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Submitted by Shiba Suresh on 9 November 2022

शीबा सुरेश को जैसे ही स्टेज IV एएलके (ALK) म्यूटेशन लंग कैंसर का निदान मिला, उनकी लक्षित चिकित्सा को तुरंत शुरू किया गया। इस लेख में वे बताती हैं कि उनके लिए दवाएं असरदार रहीं और वे खुद को भाग्यशाली मानती हैं कि वे अधिक समय तक जीवित रह सकेंगी।

कोच्चि में दिसंबर में मौसम सुहावना होता है। बागवानी के लिए यह सही समय है। मैंने उत्साह से अपने घर के लिए एडेनियम, पेटुनिया, डायनथस और गुलाब के कुछ फूल वाले पौधे खरीदे और कुछ दिनों के लिए उन्हें लगाने और काटने में व्यस्त हो गई। मैंने अपने आप पर ज्यादा जोर डाला होगा क्योंकि मेरे पीठ और कंधे में तेज दर्द होने लगा। मुझे दर्द निवारक मलहम लगाना पड़ा।

Read in English: ALK Lung Cancer Patients Work Together To Improve Life Expectancy

जब मैं अपनी गर्दन पर मरहम लगा रही थी तो मुझे गर्दन की दाहिनी ओर कॉलर बोन और गर्दन के बीच सूजन महसूस हुई। वहाँ छोटे मोतियों जैसा कुछ था। लेकिन जब मैंने शीशे में चेक किया तो मुझे कुछ दिखाई नहीं दिया।

गर्दन पर मोती जैसी गांठें

अगले दिन ऑफिस के बाद मैं पास के एक अस्पताल में गई। डॉक्टर ने मेरा चेकअप किया और कहा कि मेरी गर्दन पर  दो-तीन छोटी गांठें हैं। उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या परिवार में टीबी का इतिहास है। या क्या मुझे हाल ही में सर्दी, खांसी या  बुखार हुआ था या उंगली कटी थी जिस से संक्रमण की संभावना हो। बैक्टीरिया और वायरस के संक्रमण से लिम्फ (लसीका) नोड्स में सूजन हो सकती है। मैंने उन्हें बताया कि मैं बिल्कुल ठीक थी, ऐसी कोई घटना नहीं हुई है। उन्होंने मेरा एक्स-रे करवाया और एंटीबायोटिक दवाओं का पांच दिन का कोर्स निर्धारित किया। लेकिन दवा लेने के बाद भी गांठों में कोई बदलाव नहीं आया।

फिर मैं एक सर्जन से मिली और उन्होंने नीडल बायोप्सी की सिफारिश की (बारीक सुई से गांठ से सैम्पल निकाल कर उसकी बायोप्सी करना)। तीन दिन बाद जब रिपोर्ट आई तो उसमें  'कार्सिनोमा' (कैंसर) साफ लिखा था। मुझे बहुत बुरा झटका लगा लेकिन मैंने अपने आप को संभाला।

फेफड़ों के कैंसर (लंग कैंसर) का निदान

ऑन्कोसर्जन ने कहा कि अगला कदम यह जांचना है कि कैंसर का प्राथमिक स्रोत कहां है। पूरे शरीर के पीईटी स्कैन से पता चला कि प्राथमिक ट्यूमर बाएं फेफड़े के ऊपरी लोब (खंड) में था। यह गर्दन के लिम्फ (लसीका) नोड्स, स्टर्नम (ब्रेस्टबोन, उरोस्थि, वक्षास्थि), थर्ड लम्बर स्पाइन वर्टेब्रा (एल 3, तीसरी कटि कशेरुका ) और डायफ्राम (मध्यपट)  में कुछ नोड्स तक मेटास्टेसाइज कर चुका था, यानि कि कैंसर इन सब जगह तक फैल चुका था। यह अग्न्याशय की पूंछ (टेल ऑफ पैन्क्रीअस) तक भी फैल गया था। मुझे अमृता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, कोच्चि में भर्ती कराया गया। गर्दन से गांठों को हटाने के लिए सर्जरी की गई। निकाली गई गांठों को जीनोमिक परीक्षण और प्रोफाइलिंग के लिए बैंगलोर भेजा गया ताकि फेफड़ों के कैंसर का प्रकार और उसके लिए उचित चिकित्सीय प्रक्रियाओं को निर्धारित किया जा सके। मेरा एएलके टेस्ट पॉजिटिव आया। एएलके एनाप्लास्टिक लिंफोमा रिसेप्टर टाइरोसिन किनेस जीन का संक्षिप्त नाम है। इस स्थिति में इस जीन में असामान्य उत्परिवर्तन होते हैं जो कैंसर का कारण हैं। मुझे अपने फेफड़ों के कैंसर के लिए लक्षित चिकित्सा की सलाह दी गई थी। कीमोथेरेपी नहीं करनी थी।

यह दिसंबर 2018 की बात है जब मुझे स्टेज 4 एएलके पॉजिटिव लंग कैंसर का निदान मिला था। मैं 51 साल की थी।

मुझे सबसे ज्यादा इस बात का आश्चर्य हुआ कि मेरा स्वास्थ्य एकदम बढ़िया था। मैं रोजाना एक घंटे योग का अभ्यास करती थी। मैं अपने भोजन के प्रति सचेत थी और केक और पेस्ट्री जैसी चीजें नहीं लेती थी। मैं धूम्रपान नहीं करती थी, और मेरे पति भी धूम्रपान  नहीं करते थे, इसलिए सेकेंड हैंड स्मोक का सवाल ही नहीं था। आपने सुना होगा कि अगर लोग चेन स्मोकर हैं तो उन्हें फेफड़ों का कैंसर हो जाता है। मुझे तो सामान्य सर्दी या फ्लू भी आसानी से नहीं होता था। मेरे पति और बेटे के बीमार पड़ने पर भी मैं संक्रमण से बची रहती थी। मुझमें लंग कैंसर जैसे कोई लक्षण नहीं था। मुझे सांस लेने में कोई दिक्कत नहीं हो रही थी। मुझे कभी खांसी नहीं हुई। दरअसल मेरा जीवन काफी अनुशासित और नियंत्रित रहता है। 30 वर्षों से मैं दूरदर्शन और आकाशवाणी के लिए एक वरिष्ठ इंजीनियर के रूप में कार्यरत थी। सोचती हूँ कि यह सब कैसे हुआ, गलती कहाँ हुई?

लक्षित चिकित्सा शुरू हुई

1 जनवरी 2019 से मेरा टार्गेटेड थेरेपी (लक्षित चिकित्सा) शुरू की गई। मैंने नए साल के पहले दिन पर अपनी पहली खुराक ली। मुझे प्रतिदिन क्रिज़ाल्क की दो गोली लेनी पड़ती थीं, एक गोली सुबह और एक शाम। क्रिज़ाल्क विशेष रूप से एएलके उत्परिवर्तन के लिए निर्धारित दवा है।

दवा के दुष्प्रभाव

शुरुआत में मुझे बहुत सारे साइड इफेक्ट हुए। मुझे मितली आती थी। मेरी दृष्टि धुंधला रही थी और तीव्र रोशनी में  मेरी आँखें दुखती थीं। फिर मेरे पूरे शरीर पर असहनीय खुजली के साथ चकत्ते और एलर्जी प्रतिक्रिया विकसित हुई। मेरा मुंह का स्वाद काफी बदल गया। सब कुछ कड़वा लगने लगा, विशेष रूप से पका हुआ भोजन। मैं अपक्व भोजन और सलाद ले पाती थी। लेकिन ये दुष्प्रभाव दो महीने बाद गायब हो गए।

मेरा नियमित कार्यक्रम में शामिल है हर तीन महीने में डॉक्टर से मिलना, और हर छह महीने में सीईटी और मस्तिष्क का एमआरआई करवाना, क्योंकि एएलके-पॉजिटिव वाले रोगियों में कैंसर मस्तिष्क तक फैलने का (मेटास्टेस विकसित होने का) अधिक जोखिम होता है। जब स्कैन का रिजल्ट ठीक निकलता है तो कुछ दिनों के लिए राहत महसूस होती है। फिर जैसे-जैसे अगले स्कैन की तारीख नजदीक आती है, तो चिंता और तनाव का स्तर फिर बढ़ने लगता है।

महंगी दवाएं

हमें तब तक लक्षित चिकित्सा जारी रखनी होगी जब तक कि ट्यूमर का बढ़ना और फैलना बंद न हो जाए। लक्षित चिकित्सा दवाओं को कुछ समय लेने के बाद रोगी में उनके लिए प्रतिरोधी प्रक्रिया विकसित हो सकती है, और ऐसा होने पर दवाओं को बदलने की आवश्यकता होती है।

मुख्य समस्या यह है कि ये दवाएं बहुत ही महंगी हैं। मुझे क्रिजाल्क कैप्सूल की 60 गोलियों के लिए प्रति माह लगभग एक लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं।

दवा मेरे लिए असरदार है

मुझे लक्षित चिकित्सा से बहुत लाभ हुआ है। यह मेरे पिछले पीईटी स्कैन में स्पष्ट था। मेरे शरीर में कोई भी सक्रिय कैंसर कोशिकाएं नहीं मिलीं। और ट्यूमर भी सिकुड़ गया है। ट्यूमर के आकार में उल्लेखनीय कमी हुई थी। शरीर में कैंसर के कोई निशान नहीं मिले थे। यह हमारा सौभाग्य है कि फेफड़े के कैंसर वाले लोग अधिक समय तक जीवित रह सकते हैं।

केवल एक समस्या है कि मेरे दोनों पैरों में अंगुलियों से लेकर  घुटने तक एडिमा (शोफ, पानी वाली सूजन) है। कभी-कभी मेरा हाथ भी सूज जाता है। कभी-कभी मेरे चेहरे पर भी सूजन नजर आती है।

एएलके सहायता समूह

अपने निदान के कुछ ही देर बाद  मैं एएलके वैश्विक सहायता समूह में शामिल हो गई। यहां एएलके वाले कई रोगी बीमारी के अपने अनुभव, उपचार और प्रबंधन को साझा करते हैं, और यह अत्यंत जानकारीपूर्ण और सहायक होता है। हमारा वैश्विक समूह एएलके विशिष्ट अनुसंधान के लिए सक्रिय रूप से धन जुटाता है। हमारे पास पहले से ही अध्ययन के तहत तीन शोध परियोजनाएं हैं और हम सभी उनके परिणाम का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। चूंकि फेफड़ों के कैंसर से साथ यह कलंक जुड़ा है कि यह कैंसर धूम्रपान करने वालों को होता है, इसलिए अन्य प्रकार के कैंसर की तुलना में इसके अनुसंधान के लिए धन कम मिलता है। इसलिए एएलके समूह को एएलके समुदाय के व्यक्तियों की जीवन प्रत्याशा बढ़ाने के लिए खुद ही धन जुटाने, अनुसंधान करने, जागरूकता बढ़ाने, और इस समस्या को प्राथमिकता दिलवाने और समर्थन पाने के लिए काम करना होता है।

इसी तरह के अनुभव से गुजर रहे अन्य लोगों को मेरी सलाह है -

  1. मानसिक रूप से मजबूत बनें।
  2. रोजाना व्यायाम करें।

Listen to the video interview with Shiba Suresh here

 

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