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26 वर्षीय श्रेया शुक्ला, कानपुर (उत्तर प्रदेश) में अपनी खुद की डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी चलाती हैं। उन्हें जुवेनाइल लुपस (बचपन में होने वाला लुपस) है। इस लेख में वे साझा करती हैं कि कम उम्र में लुपस होने का उनका अनुभव साझा क्या था – इस में उनके…
दिल्ली के विनय जानी को 15 वर्षों से अधिक समय से एपिलेप्सी (अपस्मार) है, और हाल ही में उनकी न्यूरोलॉजिस्ट ने उन्हें बताया कि वे अब ड्रग रेसिस्टेंट हैं (उनपर दवा असर नहीं करती, वे दवा-प्रतिरोधी हैं)। इसलिए उन्हें सर्जरी कराने की सलाह दी गई। वे सर्जरी…
भारत में मधुमेह एक बढ़ती हुई चिंता का विषय है, और यह युवाओं में और विशेषकर गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में भी देखा जा रहा है। डॉ. उषा श्रीराम (एंडोक्रिनोलॉजिस्ट, दिवास एनजीओ की संस्थापक) और डॉ. गीता अर्जुन (ओब्गिन, डायरेक्टर, ईवी कल्याणी मेडिकल…
मेडिकल इमरजेंसी (आपातकालीन स्थिति) कभी भी, किसी भी समय हो सकती है और हमें तुरंत जोखिम में डाल देती हैं। इस लेख में देखें कि ऐसी सात शीर्ष इमरजेंसी के बारे में आपको क्या जानना चाहिए और जानें कि इन्हें बिगड़ने से रोकने के लिए आपको तुरंत क्या करना चाहिए…
नीमा 26 वर्ष की थीं जब उनको ऑस्टियोसारकोमा (हड्डी का कैंसर) का निदान मिला और उनका जीवन हमेशा के लिए बदल गया। इस लेख में वे अपनी उस चुनौतीपूर्ण यात्रा के बारे में बात करती हैं जिसमें कई सर्जरी, टांग का कटना, और अनेक अन्य मुश्किलों का सामना करना पड़ा,…
कैंसर रोगी और उत्तरजीवी (सर्वाईवर) यात्रा कर सकते हैं, पर उन्हें कुछ ख़ास बातों का ख़याल रखना चाहिए। इस लेख में इस के लिए डॉ. शीतल पटेल से कुछ सुझाव हैं और उर्वी सबनीस, नंदिता मुरलीधर और मोना चौधरी (सभी कैंसर उत्तरजीवी / सर्वाईवर) का बहुमूल्य योगदान…
कोलकाता के 56 वर्षीय रजत सुभ्रा बिस्वास को मल्टीपल मायलोमा का निदान मिला था और उनकी बीएमटी (बोन मैरो ट्रांसप्लांट) सर्जरी भी हुई है। इस लेख में वे अपनी मल्टीपल मायलोमा की यात्रा के बारे में बात करते हैं। मुझे सितंबर 2018 में मल्टीपल मायलोमा का निदान…
ग्लूकोमा (काला मोतिया) अंधेपन का एक प्रमुख कारण है। ग्लूकोमा से दृष्टि की हानि होती है और अगर उपचार से इसे नियंत्रित न करें तो दृष्टि जा सकती है। ग्लूकोमा पर जानकारी के लिए हमने आईएचओपीई के साथ की गयी आंखों की बीमारियों का श्रृंखला के अंतर्गत दो…
सोनल गोरेगांवकर को माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप तक चढ़ने के वक्त एक स्ट्रोक हुआ जिससे उनकी बोलने की क्षमता चली गई। इस स्थिति को ग्लोबल एफेशिया (व्यापक वाचाघात) कहा जाता है। इस लेख में उनके सामान्य जीवन को फिर से शुरू करने और काम पर वापस लौटने के लिए…