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Submitted by PatientsEngage on 8 July 2024
A woman doctor in blue scrubs discussing with an older woman with the text overlay on a blue strip Preparing for a second opinion

गंभीर बीमारी के निदान के बाद लोग अकसर किसी अन्य चिकित्सक से निदान और उपचार की पुष्टि के लिए दूसरी राय (सेकंड ओपीन्यन) चाहते हैं। पर यह दूसरी राय क्या है? किसी को दूसरी राय कब लेनी चाहिए और प्रभावी दूसरी राय के लिए कैसे तैयार होना चाहिए? इस जानकारीपूर्ण लेख में हम दूसरी राय के महत्वपूर्ण विषय पर, और इस से संबंधित पहलुओं पर चर्चा करते हैं।

दूसरी राय का क्या मतलब है?

दूसरी राय लेने का मतलब है कि अपने डॉक्टर से प्राथमिक परामर्श के बाद किसी अन्य विशेषज्ञ/ डॉक्टर से राय लेना, ताकि उपचार के लिए सबसे अच्छा विकल्प चुनने में मदद मिल सके। आमतौर पर इसकी जरूरत तब पड़ती है जब निदान/ उपचार या कार्रवाई के सर्वोत्तम तरीके के बारे में स्पष्टता न हो या कोई अलग-अलग राय और विवाद हो। मेडिकल सेकंड ओपिनियन में एक मेडिकल विशेषज्ञ व्यक्ति के मेडिकल डेटा की समीक्षा करता है और उपचार के लिए सबसे बेहतर कोर्स के बारे में सलाह देता है। दूसरी राय लेने की यह प्रथा बहुत अधिक प्रचलित हो रही है।

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दूसरी राय क्यों लें?

  1. अलग-अलग चिकित्सकों की विशिष्ट विकारों के निदान या उपचार के बारे में अलग-अलग राय हो सकती हैं, भले ही उनका प्रशिक्षण एक जैसा रहा हो। यहां तक कि सबसे बेहतरीन चिकित्सकों की राय में भी इस तरह के फर्क हो सकते हैं। ये अंतर निम्नलिखित कारणों से उत्पन्न हो सकते हैं:
    • कभी-कभी लैब रिपोर्ट, लक्षण और अन्य नैदानिक डाटा अस्पष्ट होते हैं, या स्थिति के लिए सबसे बेहतर निर्णय क्या होगा, यह तय करके के लिए काफी नहीं होते।
    • टेस्ट रिजल्ट का क्या मतलब है, या उपलब्ध उपचार विकल्प के फायदे-नुकसान और कारगरता इत्यादि को भी अलग-अलग चिकित्सक भिन्न-भिन्न तरह से देखते और समझते हैं, क्योंकि मरीजों के उपचार करने के उनके अनुभव भी अलग-अलग रहे हैं।
    • व्यक्ति के लिए संभावित लाभ और हानि के संदर्भ में उपचार योजना और प्रबंधन का आकलन करने में सहायता करना। 
    • किसी समुदाय में नवीनतम नैदानिक और उपचारात्मक प्रणालियाँ हैं या नहीं, और चिकित्सक इनका इस्तेमाल करने के लिए कितने तैयार हैं, इस में भी फर्क होता है। 
    • व्यक्ति की जीवन की गुणवत्ता के लिए क्या आवश्यक होगा, इस के बारे में चिकित्सक की समझ में भी अंतर हो सकता है।
       
  2. अपने स्वास्थ्य संबंधी निर्णयों की जिम्मेदारी लें और सशक्त महसूस करें
    • ऐसा करने से आप समय के साथ अपने सभी उपचार विकल्पों के बारे में अधिक जानेंगे और यह भी बेहतर समझ पाएंगे कि क्या दूसरी राय लेने का कोई संभावित प्रतिकूल प्रभाव हो सकता है। 
    • कई मरीज़ों का कहना है कि उनकी बीमारी और उपलब्ध उपचारों के बारे में जानकारी बढ़ाने से उन्हें अपने स्वास्थ्य पर बेहतर नियंत्रण मिलता है और वे सुनिश्चित कर पाते हैं कि वे अपने लिए सर्वोत्तम विकल्प चुन पाएंगे।
       
  3. निर्णय की पुष्टि कर पाना और मन की शांति
    • यदि दो डॉक्टर से सलाह लें और दोनों उपचार के एक ही तरीके पर सहमत हैं, तो दूसरी राय लेने से आपको अधिक मानसिक शांति मिल सकती है, क्योंकि आपको लगेगा कि आप अपने उपचार के तरीके के बारे में उचित निर्णय ले रहे हैं।
    • अगर एक डॉक्टर ने आपको सलाह दी है कि आपकी बीमारी में सुधार की संभावना बहुत कम है या आपके पास बहुत कम विकल्प उपलब्ध हैं, तो आपको किसी दूसरे डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए – वे शायद अन्य ऐसे विकल्पों के बारे में जानते हों जिनके बारे में आपको शायद पता न हो। ऐसे में दूसरी राय लेने से आपको फायदा ही होगा, नुकसान नहीं।
       
  4. आपके लिए सही डॉक्टर और मेडिकल देखभाल टीम ढूँढना
    • अधिकांश डॉक्टर और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारी दूसरी राय के बारे में जानते हैं और अपने मरीजों के दूसरे डॉक्टर की राय लेने के अधिकार का समर्थन करने का प्रयास करते हैं। यदि आपको लगता है कि कोई दूसरा डॉक्टर आपकी आवश्यकताओं को बेहतर तरीके से पूरा कर सकता है, तो आपको पहले डॉक्टर की सलाह से जुडे रहना जरूरी नहीं है। नए डॉक्टर से दूसरी राय लेते समय और अपने उपचार के लिए उन का चयन करने के लिए आप डॉक्टर की क्लिनिक में मौजूद नर्स, कार्यालय कर्मचारी और पूरे उपचार माहौल को ध्यान से देखें और यह आकलन करें कि क्या यहाँ आपको अपनी आवश्यकताओं के अनुसार बेहतरीन उपचार टीम मिल पाएगी।
       
  5. थेरेपी के लिए अन्य विकल्प खोजना:
    • हर डॉक्टर या क्लिनिक/ अस्पताल में उपचार के लिए समान विकल्प/ संचालन व्यवस्था  नहीं होती हैं। दूसरी राय लेने से आपको ज़्यादा आधुनिक या व्यक्तिगत उपचार प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।

इन कारणों से, दूसरी राय के लिए एक अन्य डॉक्टर से सलाह करना अधिक मार्गदर्शन और जानकारी प्राप्त करने में मदद कर सकता है। यदि दूसरी राय से पहली राय की पुष्टि होती है, तो व्यक्ति उपचार सही है, इस के बारे में कम चिंतित और अधिक आश्वस्त महसूस कर सकता है। यदि दोनों राय अलग-अलग हैं तो विकल्पों पर विचार किया जा सकता है और उनका मूल्यांकन किया जा सकता है, जिससे बेहतर जानकारी के आधार पर निर्णय लिया जा सकता है। तीसरी राय प्राप्त करना भी संभव है, खासकर यदि पहली और दूसरी राय अलग-अलग हों।

पीई टिप: अलग-अलग डॉक्टर से राय लेते रहने के अंतहीन चक्कर में न पड़ें। इस बारे में स्पष्ट रहें कि आप दूसरी राय से क्या समझने की कोशिश कर रहे हैं और यह प्रक्रिया आपको कौन सा निर्णय लेने में मदद कर रही है

दूसरी राय लेने के लिए तैयारी कैसे करें?

  1. अपनी बीमा कंपनी से पूछें :

    स्वास्थ्य बीमा प्रदाता से बात करके यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि क्या बीमा पॉलिसी में दूसरी राय लेने का खर्च कवर किया जाएगा या नहीं। दूसरी राय के खर्च को रीइम्बर्स कर पाने के लिए क्या किसी विशिष्ट प्रोटोकॉल की जरूरत है, इस के बारे में पता चला लें, ताकि आवश्यक प्रोटोकॉल का पालन करा जाए। 

    अपने ¬वर्तमान डॉक्टर से पूछें: मरीज़ और उनके परिवार अपने डॉक्टर से भी दूसरी राय के लिए किसी दूसरे डॉक्टर का सुझाव देने के लिए कह सकते हैं। डॉक्टर इस बात के लिए तैयार हो सकते हैं कि आप दूसरी राय लेना चाहते हैं। दूसरा डॉक्टर स्वतंत्र रूप से अपनी राय दे और पहले डॉक्टर के लिहाज में न हो, इस पक्षपात से बचने के लिए, सुनिश्चित करें कि दूसरा डॉक्टर आपके डॉक्टर का जूनियर या करीबी सहयोगी न हो। 

    अक्सर लोग अपने परिवार के सदस्यों, दोस्तों या चिकित्सा बिरादरी से संबंधित जान-पहचान वालों  से दूसरी राय के लिए डॉक्टर का सुझाव लेना पसंद करते हैं क्योंकि वे अपने वर्तमान डॉक्टर से इस के बारे में सवाल पूछने में असहज महसूस करते हैं। आजकल मरीज़ों के ग्रुप, विभिन्न वेबसाइटों और अस्पताल की वेबसाइटों के माध्यम से डॉक्टर के नाम अकसर उपलब्ध होते हैं।

    यदि आप किसी समस्या को हल करने या सूचना के अभाव को भरने के लिए दूसरी राय ढूंढ रहे हैं, तो कोशिश करें कि ऐसे डॉक्टर से मिलें जो उपलब्ध विकल्पों के बारे में जानकारी और स्पष्टीकरण देने के लिए अधिक तैयार हों। 

    अपने वर्तमान डॉक्टर से दूसरी राय के लिए किसी डॉक्टर का सुझाव लेना आपको अजीब लग सकता है, लेकिन दूसरी राय के संभावित लाभों पर चर्चा करते समय खुला और विनम्र रहें तथा सर्वोत्तम संभव रेफरल का अनुरोध करें – इस से बेहतर तरह से बात हो पाएगी और आप बेहतर निर्णय ले सकता है।
     

  2. दूसरी राय बेहतर मिले, इस के लिए कन्सल्ट से पहले बेहतर तैयारी करें:

    दूसरी राय के लिए नए डॉक्टर से मिलने से पहले आप उन्हें अपने मेडिकल रिकॉर्ड/ मेडिकल सारांश भेज सकते हैं। ऐसा करने से डॉक्टर आपसे मिलने से पहले/ मिलते समय  इस जानकारी की समीक्षा कर सकते हैं, जिससे निदान प्रक्रियाओं को अनावश्यक रूप से दोहराने से बचा जा सकेगा। मेडिकल रिकॉर्ड का व्यापक मूल्यांकन और सभी प्रासंगिक शारीरिक परीक्षण प्रक्रियाओं का पूरा होना दूसरी राय को उपयोगी और सार्थक बनाने के लिए आवश्यक है।

    अपनी समस्या के बारे में अपने सभी प्रश्नों और चिंताओं की एक सूची बना लें और नए डॉक्टर  से मिलते समय इसे साथ रखें।

    आपके पास अपने स्वास्थ्य संबंधी समस्या के बारे में विशिष्ट प्रश्न हो सकते हैं, साथ ही आप निम्नलिखित सामान्य प्रश्न पूछने के बारे में भी सोच सकते हैं:

    • क्या जो निदान प्राप्त हुआ था, वह सटीक है?
    • यह बीमारी क्या दर्शाती है, और इसके होने का क्या कारण है?
    • इस बीमारी में आगे क्या-क्या होना आम है? 
    • मेरे पास उपचार/देखभाल के क्या विकल्प हैं? 
    • क्या उपचार से रोग ठीक हो सकता है? क्या यह बीमारी को बढ़ने से रोकने में मदद करता है?
    • उपचार का कोर्स, लागत और अवधि क्या होगी?
    • क्या उपचार का खर्च बीमा में कवर होगा? क्या उसी डॉक्टर से किसी अन्य अस्पताल/ क्लिनिक में परामर्श करना सस्ता रहेगा?
    • ऐसे उपचार संबंधित निर्णयों के क्या लाभ, कमियाँ और जोखिम हैं?
    • अगर मैं उपचार के निर्णय को कुछ देर के लिए स्थगित करूँ या कुछ न करने का निर्णय लूँ तो क्या होगा?
    • अपने मन में उठ रहे किसी भी संदेह और मनोसामाजिक मुद्दे के बारे में बात करें।
    • यह भी पूछें कि मुझे आपको और आपकी टीम/अस्पताल को क्यों चुनना चाहिए?
    • पूछें कि क्या उनका अस्पताल एक मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल है ताकि आपकी सभी मेडिकल समस्याओं का ध्यान/ उपचार एक ही छत के नीचे हो सके, खासकर अगर आपको सह-रुग्णताएँ हैं।
    • पूछें कि क्या वहाँ सामाजिक कार्यकर्ता, काउन्सलर, मनोचिकित्सक, फिजियोथेरपी और व्यावसायिक चिकित्सा और पुनर्वास (रीहैब) विभाग हैं।

आम तौर पर, टेलीमेडिसिन के मुकाबले व्यक्तिगत रूप से रूबरू होकर दूसरी राय लेना ज़्यादा मददगार होता है। कुछ डॉक्टर दूसरी राय पर चर्चा के लिए मरीज़ को देखने पर ज़ोर देते हैं और देखभाल करने वाले को दूसरी राय नहीं देते। 

डॉक्टर अकसर पैथोलॉजी सैंपल या इमेजिंग स्टडी की रिपोर्ट के बजाय वास्तविक फ़िल्म देखना चाहते हैं। इसलिए, कहीं भी टेस्ट करवाएं, हर टेस्ट के बाद हमेशा अपने बायोप्सी सैंपल स्लाइड और स्कैन सीडी जरूर लेने का ध्यान रखें। कई बार, इन्हीं सैंपल या सीडी का इस्तेमाल दूसरी राय के लिए किया जा सकता है और इससे आप दोबारा टेस्ट नहीं करवाना पड़ेगा।

अगर डॉक्टर कोई अतिरिक्त टेस्ट करने के लिए कहता है, तो इस बारे में डॉक्टर से बातचीत करें कि वे अतिरिक्त टेस्ट किस जानकारी को प्राप्त करने के लिए हैं, और उन का खर्च कितना होगा। इस अतिरिक्त प्राप्त जानकारी का निदान और उपचार योजना के लिए क्या फायदा हो सकता है – यानी कि, वे कितने आवश्यक और सहायक हैं।

Citations:

Wasserman, M. R. (2023, November 12). Getting a second opinion. MSD Manual Consumer Version. https://www.msdmanuals.com/en-in/home/fundamentals/making-the-most-of-h…

Changed
08/Jul/2024