
हम ऐसे युग में जी रहे हैं जहाँ हर कोई आसानी से चिकित्सा संबंधी जानकारी प्राप्त कर सकता है और सेल्फ-मेडिकेशन एक आसान विकल्प लग सकता है। हम शायद डॉक्टर और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों से सलाह लेने की समझदारी को भूल जाते हैं। इस लेख में हम बिना नुस्खे के दवाएं लेने (स्व-चिकित्सा, सेल्फ-मेडिकेशन) के जोखिमों के बारे में चर्चा कर रहे हैं, और ऐसी दवाओं के शरीर के विभिन्न अंगों पर होने वाले असर को साझा करते हैं।
जब हम डॉक्टर से सलाह लेते हैं तो डॉक्टर हमारे केस को अच्छी तरह से समझने के बाद दवा का नुस्खा लिखते करते हैं। आम तौर पर कंसलटेशन में हमारा विस्तृत चिकित्सा इतिहास (वर्तमान और अतीत दोनों) प्राप्त करना, शारीरिक परीक्षण, और निदान के लिए जरूरी लैब के टेस्ट शामिल होते हैं। इस सब जानकारी के साथ-साथ डॉक्टर हमारी उम्र, हमारी अन्य बीमारियाँ, पारिवारिक इतिहास और मौजूदा दवाओं (सप्लीमेंट सहित) के साथ संभावित पारस्परिक प्रभाव (योगात्मक, सहक्रियात्मक या प्रतिरोधक) जैसे व्यक्तिगत कारकों को भी देखने के बाद ही हमारे लिए दवा तय करेंगे। दवाओं के प्रतिकूल प्रभाव कई प्रकार के हो सकते हैं, जैसे दवाओं से संबंधित दुष्प्रभाव, दवाओं के बीच होने वाली पारस्परिक क्रिया, भोजन और दवा की पारस्परिकक्रिया, और एलर्जी प्रतिक्रियाएं।
याद रखें: खुद ही (बिना डॉक्टर के नुस्खे के) ली हुई दवा नुकसान पहुंचा सकती है! इसमें केमिस्ट के सुझाव से ली हुई दवा (जो डॉक्टर ने नहीं लिखी है) भी शामिल हैं।
बिना नुस्खे के दवा लेने के जोखिम
बिना डॉक्टर के पर्चे के दवा लेने के (या किसी पुराने पर्चे के आधार पर दवा लेने के, या पर्चे पर लिखी मात्रा से अलग मात्रा में दवा लेने के) कई जोखिम हैं, जैसे कि :
- फार्मासिस्ट या दवा का सुझाव देने वाला अन्य कोई व्यक्ति संभवतः आपकी संपूर्ण स्थिति नहीं जानता हो, और आपकी स्थिति के लिए दवा से उत्पन्न जोखिम और दुष्प्रभावों से परिचित न हो।
- दवा की परस्पर क्रिया के कारण प्रतिकूल दुष्प्रभाव और जटिलताएँ हो सकती हैं, खासकर अगर आप अनेक दवाएँ ले रहे हों।
- आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली कुछ दवाओं का अत्यधिक उपयोग करना भी उनका दुरुपयोग है – इस से किडनी और लीवर की दीर्घकालिक समस्याएं हो सकती हैं, और आंत के माइक्रोबायोम (सूक्ष्मजीवी वातावरण) पर हानिकारक प्रभाव हो सकता है।
- एंटीबायोटिक दवाओं के बिना डॉक्टर के पर्चे के इस्तेमाल से एंटीबायोटिक प्रतिरोध (रेसिस्टेन्स) हो सकता है जिससे उनका असर होना बंद हो जाता है।
- दवा के दुष्प्रभाव का खतरा निम्नलिखित स्थितियों में भी बढ़ जाता है:
- दवा को किसी रूप में बार-बार लेने के कारण सुरक्षित मात्रा से अधिक लेना: कभी-कभी कोई व्यक्ति गलती से एक ही सक्रिय तत्व वाली दो या अधिक दवाएँ ले सकता है जिससे शरीर में उस तत्व का ओवरडोज़ (अधिकता) हो सकता है।इसके अतिरिक्त मिलती जुलती दवाएं कुल मिलाकर लेने से भी जोखिम है – जैसे कि किसी भी ओवर-द-काउंटर (बिना नुस्खे के उपलब्ध दवा) दर्द निवारक को किसी निर्धारित सूजन-रोधी (एंटी-इन्फ्लैमटोरी) दवा के साथ लेने से लीवर और किडनी में समस्याएँ हो सकती हैं।
- विरोधी: कुछ दवाओं के सक्रिय तत्व शरीर पर विपरीत प्रभाव डालते हैं और उन्हें साथ लेने से दवाओं के बीच परस्पर विरोधी क्रिया संभव है।इस से एक या दोनों दवाओं की प्रभावकारिता कम हो सकती है।उदाहरण के लिए, ओवर द काउंटर डिकॉन्गेस्टेंट (सर्दी खांसी की दवा) व्यक्ति के रक्तचाप को बढ़ा सकते हैं।यह आपके रक्तचाप को कम करने वाली दवाओं के विरुद्ध काम कर सकता है, जिस से आपका रक्तचाप नियंत्रण बिगड़ सकता है।
- एक दवा का दूसरी दवा के अवशोषण पर असर: कुछ दवाएँ किसी अन्य दवा के अवशोषण या चयापचय को बदल सकती हैं।उदाहरण के लिए, एस्पिरिन कुछ प्रिस्क्रिप्शन रक्त-पतला करने वाली दवाओं के काम करने के तरीके को बदल सकती है।
- भोजन कुछ दवाओं के अवशोषण, प्रभावकारिता और चयापचय को बदल सकता है।यानि कि दवा कब लें और भोजन कब, यह भी दवा की प्रभावकारिता पर असर करता है।उदाहरण के लिए, थायरॉयड की दवाएँ खाली पेट लेने से बेहतर तरह अवशोषित होती हैं, जबकि दर्द की दवाएँ ज़्यादातर भोजन के बाद लेना बेहतर है।
दवाएँ सुरक्षित तरीके से कैसे लें
- ओवर-द-काउंटर दवाओं के अत्यधिक उपयोग से बचें।दवाएँ लेबल पढ़ने के बाद ही लें और उन्हें लेबल पर लिखी हुई सुरक्षा और स्टोरेज निर्देश के अनुसार ही स्टोर करें।
- किसी अन्य व्यक्ति के नुस्खे के आधार पर दवाएँ न लें, चाहे आपके लक्षण कितने भी समान क्यों न हों - क्योंकि किसी व्यक्ति के लिए कौन सी दवा उचित होगी यह लक्षणों के अलावा अनेक कई बातों पर भी निर्भर होता है, जैसे कि उम्र, वजन, सह-रुग्णता, पारिवारिक इतिहास, आदि ।
- दवाएँ बीच में, बिना डॉक्टर की सलाह के, बंद न करें।हमेशा उन्हें पूरी निर्धारित अवधि तक लें, अन्यथा बीमारी के फिर से होने की संभावना है।आपकी उस दवा के प्रति प्रतिरोध होने की भी संभावना है, और अगर बाद में आप वह दवा लें तो उसका आप पर असर नहीं होगा।
- डॉक्टर द्वारा निर्धारित न हो तो एंटीबायोटिक्स बार-बार न लें।
- उपचार के दौरान अनुभव किए गए दवा के किसी भी प्रतिकूल प्रभाव के बारे में डॉक्टर को जरूर बताएं क्योंकि वे आपके उपचार लक्ष्यों और बेहतर स्वस्थ के लक्ष्य के हिसाब से लिए उपचार का तरीका या दवा की खुराक को बदल सकते हैं।आपसे प्राप्त जानकारी से उन्हें दवा बनाने वालों को इस संभावित एलर्जी प्रतिक्रियाओं की रिपोर्ट करने में भी मदद मिलेगी।
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कुछ आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली दवाएँ और आपके स्वास्थ्य पर उनका असर
आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली दवाओं के शरीर के विभिन्न अंगों पर असर के बारे में चर्चा नीचे के सेक्शन में पढ़ें:
हृदय-संवहनी (कार्डियो-वासकुलर) प्रणाली पर असर
- एस्पिरिन: यह आमतौर पर सिरदर्द के लिए ली जाती है और हृदय संबंधी समस्याओं वाले कई व्यक्तियों को दी जाती है।
संभावित दुष्प्रभाव: इस से गैस्ट्राइटिस, हृदय में जलन, अधिक रक्तस्राव का खतरा आदि बढ़ सकता है।लगातार और लंबे समय तक उपयोग से लीवर को नुकसान हो सकता है। - एनएसएआईडी, यानि कि दर्द निवारक दवाएँ: इस श्रेणी की दवाओं को लोग अकसर डॉक्टर की सलाह के बिना लेते हैं, और बार-बार और अत्यधिक लेते हैं।इन्हें अकसर शरीर में दर्द, सिर दर्द, बुखार और कई अन्य दर्द की समस्याओं के लिए लिया जाता है।
संभावित दुष्प्रभाव: ये दवाएं हार्ट फ़ेलियर की संभावना को बढ़ा सकती हैं क्योंकि इन से शरीर में पानी और नमक संचित हो सकता है (वाटर रीटेन्शन) और इस से हार्ट फ़ेलियर और उच्च रक्तचाप के लिए दी गयी मूत्रवर्धक दवाओं के काम में बाधा पड़ती है। - एसीई अवरोधक (बीपी की दवा): इनका उपयोग उच्च रक्तचाप के इलाज के लिए किया जाता है और एक बार इन्हें शुरू हो जाने के बाद अकसर लोग इन्हें बिना डॉक्टर से मिले खुद ही बंद या शुरू करते रहते हैं।
संभावित दुष्प्रभाव: एसीई अवरोधकों से बीपी के उपचार करने वाले लगभग 10% व्यक्तियों को एक ऐसी सूखी खांसी हो सकती जो लगातार बनी रहती है।डॉक्टर से संपर्क में रहने से पता चल सकता है कि क्या इस तरह की खांसी की वजह उनकी यह दवा है, और इस स्थिति में उपचार को कैसे अजस्ट करना चाहिए। - उच्च रक्तचाप और सीएडी के लिए उपयोग की जाने वाली कुछ हृदय संबंधी दवाएँ: बीटा ब्लॉकर्स जैसी दवाएँ कुछ स्थितियों में फेफड़ों को नुकसान पहुँचा सकती हैं।
संभावित दुष्प्रभाव: बीटा-ब्लॉकर्स के उपयोग से वायुमार्ग के संकीर्ण होने की प्रवृत्ति होती है, और ऐसी दवाओं का अस्थमा (दमा) वाले व्यक्ति में इस्तेमाल किया जाए तो उनकी स्थिति और बिगड़ सकती है, इसलिए यह आवश्यक है कि उच्च रक्तचाप या सीएडी से पीड़ित लोग अपने अस्थमा या फेफड़ों की अन्य स्थितियों का निदान होने पर अपने डॉक्टर को अपनी सभी दवाओं के बारे में जरूर बताएं।
श्वसन तंत्र (रेस्पीरेटरी सिस्टम) पर प्रभाव
- एनएसएआईडी या दर्द निवारक दवाएँ:
संभावित दुष्प्रभाव: दर्द निवारक दवाओं के लंबे समय तक उपयोग से फेफड़ों की एंटीऑक्सीडेंट बनाने की क्षमता कम हो सकती है (एंटीऑक्सीडेंट क्षति को रोकने में मदद करते हैं) और इससे अस्थमा जैसी स्थितियाँ बिगड़ सकती हैं। - कोडीन आमतौर पर खांसी दबाने वाली सिरप में पाया जाता है: इन दवाओं की लत पड़ सकती है, और इन से गंभीर हानिकारक प्रभाव पैदा हो सकते हैं।डॉक्टर की सलाह के बिना बच्चों या वयस्कों में इसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
संभावित दुष्प्रभाव: कोडीन अत्यधिक उनींदापन, चक्कर आना और उथली साँस लेने जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है।लंबे समय तक उपयोग करने पर यह गंभीर कब्ज पैदा कर सकता है। - लेवोसालबुटामोल जैसे ब्रोन्कोडायलेटर्स: अगर कोई किसी मेट्रो या बहुत बड़े शहर में रहता है तो घर पर नेबुलाइज़र रखना बहुत आम बात है।प्रदूषण के कारण लगभग हर बच्चे और वयस्क को खांसी या घरघराहट के लिए कभी न कभी नेबुलाइज़ेशन के माध्यम से ब्रोन्कोडायलेटर्स (श्वसन वायुमार्ग में प्रतिरोध को कम करके फेफड़ों में वायु प्रवाह बढ़ाने के लिए दवा) लेने की सलाह दी जाती है, लेकिन उस के बाद लोग हर बार खांसी होने पर, डॉक्टर से मिले बिना, खुद ही इसे बार-बार लेने लगते हैं।इस तरह के सेवन से दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
संभावित दुष्प्रभाव: ओवरडोज (अत्याधिक सेवन) से कभी-कभी धड़कन तेज हो सकती है, और सीजर भी हो सकते हैं।यह मधुमेह और सीएडी वाले लोगों की स्थिति को खराब कर सकता है, क्योंकि इस से पोटेशियम कम होता है और रक्त शर्करा बढ़ सकती है, और ऐसे में डॉक्टर तय करेंगे कि दवा कि खुराक को कैसे अजस्ट करें।
तंत्रिका तंत्र (न्यूरोलाजिकल सिस्टम) पर प्रभाव
- सीडेटिव (शामक) और चिंता-निवारक दवाएँ (आमतौर पर बेंजोडायजेपाइन): बहुत से लोग तनाव कम करने और बेहतर नींद पाने के लिए डॉक्टर से पूछे बिना लंबे समय तक नींद की गोलियां/ चिंता-रोधी और अवसाद-रोधी दवाएँ लेते हैं।
संभावित दुष्प्रभाव: इन दवाओं की लत पड़ सकती है।अगर इनका सेवन शराब के साथ किया जाए तो साँस लेने में भी समस्या पैदा हो सकती हैं।
जननांग और मूत्र-संबंधी (जेनिटो-यूरिनरी) प्रणाली पर प्रभाव
- एंटीहिस्टामाइन (एंटी-एलर्जी दवा): ये बहुत आम तौर पर ली जाने वाली दवाएँ हैं, लेकिन कुछ केस में इन के कारण मूत्र प्रणाली में दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
संभावित दुष्प्रभाव: ये दवाएँ मूत्राशय को शिथिल कर सकती हैं और इसलिए मूत्र प्रतिधारण (यूरिनरी रीटेन्शन) का कारण बन सकती हैं।
जठरांत्र (गैस्ट्रो-इंटेस्टीनल) प्रणाली पर प्रभाव
- एसिडिटी के लिए दवाएँ (पीपीआई): ओमेप्राज़ोल, पैंटोप्राज़ोल आदि जैसी दवाओं को पीपीआई (प्रोटीन पम्प इन्हिबिटर) के नाम से जाना जाता है और अकसर लोग इन्हें बिना डॉक्टर के नुस्खे के एसिडिटी (हार्ट बर्न), बहुत ज़्यादा खाने के बाद, सीने में दर्द और रिफ़्लक्स के लिए इस्तेमाल करते हैं।
संभावित दुष्प्रभाव: इनके लंबे समय या बार-बार इस्तेमाल करने से आंत के बैक्टीरिया में बदलाव होने की संभावना होती है जिससे संक्रमण की संभावना बढ़ सकती है।ये कैल्शियम के अवशोषण में भी बाधा डालते हैं और हड्डियों को कमज़ोर कर सकते हैं।पीपीआई शरीर में विटामिन बी12 और मैग्नीशियम के अवशोषण में भी बाधा डालते हैं और यदि पहले से ही शरीर में इन की कमी है तो यह उसे और भी कम कर सकते हैं। - लैक्सेटिव (विरेचक, जुलाब, मल त्याग के लिए दवा): ये मल त्याग प्रक्रिया को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं का एक समूह है और आमतौर पर इन्हें कब्ज के लिए दिया जाता है।इन दवाओं का अकसर वजन घटाने के लिए दुरुपयोग किया जाता है।
संभावित दुष्प्रभाव: लैक्सटिव का बार-बार या लंबे समय तक इस्तेमाल करने से शरीर से इलेक्ट्रोलाइट्स और पानी का असंतुलन हो सकता है जिससे निर्जलीकरण हो सकता है।लंबे समय तक इस्तेमाल के बाद यदि इन्हें बंद किया जाए तो व्यक्ति को कब्ज हो सकता है।ये दवाएं बृहदान्त्र (कोलन) को नुकसान पहुँचाने के लिए भी जानी जाती हैं और रक्तस्राव का कारण बन सकती हैं।इनमें मौजूद उत्तेजक पदार्थों के कारण अन्य संभावित दुष्प्रभाव भी हैं जैसे कि सीजर और कार्डीऐक अरेस्ट। - पाचन सहायक, हाजमे की दवा (डाइजेसटिव ऐड): ओवर द काउंटर बिना नुस्खे के उपलब्ध डाइजेसटिव एंजाइम का उपयोग आमतौर पर पेट फूलने और रीफ्लक्स जैसे लक्षणों के लिए किया जाता है।
संभावित दुष्प्रभाव: डाइजेसटिव एंजाइमों को सटीक खुराक में लेने के लिए विनियमित किया जाता है ताकि संभावित दुष्प्रभावों को सीमित रखा जाए रखे और इसलिए डॉक्टर से सलाह किए बिना उन्हें नहीं लिया जाना चाहिए।लंबे समय तक और लगातार उपयोग से ऐंठन, तैलीय मल और कभी-कभी अवांछित वजन घटने की समस्या हो सकती है।
अगर दवा डॉक्टर की सलाह के अनुसार सही खुराक और सही अवधि में ली जाए तो वह जीवन और स्वास्थ्य की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में मदद करती हैं, और जीवनरक्षक भी हो सकती हैं।उपचार करने वाले डॉक्टर से मिलते समय उन से खुल कर बातचीत करना उनकी सलाह से अधिकतम लाभ प्राप्त करने की कुंजी है।बिना सलाह के खुद ही दवा न लें; इस सावधानी से आप लंबी चलने वाली बीमारी, दवा के सेवन संबंधी दुष्प्रभाव, दवाओं के बीच के परस्पर प्रतिकूल क्रिया से संबंधित समस्याओं, एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति उत्पन्न प्रतिरोध, दवाओं के असर का कम होने से, दवा के लिए लत विकसित होने से, और संभावित रूप से जीवन को जोखिम में डालने वाले दुष्प्रभावों से बचने में मदद मिल सकती है।बाद में पछताने से बेहतर है कि हमेशा सावधान और सुरक्षित रहें!
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