
कोलकाता के 56 वर्षीय रजत सुभ्रा बिस्वास को मल्टीपल मायलोमा का निदान मिला था और उनकी बीएमटी (बोन मैरो ट्रांसप्लांट) सर्जरी भी हुई है। इस लेख में वे अपनी मल्टीपल मायलोमा की यात्रा के बारे में बात करते हैं।
मुझे सितंबर 2018 में मल्टीपल मायलोमा का निदान मिला था। मैं वर्तमान में रेमिशन में हूँ।
शुरुआती लक्षण क्या थे?
मैं धीरे-धीरे गुर्दे के कार्य में कमी का अनुभव कर रहा था, मूत्र में प्रोटीन के रिसाव में वृद्धि के साथ-साथ मेरा क्रिएटिनिन स्तर लगातार बढ़ रहा था। इसके अलावा, मुझे अत्यधिक थकान और त्वचा पर नियमित रूप से रंजकता (पिग्मन्टैशन) का अनुभव हो रहा था, विशेष रूप से माथे और पैरों पर।
नहीं।
आपकी वर्तमान स्थिति क्या है?
मैं वर्तमान में मैन्ट्नन्स थेरपी (रखरखाव चिकित्सा) ले रहा हूं, जिसके अंतर्गत मुझे बोर्टेज़ोमिब की 2 एमजी की मासिक खुराक मिलती है और इसे उप-त्वचीय रूप से प्रशासित किया जाता है। मैं “स्ट्रिन्जन्ट कम्प्लीट रेमिशन” में हूं।
कृपया मायलोमा के प्रबंधन के अपने अनुभव साझा करें।
मायलोमा को प्रबंधित करने का मेरा अनुभव काफी सीधा सा रहा है। मैंने अपने डॉक्टरों की सलाह का पूरी ईमानदारी से पालन किया है और सभी दवाएं, जैसे और जब वे निर्धारित की गई थीं, ली हैं। मेरे करीबी दोस्तों और मेरे परिवार के निरंतर समर्थन के कारण सौभाग्य से मेरे लिए माइलोमा का प्रबंधन करना ज्यादा मुश्किल नहीं रहा है।
मुझे नियमित रूप से बोर्टेज़ोमिब इंजेक्शन लेने होते हैं। इस से कभी-कभी परिधीय न्यूरोपैथी हो सकती है जिस में कभी-कभी हाथ और पैर की उंगलियों में सुन्नता महसूस होती है। नतीजतन, मेरी लिखावट और मेरे हस्ताक्षर कई बार अलग-अलग होते हैं। मेरा सौभाग्य है कि मुझे किसी अन्य जटिलता का सामना नहीं करना पड़ा है।
क्या आपने बीएमटी (बोन मैरो ट्रांसप्लांट) करवाई है? कृपया हमें इसके बारे में बताएं।
हां, मेरा जुलाई 2019 में ऑटोलॉगस बीएमटी करा गया था। जनवरी 2019 से, मैं कीमोथेरेपी के छह चक्रों से गुजरा था, जिसके दौरान हर हफ्ते मुझे अन्य स्टेरॉयड के साथ बोर्टेज़ोमिब इंजेक्शन लेने पड़ते थे। छह महीने के बाद, यानी जून 2019 के अंत में, जब मैं पूर्ण रेमिशन में था, मुझे बीएमटी की सलाह दी गई। मैं 15 दिनों के लिए पूर्ण आइसलैशन में अस्पताल में रहा। मेल्फानाल की उच्च खुराक के कारण, मेरे पहले 5-6 दिन बहुत मुश्किल रहे। लगभग 8 दिनों तक मैं लिक्विड डाइट (सिर्फ तरल आहार वाली डाइट) पर था क्योंकि मैं कोई भी ठोस भोजन नहीं खा पा रहा था। साथ ही मुझे तेज़ बुखार था और पेचिश भी हो गई थी और एक समय तो मुझे ऐसा भी लगने लगा था कि शायद मैं बच न पाऊँ। लेकिन मेरे डॉक्टर मेरी स्थिति के बारे में बहुत सकारात्मक थे। नौवें दिन से मुझमें धीरे-धीरे सुधार होने लगा और सोलवें दिन डॉक्टरों ने मुझे अस्पताल से छुट्टी दे दी। मैं घर वापस आने के बाद अगले डेढ़ महीने तक बिना किसी बाहरी संपर्क के, एक पूर्णतः कीटाणुहीन (एसेप्टिक) वातावरण में पूरी तरह से अलग-थलग रहा था, जो कठिन था।
अब जब मैं अपनी बीएमटी सर्जरी के दिनों के बारे में सोचता हूं, तो पहले कुछ दिनों को छोड़कर यह अनुभव उतना बुरा नहीं लगता है जितना ऊपर के वर्णन से लगता है। बाद की रिकवरी निश्चित रूप से ठीक से चली। यह मैं उन लोगों को बताना चाहता हूँ जो बीएमटी करवाने के बारे में शायद सोचें।
आप कौन सी दवाएं ले रहे हैं?
वर्तमान में, मैं हर महीने 2 एमजी बोर्टेज़ोमिब इंजेक्शन लेता हूं। मुझे हल्का उच्च रक्तचाप और बॉर्डरलाइन मधुमेह भी है। इस सब के कारण और वायरल संक्रमण से बचाव के लिए (मायलोमा के रोगी में संक्रमण का जोखिम अधिक रहता है) मैं प्रतिदिन 50 एमजी जानुविया, 10 एमजी एटोरवास्टेटिन, कॉनकोर एएम 5 एमजी, और 200 एमजी एसिक्लोविर जैसी दवाएं लेता हूं।
क्या दवाओं के कोई साइड-इफेक्ट थे?
आज की तारीख में, अस्थायी पेरिफेरल न्यूरोपैथी को छोड़कर मुझे किसी बड़े दुष्प्रभाव का सामना नहीं करना पड़ा है।
अपनी कुछ चुनौतियों के बारे में बताएं। उस तरह की चुनौतियों का सामना करने वाले अन्य रोगियों को आपकी क्या सलाह है?
मुझे जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ा, वे मुख्यतः मनोवैज्ञानिक थीं। शुरू के दिनों में तो मैं सोचने लगा कि मुझे इस तरह की बीमारी कैसे हो गई! मैं अस्वीकृति के दौर में था, जैसे कि मुझे कुछ हुआ ही नहीं था। दूसरे चरण में जब मेरे मन में यह बात घर करने लगी कि वास्तव में मुझे यह समस्या है, तब मैंने अपने भाग्य के लिए ईश्वर को दोष देना शुरू कर दिया। मैं भावनात्मक रूप से अस्थिर हो गया था, और मेरा व्यवहार काफी अनियमित और अस्थिर रहने लगा। तीसरे चरण में जब मैंने स्थिति से जूझने का फैसला किया तो मैंने तय किया कि मैं इस से अकेले जूझूँगा। मैं सुबह-सुबह अकेले अस्पताल जाता, अस्पताल में अपने बेड की और संबंधित डॉक्टर की फीस का भुगतान करता, दवाएं और इंजेक्शन लेता, और अपना डिस्चार्ज सर्टिफिकेट लेकर घर वापस आता। ऐसा करने से मुझमें धीरे-धीरे आत्मविश्वास बढ़ने लगा और मैंने इसी तरह से अगले 6 महीने तक स्थिति से लड़ने का फैसला किया। अन्य सह-रोगियों को मेरी सलाह होगी कि वे असहाय महसूस न करें, उन्हें डॉक्टरों की सलाह का दृढ़ता से पालन करना चाहिए और उपचार के परिणाम के बारे में हमेशा सकारात्मक भावना रखनी चाहिए।
क्या आपने अपनी स्थिति को प्रबंधित करने में कुछ ऐसा सीखा है जो आप सोचते हैं कि आप पहले जानते तो अच्छा होता?
काश मैंने अपना इलाज बहुत पहले शुरू कर दिया होता। शुरुआती दौर में मैं निदान को स्वीकार नहीं पा रहा था, और उन दिनों मैं बस अलग-अलग डॉक्टर को ही दिखाता रहा, सोचता रहा कि कोई दूसरा डॉक्टर शायद बेहतर हो या कुछ अन्य निदान देगा (इसे डॉक्टर-शॉपिंग भी कहते हैं)। मैं बस अपनी रिपोर्ट लेकर एक विशेषज्ञ से दूसरे विशेषज्ञ के पास दौड़ रहा था। मैं चेन्नई, दिल्ली और कोलकाता के 6 अलग-अलग अस्पतालों में गया। इस प्रक्रिया में कई बहुमूल्य महीने बर्बाद हो गए, जिसके दौरान मेरी हालत और बिगड़ गई। फिर अंत में एक दिन एक डॉक्टर ने मुझे दो टूक कह दिया कि मुझे डॉक्टरों से परामर्श करने में और समय बर्बाद नहीं करना चाहिए और इसके बजाय मुझे तुरंत अपना इलाज शुरू कर देना चाहिए। इसके बाद ही मैंने तुरंत मायलोमा के लिए आक्रामक कीमोथेरेपी शुरू की।
आप किस प्रकार के विशेषज्ञों से परामर्श करते हैं और कितनी बार?
मैं अपने ऑन्को-हेमेटोलॉजिस्ट (रक्त के कैंसर के विशेषज्ञ) से हर 3 महीने में एक बार सलाह करता हूँ, और हर 6 महीने में एक नेफ्रोलॉजिस्ट से सलाह लेता हूं, और ये मेरी स्थिति की निगरानी उचित टेस्ट और मापदंडों के जरिए से करते हैं।
स्थिति को प्रबंधित करने में आपकी सहायता के लिए आपके शहर में आपके लिए कौन से संसाधन उपलब्ध हैं?
मल्टिपल मायलोमा का उपचार पूरी दुनिया में एक ही स्टैन्डर्ड के हिसाब से होता है, और हर जगह हर रोगी के लिए एक जैसा ही उपचार होगा। वर्तमान में कोलकाता में माइलोमा रोगी को परिस्थितियों का प्रबंधन करने में मदद के लिए पर्याप्त संसाधन हैं। दवाएं आसानी से उपलब्ध हैं और शहर में उत्कृष्ट विशेषज्ञ भी उपलब्ध है।
क्या आपको अपनी स्थिति के कारण अपनी जीवनशैली में कुछ बदलाव करने पड़े हैं?
मेरे गुर्दे पूरी तरह ठीक से काम नहीं करते हैं इसलिए मैं लाल मांस और अन्य उच्च प्रोटीन खाद्य पदार्थों से सख्ती से बचता हूँ। डॉक्टरों ने मुझे धूम्रपान और शराब छोड़ने की भी सलाह दी थी - मैं इन्हें पूरी तरह से तो नहीं छोड़ पाया हूँ लेकिन मैं इनका सेवन संयम से और बहुत ही कम करता हूं।
मेरे व्यायाम का एकमात्र रूप है सामान्य चलना।
क्या आपने होम्योपैथी या योग जैसी पूरक दवा या थेरपी की कोशिश की है?
नहीं, मैंने कभी भी किसी भी पूरक दवा या थेरपी की कोशिश नहीं की है और मैंने अपने एलोपैथिक डॉक्टरों की सलाह का सख्ती से पालन किया है।
क्या आपकी स्थिति का सामना करना भावनात्मक रूप से कठिन रहा है?
शुरू में यह भावनात्मक रूप से काफी कठिन था क्योंकि मैं लगातार अपनी परिस्थितियों के लिए अपने भाग्य को कोस रहा था। मैं लगातार परमेश्वर से पूछता कि उसने मुझे ऐसी स्थिति में क्यों डाला। मुझे अपने आसपास के सभी लोगों से जलन होती थी। फिर मेरे जीवन में एक ऐसा दौर आया जब मैंने खुद को मनोवैज्ञानिक रूप से प्रशिक्षित करना और संभालना शुरू किया। लगातार सकारात्मक बने रहने के लिए मैंने बड़े पैमाने पर पढ़ना शुरू किया और यहां तक कि मैंने खाना बनाना और खाने के साथ प्रयोग करना भी शुरू कर दिया। मैंने धीरे-धीरे खुद को इस स्थिति से जूझने के लिए प्रशिक्षित किया और मैं आज खुश हूं कि मैं खुद को पूरी तरह से बदलने में सफल रहा हूं।
आपके परिवार ने आपका समर्थन कैसे किया है?
मेरे परिवार ने हमेशा मेरा पुरजोर समर्थन किया है। मुझे मेरे बहुत करीबी दोस्तों का भी समर्थन प्राप्त रहा और साथ ही, मुझे अपने ऑफिस और सहयोगियों से भी बहुत मजबूत समर्थन मिला - वे हमेशा मेरे साथ खड़े रहे और लगातार मुझे प्रोत्साहित करते रहे।
क्या आपने सहायता के लिए किसी काउंसलर से सलाह की? क्या आपको डॉक्टर द्वारा काउन्सेलिंग मिली?
नहीं, मैंने सहायता के लिए किसी काउंसलर से सलाह नहीं ली। जैसा कि मैंने पहले कहा है, जब मैंने यह सब अकेले करने का फैसला किया तो मैंने खुद को बड़े पैमाने पर प्रशिक्षित किया और कभी-कभी इस हद तक भी गया कि अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से मदद लेने से भी इनकार कर दिया। मैं चाहता था कि जब मेरा इलाज चल रहा हो तो कोई भी मेरे साथ अस्पताल न जाए। इस तरह से जबरदस्ती से अकेले रहने और अपना काम करने से मुझमें जबरदस्त आत्मविश्वास और सकारात्मकता पैदा हुए। इस प्रक्रिया में जीवन के प्रति मेरा नजरिया पूरी तरह बदल गया।
आपके दोस्तों ने आपके साथ कैसा व्यवहार किया? क्या आप को अलग-थलग छोड़ा गया?
मेरे बहुत करीबी दोस्तों ने हमेशा मुझे अपना समर्थन दिया था, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि मेरे कुछ ऐसे दोस्त जो इतने करीबी नहीं थे, उन्होंने मुझसे दूर रहना शुरू कर दिया - ऐसा क्यों था ये तो वही बता सकते हैं! हो सकता है कि वे मुझसे मिलने पर बहुत असहज महसूस करते थे या शायद उन्हें कोई अन्य चिंताएं थीं। शायद वे सोचते थे कि मैं उनसे कुछ आर्थिक मदद मांग लूँगा। मैं वास्तव में नहीं जानता कि उन्होंने उस समय इस तरह का व्यवहार क्यों किया। लेकिन जैसा कि मैंने पहले ही उल्लेख किया है कि मैंने इस स्थिति से अकेले लड़ने का फैसला किया है, इसलिए मुझे कभी अलगाव महसूस नहीं हुआ।
इलाज का सबसे कठिन हिस्सा क्या था? आपने हिम्मत कैसे बनाई रखी? इस स्थिति ने आपके जीवन के दृष्टिकोण और महत्वाकांक्षाओं को कैसे बदला?
मेरे उपचार का सबसे कठिन हिस्सा वह चरण था जहां मुझे प्रारंभिक अस्वीकृति से स्थिति की पूर्ण स्वीकृति तक आना पड़ा। यह मूल रूप से एक जबरदस्त मनोवैज्ञानिक परिवर्तन है जिससे व्यक्ति को इस चरण के दौरान गुजरना पड़ता है। इसी चरण के दौरान मेरा जीवन और सभी सांसारिक मामलों के प्रति दृष्टिकोण बदलने लगा। सभी सामान्यतः अच्छी मानी जाने वाली चीजों के लिए मेरी लालसा धीरे-धीरे कम हो गई और मैंने महसूस किया कि हमारे आस-पास की ज्यादातर चीजें, विशेष रूप से ऐसी चीजें जिन की हम आमतौर पर लालसा रखते हैं, वे काफी सतही और अर्थहीन हैं। इस बात का जब मुझे एहसास हुआ, तो मैं अपने पास जो चीजें थीं, उन के साथ अधिक खुश रहने लगा और मुझे शांति का एहसास हुआ। मैं पहले से बहुत कम महत्वाकांक्षी हो गया और मैंने शांति और सुकून को अपने अंदर खोजने लगा।
कोई किस्सा जो आप साझा करना चाहेंगे?
अन्य सह-रोगियों को मेरी एकमात्र सलाह यह होगी कि उन्हें हमेशा सकारात्मक बने रहना चाहिए क्योंकि हम नहीं जानते कि जीवन में वास्तव में हमारे साथ आगे क्या होगा। शुरुआती दिनों में जब मुझे मायलोमा का पता चला था तो कई दोस्त, सहकर्मी, रिश्तेदार और परिचित मुझसे अपना समर्थन व्यक्त करने और मुझे सांत्वना देने के लिए मिले थे। वे सभी पूरी तरह से सामान्य लोग थे जो स्वस्थ जीवन जी रहे थे, और एक मैं था, जो अपनी बीमारी के साथ की कठिन लड़ाई लड़ रहा था और यह नहीं जानता था कि क्या मेरे जीवन की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। अब, जब मैं मार्च 2023 में पिछले 5 लंबे वर्षों को पीछे मुड़कर देखता हूं, तो सितंबर, 2018 के कम से कम 4 से 5 बिल्कुल स्वस्थ मित्र/सहकर्मी विभिन्न कारणों से गुजर चुके हैं। सच तो यह है कि जीवन बहुत अनिश्चित और नाजुक है। कोई कह नहीं सकता कि आगे क्या होगा। हर पल को संजोना है और सकारात्मक रहना है, और मैं हमेशा यही करने की कोशिश करता हूं।
Interviewed by Moyna Sen