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Submitted by PatientsEngage on 30 July 2022
Stock image of clasped hands of a woman with mental illness in the foreground and a partial woman in the background

वर्षा (अनुरोध पर बदला गया नाम) को पिछले 18 वर्षों से सिज़ोफ्रेनिया है – वे अपना अनुभव को साझा करती हैं, उन्होंने सिज़ोफ्रेनिया को कैसे स्वीकार किया, और सिज़ोफ्रेनिया का उनके जीवन और काम के विकल्पों पर क्या असर पड़ा।

मेरे बारे में

मुझे लगता है कि 21 साल की उम्र में मुझे सिज़ोफ्रेनिया का पता चलने से पहले मैं बहुत अलग व्यक्ति थी। मैं अपने इंजीनियरिंग कॉलेज में थी और सब ठीक चल रहा था जब अचानक मेरे जीवन में यह समस्या आ गई। और फिर मैं उस 'यह मेरे साथ क्यों?' दौर से गुज़री, क्योंकि मेरे अन्य सभी दोस्त सामान्य थे। ऐसा लग रहा था कि इसने आकास्मक मुझ पर हमला कर दिया था। मुझे इस रोग को स्वीकार करने में करीब 12 / 13 साल लग गए। अब, सिज़ोफ्रेनिया के 18 साल बाद मैं यह कह सकती हूं कि मैंने कठिन परिस्थितियों को संभालना सीख लिया है और मैं इतना परेशान नहीं होती हूं। मेरे कुछ ऐसे दोस्त हैं जिनके पास सब कुछ है और फिर भी वे शिकायत करते रहते हैं। मुझे लगता है कि हमारे पास जो कुछ है उसके लिए हमें आभारी होना चाहिए। इसलिए मैं आभारी हूं कि मैं एक स्थिर स्थिति में हूं, मैं अपने पेशेवर जीवन को जारी रख सकती हूं, मैं एक सक्रिय सामाजिक जीवन जी सकती हूं, दवाएं मेरे लिए काम करती हैं, किसी ने मुझे बहिष्कृत नहीं किया है - क्योंकि मैं ठीक से दवा लेती रहूँ तो मुझे “मैनिक बिहेवियर” की समस्या नहीं होती (उन्मत्त व्यवहार)। और हो सकता है कि मैं दूसरों की भी कुछ थोड़ा-बहुत मदद कर सकूं। पिछले दो तीन वर्षों में बहुत से लोगों ने मुझ से संपर्क करा है और मैंने उन्हें परामर्श दिया है – ऐसा कर पाना बहुत ही संतोषजनक होता है।

एक ऐसा व्यक्ति होने के नाते जो इस बीमारी के बावजूद ऑफिस और सामाजिक परिस्थितियों में अच्छी तरह से काम करने में सक्षम है, मैं भी सिज़ोफ्रेनिया वाले ऐसे ही लोगों के संपर्क में आई हूं और हम एक दूसरे से बात करते हैं और अपनी स्थितिओं के बारे में बात करते हैं।

Read in English: It Takes The Support Of An Entire Family To Manage Schizophrenia

सिज़ोफ्रेनिया की पहली घटना

एक दिन मैं अपने हॉस्टल में थी और मुझे आवाजें सुनाई देने लगीं और मेरा व्यवहार भी अलग सा होने लगा। मेरे दोस्तों ने मेरे माता-पिता को सूचित किया और वे मुझे डॉक्टर के पास ले गए। मुझे पूरा ठीक से याद नहीं पर इतना जरूर याद है कि मेरा एक अलग शहर में एक बॉय फ्रेंड था और यह दूरी का रिश्ता बहुत अधिक भावनात्मक तनाव का कारण था, जो संभवतः इस समस्या का एक ट्रिगर था।

मनोचिकित्सक ने मुझे बाइपोलर डिसऑर्डर का निदान दिया। यह 2003 की बात है। 2018 में उन्होंने निदान को सिज़ोफ्रेनिया में बदल दिया। जिस समय मेरी स्थिति को बाइपोलर का निदान दिया गया था, उस समय मेरे में सिज़ोफ्रेनिया के लक्षण भी थे। लेकिन अंततः हमने महसूस किया कि बाइपोलर वाला निम्न चरण (अवसाद) नहीं होता है, सिर्फ उन्मत्त चरण होता है।

मुझे अपने दौरे के बाद पढ़ाई के लिए अपने संस्थान में वापस आने में एक महीने का समय लगा। डॉक्टरों ने मेरे माता-पिता से कहा कि मैं पढ़ाई नहीं कर पाऊंगी, जो मेरी मां के लिए एक बड़ा झटका था क्योंकि वे चाहती थीं कि मैं पढ़ाई करूं। उन्होंने आखिरकार फैसला किया कि मैं पढ़ाई करूंगी और वे मेरी प्राथमिक देखभाल करने वाली बन गईं, यहां तक कि जब मेरी परीक्षा हुई तो वे मेरे संस्थान में आ गईं।

कॉलेज की पढाई ख़त्म करना

2005 में अपने तीसरे वर्ष की अंतिम परीक्षा के दौरान मुझे रिलैप्स हुआ (मेरी समस्या फिर से उभरी)। मैं अपनी प्रैक्टिकल एग्जामिनेशन के दौरान उन्मत्त अवस्था में थी। किसी तरह मैंने प्रैक्टिकल खत्म किए। मुझे अपना तीसरा वर्ष पास करने के लिए सप्लीमेंटरी एग्जामिनेशन देना पड़ा। जब बाकी स्टूडेंट्स कंपनियों के इंटरव्यू की तैयारी कर रहे थे, मैं अपने तीसरे वर्ष को ख़त्म करने के लिए इम्तिहान की तैयारी कर रही थी। बहुत उथल-पुथल वाले दिन थे। लेकिन किसी तरह मैं अच्छे ग्रेड के साथ पास हो पाई। इंजीनियरिंग के बाद मैंने कुछ समय काम किया और फिर एक प्रतिष्ठित मैनेजमेंट स्कूल में प्रवेश पाने में सफल रही। मैं अपने बीटेक के लिए जिस हॉस्टल में रह रही था, उसमें मुझे ज्यादा स्वीकृति नहीं मिलती थी और लोग मुझे बाहर करना चाहते थे। मैनेजमेंट स्कूल में मेरे लिए अधिक आसान था क्योंकि मेरी हालत के बारे में बहुत कम लोग जानते थे। वास्तव में, मैं कड़ी मेहनत करने में सक्षम थी, और मैं 11 बजे से सुबह 6 बजे तक प्रोजेक्ट्स पर काम करती थी। मैनेजमेंट स्कूल के अनुभव ने मुझे मजबूत बनाया।

उपचार के बारे में

मुझे कुछ रिलैप्स हुए हैं। एक कारण यह था कि मनोचिकित्सक ने दवा बंद कर दी थी। उन्होंने सोचा कि मैं ठीक लग रही हूं, इसलिए उसने दवा को कम कर दिया। लेकिन दवा घटाने के 1.5 साल बाद, मुझे फिर से समस्या हो गयी। एक और समय जब समस्या हुई वह तब था जब मैंने अपनी दवा नहीं ली थी। फिर 2018 में दवा ले रही थी पर ने मुझपर असर करना बंद कर दिया, और मुझे फिर एक रिलैप्स हो गया था। मेरी दवा बदल दी गई। यह एकमात्र समय है जब मेरी दवा बदली गई है।

माता-पिता की प्रतिक्रिया

मेरे माता-पिता इस सब से अधिक परेशान नहीं हुए। वे बहुत धार्मिक हैं और कर्म में विश्वास करते हैं और मानते हैं कि हमें उस स्थिति में खुश रहना चाहिए जिसमें भगवान हमें रखता है। इसलिए मुझे खुशी है कि दवाएं मेरे लिए काम कर रही हैं, क्योंकि मैं ऐसे लोगों को जानती हूं जिन में दवाएं काम नहीं करती हैं और वे अच्छी तरह से अपने कार्य नहीं कर सकते और जीविकोपार्जन के लिए भी नहीं कमा सकता। लेकिन कुछ और लोग क्रूरता से पेश आए और उन्होंने सलाह दी कि मुझे किसी शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्ति से शादी करनी चाहिए क्योंकि मुझे यह बीमारी है।

अदृश्य बीमारी

बहुत से लोग यह विश्वास नहीं कर पाते कि मुझे सिज़ोफ्रेनिया है। उन्हें यह आश्चर्यजनक लगता है कि मैं 365 दिनों सामान्य हूं, कि मुझे उन्मत्त चरण या अवसादग्रस्तता के चरण नहीं होते है।  कुछ लोगों को दवाओं के साथ उतार-चढ़ाव होता है। लेकिन किसी तरह मैं अपनी दवाओं, योग और ढेर सारी प्रार्थनाओं के साथ अपनी स्थिति का प्रबंधन करने में सक्षम रही हूं। अध्यात्म ने मेरी बहुत मदद की है और इस से मुझे जीवन में बहुत स्थिरता और स्वीकृति मिली है। लोग तो यह भी नहीं मानते कि मुझे यह रोग है क्योंकि इस रोग के ज्यादातर मामलों में समस्या बहुत स्पष्ट नज़र आती है।

सिज़ोफ्रेनिया वाले कुछ लोग हर समय अच्छी तरह से काम करने और चीजों को प्रबंधित करने में सक्षम होते हैं। कुछ लोग इंडस्ट्री में बहुत अच्छी पोजीशन में हैं और उनका करियर अच्छा चल रहा होता है। मैं उनसे बहुत प्रेरित होती हूं। हर कोई अपनी यात्रा पर है। वे अपने पोषण विशेषज्ञ, मनोचिकित्सकों और मनोवैज्ञानिकों के साथ काम कर रहे हैं। स्थिर रहने के लिए अनेक प्रकार के परामर्श की आवश्यकता होती है। आपको यह स्वीकार करना होगा कि आपको दूसरों से मदद लेने की और दवाओं की आवश्यकता है और ऐसा करने से जीवन बहुत बेहतर हो जाएगा। मुझे लगता है कि हर साल के गुजरने के साथ मैं बेहतर महसूस कर रही हूं। मेरे डॉक्टर ने भी मेरे समग्र उपचार के लिए साइकिल चलाने जैसे शारीरिक व्यायाम की सलाह दी है। और मुझे उनकी यह सलाह भी ठीक लगती है कि शायद मैं शादी के तनाव को नहीं झेल पाऊंगी – जैसे कि जब बच्चा चिल्ला रहा हो या पति ध्यान नहीं दे रहे हों।

काम के विकल्प

मैं मानसिक रूप से उन बीमार लोगों से प्रेरित होती हूं जो बड़ी-बड़ी उपलब्धियां हासिल करते हैं, और मैं अपने दोस्तों के साथ ऐसे लोगों की सूची साझा करती थी। ऐसा कहा जाता है कि अपने उन्मत्त चरणों में वे बहुत रचनात्मक थे और उनका दिमाग बहुत तेज चलता था। मैंने महसूस करा है कि उन्मत्त चरणों में मेरा दिमाग बहुत तेजी से काम करता है, और सब कुछ एक क्लिक में समझ आ जाता है, हल हो जाता है। लेकिन फिर उन्मत्त चरण के बाद, ठीक होने में लगभग 6 महीने से एक वर्ष तक की बहुत लंबी अवधी भी होती है। इसलिए मेरा कार्य जीवन अस्थिर रहा है, और मैं अब 39 वर्ष की हूं।

मेरे करियर में कुछ ब्रेक हुए हैं। नौकरी के लिए आवेदन देते समय, मैंने कभी-कभी अपनी स्थिति का उल्लेख किया है। लेकिन मेरे माता-पिता का विचार है कि लोग मेरी जैसी स्थिति को नहीं समझते हैं और कभी-कभी नौकरी देने वाले रेक्रूटर ने उस जानकारी को प्राप्त करने के बाद मेरे साथ अजीब सा व्यवहार किया है। इसलिए मैं रेक्रूटर को नहीं बताती। मुझे लगता है कि इंटरव्यू लेने वाले इस मामले में कुछ बेहतर हैं और इसे समझ पाते हैं, इसलिए मैं उनके साथ यह जानकारी साझा करती हूं।

लेकिन मैं सिर्फ इतना कहती हूँ कि कुछ स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे हैं, और विशेष रूप से सिज़ोफ्रेनिया का जिक्र नहीं करती क्योंकि ज़्यादातर लोग सिज़ोफ्रेनिया को नहीं समझते हैं। मैंने अक्टूबर 2020 से ही अपनी स्थिति के बारे में बात करना शुरू किया है। मैं कुछ हजार लोगों के एक सुरक्षित समूह में इसका खुलासा करा। मैं अभी भी फेसबुक या लिंक्डइन पर यह खुलासा करने के लिए तैयार करना ठीक नहीं हूं क्योंकि मुझे लगता है कि इस बीमारी के कारण लोग मुझ अलग नज़र से देखेंगे। अक्टूबर 2020 से मैंने 10 या 11 लोगों को सिर्फ इसलिए परामर्श दिया है क्योंकि मैंने अपनी स्थिति को स्वीकार और कहा कि मुझे सिज़ोफ्रेनिया है।

अपना समन्वय और जीवन का ढर्रा खोजना

मैं अब अपने प्रति सहानुभूति रखती हूं। इन दिनों मैं इतना नहीं पढ़ती, मैं अपनी माँ के साथ समय बिताती हूँ। मैं अपने खाने पर ध्यान देती हूं। मैं घर में समय बिताने में आनंद महसूस करती हूं। मैं टहलने या साइकिल चलाने जाती हूं। मैंने यह सीखा है कि मुझे सहज तरह से सरल जीवन जीना चाहिए। क्योंकि शायद मैं हमेशा कुछ उपयोगी काम करने की खोज में रहती हूं, मुझे नहीं पता कि अवकाश कैसे लूं, विश्राम कैसे करूं। मैंने अवकाश लेने की कोशिश की तो डेटा साइंस का कोर्स कर डाला! जब मैं व्यस्त होती हूं तो सबसे ज्यादा खुश रहती हूं। इसलिए मैं काम पर वापस जाने का इंतजार कर रही हूं। लेकिन मुझे एहसास है कि मुझे लंबे समय तक काम कर करके खुद को तनाव में दबाने की जरूरत नहीं है। इसलिए मैं संतुलन स्थापित करने की कोशिश कर रही हूं, नियमित 7 से 8 घंटे काम करने का, और खुद पर जोर नहीं दे रही हूं।

जीवन शैली संबंधी निर्णय

मैंने कुछ जीवन शैली संबंधी निर्णय लिए हैं – जैसे कि, मैं कभी शराब नहीं पियूंगी, धूम्रपान नहीं करूंगी और मैं सही खाना खाने की कोशिश करूंगी। अच्छी तरह से सोऊंगी। ढाई साल के लिए मैंने योग भी करा, और इस से बहुत शांति मिली। 2015 से लखनऊ में मेरा एक मनोचिकित्सक भी है। और फिर मैं हैदराबाद और बैंगलोर चली गई। इसलिए मैं एक स्थानीय मनोचिकित्सक के पास जाने लगी। मैं 2016 से हैदराबाद के मनोचिकित्सक के पास जाती हूं।.

इस सब के दौरान मैंने क्या सीखा

एक बात यह सीखी कि हर दिन बस एक दिन के बारे में सोचना है, एक समय पर एक दिन ही जीना है। बहुत से लोग उन समस्याओं को नहीं समझ पाएंगे जिनसे आप गुजर रहे हैं। स्वीकार करें कि आपको एक बीमारी है और अपने पेशेवर जीवन और निजी जीवन से अपनी आकांक्षाओं और अपेक्षाओं को कम करना सीखें। दवा के कारण आप सुबह उनींदापन महसूस कर सकते हैं या आपको भूख लग सकती है। बस स्वस्थ रह पाएं तो यह सब चलता है।

दूसरों के लिए कुछ सलाह

मैं यह कहना चाहूंगी कि मानसिक स्वास्थ्य में संघर्ष एक सच्चाई हैं और इस में पूरे परिवार को शामिल होना पड़ता है। आपको करियर और निजी जीवन दोनों में बहुत सारे समझौते करने होंगे। और ऐसी स्थिति पर पहुंचना होगा जिस में आप बीमारी को ठीक से संभाल सकें। इसलिए लोगों को मानसिक बीमारी वाले व्यक्ति को समझने और उनके प्रति आदर और सहानुभूति रखने की कोशिश करनी चाहिए। हम समय के साथ इसका सामना करना सीखते हैं, लेकिन यह आसान नहीं है।

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