
जब अंजना त्रिपाठी की 14 साल की बेटी के टाइप 1 डायबिटीज़ (मधुमेह) का पता चला तो उन्हें बहुत बड़ा धक्का लगा। इस स्थिति के लिए आवश्यक समायोजन करने के लिए उन्हें बहुत बड़े बदलाव करने पड़े। अंजनाजी इस लेख में साझा करती हैं कि उनके परिवार ने इस स्थिति में किस तरह की चुनौतियों से जूझना पड़ा। उन्होंने अपने अनुभवों को एक अच्छी तरह से शोधित पुस्तक में भी प्रस्तुत करा है।
कृपया हमें अपनी बेटी की स्थिति के बारे में बताएं। उसका निदान कब किया गया था? उसकी आयु कितनी थी?
मेरी बेटी दैनिक रूप से टाइप 1 डायबिटीज मेलिटस से जूझती है। टाइप 1 डायबिटीज मेलिटस एक क्रोनिक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है जिसे पहले जुवेनाइल डायबिटीज़ (बचपन और किशोर अवस्था का मधुमेह) कहा जाता है। उसका निदान मई 2014 में हुआ था जब वह 15 वर्ष की थी।
शुरुआती लक्षण क्या थे? क्या आपने उन लक्षणों पर तुरंत कुछ कार्रवाई की? निदान सुनने पर आपकी प्रतिक्रिया क्या थी और आप सभी ने निदान को कैसे स्वीकार किया?
उसने अभी-अभी अपनी 10वीं की बोर्ड के पर्चे लिखे थे, और वह अपनी गर्मी की छुट्टियों का आनंद ले रही थी जब हमने देखा कि उसका वजन कुछ कम हो गया है। हमें लगा कि वह अपना बहुत सा समय बाहर खेल-क्रीडा में बिताया रही थी, और यह वजन घटना उसी के कारण हो रहा था। वह पानी भी काफी पी रही थी,और हमने सोच कि यह इसलिए है क्योंकि गर्मियों का मौसम चल रहा था। फिर कुछ दिनों के बाद उसे मसालेदार खाना खाने की तीव्र इच्छा होने लगी और कब्ज की शिकायत भी होने लगी। लगभग सिर्फ 15-20 दिनों के बाद ही उसे गंभीर कब्ज के साथ बुखार और सांस लेने में तकलीफ होने लगी। हमने अपने बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श किया, और उन्होंने कुछ सामान्य दवा दी और किसी अन्य समस्या के लिए परीक्षण नहीं किया। अगले दिन, उसकी गंभीर बेचैनी और सांस फूलने के कारण पूरी रात जागे रहने के बाद, वह खाने की मेज पर ठीक उसी समय गिर पड़ी, जब मैं उसे कुछ खिलाने की कोशिश कर रही थी।
जानिए टाइप 1 डायबिटीज के लक्षण
हम उसे तुरंत ही नजदीकी अस्पताल में ले गए जहां उन्होंने उसके वाइटल साइन की जांच की और पाया कि उसका रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) का स्तर बहुत अधिक है। एक इंसुलिन ड्रिप शुरू की गई थी, लेकिन वह डायबिटिक कोमा में चली गई और उसे वेनटीलेट रपर रखना पड़ा। चूंकि वह अस्पताल इस तरह के गंभीर मामलों के उपचार में सक्षम नहीं था, हम बहुत घबरा गए और हमने उग्रता से बड़े अस्पतालों में आईसीयू बेड की खोज शुरू की। शुक्र है हमें पास में ही एक ऐसा प्रमुख अस्पताल मिला। लेकिन चूंकि वह वेंटिलेटर पर थी, इसलिए हमें कार्डियक आईसीयू की जरूरत थी। 20 कीमती मिनटों के बाद, हमें एक अन्य अस्पताल मिला जहां कार्डियक आईसीयू भी था, और हमने बेटी को वहाँ स्थानांतरित कर दिया। 10 दिन अस्पताल में बिताने के बाद (उनमें से 5 दिन आईसीयू में थे) हम आखिरकार उसे घर ला पाए। हमारा जीवन हमेशा के लिए बदल गया था।
जहां तक निदान को स्वीकार करने का सवाल है, सच में यह हमारे लिए एक बड़ा सदमा था। मुझे याद है कि अस्पताल में उसके दाखिल होने के दो दिनों के बाद, जब उसकी हालत कुछ स्थिर हुई और मैं थोड़ा आराम करने के लिए कुछ देर के लिए घर गयी, तो मैंने अपने लैपटॉप को चालू किया, और इस निदान पर खोज की - पढ़ते ही मैं मानो टूट गई, और फूट-फूट कर कई मिनट तक रोती रही। यह हमारे साथ ही क्यों हुआ, यह खयाल हमें कई हफ्तों तक परेशान करता रहा। मुझे याद है कि आईसीयू में एक डॉक्टर ने उसके दाखिल होने के अगले ही दिन हमें बताया था कि हमें उसकी पढ़ाई संबंधी योजनाओं को बदलना होगा और सहायता समूहों की तलाश भी शुरू कर देनी चाहिए।
वाकई में यह हमारे लिए बहुत मुश्किल दौर था। हालाँकि हमारे पास स्थिति को स्वीकार करने के अलावा कोई चारा नहीं था, लेकिन अपनी बेटी के जीवन भर इंसुलिन पर निर्भर रहने के बारे में सोचने से दिल दहलता था। अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद कई हफ्तों तक, हम बस एक समय पर एक ही दिन के बारे में सोच पाते क्योंकि लगभग हर दिन नई चुनौतियों का सामना करना होता था। हमारे खयालों में कई तरह की आशंकाएं घूमती रहतीं - लगता, यह होगा तो क्या करेंगे, वो हुआ तो क्या करेंगे! हम दुख के सभी चरणों से गुजरे हैं: स्थिति को स्वीकार न कर पाना, क्रोध, अपराधबोध, अवसाद, और फिर स्वीकृति और कुछ उम्मीद का उभरना। पूरे परिवार के लिए यह बहुत मुश्किल दौर था, चिंता और घबराहट से भरा।
कृपया स्थिति के प्रबंधन के अपने अनुभव का वर्णन करें।
जैसा कि मैंने अपनी पुस्तक में साझा किया है, टाइप 1 डायबिटीज़ को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने के लिए व्यक्ति को भोजन और इंसुलिन की खुराक के बारे में सीखते रहना होता है। अधिकांश माताओं की तरह, मैंने कम कार्ब विकल्प, नियमित व्यंजन और स्नैक्स के लिए स्वस्थ विकल्प खोजने में समय बिताया। उसके रक्त शर्करा के स्तर पर विभिन्न खाद्य पदार्थों के प्रभाव को समझने के लिए, मैंने उसके रक्त शर्करा के स्तर, उसके भोजन, दिन का समय, इंसुलिन की खुराक और गतिविधि के काफी विस्तृत नोट्स रखे। इस रिकॉर्ड की जांच से उसकी इंसुलिन की खुराक को ठीक से तय करने में मदद मिली। हमने उसके शुगर लेवल का बार-बार परीक्षण किया - यदि आवश्यक हो तो खुराक अजस्ट करने के लिए दिन में कम से कम 5-6 बार।
टाइप 1 डायबिटीज़ के प्रबंधन के लिए अनुशासन की बहुत आवश्यकता होती है - खाने में, रक्त शर्करा के टेस्ट करने में, दवा की खुराक अजस्ट करने में, और मध्यम स्तर का व्यायाम करने में। यह सब करना इतना आसान नहीं है जितना सुनने में लगता है। ब्लड ग्लूकोज परीक्षण के लिए दिन में कई बार अपनी बच्ची की उंगलियों से रक्त निकालने के लिए सुई चुभाना आसान नहीं है, और यहां तक कि सुबह के 3 बजे जब वह सोई हुई होती है। यह देखना आसान नहीं है कि आपकी बच्ची आइसक्रीम और पिज्जा के लिए दोस्तों के साथ घूमने जैसी सामान्य मज़ेदार चीजों से खुद को वंचित करती है।
यहां तक कि अगर वह सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेती थी, तो यह उसके लिए इतने मजे की बात नहीं होती क्योंकि उसे अपने खाने का ध्यान रखना होता था, और दूसरों के सामने टेस्ट करना होता था और फिर दवा की खुराक लेनी होती थी, जो वह पसंद नहीं करती थी। रोज़मर्रा की बहुत सी चुनौतियाँ हैं जो जल्दी से सामान्य हो जाती हैं - जैसे अचानक हाइपो (कम रक्त शर्करा) से जूझना या ऐसी स्थिति जब ग्लूकोज का स्तर सही खुराक के बावजूद कम ही नहीं होता है, और उच्च शर्करा के कारण डीकेए (डायबिटिक कीटो एसिडोसिस) का डर। हर छींक, हर पेट दर्द और यहां तक कि हल्का बुखार भी चिंता का कारण बनता है क्योंकि ऐसा कुछ भी हो तो उसका ग्लूकोज का स्तर प्रभावित हो सकता है।
आपने अपनी बेटी के स्कूल और कॉलेज के वर्षों को कैसे मैनेज किया?
जैसा कि मैंने अपनी पुस्तक में उल्लेख किया गया है, जब वह स्कूल में थी, और बाद में कॉलेज में, मैंने यह सुनिश्चित किया कि उसके सभी दोस्तों और शिक्षकों को उसकी स्थिति के बारे में पता हो और उन के पास किसी भी ईमर्जन्सी के लिए सभी आवश्यक कान्टैक्ट नंबर हों। स्कूल जाते समय वह अपने साथ कई लंचबॉक्स और ईमर्जन्सी स्नैक्स ले जाती थी ताकि दिन भर के लिए काफी रहें - स्कूल के लिए, और आने जाने के लंबे समय के लिए, और साथ ही कुछ अतिरिक्त स्नैक भी। हमने यह सुनिश्चित किया कि वह अपने ब्रेक के दौरान टेस्ट कर पाए और उसके अनुसार जरूरत हो तो दवा ले पाए या मदद मांग सके। स्कूल में, वह अपने दोस्तों की तरह सब सामान्य काम करती थी - स्कूल पिकनिक पर जाती थी, स्कूल के समारोह में भाग लेती थी। हम उसके साथ पूरे समय संपर्क बनाए रखते और यह सुनिश्चित करते कि उसके पास कुछ भी गड़बड़ हो तो वह सब कुछ है जो आवश्यक है।
कॉलेज में, वह घर से बहुत दूर एक शहर में थी। वह एक अन्य लड़की के साथ कमरा शेयर कर रही थी। हमने सुनिश्चित किया कि उसके कमरे में इंसुलिन के लिए एक छोटा सा मिनी-फ्रिज हो और साथ ही जूस के डिब्बे, छाछ और फल जैसे स्नैक्स भी। कार्ब युक्त भोजन के साथ लेने के लिए और कार्ब की मात्रा सीमित रखने के लिए हमने उसके लिए एक फल की थाली और बाद में एक स्वस्थ टिफिन सेवा की व्यवस्था की। हमने उसे परामर्श के लिए एक बहुत अच्छे स्थानीय एंडोक्रिनोलॉजिस्ट के पास पंजीकृत कराया। हमने सुनिश्चित किया कि उसके पास हमेशा पर्याप्त इंसुलिन, टेस्ट स्ट्रिप्स और इंसुलिन पंप के अतिरिक्त पुर्जे हों। वह काफी सक्रिय थी और कम नींद और पढ़ाई-संबंधी तनाव के बावजूद डायबिटीज़ के लिहाज से काफी ठीक रही। उसका यह मंत्र था- जब भी उन्हें लगा कि स्थिति नियंत्रण से बाहर हो रही हैं, तो वह एक प्रतिष्ठित अस्पताल की आपातकालीन विभाग में दाखिल हो जाती। उदाहरण के लिए, जब उसे अपच की समस्या होती जिसके परिणामस्वरूप लगातार उल्टी होती या जब उसके शर्करा के स्तर नीचे जाने का नाम नहीं लेता तो वह अस्पताल चली जाती। उसके छात्रावास के अधिकारी और दोस्त बहुत सहायता करते थे और एम्बुलेंस बुलाने और अस्पताल में दाखिला लेने में उसकी मदद करते और उसके साथ तब तक रहते जब तक हम में से एक अस्पताल नहीं पहुँच जाता (मुंबई से इस शहर के लिए उड़ान लेकर)।
उसे हमारे शहर से अनेक गतिविधियों के लिए भी यात्रा करनी पड़ती थी। मुझे लगता है कि उसने इन सब का बहुत अच्छी तरह से प्रबंधित करा - टेस्ट करते रहना, दवा लेना, खाने के बुनियादी सिद्धांत का पालन करना, और हमेशा डायबिटीज़ को संभालने के लिए जरूरी चीजों का पर्याप्त बैकअप स्टॉक रखना।.
स्वाभाविक है, कुछ ऐसे दिन भी थे जब उसके सभी प्रयासों के बावजूद चीजें कुछ समस्या होती थी। पर तब तक हम इस बात को स्वीकार कर चुके थे कि हम इस स्थिति के लिए क्या-क्या कर सकते हैं, उसकी कुछ सीमाएं हैं।
क्या कोई बड़ी अड़चनें थीं?
तीन मौकों पर वह 1-2 दिनों के लिए अस्पताल में भर्ती हुई थी, पर इन को छोड़ कर बाकी सब काफी ठीक चला।
एक मुद्दा जिस के बारे में हमने सुना है वह है कि रक्त शर्करा के उतार-चढ़ाव से मासिक धर्म पर प्रभाव होता है। क्या आपको इसके बारे में बताया गया था? क्या उसे रक्त शर्करा के उतार-चढ़ाव के मुद्दों का सामना करना पड़ा? आपने इसे कैसे प्रबंधित किया? या कोई अन्य अप्रत्याशित समस्या?
हमने इसके बारे में पढ़ा था। उसके निदान के बाद, कुछ दिनों बाद, उसका शर्करा स्तर काफी अधिक बढ़ने लगा और उसे इंसुलिन की असामान्य रूप से बड़ी खुराक की आवश्यकता हुई। यह दो दिनों तक चला। फिर उसका मासिक धर्म हुआ और उसकी शर्करा उसके सामान्य खुराक के साथ अपने आप ही सामान्य हो गई। एक बार जब हमें इसके बारे में पता चला, तो हमने इसका खयाल रखा और मासिक धर्म का ध्यान रखते हुए जब जरूरी था तो उसके बेसल डोज़ और बोलस डोज़ को बढ़ाना शुरू कर दिया।
अन्य अप्रिय घटनाएं भी हुईं। उसके निदान के कुछ हफ्तों बाद, उसके बाल बुरी तरह से झड़ने लगे। यह बहुत डरावना था। लेकिन हमारे डॉक्टर ने समझाया कि डीकेए के बाद यह सामान्य था और उसके लिए बायोटिन निर्धारित किया। कुछ महीनों के बाद धीरे-धीरे बालों का झड़ना कम हो गया। निदान के बाद कुछ हफ्तों तक वह अपने पैरों में गंभीर न्यूरोपैथी से भी पीड़ित रही। वह न तो जूते पहन पाती थी और न ही चल पाती थी। शुक्र है कि इसका इलाज करने के लिए विशिष्ट दवा देने के बाद और उसके शर्करा के स्तर को स्थिर करने के बाद, यह समस्या चली गई।
एक और बुरी खबर थी टाइप 1 डायबिटीज़ के प्रबंधन के लिए आवश्यक इंसुलिन, टेस्ट स्ट्रिप्स और अन्य सामग्री की उच्च लागत।
क्या आप कुछ ऐसी गलतियाँ साझा करना चाहेंगी जिनसे आपने स्थिति के बेहतर प्रबंधन कर पाने के बारे में कुछ सीखा?
सबसे बड़ी गलती जो मैंने की थी वह यह थी कि जब हमने देखा कि उसका वजन कम हो रहा है तो अपने डॉक्टर से सलाह नहीं ली। यदि उसके वाइटल्ज़ पहले चेक होते तो डीकेए के दर्दनाक हादसे से बचा जा सकता था । हमारा यह न करने की वजह थी कि हम टाइप 1 डायबिटीज के बारे में नहीं जानते थे।
मुझे यह भी लगता है कि हर समय उसकी डायबिटीज़ पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित करना, भोजन से संबंधित बहुत अधिक अनुशासन, और संभवतः अनजाने में मेरी चिंता से उसे भी अधिक चिंता में डालना हम दोनों के लिए हानिकारक रहा है।
एक और गलती जो शुरुआती वर्षों के दौरान हुई और जिस से हम बच सकते थे वह थी कि मेरा अधिकांश ध्यान उस बेटी पर रहा जिसे टाइप 1 डायबिटीज़ थी, और शायद इस से मेरी बड़ी बच्ची ने कुछ हद तक खुद को उपेक्षित महसूस किया, या उसे लगा कि वह हमारे लिए दूसरे स्थान पर है। मुझे अब एहसास होता है कि संतुलन बनाए रखना जरूरी है।
आपके परिवार ने आपकी बेटी का और आपका समर्थन कैसे किया है?
उन सब से हमें बहुत समर्थन मिलता रहा है। परिवार का हर सदस्य खाने की पसंद के प्रति सचेत हो गया है और सब ने वही खाना लेना शुरू कर दिया जो वह खाती थी। मुझे याद है कि मेरी बड़ी बेटी, जो विदेश में पढ़ाई कर रही थी, जब भी वह छुट्टियों में घर आती थी, तो अपने सीमित जेब-खर्चे से उसके लिए डायबिटीज़-फ़्रेंडली (मधुमेह के अनुकूल) स्नैक्स/ चॉकलेट/ कलाई बैंड का एक बड़ा थैला लाती। अचानक, परिवार के सभी फैसले इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए लिए जाने लगे। मैं दस महीने के लिए उसी शहर में रही जहां उसका कॉलेज था (हालाँकि वह हॉस्टल में रहती थी)। मेरे परिवार ने मेरे इस फैसले का पूरी तरह से समर्थन किया, हालांकि इस वजह से मेरे पति को घर और बाकी सब कुछ अपने दम पर संभालना पड़ा। जब भी हम रिश्तेदारों के घर मिलने जाते तो वे जो भोजन परोसते, वह साधारण और उसके अनुकूल होता, और मिठाइयाँ बिना चीनी वाली होतीं।
उसे और आपको अपने आस-पास से किस प्रकार के सामुदायिक समर्थन की आवश्यकता थी- स्कूलों से, पड़ोसियों से, दोस्तों से?
स्कूल/ कॉलेज के अधिकारियों से, उसे कक्षा के दौरान अपनी रक्त शर्करा की जाँच करने और ज़रूरत पड़ने पर खाने के लिए अनुमति की आवश्यकता थी। और उन्होंने आधिकारिक तौर पर इसका समर्थन किया। उसके स्कूल के शिक्षक बेहद मददगार और समर्थक थे। बल्कि उसके क्लास के टीचर मुझे फोन करते थे और अतिरिक्त कक्षाओं के लिए अतिरिक्त टिफिन मांगते थे। उसे छात्रावास में अपने कमरे में रेफ्रिजरेटर रखने की अनुमति थी। उसके छात्रावास के मेस के अधिकारी रोज उसके लिए अंडे और दूध की विशेष आपूर्ति की व्यवस्था करने पर सहमत हुए। जब जरूरत हुई तो उसकी हॉस्टल वार्डन ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया और वे पूरी रात उसके साथ रहीं जब तक कि परिवार के सदस्य वहां नहीं पहुंच पाए। उसके डायबिटीज़ के कारण उसका स्कूल/कॉलेज से कोई बहिष्कार नहीं हुआ, कोई भेदभाव नहीं था। किसी गतिविधि में भाग लेना या न लेना उसकी मर्जी थी। हम इस पहलू में बहुत भाग्यशाली और धन्य रहे हैं। हमारी बेटी अपने कॉलेज के वर्षों के दौरान खेलों में बहुत सक्रिय थी और कॉलेज के अधिकारियों ने उसका समर्थन किया।
जहां तक उसके दोस्तों का सवाल है, कोई भी शब्द मेरे लिए आभार व्यक्त करने के लिए पर्याप्त नहीं है। वे हमेशा उसकी देखभाल करते थे। वे अपनी जेब में मिठाइयाँ रखते थे, उपहार के रूप में उसके लिए बिना चीनी वाली डार्क चॉकलेट लाते थे, और अगर मेरी बेटी व्यस्त होने के कारण मेरी कॉल नहीं ले पाती थी तो अगर मैं उन्हें कॉल या टेक्स्ट करती तो कुछ भी समय क्यों न हो, वे तुरंत मेरे मैसेज उस तक पहुंचा देते और मुझे भी उसके ठिकाने के बारे में अपडेट करते। जब उसकी तबीयत ठीक नहीं थी तो वे बारी-बारी से अस्पताल में उसके साथ रहे। वे सभी ईमर्जन्सी के कान्टैक्ट नंबर जानते थे, और यह भी जानते थे कि कुछ गड़बड़ है, यह कैसे पहचानें और उस स्थिति में क्या करें। मेरी बेटी ने उन्हें अपनी स्थिति, हाइपो (कम रक्त शर्करा), हाइपर (बहुत अधिक रक्त शर्करा) और डीकेए (डायबिटिक कीटो एसिडोसिस) के बारे में विस्तार से बताया था। मुझे लगता है कि हमें अपने बच्चे के आसपास के लोगों के साथ स्थिति के बारे में जितना संभव हो उतना साझा करना चाहिए। यह बहुत मदद करता है।
लोगों की कही गई कुछ सबसे कष्टप्रद/हास्यास्पद/आश्चर्यजनक बातें क्या थीं?
सबसे अधिक चुभने वाला प्रश्न था - "क्या उसने बहुत सारी मिठाइयाँ खाईं थीं?" कुछ रिश्तेदारों ने यह भी कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि हमारी बेटी में यह समस्या विकसित हुई क्योंकि परिवार में डायबिटीज़, यहां तक कि टाइप 2 वाला भी कोई नहीं था। कई लोगों ने हमें बताया कि वे ऐसे लोगों को जानते हैं जिन्हें एक खास गुरु या प्राकृतिक चिकित्सक द्वारा ठीक किया गया था। कुछ लोगों ने यह साफ मानने से इंकार कर दिया कि इंसुलिन की हमेशा के लिए जरूरत रहेगी और उनका दृढ़ विश्वास था कि होम्योपैथी में इस का इलाज है। हमें कई अजीबोगरीब सुझाव दिए गए जैसे भिंडी का रस द्वारा उपचार करना या कहना कि करेले के गूदे में पैरों को डुबोने/ गूदे से पैर रगड़ने से स्वाभाविक रूप से रक्त शर्करा का स्तर कम हो जाता है। एक वरिष्ठ सहयोगी ने सलाह दी कि उसे कार्ब्स का सेवन पूरी तरह बंद कर देना चाहिए और केवल सलाद खाना चाहिए क्योंकि उनकी पत्नी ने अपने डायबिटीज़ को प्रबंधित करने के लिए ऐसा किया था। आप ने टाइप 1 डायबिटीज और ऑटो इम्यून डिसऑर्डर के बारे में चाहे कितने भी चिकित्सकीय तथ्यों को साझा करने की कोशिश की हो, ऐसे कई लोग थे जो इस जानकारी को आसानी से दरकिनार/ अनसुना कर दिया।
टाइप 1 डायबिटीज़ ने बेटी के किस प्रकार विकल्पों को प्रभावित किया है - जैसे कि करियर या सामाजिक विकल्प के बीच चुनाव?
उसने कानून का अध्ययन करना चुना और बाद में एक कॉर्पोरेट लॉ फर्म में काम शुरू करा। वास्तव में डायबिटीज ने उसके करियर के चुनाव को कुछ खास प्रभावित नहीं किया। लंबे घंटों तक काम की जरूरत रहेगी, इस के बारे में लोगों के आगाह करने के बावजूद, और अपनी स्थिति को भी नजर में रखते हुए, उसकी यही पसंद थी। वह अपने कार्यभार के बारे में और अधिक जागरूक है और खाली समय मिलने पर आराम करने और व्यायाम करने की आवश्यकता के प्रति सतर्क है। अब तक वह अपनी स्थिति के साथ अपने काम को काफी अच्छी तरह से मैनेज कर रही है। प्रारंभ में, मैं लोगों से मिल रही सभी चेतावनियों के कारण परेशान थी। जब मैंने अपने ऑनलाइन दोस्तों के साथ अपनी आशंका साझा की, तो मुझे सभी का बहुत समर्थन मिला, यहां तक कि वकीलों का भी। मैंने सोनिया सोतोमयोर की आत्मकथा पढ़ी, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश थीं और बचपन से टाइप 1 डायबिटीज़ का प्रबंधन कर रही थीं।
जहां तक सामाजिक विकल्पों का सवाल है, वह ऐसे मेलजोल और पार्टियों से बचती हैं जहां शराब कासे वन मनोरंजन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है और जहां डायबिटीज़ के अनुकूल भोजन के विकल्प सीमित होने की संभावना होती है। छुट्टी के लिए स्थान चुनते समय, हम किसी भी आपातकालीन आवश्यकता के लिए वहां उपलब्ध बुनियादी सुविधाओं और सुविधाओं के बारे में ध्यान रखते हैं। और जब हम रिश्तेदारों या दोस्तों से मिलने जाते हैं, तो हम उन्हें खाने की पाबंदियों के बारे में पहले से बता देते हैं। सहज और अनियोजित सामाजिक सैर-सपाटे को न्यूनतम तक सीमित कर दिया गया है क्योंकि सुरक्षित और स्वस्थ और आरामदायक रहने के लिए हमें दवा और भोजन के साथ तैयार रहना होता है।
कुछ बच्चों/किशोरों और उनके परिवारों के लिए, टाइप 1 डायबिटीज़ का निदान वास्तव में मनोवैज्ञानिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इस निदान ने आप सभी को भावनात्मक रूप से कैसे प्रभावित किया? क्या आपने इस के लिए काउन्सेलिंग ढूँढी?
शुरू में यह सचमुच बहुत दर्दनाक था। पर धीरे-धीरे हमने इसे अपने “न्यू नॉर्मल” (सामान्य जीवन के नए मापदंड) के रूप में स्वीकार कर लिया। हाँ कभी-कभी मुझे इस स्थिति से कुढ़ होती है, लेकिन मैं जानती हूँ कि समाधान पर केंद्रित होने और सकारात्मक रहने के सिवाय कोई चारा नहीं है। डायबिटीज़ होने से सभी पहलुओं पर सवाल उठते हैं - उसके करियर विकल्प, शिक्षा संबंधी योजना, विवाह और हाँ, उसकी दीर्घायु और जीवन की गुणवत्ता। इस निदान के बारे में सोचते-सोचते हमारी रातों की नींद हराम हो गई थी, और अपराध बोध भी होता था। शुरु के कुछ महीने बहुत ही निराशाजनक थे। दूर-दराज के परिवार वाले और दोस्त लगातार पूछते रहते कि यह क्यों हुआ (जिसका हमारे पास कोई जवाब नहीं था) और उनकी हमदर्दी का भी भावनात्मक असर हुआ। हमने काउन्सेलिंग नहीं ढूँढी। शायद हमें यह लेनी चाहिए थी , लेकिन हमारे डॉक्टर ने यह करवाने का सुझाव नहीं दिया था।
क्या आपकी बेटी को दवाओं के दुष्प्रभाव का सामना करना पड़ा? और क्या आपने अन्य प्रकार के उपचारों की कोशिश की?
कोई साइड इफेक्ट नहीं थे। वजन में थोड़ी वृद्धि हुई थी, शायद इंसुलिन के कारण।
हालाँकि हम जानकारी की अपनी सब खोज से जानते थे कि टाइप 1 डायबिटीज़ का कोई इलाज नहीं है और इंसुलिन उसके लिए भोजन, हवा और पानी जितना ही आवश्यक है, हमने एक होम्योपैथी चिकित्सक से परामर्श किया। उन्होंने दोहराया कि इंसुलिन अपरिहार्य है, उसके बिना काम नहीं चलेगा, लेकिन अच्छी प्रतिरक्षा प्रणाली और अन्य लाभों को बनाए रखने के लिए कुछ दवा भी दी। उसने ये दवाएं लगभग एक साल तक ली जिसके बाद हमने इन्हें बंद कर दिया। मैं भी उसे सुबह ताजा बना करेला और आंवले का रस पिलाती थी, कुछ फायदा होने की उम्मीद से। मैंने उन्हें बेहतर शुगर कंट्रोल के लिए कुछ आयुर्वेदिक दवाएं भी दीं। पर जब उसने घर से बाहर रहना शुरू करा, तो उसने इन सभी पूरक दवाओं/ थेरेपी को बंद कर दिया।
आपने टाइप 1 डायबिटीज़ के बारे में पढ़ा और सही डॉक्टर पाने की कोशिश भी की। इसके अलावा, सहायता समुदायों (सपोर्ट ग्रुप) को ढूंढना कितना मुश्किल था?
शुरू में मुझे किसी ग्रुप के बारे में पता नहीं था। फिर, कुछ महीनों के बाद, मैं जुवेनाइल डायबिटीज़ फाउंडेशन, मुंबई से उनकी वेबसाइट के माध्यम से जुड़ी। बाद में, मैं फेसबुक पर कुछ ग्रुप्स में शामिल हुई और मैंने कुछ दोस्त भी बनाए। अब, मैं उनके साथ व्हाट्सएप ग्रुप्स पर जुड़ी हुई हूं। मैं इन समूहों और संगठनों द्वारा आयोजित कई कार्यशालाओं में भी शामिल हुई, यह जानने के लिए कि दूसरे लोग ऐसी स्थिति का प्रबंधन कैसे कर रहे थे।
सपोर्ट ग्रुप उसके और आपके जीवन में कितने महत्वपूर्ण रहे हैं?
वे बहुत मददगार रहे हैं। छात्रावास जीवन, यात्रा, तकनीकी सलाह, किसी नए शहर में एंडोक्रिनोलॉजिस्ट का पता लगाने या टाइप 1 डायबिटीज़ वाले लोगों के लिए सही स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी (भारत में एक चुनौती) के लिए आश्वासन, सूचना और मार्गदर्शन के लिए इन ग्रुप्स से 24x7 के जबरदस्त समर्थन मिला है। यहाँ तक कि सामान्य विषयों में भी मदद मिलती है जैसे कि पंप के लिए आवश्यक एएए बैटरी या सेंसर का सही ऐडहेसीव कहाँ मिल सकते हैं।
आपको किताब लिखने की प्रेरणा कैसे मिली?
शुरुआती महीनों में, मैं आश्वासन और कुछ मानसिक राहत/मार्गदर्शन के लिए भारत में रहने वाले लोगों के लिए लिखी गई पुस्तकों की खोज करती रही। मुझे कोई किताब नहीं मिली। मैंने दूसरी जगहों में रहने वाले टाइप 1 डायबिटीज़ वाले लोगों द्वारा लिखी हुई पुस्तकें मंगवाईं और उन पुस्तकों ने मेरी बहुत मदद की। साथ ही, हमारे डॉक्टर हमें उन अन्य माता-पिताओं (खासकर माताओं) के साथ जोड़ते थे जिनके बच्चों को हाल ही में डायबिटीज़ का निदान मिला था। कुछ माताएँ निदान पर बेहद परेशान थीं, कुछ ऐसी भी थीं जो सोचती थीं कि इंसुलिन एक दवा है और कुछ दिनों में स्थिति सामान्य हो जाएगी। यह एक आजीवन स्थिति रहेगी, इंसुलिन हमेशा रहेगा, डॉक्टर के इस कथन की पुष्टि करना हृदयविदारक था। कुछ ऐसे भी लोग थे जिनके इरादे अच्छे थे पर वे हमें किसी विशिस्ट होम्योपैथ या आयुर्वेद चिकित्सक या किसी धार्मिक व्यक्ति से संपर्क करने की सलाह देते, और कहते कि वे इस स्थिति को ठीक करते हैं। इस सब के कारण मुझे लगा कि मुझे अपने गत कुछ सालों की सीख और अनुभव को संकलित करके अन्य ऐसे परिवारों के साथ साझा करना चाहिए जो अपने बच्चे की डायबिटीज़ से जूझ रहे हैं।
आप अपनी पुस्तक में इस से संबंधित आंकड़ों का भी उल्लेख करती हैं। इस के लिए आपको किस प्रकार का शोध करना पड़ा?
आँकड़ों का उल्लेख मूल रूप से इस पर प्रकाश डालने के लिए किया है कि यह चुनौती कितनी बड़ी है। मैं खुद को अपडेट रखने के लिए कुछ पत्रिकाओं, वेबसाइटों और प्लेटफार्म को फॉलो करती थी। इसके अलावा, मैंने एंडोक्रिनोलॉजिस्ट द्वारा लिखी गई कुछ किताबें पढ़ीं, जो स्वयं भी टाइप 1 डायबिटीज़ से जूझ रहे थे।
आपकी किताब में बताया गया है कि आप अपनी बेटी के जीवन को किस हद तक आरामदायक बना पायी हैं। आपके अनुसार, इस सफर में सबसे कठिन क्षेत्र क्या थे?
हालांकि हम उसके जीवन को यथासंभव आरामदायक और सुरक्षित बनाने में कामयाब रहे हैं, छात्रावास का भोजन एक ऐसा क्षेत्र था जो विशेष रूप से चुनौती-पूर्ण था क्योंकि उस में रोज ही मेनू में उच्च कार्ब वाले व्यंजन होते थे। एक और बहुत बड़ी चुनौती है इंसुलिन, टेस्ट स्ट्रिप्स, इंसुलिन पंप एक्सेसरीज की ऊंची कीमतें, जो कुल मिलाकर एक बड़ी रकम हो जाती है। इंसुलिन और टेस्ट स्ट्रिप्स सभी शहरों में उपलब्ध हैं, पर इंसुलिन पंप वितरक केवल प्रमुख शहरों में स्थित हैं और हमें बहुत सारे पुर्जों को स्टॉक करना पड़ता है। इसके अलावा, विकसित देशों के विपरीत, जहाँ तक पंपों का सवाल है, यहाँ पर उपलब्ध विकल्प नहीं के बराबर हैं।
आपकी बेटी अपनी स्थिति के प्रबंधन में बहुत सक्रिय रही है। क्या ऐसे उदाहरण थे जब इस में समस्याएं आयीं और आपने उन को कैसे संभाला?
सौभाग्य से, वह अपने दम पर काफी अच्छी तरह से इसे प्रबंधित कर पाई है। फिर भी, खाने के विकल्पों (विशेष रूप से सामाजिक मेल-जोल के अवसरों पर) से संबंधित कई घटनाएं हैं जो अब भी होती रहती हैं, जब वह अपने दोस्तों की तरह मज़ा लेना चाहती थी और अपनी पसंद के अनुसार खाना चाहती है। इस तरह खाने का आनंद लेना हो तो उसे इंसुलिन की बड़ी खुराक की आवश्यकता होती है और इसके परिणामस्वरूप खुराक कितनी लेनी है, उसका हिसाब लगाने में ज्यादा गलती हो तो रक्त शर्करा के स्तर में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव भी हो सकते हैं। जब वह छोटी थी, तो उसके दैनिक मेनू पर मेरा बहुत अधिक नियंत्रण था। पर क्योंकि वह अब बड़ी हो गई है और स्वतंत्र रूप से कई सालों से अपनी स्थिति का प्रबंधन कर रही है, उसका ऐसी स्थितिओं को संभालने के लिए अपने तरीके हैं। लेकिन, हां, हमारी अधिकांश लड़ाईयां खाने को लेकर रही हैं।
अंत में, अन्य जुवेनाइल डायबिटीज़ (बचपन और किशोर अवस्था का मधुमेह) वाले बच्चों के माता-पिता के लिए आपकी मुख्य सलाह क्या है?
प्रारंभ में, निदान मिलने के बाद, चिंता और घबराहट महसूस करना बहुत सामान्य है। यह स्थिति शुरु में बहुत डरावनी और अभिभूत करने वाली लगती है। पर सकारात्मक और शांत बने रहना और बच्चे का समर्थन करते रहना बहुत आवश्यक है। ऐसे दिन होंगे जब आपके सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद स्थिति नियंत्रण से बाहर होगी। स्थिति को स्वीकार करना सीखें और उन समाधानों को खोजने का प्रयास करें जो आपके और आपके बच्चे के लिए ठीक हैं और आपके बजट के अंदर हैं। जितना संभव हो सके, ऐसे समाधानों को ढूँढने का प्रयास करें जिनसे आपके बच्चे को सामान्य, खुश जीवन मिल पाए। एक अन्य महत्वपूर्ण बात है कि इस स्थिति को बच्चे के स्कूल के अधिकारियों, दोस्तों और अन्य सामाजिक समूहों के साथ साझा करना चाहिए। यह आपके मानसिक आराम और आपके बच्चे की सुरक्षा के लिए आवश्यक है। यह भी महत्वपूर्ण है कि आप अपना ख्याल रखें और अपने परिवार में दूसरों पर भी ध्यान देते रहें, और हर समय सिर्फ टाइप 1 डायबिटीज़ के बारे में न सोचें।
Moyna Sen reviews the book Count, Does, Eat, Repeat: A Mom's Playbook for Type 1 Diabetes
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