64 वर्षीया प्रिया* अपनी 91 वर्षीय सास की ज़रूरतों का ध्यान रखती हैं और, उनकी सुरक्षा का ध्यान रखते हुए उनकी देखभाल करती हैं। इस लेख में वे इसके साथ-साथ वे अपनी रुचियों और प्राथमिकताओं के लिए समय निकालने की चुनौतियों के बारे में चर्चा करती हैं। वे ऐसी स्थिति के अपने अनुभव से कुछ उपयोगी टिप्स साझा करती हैं।
मेरी सास नब्बे के दशक की शुरुआत में हैं। वे एक जबरदस्त व्यक्तित्व वाली महिला हैं और उन्होंने अपने जीवन में बहुत सी चुनौतीपूर्ण स्थितियों का सामना किया है, जिसमें शामिल हैं 55 साल तक अपने विकलांग बेटे की देखभाल करना और अपने बच्चों और जीवनसाथी के निधन के शोक से जूझना। वे अपनी पसंद का भरपूर जीवन जीने का जोश रखती हैं। वे टेलीविजन और अखबारों के माध्यम से दुनिया भर की खबरों, खेलों, आदि के बारे में पूरी तरह सूचित रहती हैं। वे अपने जीवन से संबंधित सभी बातों में पूरी तरह शामिल रहती हैं। वे बुनाई की बहुत शौकीन हैं और इस उम्र में भी लगातार स्फूर्ति से स्वेटर बनाती रहती हैं।
स्वास्थ्यकुल मिलाकर देखें तो मेरी सास का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य काफी अच्छा है, बस उन्हें उच्च रक्तचाप और सीओपीडी है। उन्हें कभी-कभी सीओपीडी के हल्के दौरे पड़ते हैं। वे अधिकांश दिन स्वस्थ रहती हैं और अपने दैनिक कार्य स्वयं करती हैं। वे लंबे समय से नियमित रूप से दिन में एक बार उच्च रक्तचाप की दवा लेती हैं, और रात में एक एंटी-एलर्जिक/ सीओपीडी की दवा लेती हैं।
दैनिक जीवनकुछ साल पहले तक वे अपने पति के साथ रहती थीं और मेरे और मेरे पति से कुछ नियमित सहायता के साथ अपने दैनिक कार्य और जीवन का स्वयं प्रबंधन करती थीं। हम उनसे मिलने जाते रहते थे। पति के निधन के बाद, वे अकेले रहने के लिए दृढ़संकल्प थीं। पर दुर्भाग्य से, वे गिर गईं जिसकी वजह से उनको हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी (हेमी-आर्थ्रोप्लास्टी) करवानी पड़ी। उसके बाद, मैंने और मेरे पति ने यह सुनिश्चित किया कि उनके साथ 24 घंटे रहने वाली एक सहायक हमेशा उपलब्ध हो।
उन्हें चौबीस घंटे सहायता प्रदान करना सभी के लिए एक कठिन चुनौती थी - उनके लिए, साथ रहने वाली सहायक के लिए, और मेरे पति और मेरे लिए। 2 साल तक दूर से उनकी देखभाल का प्रबंधन करने के बाद यह लगा कि ऐसे चलते रहना बहुत मुश्किल था, और हालांकि कि वे इस बात से खुश नहीं थीं, वे हमारे साथ रहने के लिए राजी हो गईं और हम उन्हें अपने घर ले आए।
उनको उनके घर से अपने घर लाने का काम आसान नहीं था। इस बदलाव का मतलब था कि उन्हें बहुत सी बातों से समझौता करना था, और उनसे बहुत सी चीजें छिन गयीं - उनकी आज़ादी और अपनी तरह से व्यवस्थित उनका निजी जीवन, उनका अपने कामों पर खुद का पूरा नियंत्रण, अपनी तरह से खरीदारी करना, परिचित मंदिरों में जाना, अपने दोस्तों से मिलते रहना, रोज़ शाम को मिलने वाले समूह से मिलते रहना। हमारे लिए चुनौती यह थी कि हमें धीरे-धीरे अपने घर में उनके लिए एक ऐसा माहौल बनाना था जो उनके घर और परिवेश के साथ जिस हद तक संभव हो, मिलता जुलता हो।
सबसे बड़ी चुनौती थी कि उनको अब कई बातों को स्वीकार करना था और उनका अपनी इच्छाओं और आदतों के साथ संतुलन बनाना था। एक तरफ थी उनकी मानसिक सतर्कता, रुचियों और शारीरिक क्षमता, पर साथ ही उनकी कुछ कमजोरियाँ थीं। उनको कभी-कभी अचानक कुछ करने का मन होता था, पर उनको नुकसान से बचाने के लिए और सुरक्षित रखने के लिए यह जरूरी था कि वे बिना-सोचे कुछ न करें - कुछ करने से पहले उसके फायदे-नुकसान के बारे में सोचना होगा। साथ ही, यदि हम उनकी सुरक्षा के लिए कुछ बातों पर जोर दें, तो यह जरूरी था कि वे उन को मानें।
उनकी इच्छाशक्ति बहुत मजबूत है, और वे चाहती हैं कि वे चलती-फिरती रहें और अपनी क्षमता से बढ़कर काम करें – जैसे कि तेज हवा के बावजूद भारी दरवाजा खोलना, अकेले बाहर घूमने जाना जैसे शिरडी के लिए 5 घंटे की यात्रा पर जाना, या घर से बाहर निकालने के लिए या अपने पोते-पोतियों से मिलने के लिए लंबी अंतरराष्ट्रीय उड़ान लेना। इस उम्र में सुरक्षा को एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू के रूप में स्वीकार करना उनके लिए कठिन है और वे अक्सर मदद माँगने के बजाय खुद काम करने की अपनी इच्छा को प्राथमिकता देती हैं।
उन्हें गिरे हुए पानी पर फिसलने का डर तो है, लेकिन साथ ही वे व्यस्त रहने और पौधों को पानी देने के अपने शौक को पूरा करने के लिए बाथरूम से बालकनी तक पानी से भरी बाल्टी खुद उठाने में भी नहीं हिचकिचाती हैं। वे उन कामों के लिए शायद ही कभी मदद मांगती हैं जिन्हें वे खुद करना चाहती हैं। वे हर समय नियंत्रण में रहना पसंद है। यह वाकई एक बहुत कठिन संतुलन है –कभी तो उनकी दृढ़ता देखकर अचंभा होता है, कभी यह चिंता और निराशा का कारण बनता है। उनकी इच्छा पर पूरी तरह हावी हुए बगैर उनको सुरक्षित कैसे रखे, यह निरंतर दुविधा का स्रोत है।
मेरी सास को हमेशा कुछ न कुछ चाहिए होता है। एक देखभालकर्ता होने के नाते, मुझे उनकी हमेशा की ज़रूरतों, उनकी इच्छाओं पर नज़र रखने और उनकी ज़िद को संभालने में बहुत मुश्किल होती है। उनका स्वास्थ्य काफी ठीक है और उस पर ध्यान देना इतना बड़ा मुद्दा नहीं है, क्योंकि वे शारीरिक रूप से काफ़ी स्वतंत्र हैं और अपने काम - नहाना, खाना, दवाइयाँ - खुद ही संभालती हैं। .उनकी रोज़मर्रा के कामों में मदद करने के लिए हमारे पास 24 घंटे के लिए एक सहायक है - उनके साथ घूमने जाने के लिए, शाम की सैर के लिए, उन्हें खाना परोसने, यहाँ तक कि उनके बालों में कंघी करने जैसे कामों के लिए भी। एक अतिरिक्त चुनौती है कि उनकी सुनने की क्षमता कुछ कम है पर वे हीरिंग ऐड (श्रवण यंत्र ) का इस्तेमाल नहीं करती हैं, और सब दांत न होने पर भी वे डेन्चर का इस्तेमाल करने से इनकार करती हैं – जिस के कारण उनकी आहार संबंधी ज़रूरतों पर अधिक ध्यान देना होता है – सौभाग्य से उनके पसंद के खाने का प्रबंध करना समस्या नहीं बना है। उन्हें हर बात समझाना थका देता है क्योंकि बातों को कई बार दोहराना पड़ता है। लिखे हुए नोट से उन्हें कुछ बताना या याद दिलाना कारगर विकल्प नहीं है क्योंकि पढ़ने और समझने का उनका धैर्य सीमित है।
एक स्वस्थ और मानसिक रूप से सतर्क बुजुर्ग की देखभाल करने वाले के रूप में मेरे अनुभव से सीख
- उनकी मौजूदा अक्षमताओं और विशिष्ट इच्छाओं/प्राथमिकताओं को स्पष्ट रूप से शुरू से ही पहचानें। उनसे पूछें कि वे क्या चाहते हैं, उनकी चिकित्सा टीम के साथ इस पर चर्चा करें और उनके जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए वे और आप क्या कर सकते हैं, इस पर भी ध्यान दें, शायद दोनों को ही कुछ समझौते करने हों।
- सुनिश्चित करें कि वे अपने शौक/ पसंदीदा गतिविधियों पर काम कर सकें – इस के लिए उन्हें उचित सहायता और सामग्री प्रदान करें - उदाहरण के लिए, बुनाई का शौक हो तो ऊन, बागबानी का शौक हो तो ऐसे पौधे जिन्हें वे सुरक्षित रूप से पानी दे सकें और जिनकी वे देखभाल कर सकें।
- यदि लोगों से संपर्क बनाए रखना उनकी एक प्रमुख आवश्यकता है, तो ऐसा वातावरण बनाएँ जिस से वे लोगों से मिल-जुल सकें – जैसे कि ऐसे वातावरण की व्यवस्था करें जिस में वे दोस्तों के साथ शाम की सैर कर सकें, या किसी रिश्तेदार के साथ दिन बिताया सकें।
- ऐसा प्रबंधन करें जिस से वे अपनी रुचि के स्थानों पर सुरक्षित तरह से जा सकें - शायद उनके साथ किसी को जाना होगा, या यात्रा सुरक्षित रहे, इस का ध्यान रखना होगा। एक उदाहरण है, यदि उन्हें धार्मिक स्थलों पर जाना पसंद है, तो उन्हें विभिन्न तीर्थ स्थलों और मंदिरों पर जाने के लिए सहायता देना।
- जो भी उनकी स्थिति को हल्का और बेहतर बनाए, उस का उपयोग करें– जैसे कि संगीत, मनोरंजन, भजन, पढ़ना, व्यायाम, टेलीविजन - खेल और समाचार, आदि।
- यदि कोई कार्य या गतिविधि असुरक्षित है, तो पता लगाएँ कि उसमें क्या पसंद है, वे किस वजह से वे उसे करना चाहते हैं, और जब वे ऐसे कार्य कर रहे हों, तो उनके आसपास रहें और आवश्यकतानुसार गतिविधि में उनकी सहायता करें।
- सुनिश्चित करें कि उनके पास का सभी फालतू और बेकार सामान को हटा दिया गया है (यथासंभव, ऐसी सफाई उनकी अनुमति के साथ करें)। उनके आस-पास केवल आवश्यक वस्तुओं को ही रखें, ताकि उन्हें भ्रम से बचाया जा सके। कम चीजें हो, और व्यवस्थित हों तो याददाश्त की समस्या हो (जैसे कि डिमेंशिया में) तब भी आसानी रहती हो।
- सभी निवेश और बैंक खातों को पहले से व्यवस्थित करें ताकि पैसों का प्रबंधन आसान हो। साथ ही पर्याप्त धनराशि आसानी के उपलब्ध रखें ताकि आपात स्थिति में दिक्कत न हो और कमी न पड़े।
- उनके लिए फलों और सब्जियों से युक्त संतुलित पौष्टिक हल्का भोजन व्यवस्थित करें जो उन्हें पसंद हो, और जिस से वे ऊर्जावान और सक्रिय महसूस करें और जिसे हजम करने में उन्हें दिक्कत न हो।
- सुरक्षा और लंबे समय तक स्वस्थ जीवन जैसे पहलुओं के लिए आवश्यक कदमों को उनके जीवन की प्राथमिकताओं और रुचियों के साथ संतुलित करें। सही संतुलन बनाना बहुत जरूरी है। उन्हें पसंद की गतिविधियों के लिए फिर से प्रेरित करें और समर्थन प्रदान करें। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कुछ ऐसी स्पष्ट विशिष्ट चीजों और गतिविधियों की सूची बनाएं जो उनके लिए रुचिकर हों और जिन में आप, अपनी स्थिति और पिछले अनुभवों के आधार पर, सोचते हैं कि आप व्यावहारिक रूप से समर्थन कर पाएंगे। ऐसा स्पष्ट कार्यक्रम निर्धारित करें जिस में सब की अपेक्षाएं स्पष्ट हों, व्यावहारिक रूप से संभव हों और जिस के लिए आप एक सुचारू और सुगम वातावरण बनाने में सक्षम हैं।
देखभालकर्ता के रूप में मेरे लिए क्या कारगर रहा
देखभालकर्ता शायद सोचें कि यदि चौबीसों घंटे का घरेलू सहायक रखा जाए तो सभी गतिविधियों का ध्यान रखा जा सकेगा और देखभाल के लिए शारीरिक मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। परंतु देखभालकर्ता की समग्र ऊर्जा और स्वास्थ्य के लिए एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू है मानसिक स्वास्थ्य। इसलिए, निम्नलिखित बातों पर विचार करना जरूरी है:
- परिवार के सदस्यों की आपस में खुल कर बातचीत और चर्चा होनी चाहिए ताकि सब को स्थिति की ठीक से समझ हो और सब प्राथमिक देखभालकर्ता पर भरोसा रखें।
- देखभालकर्ता को बिना किसी हस्तक्षेप के निर्णय लेने की छूट होनी चाहिए। यदि ऐसा न हो तो विभिन्न परिवार के सदस्यों के बीच अनबन और मनमुटाव पैदा होगा। जो भी देखभालकर्ता सभी देखभाल का प्रबंधन कर रहा है, उसे ही संबंधित निर्णय लेने चाहिए।
- देखभालकर्ता को बुज़ुर्गों की देखभाल के लिए ज़्यादा से ज़्यादा लोगों के सहयोग की ज़रूरत होती है। अगर उनके प्रियजन बारी-बारी से देखभाल में उनके साथ, उनके आस-पास रह सकें और मदद कर सकें तो स्थिति बेहतर होती है। यह प्रबंधन कैसे किया जाएगा, इस के लिए देखना होगा कि कौन-कौन कब उपलब्ध हो सकते हैं, बुज़ुर्ग व्यक्ति की स्थिति और उनके स्वास्थ्य की स्थिति क्या है, आदि। जब स्थिति नियंत्रण में हो और देखभाल में नियमित कार्य शामिल हों, तो बारी-बारी से देखभाल करना अच्छा रहता है। पर यदि कोई ईमर्जन्सी जो, और कई कार्यों को प्रबंधित करने की आवश्यकता है, तो एक से ज़्यादा लोगों के उपलब्ध होने और काम बांटने से स्थिति को संभालना आसान हो जाता है।
- देखभालकर्ता को घूमने-फिरने, दोस्तों से मिलने, अपनी रुचियों को पूरा करने, कुछ हद तक व्यक्तिगत और व्यावसायिक काम निपटाने आदि की आज़ादी होनी चाहिए। यह बहुत जरूरी है कि देखभालकर्ता अच्छी तरह से सो सकें, और स्वास्थ्य के लिए अन्य आवश्यक काम भी कर सकें जैसे कि व्यायाम, बाहर धूप और हवा में जाना, अपने लिए कुछ समय निकाल पाना और ताकि वे आराम कर सकें।
- पौष्टिक, हल्का और फल और सब्ज़ियों से भरपूर भोजन व्यवस्थित करें ताकि देखभालकर्ता सक्रिय और सतर्क महसूस करें और स्वस्थ रहें।
* अनुरोध पर नाम बदला गया है
