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Submitted by PatientsEngage on 15 May 2020

क्या तनाव आपके एक्ज़िमा को भड़का रहा है? डॉ. गीता मथाई विभिन्न एक्ज़िमा के ट्रिगर्स के लिए कुछ उपाय बता रही हैं।

एक्जिमा क्या है?

'एक्ज़िमा' त्वचा संबंधी रोगों का एक व्यापक समूह है।, और इन में मुख्यलक्षण हैं खुजली, त्वचा का लाल होना,त्वचा पर पपड़ी बनना और फिर उसका छिलना/उतरना। इसमें त्वचा अंततः मोटी और अतिरंजित(हाइपर-पिगमेंट) हो जाती है।

एक्ज़िमा किन किन प्रकार के होते हैं?

  • एक्ज़िमा का सबसे आम प्रकार है एटोपिक डर्माटाइटिस। यह कई प्रकार की अलग-अलग एलर्जी के कारण होता है। यह दुनिया भर के 20 फीसदी बच्चों में पाया जाता है। बच्चों का एक्ज़िमा बढ़ती उम्र के साथ खत्म हो सकता है, या उनके वयस्कहोने पर भी यह जारी रह सकता है या फिर कई वर्षों तक लक्षण नजर नहीं आने के बाद यहफिर से अचानक प्रकट हो सकता है। यह चेहरे, कान, सिरकी त्वचाके अलावात्वचा की सलवटों में (जैसे कि कोहनी और घुटनों में)होता है।
  • डिस्कोइड एक्ज़िमा पूरे शरीर में पपड़ी जैसे, खुजलीदार, गोल या अंडाकार धब्बोंके रूप में होता है।
  • सेबोरॉहिक डर्माटाइटिस को नाक  के दोनों ओर, भौं, कान और सिर की त्वचा पर देखा जाता है।
  • कॉन्टैक्ट एक्ज़िमा वयस्कों और बच्चों में केवल उन क्षेत्रों में होता है जहां त्वचा का संपर्क किसी उत्तेजक और नुकसानदेह बाह्य पदार्थ से होता है। इस तरह का एक्ज़िमा सामान्यतः ऐसे स्थान पर देखा जाता है जैसे कि हाथ और शरीर का निचला भाग, जहां लगातार कडा, साबुन से हाथ धोने पर या जहां अंतर्वस्त्र त्वचा से रगड़ खाते हैं।
  • जिन्हें दीर्घ कालिक वैरिकोज वेन्स की शिकायत है उन वयस्कों को वैरिकोस एक्ज़िमा हो सकता है।
  • डिसहाइड्रोटिक एक्ज़िमा हथेलियों पर छोटे फफोलों के रूप में प्रकट होता है।

एक्ज़िमा के लक्षण क्या हैं?

एक्ज़िमा खुजली पैदा करता है। कई बार यह खुजली इतनी तीव्र और बेकाबू हो सकती है कि शिशु, बच्चे और यहां तक कि वयस्क भी प्रभावित क्षेत्रों को किसी खुरदुरीवस्तु से खुजलाने लगते हैं। वे उन चीजों की तलाश करने लगते हैं, जिनसे वे जोर से खरोंच सकें। इससे कुछ जगहों की त्वचाको नुकसान पहुंच सकता है। इस खरोचने से त्वचा की सतह पर रहने वाले स्टैफिलोकोकस ऑरियस जैसे बैक्टीरिया को त्वचा के अंदर घुसने का मौका मिल जाता है। इसके बाद त्वचा का लाल हो जाना, सूजन होना, बुखार आना और संक्रमण के अन्य लक्षण दिखाई देते हैं। त्वचा पर छोटे-छोटेफुंसीनुमा फफोले भी बन सकतें है, जिनसे तरल  पदार्थ का रिसाव होता है। लगातार खुरचने से त्वचा मोटी और अतिरंजित (हाइपर-पिगमेंटेशन) हो सकती है। यह पपड़ी बन कर झड़ सकता है।

एक्ज़िमा कैसे फैलता है?

एक्ज़िमा संक्रामक या स्पर्शसंचारी नहीं है। यह आनुवंशिक है और एलर्जी से प्रभावित उन परिवारों में होता ह, जहां अन्यसदस्यों को दमा या राइनाइटिसहै।

इन परिवारों मेंकिसी बाह्य पदार्थ के संपर्क में आने पर शरीर को अपनी सुरक्षात्मक प्रतिक्रिया नियंत्रित करने में कठिनाई होती है। इन लोगों के शरीर को बैक्टीरिया और वायरस जैसे संभावित खतरनाक "हमलावरों" के, और अपेक्षाकृत हानिरहित दूषित पदार्थों जैसे धूल और इत्र के बीच फर्क करने में कठिनाई होती है। किसी भी संदिग्ध बाह्य पदार्थ से संपर्क होने पर इन के शरीर का सुरक्षात्मक तंत्र अत्याधिकमात्रा में विरोधी, इंफ्लेमेटरी रसायन बनाने लगता है और इन से, छींकने, घरघराहट और खुजली जैसी सम्सयाएं होती हैं।

क्या आपको एक्ज़िमा का खतरा है?

  • इसमें वंशाणु (जीन्स) बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एक्ज़िमा फैलाने वाली असामान्य प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया हमें विरासत में मिलती है, लेकिन अन्य आनुवांशिक बीमारियों की तरह,पूर्वानुकूलता का मतलब यह नहीं है कि एक्ज़िमा जरूर होगा ।
  • परिवार के सदस्यों में अस्थमा या एलर्जीका पाया जाना।
  • शहरों काप्रदूषित पर्यावरण: पर्यावरण इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रदूषित शहरी क्षेत्रों में रहने वाले बच्चे जो शैशवकाल से ही डब्बेबंद दूधपर निर्भर थे और धूम्रपान करने वालों के संपर्क में रहते हैं, ऐसे बच्चों को इस बीमारी के होने की संभावना ज्यादा है। 
  • शिक्षित माताएं: अन्य बीमारियों की स्थिति के विपरीत, शिक्षित, संपन्न माताओं के बच्चों में एक्ज़िमा के मामले 30 %ज्यादा सामने आते हैं। एक धरना यह है कि शायाद यह इसलिए हैं क्योंकि ऐसी माताएं अपने बच्चों के लिए एक जीवाणु रहित वातावरण बनाकर रखती हैं। ऐसे वातावरण का आदी हो जाने से बच्चों में कई सामान्य एलर्जी उत्पन्न करने वाले तत्वों के प्रति अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली बनाने का मौका नहीं मिल पाता ह - जैसे कि शैशव काल मेंडब्बाबंद दूध, यात्वचा को रूखा कर देने वाले महंगे और सुगंधितसाबुन और डिटर्जेंट । इसके अलावा ये माताएं रसायनयुक्त मॉइस्चराइजिंग क्रीम से बच्चे की त्वचा को नाम रखने की कोशिश करती हैं, पर इनका प्रभाव ज्यादा देर नहीं रहता - इस के विपरीत सदियों से आजमाए जा रहे नारियल, तिल या जैतून तेल ज्यादा असरदार हैं।
  • मोटापा शरीर की सूजन लाने वाली प्रतिक्रियाओं में बदलाव लाता है जिससे सूजन संभालने की क्षमता निरंतर कम रहती है और एक्ज़िमा जैसी त्वचा संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं।

एक्ज़िमा को बढ़ाने वाले कारक

  • शिशुओं के लिए गाय का दूध या डब्बाबंद दूध: मां का दूध एक्ज़िमा से बचाता है क्योंकि इससे माता की कुछ प्रतिरोधक क्षमताशिशुओं तक पहुंच जातीहैं। मां के दूधसे बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली एलर्जेनके खिलाफ प्रतिक्रिया को कम ‍तीव्र करता है । गाय का दूध या डब्बे का दूधपीने वाले शिशुओं को "हाइपोएलर्जिकफॉर्मूले" अपनाना पड़ सकता है। इसमें आमतौर पर गाय का हाइड्रोलाइज्ड दूध होता है। या फिर उन्हें सोया दूध लेना पड़ सकता है, हालांकि कभी-कभी यह भी मदद नहीं कर पाता है। जिन शिशुओं को एक्ज़िमा की समस्या है उन्हें स्तनपान कराने वाली मां को अपने आहार में शेलफिश, नट्स, मूंगफली और गाय का दूध लेने से बचना चाहिए।
  • शेलफिश, मूंगफली, गाय के दूध और गेहूं से युक्त आहार लेने से पहले से मौजूद एक्ज़िमा बिगड़ सकता है। प्रत्येक व्यक्ति की प्रतिक्रिया और एलर्जी अलग-अलग होती है, इसलिए किसी भी विशेष आहार को इस बात के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है कि इस आहार के कारण सभी को एक्ज़िमा होगा।
  • देर तकगर्म पानी से स्नान: सूखी त्वचा से एक्ज़िमा बढ़ता है। काफी देर तकगर्म पानी से स्नान करने से त्वचा अपनी नमी खो देती है।
  • ऊन या कृत्रिम कपड़े: ये एक्ज़िमा को भड़काते हैं।  इन के मुकाबले,सूती कपड़े से एक्ज़िमा तब तक नहीं होता जब तक कि गर्म और नमी युक्त माहौल के कारण पसीना शरीर पर बना रहे। व्यायाम करते समयनए आए "पसीनासोख लेने वाले" (स्वेटविकिंग) कपड़े एक्जिमा को भड़कने से रोकेंगे।
  • तनाव: तनाव से शरीर में ऐसे रसायन और हार्मोन बनते हैं जिनसे एक्ज़िमा बढ़ सकता है। तनाव वंशानुगत होने वाले एक्ज़िमा को भी भड़का सकता है।
  • खुजलाना: एक्ज़िमा से जूझ रहे लोगों के लिए खुजलाना एक आनंददायक आदत बन सकती है, लेकिन खुजली त्वचा को नुकसान पहुंचाती है और इस से स्टेफिलोकोकसऑरियस जैसे बैक्टीरिया और वायरस को पनपने का मौका मिलताहै, विशेष रूप से हरपीज़ सिंप्लेक्स समूह को।
  • तम्बाकू (किसी भी रूप में)एक्ज़िमा को बढ़ाता है। धूम्रपान करने से या ऐसे लोगों के आसपास रहने से जो धूम्रपान कर रहे हों, एक्ज़िमा की स्थिति और बिगड़ जाती है।
  • डिटर्जेंट: बॉडी वॉश, साबुन और तरल साबुनों से एक्ज़िमा बढ़ सकता है। उन्हें उपयोग से पहले पतला कर लें। सुगंध रहित हो तो बेहतरहै।

उपचार

एक्ज़िमाको नियंत्रित तो किया जा सकता है लेकिन इसे पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है।इसे भड़कने से रोकने के लिए लंबे समय तक उपचार और दृढ़तासे ही सफलता प्राप्त की जा सकती है।

त्वचा के बचाव के लिए नहाने के समय कोकम रखें। पानी में एक चम्मच खाने का सोडा (सोडियम बाइकार्बोनेट) और एक बड़ा चम्मच नारियल तेल मिलाकर नहाएं। खाने का सोडा हल्के से त्वचा की पुरानी परतको निकालने का काम करता है। यहत्वचा पर मौजूद अम्लीय पदार्थकेअसर कोखत्म कर देता है। यह अनेक प्रकार की त्वचा और बालों पर अच्छा काम करता है।

शिशुओं में:

  • नहलाने से पहले शिशु के पूरे शरीर पर नारियल या जैतून के तेल से या इन दोनों तेलों की बराबर मात्रा मिलाकर उससे मालिश करें।
  • केवल ऐसे साबुन का उपयोग क रेंजो  कोमल हों और जिसमें सुगंध न हो।
  • नहलाने के बाद शिशु के पूरे शरीर पर चिपचिपाहट रहित,शिशुओं केलिये बनाया गया तेल या मॉइस्चराइजिंग लोशन लगाएं।

वयस्कों में:

  • कॉन्टैक्ट डर्माटाइटिस के कारक उत्तेजक वस्तुका उपयोग नहीं करने से कॉन्टैक्ट डर्माटाइटिस गायब हो जाता है।
  • यदि वैरिकोज वेन्स हैं, तो दिन के समय नसों को दबाने वाले मोज़े पहनें और रात के समय या जब भी संभव हो अपने पैरोंको ऊंचा रखें। यदि इससे मदद नहीं मिल पाती हैतो शल्य चिकित्सा(सर्जरी) की जरूरत पड़ सकती है। वैरिकोजवेन्सके कारण हुए निचले अंगों में खून का ठहराव एक्ज़िमा को बढ़ाता है।
  • हाथों को यदि बार-बार धोना पड़ेतो जहां तक हो मंदसाबुन का ही उपयोग करें। हाथों को तौलिए से जोर-जोर से रगड़ने की बजाय तौलिए से सिर्फ थपथपाकर हाथों को सुखाएं।

दवाइयां:

  • एक्ज़िमा से प्रभावित जगह पर दवा लगाना सबसे कारगर इलाज है। पहले मॉइस्चराइजिंग या कैलामाइन लोशन लगाने की कोशिश करनी चाहिए। यदि इससे राहत नमिलेतो ऐसी क्रीमलगाएं जिसमें 1% हाइड्रोकार्टिसोन हो । एक्ज़िमा शुरू में ठीक हो सकता है,लेकिन यह लौटकर भी आ सकता है। लंबे समय तक स्टेरॉयड क्रीम का उपयोग करने पर त्वचा पतली होती है जिससे अन्य  संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
  • कुछ मामलों में ज बप्रभावित स्थान पर लगाए गए स्टेरॉयड का असर नहीं होता हैतब टैक्रोलिमस और पिमेक्रोलिमस जैसे कैल्सिन्यूरिन अवरोधक का उपयोग किया जा सकता है। ये मलहम बहुत शक्तिशाली  होते हैं। इनका दुष्प्रभाव विशेष रूप से गुर्दे और अन्य अंगों पर पड़ता है। इनका तभी उपयोग करना चाहिए जब कोई अन्य उपाय न बचे । दो साल से कम उम्र के बच्चों में इनका उपयोग नहीं करना चाहिए।
  • खुजलाहट को कम करने के लिए एंटी हिस्टेमाइंस का उपयोग किया जा सकता है। पर इनके कारण उनींदापन महसूस हो सकता है।
  • यदि एक्ज़िमा के कारण जीवाणु संक्रमण हो तो इससे निपटने के लिए एंटीबायोटिक्स लेने की जरूरत पड़ सकती है।
  • लाइट थेरेपी या प्रकाश चिकित्सा बहुत प्रभावी होती है। त्वचा को या तो प्राकृतिक धूप या कृत्रिम पराबैंगनी यूवीए और संकीर्ण बैंड वाली यूवी बी रौशनीके संपर्क में लाना चाहिए। परन्तु लंबे समय तक प्रकाश चिकित्सा का इस्तेमाल करने से त्वचा का समय से पहले बूढ़ा होना और त्वचा के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। शिशुओं और बच्चों में इसका उपयोग नहीं किया जा सकता है।
  • जीवन मेंथोड़ा बहुत तनाव तो होता ही है और इससे बचा नहीं जा सकता। तनाव से निपटने के लिए नियमित व्यायाम, ध्यान, योग और ताई ची का सहारा लिया जा सकता है।

वैकल्पिक चिकित्सा

  • एक्ज़िमा  के लिए दिए जाने वाले एलोपैथिक उपचार के दौरान फायदा होने की धीमी प्रगति और कई बार दोबारा एक्ज़िमा के लौटकर आने के कारण बहुत से लोग निराश हो जाते हैं। वे एलोपैथिक उपचार को छोड़कर होम्योपैथी, प्राकृतिक चिकित्सा और जड़ी-बूटियों से वैकल्पिक चिकित्सा के दावों पर भरोसा करने लगते हैं। सच तो यह है कि इन दावों का आधार कोई वास्तविक अध्ययन नहीं है, यह सिर्फ कही-सुनी बातें हैं। हर्बल और प्राकृतिक चिकित्सा से खुजली कम हो जाती हैलेकिन एक्ज़िमाके लौटने और इसके भड़कने की घटना को नहीं रोका जा सकता। एक्यूपंक्चर भी फायदेमंद है। इन उपचारों को अक्सर सप्लीमेंट के साथ जोड़ा जाता है, जैसे विटामिन, जिंक, सेलेनियम या प्रोबायोटिक्स की बड़ी खुराकदेना। (नोट: आपको शुद्ध प्रोबायोटिक्स के पाउच या कैप्सूललेना चाहिए। दही खाना मददगार नहीं होगा क्योंकि दही में मौजूद दूध का प्रोटीन एक्ज़िमा को बढ़ा सकता है।) बायोरेसोनेंस नामक प्रक्रिया में शरीर की विद्युत चुंबकीय तरंगों को बदलने के लिए इलेक्ट्रोड का उपयोग किया जाता है। (इस दावे को पुष्ट करने के लिए कोई अध्ययन नहीं किया गया है। यह केवल कही-सुनी बातों पर हीआधारित है।) रंग, प्रकाश और विश्रांति तकनीकों के उपयोग करने वालेक्रोमोथेरेपी का भी उपयोग किया जाता है। तेल की मालिश फायदेमंद है।

एक्ज़िमा प्रबंधन के लिए दिशा-निर्देश

यदि आप एक्ज़िमा से या इसके भड़कने से जूझ रहे हैंतो ये निम्नलिखित सुझावआपको इसके लक्षणों और परेशानी से दूर रखने में मदद कर सकते हैं:

  • एलर्जी पैदा करने वाली चीजों से दूर रहें - अपने भोजन और आपके द्वारा उपयोग की जाने वाली चीजों, जैसी कि साबुन, पर ध्यान दें।
  • तेल लगाकर स्नान करें –नहाने से पहले तेल लगाएं और सुगंधरहित प्राकृतिक मॉइस्चराइज़र सेत्वचा को नमी दें।
  • नियमित रूप से बाहर धूप में रहकर व्यायाम करें।
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