Skip to main content
Submitted by PatientsEngage on 14 December 2020
Stock pic showing Knee Pain

काजल* सक्रिय  रहती थीं और अपनी जीवनशैली को लेकर सावधान थीं। जब उनका बेवजह  वजन कम होने लगा और घुटने में दर्द भी होने लगा तो उन्होंने कई टेस्ट करवाए और विशेषज्ञों से मिलीं। प्राप्त सलाह और समाधानों से संतुष्ट न होने पर, काजल ने खुद समाधान खोजने के लिए विभिन्न पूरक उपचारों को सक्रिय रूप से खोजा और कुछ आश्चर्यजनक निष्कर्ष निकाले।

मैं हमेशा से ही पतली और सक्रिय रही हूं। अपने माता-पिता की स्वास्थ्य समस्याओं को पहचानते हुए, जब मेरी उम्र तीस साल हुई तो मैंने जीवन शैली को अधिक स्वस्थ  बनाने के लिए कई बदलाव करे। मैंने साबुत अनाज और स्वस्थ वसा पर जोर देना शुरू करा और सब्जियों  की मात्रा बढ़ा दी । मैंने तला हुआ भोजन, मिठाई और जंक फूड से परहेज करना शुरू करा। रोज के रूटीन में तेज गति से सुबह और शाम चलना शामिल था।.

पिछले साल मैंने साठ साल की उम्र का पड़ाव पार किया। मेरी सावधान जीवनशैली के बावजूद, मेरे माता-पिता की कुछ स्वास्थ्य समस्याएं मुझे भी हो चुकी थीं (ऑस्टियोपोरोसिस, हाइपोथायरायडिज्म, डिस्लिपिडेमिया, उच्च रक्तचाप, प्रीडायबिटीज)। नियमित दवा और निरंतर जीवनशैली की सावधानियां से मैं उन्हें संतोषजनक नियंत्रण में रख रही थी। इसलिए, पिछले साल मेरी चिकित्सा जांच के दौरान, मैं दो नई समस्याओं के बारे में अधिक चिंतित थी।

१. गत वर्ष में मेरा वजन बिना कारण कई किलो से कम हो गया था। मेरा बीएमआई 15.6 तक गिर गया, जो स्पष्ट रूप से बहुत कम था (अंडरवेट) ।

2. मेरे घुटनों के अंदर की तरफ एक स्पॉट था जहां मुझे दर्द होता था। इस जगह को दबाने पर दर्द होता था, और कभी-कभी यहाँ खुद ही दर्द होने लगता था। दर्द कभी-कभी ही होता था और अधिक तीव्र नहीं था। चलने या सीढ़ियां चढ़ने-उतरने पर इसका कोई असर नहीं होता था। लेकिन मैं आलती-पालती मार कर नहीं बैठ पाती थी और उकडूं भी नहीं बैठ पाती थी। जहां तक मुझे पता था, यह दर्द तब शुरू हुआ था अब मैंने कुछ दिनों के लिए ऐसे नए जोड़े जूते पहने थे  जो खराब फिट के थे।

टेस्ट और कंसल्टेशन का सिलसिला

मैंने अपनी मेडिकल समस्याओं के लिए जो टेस्ट हमेशा करवाती थी, वे फिर से करवाए। इसके अतिरिक्त, मैंने सामान्य स्वास्थ्य के लिए कुछ और टेस्ट भी किए - टोटल ब्लड काउंट, विटामिन बी 12, विटामिन डी, और इलेक्ट्रोलाइट्स। रिपोर्ट में सिर्फ एक रिजल्ट ठीक नहीं लगा - वह था विटामिन डी। मेरा रिजल्ट था 77.2 एनएमओएल / एल (30.9 नैनोग्राम), और यह लैब के मानदंड के अनुसार "अपर्याप्त” की श्रेणी की सीमा से बस थोड़ा ही ज्यादा था।

फिर मैंने डॉक्टरों से सलाह लेने का सिलसिला शुरू किया। मैंने तीन विशेषज्ञों (एक एंडोक्रिनोलॉजिस्ट, दो आर्थोपेडिस्ट) और तीन अन्य स्वास्थ्य प्रोफेशनल (जीपी, फिजियोथेरेपिस्ट, आयुर्वेदिक डॉक्टर) से सलाह ली। सभी छह सीनियर और प्रतिष्ठित थे और मुझ उनके नाम मित्रों से मिले थे।

मेरी मौजूदा चिकित्सा स्थितियों की समीक्षा संतोषजनक थी। इस लेख मैं जो कुछ साझा कर रही  हूं, वह मेरी दो नई चुनौतियों के लिए समाधान पाने से संबंधित मेरे अनुभव हैं।

विशेषज्ञों की राय मुझे अटपटी और  कन्फ्यूसिंग लगी

मेरे एंडोक्रिनोलॉजिस्ट ने मुझे बताया कि मेरा विटामिन डी स्तर अच्छा था। उन्होंने कहा कि इस तरह से इतना वजन गिरना कोई समस्या नहीं थी। उन्होंने अपनी माँ सहित नब्बे के दशक के कम वजन वाले व्यक्तियों के कई उदाहरण दिए। उन्होंने कहा कि यदि वास्तव में चिंतित हूँ, तो मुझे एक जीपी से परामर्श करना चाहिए।

दोनों ऑर्थोपेडिस्ट ने मेरे घुटनों की जांच की। पहले ऑर्थोपेडिस्ट ने कहा कि मुझे आर्थराइटिस (गठिया) नहीं था (बल्कि उनके अनुसार मैंने अपने घुटनों को उम्र के हिसाब से "बहुत अच्छी तरह से बनाए रखा था")। उन्होंने घुटने पर मौजूद दर्द वाले स्पॉट को "कुछ भी प्रॉब्लम नहीं है” करके टाल दिया। जब मैंने जोर देकर कहा, तब दर्द क्यों होता है, उन्होंने एमआरआई की सलाह दी। इसमें औसत दर्जे के मेनिस्कस टीयर दिखाई दिया, जिसे ऑर्थोपेडिस्ट ने "पार्शियल टीयर" कहा। दूसरे ऑर्थोपेडिस्ट ने कहा मुझे आर्थराइटिस है और मुझे कुछ वर्षों में दोनों घुटनों में “फुल रिप्लेसमेंट” की आवश्यकता होगी।

मुख्य बिंदुओं पर दोनों आर्थोपेडिस्टों की राय मिलती थी। उन्होंने कहा कि दर्द की समस्या को हल करने के लिए ऑर्थोस्कोपी ही एकमात्र तरीका था। उन्होंने कहा कि यह एक सरल प्रक्रिया थी। उन्होंने कोई रिहैब समय या रिहैब  के लिए आवश्यक प्रयास का जिक्र नहीं किया और ऑर्थोस्कोपी के दौरान कोई अंश हटाने के कारण संभावित नुकसान के बारे में सवालों को नजरअंदाज कर दिया। दोनों इस पर भी सहमत थे कि यह सर्जरी  "ऐच्छिक (इलेक्टिव)" है और ऐसा नहीं करने से मुझे कोई नुकसान नहीं होगा, लेकिन दोनों की बातों से लगा कि उन्हें विश्वास था कि मैं जल्द ही उनके पास ऑर्थोस्कोपी करवानेआऊँगी। उन्होंने किसी एक्सरसाइज का जिक्र नहीं करा। पोस्चर - बैठने, खड़े होने, चलने वगैरह - में कुछ बदलाव करने  पर भी कोई सलाह नहीं दी। उनके हिसाब से मैं अधिक नुकसान से बचने के लिए कुछ नहीं कर सकती थी।

मैंने दूसरे ऑर्थोपेडिस्ट से कुछ अतिरिक्त भी सवाल पूछे। विटामिन डी के स्तर  पर उन्होंने संतोष जताया और कहा कि मुझे किसी सप्लीमेंट की आवश्यकता नहीं है। जब मैंने विशेष रूप से घुटने के व्यायाम के बारे में पूछा, तो वे आश्चर्यचकित लगे। कहा, "अगर आप उस तरह की बातें पर विश्वास रखती हैं, तो किसी फिजियोथेरेपिस्ट से पूछें।"

इन डॉक्टरों से सलाह लेने के दौरान कई बातों ने मुझे परेशान किया। मेनिस्कस टीयर  पर गूगल से प्राप्त जानकारी अलग अलग तरह की थी और कनफ्यूज़िंग थी - पर इतना जरूर स्पष्ट था कि सर्जरी की सफलता सर्जन पर निर्भर थी - पर दोनों डॉक्टर में से किसी ने मेरा विश्वास नहीं जीता था। एक छोटी  सी बात थी मेरा विटामिन डी का स्तर। सिर्फ दस मिनट गूगल पर बिताने के बाद मैंने फिर दूसरे आर्थोपेडिस्ट से इस का बारे में संपर्क किया। इस बार मैंने इस बात पर जोर दिया कि मेरा टेस्ट रिजल्ट एनएम्ओएल/ एल  में था। उन्होंने तुरंत सप्लीमेंट प्रेस्क्रईब कर डाला।

मुझे यह सुनकर घबराहट हुई कि स्थिति बिगड़ती जायेगी और सर्जरी ही एकमात्र विकल्प था। दोनों घुटने बिगड़ते जा रहे हैं और दोनों के रेप्लास करना होगा - यह डरावना ख़याल था। किसी अन्य ऑर्थोपेडिस्ट से सलाह करने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी। कुछ सोचने के बाद मैंने अपने घुटने के लिए एक जीपी, फिजियोथेरेपिस्ट और आयुर्वेदिक डॉक्टर से भी सलाह ली।

इन तीनों से सलाह ऑर्थोपेडिस्ट से बहुत भिन्न थी। तीनों ने कहा कि सर्जरी से मदद मिलेगी, यह पक्का नहीं है, पर यह भी कहा कि मुझे चिंता नहीं करनी चाहिए। उन्होंने मेरे वर्तमान एक्सरसाइजरूटीन के बारे में पूछा। उन दिनों  मैं एक दिन में लगभग 10-12 किमी चलती थी, सप्ताह में 2-3 किमी दौड़ती थी, और अन्य व्यायाम भी करती थी (संतुलन, स्ट्रेचिंग, कुछ वजन हाथ से उठाना)। तीनों ने कहा, दिनचर्या जारी रखिये। फिजियोथेरेपिस्ट ने “कोर” और पैरों के लिए कुछ अन्य अभ्यास भी जोड़े। आयुर्वेदिक चिकित्सक ने आसन और आहार के बारे में सलाह दी, कुछ तेलों को निर्धारित किया, और मुझे अपने पैरों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा।

मैं अपना वजन कैसे बढ़ा सकती हूं?

मैंने अपने वजन घटने की समस्या के बारे में भी जीपी से पूछा। मेरी जांच करने और मेरी रिपोर्ट को देखने के बाद, उन्होंने कहा कि चिकित्सकीय रूप से कुछ भी गड़बड़ नहीं लग रहा था। उन्होंने खाना बढ़ाने का सुझाव दिया।

वजन की समस्या घुटनों की तुलना में कम डरावनी लग रही थी, इसलिए मैंने वजन बढ़ाने के तरीके तलाशने शुरू किए।

आम तौर पर स्वास्थ्य सलाह वज़न कम करने पर केन्द्रित होती है। वजन बढाने पर कुछ ही लेख मिले, और इनमें सलाह थी कि अधिक खाएं, पर सिर्फ स्वस्थ भोजन लें। कुछ सुझाव थे कि ऐसे खाद्य पदार्थ लें जो ऊर्जा और पौष्टिक तत्वों में घनिष्ठ हों। मैं पहले से ही स्वस्थ भोजन ले रही थी। मुझे अधिक खाने के लिए अपनी भूख बढ़ानी होगी। नए चुने गए "समृद्ध खाद्य पदार्थ" ऐसे होने चाहियें जो मेरे अन्य भोजन संबंधी प्रतिबंधों/ मापदंडों के अनुरूप हों। ये थीं- कम नमक (उच्च रक्तचाप के लिए जरूरी), भोजन की मात्रा माध्यम और सीमित रखना और मिठाई से बचना (प्रीबायबिटीज के कारण सावधानी) और तेल की मात्रा सीमित रखना (डिस्लिपिडेमिया की वजह से)।

सौभाग्य से, सुझावों की खोज के दौरान मुझे आयुर्वेद पर सामग्री मिली, और मैंने देखा कि इस प्रणाली में पतले लोगों के लिए काफी सलाह है। मैंने अपनी प्रोफाइल ("वात" व्यक्तित्व, "वात" असंतुलन) के लिए क्या सलाह थी, यह जानने के लिए आधिकारिक किताबें पढ़ीं।

क्या मैं अधिक व्यायाम कर रही थी?

एक सलाह थी कि व्यायाम अधिक करने से बचें (अति-व्यायाम न करें)। सोचने पर मैंने पहचाना  कि पिछले एक साल में मेरे व्यायाम की मात्र काफी बढ़ गयी थी। क्या मैं "अति-व्यायाम (ओवर-एक्सेर्सिसिंग)” कर रही थी? मैंने एक महीने के लिए दौड़ना बंद किया। एक सप्ताह के भीतर ही मेरी भूख में सुधार हुआ। मेरी ऊर्जा के स्तर में सुधार हुआ। इससे मुझे आश्चर्य हुआ क्योंकि मुझे पहले यह महसूस नहीं हुआ था कि मेरी ऊर्जा कम थी। एक महीने में वजन भी कुछ  बढ़ गया था।

इससे प्रोत्साहित होकर, मैंने कुछ अन्य आयुर्वेदिक सुझाव भी अपनाए जो मेरे अन्य स्वास्थ्य दिशानिर्देशों का उल्लंघन नहीं कर रहे थे। इनमें शामिल थे - भोजन का समय सुनिश्चित करना और उसके हिसाब से नियमित खाना, और ठंडे, सूखे खाद्य पदार्थों के बजाय गर्म, नमी वाले और तैलीय खाद्य पदार्थ लेना। मेरे लिए इसका मतलब था कि स्नैक्स के लिए स्वस्थ क्रैकर बिस्कुट के बजाए ताज़ा गर्म उपमा लेना, और कच्चे सलाद के बजाय पकी हुई सब्जी खाना। मैं कुछ ख़ास मौकों पर आइसक्रीम, मिल्कशेक या कोल्ड ड्रिंक लिया करती थी - मैंने इनसे बचने का भी फैसला किया।

चॉकलेट, इस प्रणाली के हिसाब से, मेरे लिए वर्जित था। मुझे डार्क चॉकलेट बहुत पसंद है और मैं रोजाना इसके कुछ टुकड़े लेती थी। लेकिन मैंने एक दिन निश्चय करके इसे पूरी तरह से बंद कर दिया। चॉकलेट  की लालसा को जाने में छह सप्ताह लग गए। लेकिन मेरी नींद में सुधार हुआ और चिंता (एंग्जायटी) के स्तर में भी कमी हुई। डार्क चॉकलेट के स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं, ऐसा सुना है, लेकिन मैं इस के बिना बेहतर थी।

इस पहलू में बेहतरी के अनुभव से मुझे फिर से अपने घुटनों के बारे में सोचने की हिम्मत मिली।

लोग विभिन्न कारणों से व्यायाम करते हैं। मेरे उद्देश्य फिटनेस, गतिशीलता, लचीलापन, संतुलन और मजबूत घुटने और पैर थे। मैं अभी भी अपनी पुरानी दिनचर्या को जारी रखे हुए थी  लेकिन मैंने फिजियोथेरेपिस्ट अभ्यास को रोक दिया था क्योंकि उन्हें करते समय मुझे तकलीफ हो रही थी।

विभिन्न प्रणालियों की खोज और परख

उचित एक्सरसाइज ढूँढने की मेरी खोज ने मुझे कई प्रणालियों तक पहुंचाया। योग को मैंने इसलिए नहीं अपनाया क्योंकि उपलब्ध प्रशिक्षक संतोषजनक नहीं थे। मैं उनके ऐसे कुछ छात्र जानती थी जिनकी हालत योग करने के बाद बिगड़ गयी थी - दर्द बढ़ना, सांस फूलना, बीपी में वृद्धि।

ताइची के रूप में मुझे एक आकर्षक विकल्प मिला। कुछ प्रमुख आर्थराइटिस संस्थाएं संतुलन, गतिशीलता और दर्द से राहत के लिए ताइची की सिफारिश करती हैं। इसे सुरक्षित माना जाता है। मुझे नहीं लगा कि मेरे ऑर्थोपेडिस्ट को इसके बारे में कोई राय या जानकारी होगी इसलिए मैंने उनसे सलाह नहीं ली है, हालांकि आमतौर पर किसी भी नई एक्सरसाइज से पहले डॉक्टरों से पूछ लेना उचित है। मैंने एक ऑनलाइन पाठ्यक्रम खरीदा, जिसकी सिफारिश मैं कई जगह पायी - (डॉ। पॉल लैम  का "ताई ची फॉर आर्थराइटिस")। मैंने इसे बहुत सावधानी के साथ, धीरे धीरे खुद करना शुरू करा - प्रोग्राम के सभी निर्देशों का पालन करते हुए। कुछ ही हफ्तों में मेरे संतुलन और “रेंज ऑफ़ मोशन” में सुधार नजर आने लगा। ताई ची  करना मुझे बहुत आरामदेह और सुखद लगता था, जैसे कि यह समय मेरा अपना स्व-देखभाल का समय था (“मी-टाइम”)।

सीखना एक जीवन भर लम्बी प्रक्रिया है। कुछ एक्सरसाइज जो फिजियोथेरेपिस्ट ने मुझे संक्षिप्त समय में सिखाये थे, उन्हीं पर मैंने अधिक विस्तृत विवरण और स्पष्टीकरण पिलाटेज़  प्रणाली में देखे।  पिलाटेज़  में एक्सरसाइज के सही रूप पर जोर दिया गया था  और यह भी समझाया गया था कि सामान्य गलतियां क्या क्या होती हैं और उनसे कैसे बचें। इस बेहतर समझ ने मुझे कुछ एक्सरसाइज को फिर से शुरू करने में सक्षम बनाया। मोशे फेल्डेनक्राईस के लेखों को पढ़कर मैं समझ पायी कि कुछ तरह की मूवमेंट् को आसान कैसे बना सकते हैं।

अधिक ऊर्जा, स्वीकार्य वजन और दर्द से जूझने के लिए बेहतर तरीके

मेरे प्रयास अब नौ महीने से चल रहें हैं और मुझमें अधिक ऊर्जा है। मेरा वजन अब स्वीकार्य स्तर पर है। मेरे एक्सरसाइज रूटीन में विभिन्न प्रकार की आनंददायक एक्सरसाइज शामिल हैं - इन से पोस्चर, लचीलेपन और हल्के एरोबिक और स्ट्रेंथ एक्सरसाइज - सभी हैं । दर्द संभालने के लिए मैं “माइंडफ़ुलनेस” के तरीके अपनाती हूँ जिनमें दर्द के प्रवाह के साथ रहने की सलाह होती है - इस से मेरी चिंता और बेचैनी कम रहती है। माइंडफ़ुलनेस  में जिज्ञासा भाव से दर्द से संपर्क में रहना सिखाया जाता है - हम देखते हैं कि दर्द समय के साथ कैसे बदलता हैं - और दर्द होने पर, हताशा, नाराजगी या भय के बजाए, इस प्रवाह को देखते रहते हैं।

मैं निरंतर नए तथ्यों की तलाश में रहती हूं। उदाहरण के लिए, मैं आजकल आनंददायक एरोबिक्स के  लिए धीमी गति से जॉगिंग और डांसिंग पर सामग्री देख रही हूँ। फिलहाल मुझे अब तक सर्जरी की आवश्यकता महसूस नहीं हुई है।

मुख्य सीख

स्वास्थ्य लाभ के लिए कार्यों की गति कम करना सब के  लिए उचित नहीं है। हममें से प्रत्येक को यह पता लगाना होगा कि हमारे लिये, व्यक्तिगत रूप में, क्या ठीक है और उसे कैसे अपनाएँ। लेकिन कुछ प्रमुख सबक शायद सभी के लिए उपयोगी हो सकते हैं।

डॉक्टर की मदद से हम मेडिकल स्थिति को समझ सकते हैं और उचित उपचार (दवा, सर्जरी) प्राप्त कर सकते  हैं। लेकिन बेहतर महसूस करने के लिए डॉक्टर ही एकमात्र साधन नहीं हैं। वे जीवनशैली के पहलुओं पर शायद कुछ भी सलाह न दें। कुछ डॉक्टर तो स्थिति को ऐसे पेश करते हैं जिस से लगता है कि स्थिति तो बिगड़ती ही जायेगी और एकदम खराब हो  जायेगी और कुछ नहीं करा जा सकता। इस से बहुत मायूसी हो सकती है।

विशेषज्ञ भी बहुत बेसिक, आरंभिक स्तर की गलतियाँ कर सकते हैं। हम सतर्क रहें और सवाल पूछते रहें तो हमें बेहतर जानकारी और उत्तर मिलेंगे और हम यह भी देख पायेंगे कि क्या हम उस डॉक्टर के साथ सहजता और संतोष महसूस करते हैं।

मानक स्वास्थ्य सलाह का पालन करना जरूरी हैं पर बेहतर महसूस करने के लिए यह शायद पर्याप्त न हो। हमें अपनी स्थिति को सुधारने के लिए ऐसे विकल्पों का पता लगाने की आवश्यकता हो सकती है जो हमारे लिए कारगर हो सकते हैं पर साथ ही मानक स्वास्थ्य सलाह के विपरीत नहीं हैं।

मुझे लगता है कि स्वास्थ्य को बेहतर बनाने से जीवन का अनुभव भी बेहतर होगा। अपने शरीर की जरूरतों को समझना और ऐसे तरीके खोजना जो व्यक्तिगत रूप से कारगर हो सकते है - यह समय और ऊर्जा का सार्थक उपयोग है।

रेफ़रेंस:: यदि आप स्वयं ऐसी जांच और प्रयोग करने में रुचि रखते हैं: कृपया सुनिश्चित करें कि किसी  भी सलाह को अपनाने का निर्णय लेने से पहले आप ठीक से जानकारी प्राप्त करें और बहुत सावधानी बरतें और अपने चिकित्सक से भी सलाह लें।

आयुर्वेद संबंधी सलाह अपनाने के लिए - बेहतर होगा कि आप बुनियादी अवधारणाओं को समझें और इस के लिए डॉक्टर से बात करें और आधिकारिक पुस्तकों को धैर्यपूर्वक पढ़ें। जिन अवधारणाओं को मैंने उपयोगी पाया, वे थीं: प्रकृति और विकृति, दोषों को संतुलित करने संबंधी ज्ञान, भोजन का स्वाद इत्यादि (जैसे कि मीठा, खट्टा, नमकीन, तीखा, कड़वा, कसैला, भारी या हल्का, गर्म या ठंडा, तैलीय या सूखा इत्यादि ) और दोषों के साथ उनका संबंध। परिवर्तन की कोशिश तभी करें अगर यह आपको सही लगें और आप छोटे, सुरक्षित स्टेप्स में बदलाव करके यह देख पाएं कि क्या आपको कुछ फायदा हो रहा है।

ताई ची: मेरे द्वारा खरीदे गए कार्यक्रम के बारे में जानकारी यहां है: https://taichiforhealthinstitute.org/why-tai-chi-for-arthritis/ और यूट्यूब वीडियो में परिचय के लिए एक पाठ भी देखा जा सकता है। इस कार्यक्रम का जिक्र हार्वर्ड हेल्थ के एक अंश में भी है। हार्वर्ड हेल्थ के ताई ची  पर अपने भी कुछ वीडियो यूट्यूब पर उपलब्ध हैं

दर्द के सन्दर्भ में माइंडफुलनेस के इस्तेमाल के लिए: https://psychcentral.com/lib/using-mindfulness-to-approach-chronic-pain/, https://www.psychologytoday.com/us/blog/mindfulness-in-frantic-world/20… और https://www.health.harvard.edu/pain/body-scan-for-pain   पर कुछ बुनियादी स्पष्टीकरण देखें। एक अध्ययन के लिए देखें : https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5368208// यदि आप को विषय में रुचि रखते हैं, तो विस्तृत विवरण खोजें।

अनुरोध पर नाम बदला गया है