवन की गति धीमे नहीं होने दी। बल्कि कैंसर के बाद मेरा जीवन पहले से ज्यादा व्यस्त है। मैंने एक चुनौती के रूप में बांसुरी बजाना सीखा। मैं खाना बनाना जारी रखती हूं और बागवानी के अपने जुनून पर भी कायम हूं। मैंने तय किया कि मेरा जीवन समाज के लिए उपयोगी होना चाहिए, इसलिए मैंने अन्य रोगियों की मदद करने का फैसला किया और बच्चों को यह बताने के लिए कई जागरूकता कार्यक्रम भी किए हैं कि पहला कश नशे की लत है ताकी वे धूम्रपान की लत न लगाएं। मुझे लगता है कि हर इंसान का अपने साथियों की बेहतरी के प्रति कर्तव्य है।

मेरा आदर्श वाक्य है 'कड़वे अतीत को भूल जाओ, वर्तमान में जियो और भविष्य के लिए आशा रखो'।

मैं एक तंबाकू मुक्त देश का सपना देखती हूं।

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