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Submitted by PatientsEngage on 11 April 2023
Image; Shaila Bhagwat, who has Parkinson's Disease in a blue dress at a restaurant with plates of desserts in front of her

67 वर्षीय शैला भागवत को पार्किंसंस रोग है जिस से उनका दाहिना हिस्सा प्रभावित है। वे आत्मनिर्भर रहने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं - वे अनेक उपयोगी गतिविधियों के कार्यक्रम का सख्त अनुपालन करती हैं जिसमें शामिल हैं व्यायाम, योग, मैडिटेशन (ध्यान), हंसी और संगीत थेरेपी, चाल प्रशिक्षण, लिखावट अभ्यास, ज्ञान निर्माण, इत्यादि)।

चार साल पहले, मैं दाहिने कंधे में एक टेंडन टीअर हुआ था और एक सूचर एंकर डाला गया था। फिजियोथेरेपी की मदद से मुझे सर्जरी के बाद रिकवरी में 2 महीने लगे। लेकिन दुर्भाग्य से, मेरे कंधे के ठीक होते-होते अन्य समस्याएँ होने लगीं।

प्रारंभिक लक्षण और निदान

मेरा दाहिना हाथ असामान्य व्यवहार करने लगा। उसमें एक बहुत स्पष्ट नजर आने वाली कम्पन शुरू हुई और प्लास्टर और पट्टी के हटाने के बाद भी वह हाथ एक अजीब तरह से कलाई के 90 डिग्री के कोण (लंबकोण) पर रहता था। शुरू में, मैंने इसे सर्जरी का नतीजा समझ कर अनदेखा कर दिया। लेकिन जब हाथ में हो रही बेचैनी बढ़ गई और अन्य भागों में फैलने लगी, और मेरे शरीर का दायाँ ओर अकड़ने लगा, तो मुझे लगा कि मुझे डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

जून 2014 में मैं न्यूरोलॉजिस्ट के पास जांच के लिए गयी। एमआरआई और नैदानिक अवलोकन के आधार पर मुझे पार्किंसंस रोग का निदान दिया गया। जाहिर है, ऐसे निदान से बहुत धक्का लगता है। मुझे याद है कि मेरी दादी को पार्किंसंस रोग था, इसलिए कहीं न कहीं आनुवंशिक कारक ने एक भूमिका निभाई होगी, भले ही यह बीमारी हमेशा वंशानुगत न हो।

अगले कुछ महीनों में मेरे चलने की गति धीमी होने लगी। मुझे रोजाना 4 से 5 किमी पैदल चलने की आदत है। लेकिन अब मुझे इतना चलने में अधिक समय लग रहा था और मैं उस के बाद असामान्य रूप से थक जाती थी।

अजीब बात यह थी कि मेरा बायाँ तरफ पूरी तरह से ठीक था। मेरे बाएं पैर या हाथ में कोई कम्पन, कमजोरी या अकड़न नहीं मौजूद है। पार्किंसंस रोग के लक्षण एक तरफ से दूसरे तक जा सकते हैं, लेकिन मेरे केस में यह केवल दाईं ओर तक ही सीमित है।

पार्किंसंस रोग की प्रगति को धीमे करने के लिए व्यायाम

पार्किन्सन रोग के लगातार बदतर होने से मैं परेशान रहती हूँ। मेरे दाहिने पैर के अंगूठे अब “क्लॉ टोज” बन गए हैं - यानी कि पैर की अंगुलियाँ खुद ही मुढ़ कर पंजे की तरह बनी रहती हैं। यह बेहद तकलीफदेह और दर्दनाक है। और इस के कारण मेरी चाल भी प्रभावित हुई है और मैं अपना संतुलन नहीं रख पाती हूँ। पार्किंसंस की वजह से हुए मेरे “क्लॉ टोज” और मेरे शरीर में अकड़न से मुझे अधिकतम परेशानी हुई है। मैंने एक पोडियाट्रिस्ट (पैरों और उनकी बीमारियों का इलाज करने वाला व्यक्ति) से भी सलाह ली। मैंने अपनी समस्या से राहत के लिए विशेष जूतों की तलाश की, लेकिन कुछ नहीं मिला। अंत में, मुझे डायबिटिक शूज (मधुमेह वाले लोगों के लिए बनाए गए विशेष जूते) मिले जो आरामदायक और मजबूत थे।

मुझे मेरे चलने का आकलन करने के लिए एक “गेट टेस्ट करवाने की भी सलाह दी गई। मेरे चलने का तरीका बदल गया था। मैंने झुक कर चलना शुरू कर दिया था, मेरी चलने की गति कम हो गई थी और चलते समय मैं पैर घसीट कर चलने लगी थी। यूं कहिये, मैं काफी हद तक पेंगुइन की तरह चल रही थी। मेरी चाल संबंधी स्थिति अधिक न बिगड़े, इस के लिए मैंने अभ्यास शुरू किए। मैं अपने पैरों को मजबूत करने के लिए सरल व्यायाम करती हूं, मैं लचीलेपन को और अपने “रेंज ऑफ़ मोशन” (शरीर को घुमाने, लम्बा करने और को फैला पाने की सीमा) को बढ़ाने के लिए एक कुर्सी के साथ व्यायाम करती हूं, और संतुलन बेहतर करने के लिए तिरछा चलती हूँ।

चूंकि मेरा दाहिना हिस्सा प्रभावित हुआ है, इसलिए मेरी लिखावट पूरी तरह खराब हो गयी है। एक समय था जब मेरी लिखावट साफ-सुथरी थी और सधी हुई थी, लेकिन अब मेरी लिखावट अजीबोगरीब तरह से बहुत छोटी हो गयी है। ऐसा लगता है मानो कागज पर चींटियाँ रेंग रही हैं। मेरे हस्ताक्षर भी बदलता रहता है, और कभी कभी अधिकारियों द्व्रारा अस्वीकार कर दिए जाता है। इसलिए मैं नियमित रूप से अपने हस्ताक्षर का अभ्यास करती हूं। मैं अपना हस्ताक्षर करने की क्षमता नहीं खोना चाहती।

मैंने अपने दाहिने हाथ में निपुणता और शक्ति खो दी है। मेरा बायाँ हाथ अब मेरा मुख्य हाथ (प्रभुत्व वाला हाथ) हो गया है। मैं अब बाएं हाथ से कई काम कर सकती हूं, जिसमें खाना  बनाना, और भूनना शामिल है।

मांसपेशियों के नियंत्रण के प्रगतिशील नुकसान और मेरी दाहिनी ओर की बढ़ती अकड़न के कारण, , मेरे लिए सरल दैनिक कार्य भी कर पाना अधिक कठिन होता जा रहा है। मेरे नहाने और संवारने का समय भी लंबा होने लगा है। मुझे स्नान करने और कपड़े पहनने में कहीं ज्यादा समय लगता है। मैंने अपने कपड़े पहनने के तरीके में बदलाव किया है। मैंने अब साड़ी नहीं पहनती हूँ बल्कि मैंने अधिक आरामदायक कपड़े पहनना शुरू कर दिया है।

मेरे चेहरे की मांसपेशियां सख्त और गतिहीन न बनें (जिस से चेहरे के हाव-भाव खो जाता है और इसे “पार्किंसन मास्क” कहते हैं), इस के लिए मैं नियमित रूप से चेहरे की एक्सरसाइज करती हूं। चेहरे के लिए 12 एक्सरसाइज के सेट हैं जिसमें शामिल हैं फेस एक्सरसाइज, फेस मसाज, फेस एरोबिक्स - जैसे कि भौओं को ऊपर उठाना, आंखों को घुमाना, गालों में हवा भरकर गुब्बारे जैसे गोल बनाना। मैं “लाफ्टर क्लब” में भी शामिल हुई हूँ , क्योंकि उस तरह की हंसने की क्रिया से चेहरे की मांसपेशियों में हरकत होती है। इन सब प्रयत्न से चेहरे में रक्त परिसंचरण बढ़ता है और मांसपेशियां मजबूत होती हैं।

मैं पिछले 25 सालों से योग कर रही हूं। मुझे लगता है कि इससे मुझे पार्किंसंस के साथ मानसिक और शारीरिक रूप से बेहतर सामना करने में मदद मिली है। मैंने मैडिटेशन (ध्यान) करना भी शुरू किया है और मैं आराम करने और अपने मन को शांत करने में मदद के लिए हल्का, मधुर संगीत सुनती है। मैं मानसिक स्वास्थ्य के लिए सुडोकू पहेली हल करती हूं।

मैं 3 पार्किंसंस सहायता समूहों में शामिल हुई हूं। यह बहुत मददगार रहा है क्योंकि हम आपस में लक्षणों, उपचार, दवाओं और विभिन्न प्रकार के व्यायामों के बारे में नोट्स का आदान-प्रदान करते हैं।

यूज़ इट और लूज़ इट (प्रयोग करो या खो दो)

मुझे यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी होगी कि पार्किंसंस मेरे जीवन पर हावी न हो। मैं 67 साल की हूं और मेरी दो बड़ी बेटियां हैं। मैं पूरे जोर से खुद को बनाए रखने की कोशिश कर रही हूँ क्योंकि मैं चलते-फिरती रहना चाहती हूँ - मैं शैय्याग्रस्त नहीं होना चाहती हूं, दूसरों पर निर्भर नहीं होना चाहती हूं। समय के साथ मेरा “यूस इट और लूज़ इट” (इस्तेमाल करो या खो दो) पर विश्वास बढ़ रहा है। शरीर के प्रत्येक भाग को इस्तेमाल करते रहना चाहिए, छोटी-छोटी मांसपेशियों को भी, ताकि उन्हें अकड़ने/ जकड़ने से बचाया जा सके। पार्किंसंस में लक्षण समय के साथ बदतर होते जाते हैं।

इन सभी जीवन शैली के बदलाव से और गतिशीलता बनाए रखने वाले अभ्यासों को नियमित करने से मुझे स्वतंत्र और आत्मनिर्भर रहने में मदद हुई है।

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