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Submitted by PatientsEngage on 16 July 2020
How To prepare for Medical Emergency at home

हम अक्सर मेडिकल इमरजेंसी के लिए तैयार नहीं होते हैं। बेहतर होगा कि हम पहले से अपनी सूची बनाएं और अपनी बनाई हुई सूची की समय-समय पर समीक्षा करें। यहां कुछ दिशानिर्देश और संकेत दिए गए हैं जिन पर आपको विचार करना चाहिए।

जब घर में कोई प्रियजन अचानक या गंभीर रूप से बीमार पड़ जाता है, या कोई दुर्घटना हो जाती है, तो घबरा जाना स्वाभाविक है। परिवार के सदस्य ऐसे में स्थिति स्वीकार नहीं कर पाते या समझ नहीं पाते कि क्या करें।  वे उम्मीद करने लगते हैं कि कुछ देर रुकें तो समस्या खुदबखुद ठीक हो जायेगी  और अस्पताल नहीं जाना पड़ेगा। या अस्पताल जाने के इंतज़ाम करने के लिए वे बेतहाशा इधर उधर भागते हैं - उन्हें समझ नहीं आता कि क्या क्या करना है, और किस क्रम में । अकेले रहने वाले वरिष्ठ जोड़ों के लिए, संकट से निपटने वाला व्यक्ति स्वयं / अपनी समस्याओं से जूझ रहा होता है, जिस से दिक्कत बढ़ जाती है।

आपात स्थिति में यकायक बिना तैयारी फँस जाने से बचने के लिए हम ऐसी स्थिति के लिए पहले से तैयार हो सकते हैं। जैसे कि प्राथमिक चिकित्सा (फर्स्ट ऐड) सीखना, मेडिकल इमरजेंसी  संभालने के लिए आवश्यक आइटम की सूची तैयार करना और उसे ऐसी जगह रखना जहां वह नजर आती रहे ताकि मौका पड़ने पर उनका आसानी से इस्तेमाल हो सके। यह सूची आपकी स्थिति के अनुसार होनी चाहिए और ध्यान रहे, इसे आप नियमित रूप से अपनी. स्वास्थ्य और अन्य स्थिति के अनुसार बदलते रहना भी जरूरी है।

नीचे कुछ ऐसे पहलुओं पर चर्चा है जो आपात स्थिति के लिए तैयार रहने के लिए उपयोगी हैं। कृपया इन्हें देखें, अपनी सूची बनाएं और अपनी बनाई हुई सूची की समय-समय पर समीक्षा करें ताकि उस में दी जानकारी उचित रहे।

यदि कोई दुर्घटना हो या अचानक चिंताजनक बीमारी हो

सबसे पहले प्राथमिक चिकित्सा (फर्स्ट ऐड) के बारे में सोचें। विश्वसनीय जानकारी प्राप्त करें - सहज ज्ञान और लोगों के घरेलू नुस्खों और व्हात्सप्प पर फलाये फॉरवर्ड के टिप्स के भरोसे न रहें - वे स्थिति को बदतर भी बना सकते हैं।

प्राथमिक चिकित्सा का ज्ञान सभी के लिए जरूरी है, खासकर ऐसे परिवारों में जहां वरिष्ठ लोग मौजूद हों। इस पर कोर्स के अलावा कुछ अच्छी भरोसेमंद पुस्तकें भी उपलब्ध हैं। कुछ समस्याओं का समाधान तुरंत उचित तरीकों के इस्तेमाल से हो सकता है - जैसे कि गले में कुछ अटकने के कारण दम घुटने के लिए हेम्लिच पैंतरेबाज़ी (मनूवर) का उपयोग। अन्य समस्याओं में, एम्बुलेंस या किसी परिवहन का इंतज़ार करते समय, आप प्राथमिक चिकित्सा से कुछ राहत दे सकते हैं।

प्राथमिक चिकित्सा का ज्ञान हो तो कम से कम आप मदद करने की कोशिश में स्थिति को बिगाड़ेंगे नहीं । उदाहरण के लिए, आपको पता चल जाएगा कि क्या व्यक्ति को जहर के कारण समस्या हो रही है और उसे उल्टी के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए या नहीं। या सिर की चोट या पीठ की चोट के मामले में क्या करना है - क्या व्यक्ति को हिलाना उचित होगा (जैसे कि उठाने की कोशिश करते समय) - या क्या हिलाने से अधिक हानि हो सकती है। 

क्या कदम उठाने हैं यह इसपर निर्भर है कि व्यक्ति को कौन-कौन सी स्वास्थ्य समस्याएँ हैं। अपने नियमित डॉक्टर से पूछें कि आपको किन समस्याओं के लिए सतर्क रहना होगा, किस तरह की समस्याओं से आप खुद घर पर फर्स्ट ऐड या अन्य काम से उभर सकते हैं, और किस स्थिति में स्थिति को एमरजेंसी (आपातकाल) मानना  चाहिए। कुछ चीजें सरल होती हैं, जैसे कि मधुमेह के हाइपोग्लाइसीमिया (बहुत कम शर्करा के स्तर) को पहचानना और चीनी देना, लेकिन अन्य स्थिति में, जैसे कि हाइपरग्लाइसीमिया (बहुत अधिक शर्करा के स्तर) अस्पताल जाने की आवश्यकता हो सकती है। तीव्र मोतियाबिंद के हादसे में (पहले प्राप्त डॉक्टर की सलाह के मुताबिक) शायद तुरंत दवा भी देनी होगी और नेत्र अस्पताल भी ले जाना होगा। या संदिग्ध हार्ट अटैक के लिए (यदि डॉक्टर से  पहले परामर्श कर चुके हों तो) सोर्बिट्रेट टैबलेट उपयोगी हो सकती  है। इस प्रकार की स्थितियों में पहले से ही डॉक्टर से प्राप्त सलाह के अनुसार कदम, लेने चाहियें, इसलिए डॉक्टर से इन संभावनाओं पर चर्चा कर लेना आवश्यक है। 
 
कई समस्याओं के लिए प्राथमिक चिकित्सा पर्याप्त नहीं है। आपको अपने प्रियजन को तुरंत अस्पताल ले जाने की आवश्यकता होगी। इसके लिए आत्मविश्वास भी चाहिए, और इच्छाशक्ति भी। अस्पताल जाना बहुत डरावना लग सकता ही -  परिवार के सदस्य अकसर इंतजार करते हैं की चलो, थोड़ी देर रुकें तो शायद न जाना पड़े, और व्यक्ति भी इंतजार करने का आग्रह करते हैं। यह विशेष रूप से तब होता है जब समस्या रात में उठती है। लेकिन कई स्थितियां हैं (जैसे स्ट्रोक, दिल का दौरा, वगैरह) जहां शुरू में ही हस्तक्षेप करने से व्यक्ति की जान बच सकती है, और देरी से मौत हो सकती है। घर पर ही रुकें तो रात को एक और स्ट्रोक हो सकता है, पर यदि समय पर अस्पताल पहुंच जाएँ तो शायद  जिस थक्के की वजह से स्ट्रोक हुआ था उसे डॉक्टर नष्ट कर सकते हैं और दोबारा स्ट्रोक नहीं होगा। अकसर  समय पर अस्पताल न जाने से अगर समस्या अधिक गंभीर हो जाए या मौत हो जाए तो परिवार वाले वर्षों तक देरी करने के लिए अपराध बोध महसूस करते हैं।

समस्या का अवलोकन करना:

सतर्क रहें और स्थिति के बारे में नोट्स रखें क्योंकि इस जानकारी से डॉक्टर समझ पायेंगे कि क्या हुआ था। किस तरह की जानकारी रखें, उसके कुछ उदाहरण:

घर पर जो भी उपयोगी माप ले सकते हैं (आप के पास जिन के लिए उपकरण घर पर हैं), उन्हें ले कर नोट करें -  जैसे कि रक्तचाप, शर्करा का स्तर, हार्ट रेट (नाडी)  और ऑक्सीजन का  स्तर। 

व्यक्ति की शारीरिक स्थिति का निरीक्षण करें: चेहरा, अभिव्यक्ति, त्वचा का रंग, आँखों की स्थिति (खाली सी लग रही हैं क्या? खुलने में असमर्थ?), ठीक से बोल पा रहे हैं या नहीं (क्या बोल रहे हैं, स्पष्टता, शब्दों का चुनाव), चाल (ठीक से चल पाना, एक तरफ झुकना, संतुलन, लड़खड़ाना,  वगैरह), हाथ पैर का इस्तेमाल, बारीकी वाले काम कर पाना।

व्यक्ति से बात करें, पूछें उन्हें क्या तकलीफ है - सिरदर्द, बदन में दर्द, कहीं असहज महसूस करना, जैसे कि पेट में, हाथ-पैर में, आँतों में, मूत्राशय में, आदि। दर्द किस प्रकार का है, कितना  गहरा या तीव्र है।  उनसे कहें कि वे विस्तार से अपनी तकलीफ समझाएं।  यदि संभव हो तो जिस्म पर  सूजन / लाल चकत्ते/ दाने के लिए जाँच करें। बुखार है या नहीं, यह देखें।

इस पर नज़र रखें कि क्या-क्या हुआ, हर घटना कितनी लम्बी थी, घटनाओं का क्रम क्या था। उदाहरण के लिए, यदि व्यक्ति कुछ भ्रमित लग रहे हैं, तो गौर करें कि वे किस तरह के प्रश्न पूछ रहे हैं, उन्हें क्या याद है और क्या नहीं। । उन्हें तीन वस्तुओं के नाम बताएं और फिर  तुरंत पूछें कि वे तीनों नाम वापस दोहराएं - क्या वे यह कर पाते हैं? फिर कुछ मिनट बाद उनसे उन तीन वस्तुओं के नाम फिर से पूछें - क्या इस विलम्ब के बाद उन्हें वे तीन नाम याद हैं या नहीं?

एक डॉक्टर की सलाह: “जैसे ही आपको लगे कि व्यक्ति को कोई समस्या है, घटना की वीडियो रिकॉर्डिंग करने की कोशिश करें। वीडियो रिकॉर्डिंग उपलब्ध हो तो डॉक्टरों को समस्या अधिक स्पष्ट तरह से समझ आ सकती है। ”

अस्पताल जाने के लिए सहायता और परिवहन प्राप्त करना:

उन संगठनों / व्यक्तियों के फ़ोन नंबर की सूची तैयार करें जो आपको प्रियजन को अस्पताल पहुंचाने में मदद कर सकते हैं। इस सूची को फ्रिज पर मैगनेट से चिपका कर रखें और मोबाइल में भी कोड कर दें। सूची में शामिल करने वाले नंबरों के कुछ उदाहरण: अपार्टमेंट सिक्यूरिटी (सुरक्षा), अपार्टमेंट के कर्मचारी, अस्पताल और एम्बुलेंस के नंबर, आपके होम हेल्थ केयर सर्विस का नंबर, पड़ोसी, रिश्तेदार, दोस्त और सहकर्मी। आपको व्हीलचेयर या स्ट्रेचर भेजने के लिए अपार्टमेंट कार्यालय / एम्बुलेंस सेवा से पूछने की आवश्यकता भी हो सकती है।

याद रखें कि कुछ स्थितियों में आपको व्यक्ति को उठाना या हिलाना नहीं चाहिए (जैसे सिर या रीढ़ की हड्डी में चोट में)। एम्बुलेंस सेवा प्रदाता को सूचित करें कि आपको प्रशिक्षित कर्मचारियों और स्ट्रेचेर इत्यादि की आवश्यकता होगी और उनके आने की प्रतीक्षा करें।

घर छोड़ने से पहले करने वाले जरूरी काम:

अस्पताल जाने की व्यवस्था करने के अलावा,  कुछ ऐसे काम हैं जो घर से निकलने से पहले करना जरूरी है, खासकर यदि घर में और कोई लोग नहीं रहते हैं। चेक कर लें कि गैस स्टोव बंद है, पका हुआ खाना टेबल या रसोई के प्लेटफॉर्म से फ्रिज में रख दिया है, बिजली के उपकरण (इस्तरी, गीजर, लाइट, फेन, एयरकंडीशनर, इत्यादि) सब बंद हैं, दरवाजे खिड़की सब बंद हैं। निकलते समय मुख्य दरवाजा ठीक से बंद करा है या नहीं, इस पर ख़ास ध्यान दें।

घर से निकलने से पहले क्या-क्या चेक करना होगा, और साथ क्या ले जाना होगा (और जो  2-3 मिनट में इकट्ठा हो सके) इस की सूची पहले से ही बना कर रखें - यदि आपके पास इस तरह की चेकलिस्ट पहले से तैयार हो तो आपात के समय आसानी होगी -  घबराहट और तनाव के समय यह सब सोच पाना मुश्किल होता है।

प्रियजन की मेडिकल फाइल साथ ले जाएं:

व्यक्ति की अप-टू-डेट मेडिकल फ़ाइल साथ ले जाएं - इस में सब आवश्यक पुरानी और नवीनतम जानकारी होनी चाहिए। ऊपर एक पन्ने पर सबसे आवश्यक जानकारी का सारांश हो तो अच्छा है - व्यक्ति का नाम और उम्र, उनकी बीमारियों के नाम, वर्तमान में ली जा रही दवा और उनके डोस, कुछ हालिया महत्वपूर्ण टेस्ट रिजल्ट, डॉक्टर का सबसे नवीनतम परचा, एलर्जी की जानकारी, परिवार के मेडिकल इतिहास, वगैरह। आप अपने मोबाइल या व्हाट्सएप पर इस एक सारांश वाले पन्ने की तस्वीर भी रख सकते हैं, ताकि यदि जल्दी में फाइल न मिल पाए तब भी आपके पास सब आवश्यक जानकारी हो।

यदि संभव हो तो व्यक्ति के दवा के डब्बे को भी साथ ले जाएं, ताकि डॉक्टर यह देख सकें कि व्यक्ति कौन सी दवाएं ले रहे हैं। कभी-कभी डॉक्टर ब्रांड नामों को नहीं पहचान सकते हैं, इसलिए उन्हें दवा की स्ट्रिप्स दिखाने से मदद मिलती है।

जो कुछ भी हुआ उसका ब्यौरा और इस जानकारी, दोनों मिलने से डॉक्टर स्थिति का जल्दी से आकलन कर पायेंगे और उचित कदम के पायेंगे।

आपको अस्पताल में क्या चाहिएगा, वह भी साथ ले जाएँ:

एक सामान्य गलती यह है कि लोग यह नहीं सोचते कि इमरजेंसी कक्ष के बाहर इंतजार करते समय उन्हें कितना तनाव होगा और यदि उस समय उनके पास वे वस्तुएं नहीं हों जिन की उन्हें आवश्यकता है, तो वे कितने परेशान होंगे। यदि व्यक्ति को अस्पताल ले जाने वाला अकेला हो तो उसे इमरजेंसी के बाहर ही टिके रहना होगा - क्योंकि कभी भी बुलावा आ सकता है - कभी सहमति फॉर्म पर हस्ताक्षर करने के लिए, कभी स्वास्थ्य बीमा कार्ड के लिए या कहीं पैसा जमा करने के लिए, कभी व्यक्ति के बारे में कुछ जानकारी देने के लिए, कभी किसी दवा या इंजेक्शन या खून या अन्य इंतजाम करने के लिए। शायद आपके लिए ऐसा कोई नहीं हो जो घर जाकर आपका जरूरी सामान ला सके। और शायद आप अस्पताल नहीं छोड़ सकते हैं और कई घंटों के लिए घर नहीं जा सकते हैं, शायद एक-एक दिन के लिए भी।

कल्पना करें कि आप अस्पताल में इमरजेंसी कक्षा के दरवाजे के सामने वेटिंग रूम में आप घंटों तक बेचैनी से  बैठे हुए हैं, अस्पताल में ज्यादा चलना फिरना भी वर्जित है। ऐसे समय पर आप किस अतिरिक्त आइटम की जरूरत महसूस हो सकती है?

एक पत्नी ने अपनी सूची इस प्रकार दी: नकद, बीमा कार्ड, क्रेडिट कार्ड, मोबाइल और चार्जर (दोनों उसके और उसके पति के मोबाइल और चार्जर), बिस्कुट और नट्स (अस्पताल में खाने की ट्राली चक्कर नहीं लगा रही थी), पानी रखने के लिए बोतल (बार-बार वाटर कूलर तक जाने से बचने के लिए) एक शाल (एयरकंडीशनर की वजह से अस्पताल काफी ठंडा हो जाता है), कागज और पेन (आवश्यक प्रश्नों, विचारों आदि को लिख पाने के लिए), उसकी खुद की दवाइयां, पढाई वाला चश्मा, कुछ पढ़ने की सामग्री, एक्स्ट्रा घर की चाबियाँ (ताकि किसी को दे कर उनसे घर से कुछ लाने का अनुरोध कर सकें)। इन सब वस्तुओं को घर से निकलने से पहले एक बैग में डालने में दो मिनट से भी कम समय लगता है यदि उनकी सूची हो और समय पर याद आ जाए।

समय हो तो ये भी साथ ला सकते थे - एक जोड़ी कपड़े, एक छोटा तौलिया, और कुछ जरूरी आइटम जैसे साबुन, कंघी, टूथब्रश और टूथपेस्ट। ये साथ हों तो रात को रुकना इतना बुरा नहीं लगेगा।

लैपटॉप जैसी महंगी वस्तुओं को साथ ले जाने से बचें जब तक आप यह पक्का नहीं कर पायें कि आप उन्हें अस्पताल की भीड़ और भागदौड़ में सुरक्षित रख सकते हैं। लैपटॉप  तभी लायें यदि अपनी घर और काम की स्थिति को काबू में रखने के लिए यह जरूरी हो -  वरना उसे सुरक्षित रखने का तनाव शायद उस से संभव फायदे से ज्यादा भारी रहेगा।

यदि आपके या व्यक्ति के कुछ अपॉइंटमेंट्स थे तो उन्हें कैंसिल करना होगा - इस के लिए किस को सूचित करना होगा, यह मालूम होना चाहिए।

सूची होने से इस सब में मदद मिलती है।
 
एक सुचारू गृह व्यवस्था किसी भी हादसे से निपट पाने के लिए एक अच्छी नींव प्रदान करती है:

आपात स्थिति किसी भी उम्र में हो सकती है, परन्तु उम्र के साथ इस की संभावना बढ़ जाती है। इन के कारण कभी-कभी व्यक्ति और प्रियजन को अस्पताल में कई दिनों तक रहना पड़ सकता है।

अगर घर का इंतज़ाम ऐसा हो कि आपकी अनुपस्थिति में भी एक सप्ताह या एक महीने तक सब कुछ ठीक ठाक से चलता रहेगा, तो अस्पताल में रहते समय घर की चिंता इतनी नहीं होगी। अकेले रहने वाले वरिष्ठ जोड़ियों के लिए इस तरह की व्यवस्था बनाए रखना खास तौर से उपयोगी होगा।

विचार करने लायक कुछ पहलू:

अनेक सेवाओं के लिए हमें हर महीने पैसे भरने होते हैं - जैसे कि घर का किराया फोन, क्रेडिट कार्ड, बिजली आदि । देर होने से पेनल्टी हो सकती है, या सेवा कट भी सकती है । पर यदि हम किसी आपात काल से जूझ रहे हैं तो इनका ख़याल नहीं आएगा और समय पर भुगतान रह सकता है । ऐसी समस्याओं से बचने के लिए उपाय: बैंक शासनादेशों का उपयोग करके स्वचालित भुगतान की व्यवस्था करें, या जहां संभव हो, इन सेवाओं में अधिक पैसा जमा रखें (ताकि इन में आपका बैलेंस “क्रेडिट” में हो और एक महीने पैसा न भरने पर भी कोई आवश्यक भुगतान न हो) । यह सब न करना चाहें तो कम से कम बिल मिलते ही पैसा भर दें और  भुगतान अंतिम तिथि तक के लिए न छोड़ें, वरना  वक्त पर कोई अड़चन या आपात स्थिति होने से तकलीफ हों सकती है।

डायरी में या अपने मोबाइल पर सभी महत्वपूर्ण / उपयोगी फोन नंबर और संपर्क रखें। इसमें व्यावसायिक संपर्क शामिल करें - उन लोगों का कांटेक्ट जिन्हें समस्या होने पर या अपॉइंटमेंट कैंसिल करने के लिए आपको या आपके प्रियजन को सूचित करना होगा । उन लोगों की जानकारी भी रखें जिन्हें निजी तौर पर समस्याओं/ स्थिति के बारे में बताना जरूरी है (रिश्तेदार, चुनिंदा जान-पहचान वाले, पड़ोसी, सहकर्मी)।

आपको अपने बैंक खातों को ऑनलाइन प्रबंधित करने के लिए जिन पासवर्ड और पिन कोड की आवश्यकता हो सकती हैं, उन्हें अच्छी तरह स्मरण कर लें और किसी तरह अपने मोबाइल/ पर्स में रखे - ज्यूं के त्यूं सीधी तरह न लिखें (वरना इनका दुरूपयोग हो सकता है) , बल्कि किसी ऐसे गुप्त रूप में लिखें जिसे सिर्फ आप पहचान सकें।

सुनिश्चित करें कि सभी मेडिकल फाइलों में जानकारी हमेशा अपडेटेड है। अकसर लोग अपने डेटा को जानते हैं, लेकिन आपात में उनको अस्पताल ले जाने वाले प्रियजन के पास शायद पूरी नवीनतम जानकारी न हो  

घर की व्यवस्था सुचारू रूप से चल रही हो तो आपात से जूझते समय, अस्पताल में, मन में इधर उधर की अतिरिक्त चिंताएं नहीं होंगी । आप आपात काल से उत्पन्न स्थिति पर केन्द्रित रह पायेंगे। एक और टिप: कीमती सामान को घर पर सुरक्षित रूप से बंद करके रखने का मतलब है कि किसी भी समय जरूरत होने पर आप किसी पड़ोसी को अपने घर की चाबी दे सकते हैं।

बेशक, इतनी सारी सूचियों के इस्तेमाल के साथ साथ आपको समय-समय पर इन सूचियों की समीक्षा भी करनी होगी ताकि ये इस्तेमाल के लायक रहें (जैसे दवा की सूची, सबसे नए टेस्ट रिपोर्ट, मददगार व्यक्तियों के लेटेस्ट फोन नंबर, वगैरह)। शायद आप यह हर तीन महीने में एक बार चेक कर सकते हैं, या तब बदल सकते हैं जब कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ है।

स्वप्ना किशोर, जयेश और शीतल से प्राप्त इनपुट्स के साथ