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Submitted by PatientsEngage on 15 July 2024
Picture of Mr Shroff in the centre in a pink kurta with his wife on his left and mother on his right and the text overlay - family of blood and organ donors

पिछले चार दशकों से रक्तदाता श्री हेमंत श्रॉफ अब अन्य कम ज्ञात लेकिन महत्वपूर्ण दान - प्लेटलेट दान और त्वचादान - की आवश्यकता के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए भी काम कर रहे हैं। इस लेख में वे अपनी रक्तदान और अन्य दान की यात्रा को साझा कर रहे हैं और वे इन महत्वपूर्ण मुद्दों को सुर्खियों में लाने के अपने प्रयासों के बारे में बताया रहे हैं।

आपने पहली बार रक्तदान कब किया और क्यों? इतने दशकों तक रक्तदान करते रहने की आपकी प्रेरणा क्या रही है?

मैंने पहली बार 20 साल की उम्र में रक्तदान किया था – उन दिनों मैं के. जे. सोमैया कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में पढ़ रहा था। मेरी गणित की प्रोफेसर श्रीमती नलिनी कुमथेकर एक सामाजिक कार्यकर्ता भी थीं और मैं से प्रेरित हुआ था। मैंने इंजीनियरिंग कॉलेज में अपनी पढ़ाई के दौरान के चारों साल रक्तदान करना जारी रखा। रक्तदान की मेरी यात्रा वहीं से शुरू हुई। मैं अब 59 वर्ष का हूँ और उस पहले रक्तदान से लेकर अब तक मैंने 110 बार रक्तदान किया है।

जब मैं नियमित रूप से रक्तदान करने लगा तो मेरा नाम रक्तदाताओं की सूची में जोड़ दिया गया, और मुझे रक्तदान शिविरों में आमंत्रित करने के लिए कॉल आने लगे। एक निश्चित उम्र के पड़ाव के बाद मुझे समाज को कुछ योगदान वापस देने की आवश्यकता भी महसूस हुई। मुझे लगता है कि एक ऊपर वाली शक्ति ने मुझे यह काम जारी रखने के लिए प्रेरित किया है। मुझे खुशी है कि मेरे रक्तदान करने से गंभीर रूप से बीमार लोगों को उनकी ज़रूरत के समय मदद मिलती है।

रक्तदान गुमनाम होता है। आपको यह नहीं पता चलता कि आपका रक्त किसे मिलेगा। इसका मतलब है कि आपके पास कोई ‘कर्म अभिमान’ नहीं है, यानी इस कार्य से जुड़ा कोई अभिमान या अहंकार नहीं है। यह निस्वार्थ है। यह मेरे लिए महत्वपूर्ण है।

क्या रक्तदान के कोई दुष्प्रभाव हैं?

रक्तदान से आपके स्वास्थ्य पर कोई दुष्प्रभाव या कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है। मैंने डॉक्टरों से सीखा है कि नियमित रूप से रक्तदान करने से आपका पुनर्योजी तंत्र अधिक शक्तिशाली बनता है और आपका शरीर बहुत तेजी से नया रक्त बनाने में सक्षम होता है।

आप हर 3-4 महीने में रक्तदान करने के लिए खुद को कैसे फिट रखते हैं?

जब आप रक्तदान के लिए जाते हैं, तो आपको एक फॉर्म भरना होता है। आपका बीपी और हीमोग्लोबिन मापा जाता है, और यह आपके फिटनेस स्तरों की एक स्वचालित जांच बन जाता है। 

मैं हमेशा से ही शारीरिक फिटनेस बनाए रखने को लेकर बहुत उत्सुक रहा हूँ। मैं एक धावक हूँ और मैराथन में दौड़ता हूँ। मैंने पूर्ण मैराथन (42 किलोमीटर) तेरह बार और हाफ मैराथन (21 किलोमीटर) सौ से अधिक बार पूरी की हैं। इसके लिए बहुत अधिक वजन प्रशिक्षण (वेट ट्रैनिंग) की आवश्यकता होती है। मैं अपने खाने के सेवन पर नियंत्रण रखता हूँ। मेरी पत्नी, (जो एक धावक भी है), और मैं यह सुनिश्चित करते हैं कि हमारा आहार स्वस्थ हो और इसमें दही, बाजरा, ज्वार, हरी सब्जियाँ जैसे पालक और मेथी, अंजीर और खजूर शामिल हों, भले ही उनमें चीनी की मात्रा अधिक हो। मैं शाकाहारी हूँ, लेकिन मैं अंडे खाता हूँ। मेरा मानना है कि अगर आप अपने खाने की आदतों में कम गलतियाँ करेंगे तो आप फिट रहेंगे।

आपके नियमित रक्तदान के बारे में आपका परिवार क्या महसूस करता है?

मेरी पत्नी हेतल भी मेरे साथ रक्तदान करती है। वह अब तक 35 बार रक्तदान कर चुकी हैं। महिला रक्तदाता कम होती हैं क्योंकि उनका हीमोग्लोबिन काउंट कम होता है। लेकिन वह अपने खान-पान और फिटनेस का पूरा ध्यान रखती हैं। वह वॉकिंग करती है, दौड़ती है, और वेट ट्रेनिंग भी करती हैं। अपनी स्वस्थ जीवनशैली के कारण उसे हमेशा रक्तदान के लिए चुना जाता है।

संबंधित लेख: Blood Donation Guidelines

 

आप दूसरों को रक्तदान करने के लिए कैसे प्रोत्साहित करते हैं?

मेरे कई दोस्त हैं जो मेरे साथ दौड़ते हैं और उन सभी ने रक्तदान करना शुरू कर दिया है। धीरे-धीरे दौड़ने वाले समुदाय के अनेक लोग हमारे साथ जुड़ते जा रहे हैं और हमारी संख्या बढ़ती जा रही है। मेरे जान-पहचान के दायरे में हर कोई जानता है कि मैं नियमित रूप से रक्तदान करता हूँ और मैं लोगों से अपने संपर्क का उपयोग इस रक्तदान के उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए करता हूँ। मैं जागरूकता बढ़ाने के लिए अपने सोशल मीडिया अकाउंट का उपयोग करता हूँ, जैसे कि फेसबुक, इंस्टा और अपने व्हाट्सप्प ग्रुप।

मैं रक्तदान शिविरों के निमंत्रण एकत्र करता हूँ और उन्हें फेसबुक और अपने व्हाट्सप्प ग्रुप पर साझा करता हूँ। तस्वीरें बहुत प्रेरक होती हैं, इसलिए मैं यह ध्यान रखता हूँ कि मैं लोगों के समूहों की तस्वीरें (उनके रक्तदाता प्रमाणपत्रों के साथ) साझा करता रहूँ। कुछ रक्तदान शिविरों में एक सेल्फी पॉइंट होता है जो दूसरों को इस उद्देश्य से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए फ़ोटो लेने के लिए एक अच्छी जगह उपलब्ध होती है। सोशल मीडिया पर साझा किये हुए मेरे मैसेज में रक्तदान शिविरों में भाग लेने वाले लोगों की सूची होती है। इससे मेरे व्हाट्सप्प ग्रुप में अन्य लोगों को भी अगली बार रक्तदान करने के लिए प्रेरित करने में मदद मिलती है।

मैं मुंबई के लोअर परेल में नाना पालकर स्मृति समिति से काफी लंबे समय से जुड़ा हुआ हूँ। यह संस्था मेरे लिए एक मंदिर की तरह है। वे 35 से अधिक वर्षों से रक्तदान शिविरों को आयोजित कर रहे हैं। मैं साल में दो बार उनके शिविरों में रक्तदान करता हूँ और अपने सोशल मीडिया और समूहों पर उनके शिविर की जानकारी साझा करता हूँ। इसका उद्देश्य है रक्तदान करने वालों को बार-बार रक्तदान करने के लिए आकर्षित करना और साथ ही नए रक्तदाताओं का भी इस समुदाय में आकर्षित करना। कम से कम 40-50 नए लोग हमारे साथ जुड़े हैं। जानकारी को यथासंभव व्यापक रूप से साझा करना बहुत जरूरी है क्योंकि जानकारी प्राप्त करने वाले लोगों में से रक्तदान के लिए आने वाले लोगों की सफलता दर सिर्फ लगभग 20% है।

क्या आपने पिछले कुछ वर्षों में रक्तदान के रुझान में कोई बदलाव दिखा  है?

लोग अब रक्तदान करने के डरते नहीं हैं और पहले की तुलना में अब बहुत ज़्यादा लोग रक्तदान करते हैं। इन दिनों रक्तदान शिविरों में 1300-1500 बोतल रक्त एकत्रित होता है। यह एक काफी बड़ी मात्रा है।

आपके विचार से यह परिवर्तन कैसे आया है?

सरकार ने रक्तदान के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए कई अभियान चलाए हैं, जिनमें ‘रक्तदान जीवनदान’ जैसे आकर्षक नारे शामिल हैं। 14 जून को विश्व रक्तदान दिवस के अवसर पर विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।

सरकारी संस्थाएँ उन संगठनों का भी समर्थन करती हैं जो रक्तदान शिविर आयोजित करते हैं। ये संस्थाएँ रक्तदान करने वालों का डेटा एकत्र करती हैं और जब वे अन्य शिविर आयोजित करती हैं, तो उन रक्तदाताओं से संपर्क करती हैं।

कृपया हमें प्लेटलेट दान के बारे में अधिक बताएं

करीब 3-4 साल पहले मुझे एक साथी धावक ने प्लेटलेट दान के बारे में बताया । प्लेटलेट दान कुछ स्थानों पर किया जाता है, जैसे परेल में टाटा मेमोरियल अस्पताल, जहाँ मैं दान करने जाता हूँ।

कैंसर रोगियों, डेंगू रोगियों और गंभीर दुर्घटना में जख्मी लोगों के लिए प्लेटलेट दान बहुत आवश्यक है। प्लेटलेट्स की ऊंची मांग के बावजूद दान किये गए प्लेटलेट्स की कमी है, और टाटा टीम लोगों से आगे आकर प्लैट्लट दान करने का आग्रह करती है। प्रतिदिन 20-30 लोग प्लेटलेट्स दान करते हैं, कुछ लोग तो शिरडी और मनमाड जैसी दूर की जगहों से मुंबई सिर्फ इस के लिए आकर दान करते हैं।

कृपया अपनी प्लेटलेट्स दान की यात्रा के बारे में कुछ बताएं। आपने यह कैसे शुरू किया?

प्लैट्लट दान कर पाने के लिए कुछ ऐसे मानदंड हैं जिन्हें आपको पूरा करना होगा। प्लेटलेट दान करने वालों के चुनाव के मानक रक्त संग्रह से अधिक ऊंचे हैं। आवश्यक टेस्ट पास करने के बाद, आप प्लेटलेट्स दान करना शुरू कर सकते हैं।

रक्तदान दिशानिर्देशों के बारे में जानें: https://www.patientsengage.com/hi/healthy-living/blood-donation-guideli…;

लोग कितने-कितने दिनों में प्लेटलेट्स दान कर सकते हैं?

आप हर दो सप्ताह में प्लेटलेट दान कर सकते हैं, लेकिन एक वर्ष में 24 बार से अधिक दान नहीं करना चाहिए।

प्लेटलेट दान की प्रक्रिया क्या है?

प्लेटलेट्स देने की प्रक्रिया में एक घंटा लगता है। यह रक्तदान से ज़्यादा समय है। आपको उस घंटे तक स्थिर लेते रहना होता है। रक्त एक मशीन से होकर गुज़रता है और सेंट्रीफ्यूगल फ़ोर्स के ज़रिए प्लेटलेट्स को इकट्ठा किया जाता है। 40,000 प्लेटलेट्स निकाले जाते हैं और उनमें से 250 ग्राम प्लाज़्मा इकट्ठा किया जाता है।

प्लेटलेट्स इकट्ठा होने के बाद सिर्फ़ 5 दिन तक ही ज़िंदा रहते हैं, इसलिए उन्हें जल्दी से जल्दी मरीज़ों तक पहुँचाना पड़ता है। कैंसर के मरीज़ों, डेंगू से पीड़ित और दुर्घटना के शिकार लोगों को इनकी ज़रूरत होती है। एक प्लेटलेट दान से 2-3 मरीज़ों की जान बच सकती है।

कुछ डोनर जो ज़्यादा ताकतवर होते हैं और जिनकी प्लेटलेट्स की संख्या 400,000 से ज़्यादा होती है, वे 1.5 घंटे तक दान कर सकते हैं और दोगुनी संख्या में प्लेटलेट्स दान कर सकते हैं।

प्लेटलेट दान एक सुरक्षित क्रिया है। इस के लिए 100% डिस्पोजेबल इंपोर्टेड किट का इस्तेमाल किया जाता है।

मैं श्री गडीगांवकर जैसे कुछ समर्पित लोगों को जानता हूँ जिन्होंने अब तक 390 से ज़्यादा बार प्लेटलेट्स दान किया है।

आप प्लेटलेट दान के बारे में जागरूकता कैसे बढ़ा रहे हैं?

प्लेटलेट्स की भारी कमी है और मैं इसकी जागरूकता बढ़ाने की पूरी कोशिश कर रहा हूँ, वैसे ही जैसे मैं रक्तदान के लिए करता हूँ। मैं अपने सोशल मीडिया अकाउंट और व्हाट्सएप ग्रुप पर जानकारी साझा करता हूँ। मुझे खुशी है कि मैं टाटा मेमोरियल अस्पताल में प्लेटलेट्स दान करने के लिए कम से कम 20 और डोनर लाने में कामयाब रहा हूँ।

आप त्वचा दान के बारे में जागरूकता बढ़ाने का भी प्रयास कर रहे हैं। क्या आप हमें इसके बारे में और बता सकते हैं?

मुझे रक्तदान समुदाय के माध्यम से त्वचा दान के बारे में पता चला। हमने इसके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त की, और जब मेरी प्यारी 87 वर्षीय माँ श्रीमती मंजुला श्रॉफ का 2 मार्च, 2024 को निधन हुआ तो हमने उनकी त्वचा दान करने का फैसला किया।

दान की हुई त्वचा का उपयोग उन रोगियों को ठीक करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है जिनकी जलने के हादसे में बहुत अधिक त्वचा नष्ट हुई है, पर अफसोस, ऐसी दान से प्राप्त त्वचा जरूरत के मुकाबले बहुत कम पड़ती है। हमने मेरी माँ की त्वचा को मसिना अस्पताल में भीकू एस. खरास मेमोरियल स्किन बैंक को दान किया था। इसके बाद, मेरी बेटी प्राची, मेरे दोस्त और मैंने अपनी मृत्यु के बाद अपना दिल, लीवर, किडनी, आँखें और त्वचा दान करने का फैसला किया है। हम सभी के पास डोनर कार्ड हैं जिन्हें आप अस्पताल में फॉर्म भरकर प्राप्त कर सकते हैं।

PE Note: ये सब अंग दान मृत्यु के बाद होते हैं, पर डोनर कार्ड होने से हमारे रिश्तेदार और डॉक्टर हमारी इस इच्छा के बारे में जान सकते हैं।

त्वचा दान की प्रक्रिया क्या है?

त्वचा दान मृत व्यक्तियों के अंग दान का एक प्रकार है, जिसे मौत के छह घंटों के अंदर करना होता है।  जब आप किसी मृत व्यक्ति की त्वचा दान करना चाहते हैं तो आपको पात्रता की जांच के लिए अस्पताल में त्वचा की एक तस्वीर भेजनी होगी। आपके पास डेथ सर्टिफिकेट भी होना चाहिए। अस्पताल की टीम आती है और एक छोटी मशीन का उपयोग करके मृत व्यक्ति के हाथों और जांघों से त्वचा एकत्र करती है। त्वचा की बहुत पतली परत निकाली जाती है और इस से शरीर में कोई प्रकट विकृति नहीं होती है। त्वचा दान कुछ खास जगहों में उपलब्ध है इसलिए पहले से ही दान करने की पूरी प्रक्रिया की और सही सम्पर्क के नंबर की सब जानकारी होनी चाहिए।

हम ट्रस्ट से कैसे संपर्क कर सकते हैं?

आप उनसे मसीना अस्पताल बायकुला में संपर्क कर सकते हैं। टेलीफोन नंबर 022-23700715 है। ईमेल आईडी: info@masinahospital.com

आपने अपनी माँ का शरीर भी नायर अस्पताल को दान कर दिया

हां, हमने शोध और शिक्षा के उद्देश्य से नायर अस्पताल के एनाटॉमी विभाग (शरीर रचना विभाग)  को उनका शरीर दान करने का फैसला भी किया था।: इसलिए घर से त्वचा दान करने के बाद हमने नायर अस्पताल में माँ के पूरे शरीर का दान करा। अस्पताल और बीएमसी हमारे बॉडी डोनैशन के लिए बहुत आभारी थे और उन्होंने 36 घंटे के भीतर ही हमें नगरपालिका का पक्का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया। मेरा मानना है कि इस तरह का दान मानवता की सेवा है।

संपादक का नोट: यदि आप किसी व्यक्ति के मृत्यु के बाद अंग या पूरे शरीर का दान करना चाहते हैं तो प्रक्रिया की और सही संपर्क के नंबर की पूरी जानकारी पहले से होना बेहतर हैं क्योंकि ऐन मौके पर सब पता करना और सब के साथ कोऑर्डनेट करना बहुत मुश्किल होगा। मृत्यु के बाद आपको सबसे पहले डॉक्टर से मृत्यु प्रमाण पत्र की जरूरत होगी, फिर त्वचा दान वालों से, आँख दान वालों से और शरीर दान वाले अस्पताल से संपर्क करना होगा, और शरीर को अस्पताल भी पहुंचाना होगा। यह पूरी प्रक्रिया महज 5-6 घंटों में करनी होती है, इसलिए पहले से ही सब सोचा समझा हो तो यह कर पाने में अधिक सुविधा होगी।

Changed
20/Jul/2024