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Submitted by Kohila on 10 April 2020

पोषण विशेषज्ञा कोहिला गोविंदराजू बताती हैं कि अस्थमा ट्रिगर्स से मुकाबला करने के लिए किन खाने की चीज़ों का सेवन करना चाहिए और किस तरह के खाने की चीज़ों से बचना चाहिए।

अस्थमाको "सांस लेने के मार्ग में सूजन-संबंधी चिरकालिक बीमारी" के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। इस बीमारी के कारणनिम्न लक्षण प्रकट होते हैं:

  • पूरी तरह से सांस न ले पाना (सांसकी कमी)
  •  छाती में जकड़न
  • खांसना
  • सांस जोर जोर से, घरघराहटके साथ लेना

सूजन के कारण जब सांस लेने का मार्ग संकीर्ण हो जाता हैतो अतिरिक्त बलगम बनने लगता है। इससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है और घरघराहट और सांस लेने में तकलीफ के साथ खांसी आने लगती है।

अस्थमा या तो एलर्जीवाला या गैर-एलर्जी वाला हो सकता है। जिन लोगों में सांस लेने के मार्ग में बार-बार संक्रमण होता है उनमें गैर-एलर्जी अस्थमा व्यायाम, तनाव, चिंता और यहां तक कि बहुत ज्यादा वायु संचार (हाइपर वेंटिलेशन) से भड़क सकता है, विशेष रूप से तब जब ऐसा व्यक्ति ऐसी जगहों पर जहां वातावरण में रासायनिक ईंधन, सिगरेट का धुआं इत्यादि कारक हों। इसके मुकाबले एलर्जीवाला अस्थमा धूल, परागकणों, पालतू जानवरों की झडती त्वचा और फंफूद(मोल्ड) के बीजाणु जैसे तकलीफ देने वाले कारकों के संपर्क में आने से भड़क सकता है।

यदि किसी को फफूंद से एलर्जी हैतो उसे पनीर और मशरूम जैसे खाद्य पदार्थोंसे बचना चाहिए क्योंकि इन उत्पादों में मौजूद फफूंद अस्थमा के दौरों को भड़का सकता है। इस बात का ध्यान रखना भी जरूरी है कि खाद्य पदार्थ के पैकेट पर लगे लेबल को बारीकी से पढ़ा जाए ताकि आपको पता चल सके कि उसमें कोई ऐसी सामग्री शामिल तो नहीं जिससे आपको एलर्जी है। यदि आपका वजन सामान्य से ज्यादा है तो वजन कम करने पर ध्यान देना भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अतिरिक्त वजन से फेफड़ों पर दबाव पड़ सकता है।

अस्थमा को काबू में रखने के तरीके

अगर आप एलर्जी पैदा करने वाली स्थितियों से संपर्क को कम कर सकते हैं तोअस्थमा के दौरों को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।

जिन खाद्य पदार्थों में विटामिन सी, विटामिन ए, विटामिन डी, मैग्नीशियम, मोनो अनसैचुरेटेड फैटी एसिड और फ्लेवोनॉइड्स की प्रचुर मात्रा होती है वे खाद्य पदार्थ एलर्जी के लक्षणों को कम करने में मददगार होते हैं। फ्लेवोनॉइड्स में एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-एलर्जिकलक्षण होते हैं। फ्लेवोनॉइड्स पौधों के रंग द्रव्यहैं और फूल, फल और पत्तियों को रंग देते हैं। ये सब्जियों, नट्स, बीज और डार्कचॉकलेट में पाए जाते हैं। फ्लेवोनॉइड के अच्छे स्रोतोंमें लेट्यूस, प्याज, तुलसी का पत्ता, बंदगोभी, पालक, बेरी,, सोया के बीज, सूखे बीन्स आदि शामिलहैं। सेब में मौजूद फ्लेवोनोइडश्वसन मार्ग को खोलने में मदद करता है। सिर्फ सेब के गूदे की तुलना में सेब को छिलके के साथ लेने से फ्लेवोनॉयड्स की मात्रा ज्यादा मिलती है।

विटामिन सी एक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट हैजो फेफड़ों केनुकसानसे बचा सकता है और अस्थमा का अक्सर पाए जाने वाले लक्षण,घरघराहट को कम करने में मदद करता है। विटामिन सी के अच्छे स्रोतों में सिट्रसफल, कीवी, स्ट्रॉबेरी, पपीता, लाल और हरी बेल-मिर्च, आम औरअनानास शामिल हैं। अनानास में पाए जाने वाला एंजाइम ब्रोमेलैन सूजन का विरोधक है जिससे वर्कआउट करने के बाद तेजी से ठीक होने में मदद मिलती है।

बीटाकैरोटीन, एक पीला रंजक, जो अधिकांश फलों और सब्जियों में पाया जाता है, वह मानव शरीर में विटामिन ए के रूप में परिवर्तित हो जाता है। विटामिन ए त्वचा औरम्यूकस(श्लेष्म) की झिल्ली को स्वस्थ रखने में मदद करता है जिस से नाक, गले और फेफड़ों के संक्रमण से बचाने में मदद होती है। बीटाकैरोटीन चमकदार रंगीन फलों एवंसब्जियों में पाया जाता है, जैसे खुबानी, हरी मिर्च और शकरकंद। यहसांस के मार्ग के संक्रमण और व्यायाम-प्रेरित अस्थमा को कम करने में मदद करता है।

अलसी के बीज मैग्नीशियम के अच्छे स्रोत हैं। भोजन में मैग्नीशियम की उपस्थिति फेफड़ों के आसपास की मांसपेशियों को आराम दिलाने में मदद करती है और इससे सांस का मार्ग खुलता है। एवोकैडो, चार्ड्स,केला, कद्दू के बीज, अलसी, सूरजमुखी के बीज, काजू, पाइननट्स (चिलगोजे), ब्रेज़िलनट्स, ताज़ा सोयाबीन, राजमा, छोले,  लोभिया और मसूरदाल भी मैग्नीशियम के अच्छे स्रोत हैं।

विटामिन डी सूजन को कम करता है और अस्थमा के लक्षणों को कम करने में मददगार होता है। डेयरी उत्पाद विटामिन डी के अच्छे स्रोत हैं। लेकिन अगर आपको दूध से एलर्जी हैतो आप डेयरी रहित भोजन जैसे ट्यूना, सालमन, अंडे की जर्दी (योल्क) और मशरूम जैसे भोजन ले सकते हैं। धूप सेंकने से शरीर में विटामिन डी बनने में मदद मिलेगी।

एवोकैडो मोनो अनसैचुरेटेड फैटी एसिड का एक अच्छा स्रोत है। इसमें ग्लूटाथियोन भी प्रचुर मात्रा में होता है जो मुक्त कणों(फ्रीरैडिकल) से होने वाले नुकसान से कोशिकाओं की रक्षा करने में मदद करता है। ओमेगा थ्री (Omega 3) फैट सूजन-रोधी प्रभाव डालता है जो अस्थमा के बहुत ही सामान्य लक्षण - ब्रोन्कियल सूजन- से मुकाबला करता है।

शरीर के वजन को ठीक रखने में नियमित व्यायाम से मदद मिलेगी और संतुलित भोजन अस्थमा के लक्षणों को कम करने में मदद करेगा।

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