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Submitted by PatientsEngage on 21 March 2021
Aditi Verma wth chef Vikas Khanna outside the cafe Aditi's Corner

नवी मुंबई में अदितीस कॉर्नर को चलाने वाली हैं अदिति वर्मा, जिन्हें डाउन सिंड्रोम है। अदिति ने यह कैफे कैसे शुरू किया और वे इसका कैसे विस्तार करना चाहती हैं, इसकी कहानी पढ़ें। ऊपर की तस्वीर में अदिति शेफ विकास खन्ना के साथ है।

पैरेंट टॉक/ माता-पिता के शब्दों में: (अदिति के पिता, श्री अमित वर्मा का इंटरव्यू देखें)

कृपया हमें बताएं कि आपको अदिति की अवस्था के बारे में कब पता चला। आप ने उसके बारे में क्या किया?

हमें उसके जन्म के ठीक बाद ही उसकी अवस्था के बारे में पता चल गया था। मेरे बहनोई डॉक्टर हैं, और उन्होंने हमें इसके बारे में विस्तार से बताया।

उन्होंने हमें बताया कि यह कोई बीमारी नहीं है, यह एक अवस्था है। और इसके कारण कुछ समस्याएँ हैं और विकास-संबंधी चुनौतियाँ भी होती हैं।

डाउन सिंड्रोम होने के कारण अदिति के विकास के चरण में विलम्ब था - देर से बैठ पाना, देर से चलना, देर से बात कर पाना - उसकी मोटर रिएक्शन सुचारू नहीं थीं, और साथ ही साथ मांसपेशियाँ भी कमजोर थीं ।

बाद में, जब वह दो साल की थी तो हमें पता चला कि उसके हृदय में छेद है जिसको ठीक करने के लिए ऑपरेशन की जरूरत है। 2 साल 8 महीने की उम्र में अदिति की ओपन हार्ट सर्जरी हुई।

शुरुआत में हमें इन सब घटनाओं से धक्का लगा, लेकिन बाद में हमने उसकी अवस्था को समझा और इस स्थिति को जैसे थी, वैसे ही स्वीकार करने का फैसला किया।

क्या आपको उसे किसी विशिष्ट स्कूल में भेजना पड़ा? क्या इससे उसे फायदा हुआ?

शुरू में हमने उसे एक सामान्य स्कूल में भेजा, लेकिन जल्दी ही यह महसूस किया कि उसे अपने सहपाठियों के साथ दिक्कत हो रही है क्योंकि वह धीरे चलती थी और उसकी बोली स्पष्ट नहीं थी - और इसलिए दूसरे बच्चे उसके साथ नहीं खेलना चाहते थे। न ही टीचर उसकी तरफ पर्याप्त ध्यान दे पा रहे थे।

जब हमने उसे एक स्पेशल स्कूल में ट्रान्सफर किया, तो स्थिति में सुधार होने लगा, और उसे स्कूल जाने से अधिक फायदा होने लगा। स्पेशल टीचर के कठिन परिश्रम और मार्गदर्शन से उसे और हमें बहुत मदद मिली।

अदितीस कॉर्नर के पीछे क्या इरादा था?

21 वर्ष की आयु में अपने स्कूल में व्यावसायिक प्रशिक्षण पूरा करने के बाद, वह हमारे कार्यालय में आने लगी, उसने डेटा एंट्री सीखी और उसमें अच्छा काम कर रही थी, लेकिन वह 2-3 घंटों के बाद ऊब जाती थी। यह काम उसके लिए बहुत नीरस था।

एक दिन उसने उस चायवाले को देखा जो हमारे कार्यालय में आया करता था, और उसने अपनी माँ से कहा, "मैं भी घर पर चाय बना सकती हूँ और चाय यहाँ लाकर सभी कार्यालयों में दे सकती हूँ"। यह सुनकर उसकी माँ के मन में अदितीस कॉर्नर का ख़याल आया। हमने सोचा कि चलो उसे एक मौका दें और उसके छोटे भाई अमन ने 1 जनवरी, 2016 को उसे अदितीस कॉर्नर भेंट किया।

आप ने इस के लिए क्या-क्या किया?

एक बार कैफ़े खोलना तय हुआ तो उसके भाई ने नए साल के दिन इस को आगे बढ़ाने का फैसला किया।

किस्मत से हमें अपने कार्यालय के ऊपर की एक मंजिल में ही दुकान मिल गयी - इस से हम उसके पास भी थे और वह स्वतंत्र रूप से भी काम कर सकती थी।

नेस्ले कंपनी ने किराए पर चाय और कॉफी वेंडिंग मशीन प्रदान करके हमारी मदद की, जिससे हमें मशीन नहीं खरीदनी पड़ी। उन्होंने अपने डीलर को अदितीस कॉर्नर को सप्लाई करने के लिए भी कहा, क्योंकि हमारे आर्डर बहुत छोटे थे और आमतौर पर डीलर के लिए आकर्षक नहीं थे ।

हमने दो कर्मचारियों के साथ शुरुआत की - एक पकाने में उसकी मदद करने के लिए और दूसरा कार्यालयों में डिलीवरी के लिए।

और धीरे-धीरे काम ठीक से होने लगा और सभी के समर्थन से यात्रा शुरू हुई

इसने अदिति के पुनर्वास में कैसे मदद की है? क्या वह इस काम को करने से खुश है?

हाँ, इसने उसे वास्तव में बदल दिया है। वह आज एक बहुत ही आत्मविश्वास से भरी लड़की है जिसे यकीन हैं कि वह किसी भी चुनौती का सामना कर सकती है।

वह अब बहुत केंद्रित भी रहती है।

वह पहले के मुकाबले अपने विचार व्यक्त करने में बहुत बेहतर है और उसकी बात-चीत करने के कौशल में बहुत सुधार हुआ है।

एक लड़की जो एक छोटे से वाक्य को बोलने के लिए संघर्ष करती थी, अब वह अपनी जीवन कहानी को प्रेरक लेक्चर में साझा करती है।

उसने टेड-एक्स खारघर नवी मुंबई में टॉक दी है, उसे अपनी कहानी साझा करने के लिए कई स्कूलों, रोटरी क्लब और यहां तक कि बायर इंडिया जैसे कॉर्पोरेट हाउस द्वारा आमंत्रित किया गया था।

वह कैफे का प्रबंधन कैसे करती है? उसकी जिम्मेदारियां क्या हैं?

वह तीन कर्मचारियों के सहयोग से कैफे की देखभाल करती है - दो जो खाना पकाने वाले काम संभालते करते हैं और एक जो कार्यालयों में डिलीवरी करता है।

वह ऑर्डर लेती है, ऑर्डर की समय पर डिलीवरी हो, यह निश्चित करती है, और, ग्राहकों की प्रतिक्रिया प्राप्त करती है।

वह हर बिक्री का रिकॉर्ड रखती है और क्रेडिट बिक्री (उधार) को भी ट्रैक करती है

वह स्टॉक ठीक बना रहे, यह भी देखती है और उन सब आइटम पर नज़र रखती है जो रोजाना खरीदने होते हैं।

क्या आपके पास डाउन सिंड्रोम या अन्य ऐसी अवस्था वाले युवा वयस्कों के लिए अन्य कार्यक्रम हैं? वे क्या हैं?

हां, अदिति की योजना है कि वह इस जगह का विस्तार करेगी और इस का विकलांग बच्चों के लिए एक मंच के रूप में उपयोग करेगी, जिस से वे प्रेरित हों और आत्मनिर्भर बन पाएं।

जब उसका कैफ़े बड़ा होगा तो वह ऐसे बच्चों को नौकरी देना चाहती है।

आपको क्यों और कैसे लगता है कि नौकरी के अवसर पैदा करना ऐसी अवस्था वाले लोगों के लिए दीर्घकाल में मददगार है? क्या यह उनके भविष्य की देखभाल करने में भी सहायता करता है?

विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के हर माता-पिता के लिए सबसे बड़ा प्रश्न हैं:

  • मेरे बाद मेरे बच्चे का क्या होगा ?
  • क्या मेरा बच्चा मेरे बाद जीवन का सामना कर पाएगा ??
  • क्या मेरा बच्चा कभी समाज द्वारा स्वीकार किया जाएगा ??
  • वह अपनी जीविका कैसे प्राप्त करेगा, और खुद को ठीक कैसे रख पायेगा??

हमें लगता है कि उपरोक्त सभी सवालों का जवाब केवल एक है - उन्हें अकेले रहने के कौशल दिए जाएँ, उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाया जाए और उन्हें सब तरह से आत्मनिर्भर बनाया जाए।

इसलिए, ऐसे बच्चों के लिए नौकरी के अवसरों का सृजन बहुत महत्वपूर्ण है।

हां, नौकरी का मतलब है वित्तीय रूप से दूसरों पर निर्भर न रहना, बेहतर आत्मविश्वास, दूस्र्तों जीवन से जूझ पाने में अधिक आत्मनिर्भरता और परिवार और समाज में अधिक स्वीकृति।

अदिति वर्मा से बातचीत:

अदितीस कॉर्नर चलाना आपको कैसा लगता है?

मुझे बहुत अच्छा लगता है। मुझे इसे चलाने के लिए पूरा आत्मविश्वास है और मैं इसे एक दिन बड़ा बनाना चाहती हूं।

आपको अपने काम के बारे में क्या पसंद है और क्या नहीं?

मुझे अपने कैफे के बारे में सब कुछ पसंद है, मुझे लोगों से मिलना पसंद है, उनसे उनकी प्रतिक्रिया लेना पसंद है और मुझे सबसे ज्यादा मज़ा आता है बिल बनाने और पैसा इकट्ठा करने में।

हाँ, ऐसे भी मौके होते हैं जब मुझे चिडचिडाहट होती है, जब काम मेरी योजनाओं के अनुसार नहीं नहीं होता। मैं तब भी चिढ़ जाती हूं जब लोग समय पर भुगतान नहीं करते हैं या जब वे मेरा बकाया चुकाए बिना ऑफिस छोड़ देते हैं।

आप क्या हासिल करने की उम्मीद करती हैं? क्या आप इस अवस्था (डाउन सिंड्रोम) वाले दूसरे लोगों की मदद भी करना चाहती हैं?

मैं अदितीस कॉर्नर को फाइव स्टार होटल जितना बड़ा बनाना चाहती हूं।

मैं उन बच्चों का भी समर्थन करना चाहती हूँ जो विकलांग हैं। जब मैं अपने व्यवसाय का विस्तार करूंगी तो मैं ऐसे बच्चों को पहले नौकरी दूंगी।

भविष्य के लिए आपकी क्या योजनाएं हैं?

मेरी भविष्य की योजना इस कैफे को एक छोटे कार्यालय परिसर से मुख्य बाजार स्थान तक ले जाने की है, ऐसी जगह जहां बहुत अधिक गतिविधि हो और कर्मचारी भी अधिक हों।

मैं इसे विशेष रूप से विकलांग लोगों के लिए एक मंच बनाना चाहती हूं, जहां मैं उन्हें प्रेरित कर सकूं, प्रशिक्षित कर सकूं, और उन्हें आत्मनिर्भर बना सकूं। यह या तो रोजगार प्रदान करने से होगा या उन्हें कुछ करने के लिए प्रेरित करने से जिसे वे करने में सक्षम हैं।

 

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