
नीमा 26 वर्ष की थीं जब उनको ऑस्टियोसारकोमा (हड्डी का कैंसर) का निदान मिला और उनका जीवन हमेशा के लिए बदल गया। इस लेख में वे अपनी उस चुनौतीपूर्ण यात्रा के बारे में बात करती हैं जिसमें कई सर्जरी, टांग का कटना, और अनेक अन्य मुश्किलों का सामना करना पड़ा, और यह भी साझा करती हैं कि कैंसर से लड़ने की हिम्मत और प्रेरणा उन्हें किस से मिली।
कृपया हमें अपनी स्थिति के बारे में कुछ बताएं
1998 के नवंबर की बात है जब मैं सिर्फ 26 साल की थी और मुझे अपने घुटने के ओस्टियोसारकोमा (हड्डी का कैंसर) का निदान मिला।
आपके शुरुआती लक्षण क्या थे? आप डॉक्टर के पास सलाह के लिए क्यूं गईं?
मैं एक रिसर्च लैब में काम करती थी जहां मुझे रोज करीब 8 घंटे खड़े रहना पड़ता था। मुझे अपने दाहिनी टांग के घुटने के जोड़ में कुछ दर्द महसूस होने लगा। मैंने शुरू में दर्द को नजरअंदाज कर दिया क्योंकि मुझे लगा कि यह लंबे समय तक खड़े रहने से है। मेरे 1 साल के बेटे को एक दिन जुकाम हुआ, इसलिए मैं उसे पॉलीक्लिनिक ले गई। अवसर का फ़ायदा उठा कर मैंने उसी पॉलीक्लिनिक में अपने घुटने के दर्द के लिए एक डॉक्टर से मिली। तुरंत ही एक एक्स-रे किया गया, और रक्त और मूत्र को भी टेस्ट करने के लिए भेजा गया। कुछ ही मिनटों में एक्स-रे आया और डॉक्टर ने मुझे बताया कि मेरे घुटने में कुछ असामान्य वृद्धि है जिसे काटना चाहिए।
अगले ही दिन, उन्होंने मेरे घुटने से उस वृद्धि का सैंपल बायोप्सी के लिए भेजा क्योंकि उन्हें लगा कि यह वृद्धि गंभीर हो सकती है। बायोप्सी का परिणाम 4 दिनों के बाद आया और उन्होंने हमें बताया कि ट्यूमर शायद 5-6 महीने से बढ़ रहा था और मुझे कीमोथेरेपी की आवश्यकता होगी। हम सब को बहुत झटका लगा - यह समस्या अचानक कहाँ से आ गई! पर हमने शांत रहने और निर्देशानुसार काम करने की कोशिश की।
Read in English: I had to live and fight my Osteosarcoma for my son
क्या उपचार निर्धारित किया गया?
हम एमआरआई के लिए गए और हमें एक ओस्टियो-ऑन्कोलॉजिस्ट (हड्डियों के कैंसर के विशेषज्ञ) डॉ पंकज को रेफर किया गया। उन्होंने सिस्प्लैटिन + एड्रियामाइसिन के 7 चक्रों का आदेश दिया और कहा कि मुझे टांग सीधा रखने के लिए एक इम्प्लांट की आवश्यकता होगी। कैंसर रिसर्च यूनिट से प्राप्त रियायत के बाद विदेश से स्टैनमोर इम्प्लांट की कीमत 1.5 लाख रुपये थी। मेरा इम्प्लांट कीमोथेरेपी समाप्त पूरा होने तक आ गया था और प्रभावित घुटने को हटाने के बाद इसे टांग में डाला गया। पूरे डेढ़ महीने तक मुझे अपनी टांग सीधी रखनी पड़ी और नियमित रूप से फिजियोथैरेपी भी करानी पड़ी।
तब मैंने मेथोट्रेक्सेट के 4 चक्र शुरू करे। जब तक यह सब खत्म हुआ तब तक एक साल हो चुका था। फॉलो-अप के लिए 2 साल तक हर 3 महीने टांग और छाती का एक्स-रे करना होता था, और उसके बाद हर 6 महीने में। मुझे इम्प्लांट की आदत हो गई थी और मैं काम पर वापस लौट गई थी, यह सोचकर कि बुरा समय अब ख़त्म हो चुका है।
कृपया हमें आपके अंग-विच्छेदन (ऐम्प्युटेशन, टांग को काटने) के निर्णय और सम्बंधित जटिलताओं के बारे में बताएं
ऐसे ही एक फॉलो-अप के दौरान, एक्स-रे में इम्प्लांट पर कुछ संदिग्ध वृद्धि दिखाई दी। तुरंत बायोप्सी की गई पर कोई समस्या नहीं मिली। 2003 में फिर से बायोप्सी की आवश्यकता पड़ी और सैंपल टाटा मेमोरियल अस्पताल भेजे गए और साथ ही दूसरी राय के लिए अन्य जगह भी भेजे गए। पता चला कि अति-सूक्ष्म ट्यूमर कोशिकाएं मौजूद थीं। मेरे ऑन्कोलॉजिस्ट ने मुझे तुरंत बुलाया और मुझे समझाया कि अब ऐम्प्युटेशन (अंग-विच्छेदन) आवश्यक होगा क्योंकि यह सर्जरी से नहीं निकाला जा सकता था। मैं यह सुनने के लिए तैयार नहीं थी! मेरे पति और मैंने अनेक डॉक्टरों से राय ली, प्रसिद्ध डॉ सुरेश आडवाणी से भी, और उन्होंने मुझे कैंसर को फैलने से रोकने के लिए जल्द से जल्द अंग-विच्छेदन कराने के लिए राजी किया।
अगले दिन, मैंने अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलने का फैसला किया क्योंकि लगातार योनि में खुजली होने लगी थी। जब उन्होंने अल्ट्रासाउंड किया, तो मेरे अंडाशय में चॉकलेट सिस्ट मिले। चूंकि खुजली असहनीय थी, उन्होंने सिस्ट को हटाने के लिए तुरंत सर्जरी करने का फैसला किया। जब उन्होंने सर्जरी की तो अंडाशय, गर्भाशय और आंतों के आसपास कई आसंजन (एढेशन) पाए और मेरे कैंसर के इतिहास के कारण सैंपल तत्काल (इंस्टेंट) बायोप्सी के लिए भेजे। बायोप्सी में कुछ समस्या नहीं मिली, इसलिए उन्होंने उसी सर्जरी में मेरा एक अंडाशय निकाल दिया। मुझे इस सर्जरी से तेजी से उबरना पड़ा क्योंकि अहमदाबाद में मेरा अंग-विच्छेदन होने वाला था। मैंने अपने 7 साल के बेटे को अपनी मां के पास मुंबई में छोड़ दिया – उन को कुछ दिनों के बाद ही हमारे पास आना था।
मेरी दाहिनी टांग जुलाई 2003 में काटी गया। मेरी देखभाल करने के लिए मेरी माँ या बहन मेरे साथ अस्पताल में रहीं क्योंकि मैं तो बाथरूम भी नहीं जा सकती थी और न ही बिस्तर से उठ सकती थी। हमें आगाह किया गया था कि एक दैनिक ड्रेसिंग आवश्यक थी ताकि स्टंप में उभार न हो - बाद में कृत्रिम अंग को लगाने के लिए यह आवश्यक था कि स्टंप शंकु के आकार में रहे। सभी चिकित्सा बिलों को चुकता करने के बाद हम केवल स्थानीय जयपुर फुट का खर्च उठा सकते थे। अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद का मेरा रीहैब (पुनर्वास) बेहद कठिन था। मुझे फिर से चलना सीखना पड़ा। शुरुआत में संवेदना की कमी और असंतुलन के कारण मैं बार-बार गिरती रहती। लेकिन मुझसे कहा गया कि लंबे समय तक बैसाखी का इस्तेमाल न करूं और इसके बजाय अपने जयपुर फुट की आदत डालूँ।
फिर 2008 में, मेरे गर्भाशय से भारी रक्तस्राव होने लगा और पाया गया कि कई फाइब्रॉएड मौजूद हैं। दवाओं ने थोड़े समय के लिए मदद की लेकिन रक्तस्राव इतना भारी हो गया कि मेरा बीपी गिर जाता था और मेरा हीमोग्लोबिन गिरकर 7 हो जाता था। छह महीने के अन्दर फाइब्रॉएड आकार में बहुत बढ़ गए थे और एक सम्पूर्ण हिस्टेरेक्टॉमी करनी पड़ी। मेरे सी-सेक्शन को जोड़कर यह मेरा 8वां ऑपरेशन था।
आपकी वर्तमान स्थिति क्या है?
मेरे जयपुर फुट का उपयोग जारी है और मैं अच्छी तरह से इधर-उधर जा पाती हूँ। यदि हवाईअड्डों पर बहुत अधिक पैदल चलने की जरूरत हो तो मैं व्हील चेयर का विकल्प चुनती हूं। मेरे पति ने मेरे लिए एक इम्पोर्टेड कृत्रिम अंग खरीदा था लेकिन यहाँ के मौसम के कारण यह मेरे लिए ठीक नहीं रहता, इसको इस्तेमाल करती हूँ तो मुझे रैश (लाल चकत्ते) होता और मैं बहुत गर्म महसूस करती हूं।
मैंने कुछ साल पहले फ्लावर अरेंजमेंट (फूलों को सुन्दर तरह से व्यवस्थित करने की कला) का कोर्स किया था, इसलिए अब मुझे त्यौहारों और पार्टी आदि के लिए गुलदस्ते और फूलों की सजावट करने के ऑर्डर मिलते हैं। यह मुझे व्यस्त रखता है।
क्या दवाओं के कोई दुष्प्रभाव थे? यदि हां, तो आप उन्हें कैसे प्रबंधित करती हैं?
कीमो के दौरान, मुझे बहुत उल्टी, कब्ज, बालों और भौंहों का झड़ना, मुंह के छाले और स्वाद खो जाने की तकलीफ होती थी। मुझे याद है कि मुझे उल्टी आती थी और फिर हालांकि स्वाद बिलकुल नहीं आता था, मैं खुद को खाने के लिए मजबूर करती थी।
मेथोट्रेक्सेट ने गंभीर कब्ज भी पैदा किया। मुझे अकसर एनीमा और तगड़ी दवाओं दवाएं देने के लिए अस्पताल में भर्ती कराया जाता था।
बालों का झड़ना एक और दर्दनाक दुष्प्रभाव था क्योंकि बाल गुच्छों में गिरते थे। अंत में मैंने अपनी ब्यूटीशियन आंटी को घर बुलाया और अपने सर का मुंडन करवा लिया और कुछ दिनों के लिए विग लगाने की भी कोशिश की। पर यह मेरे बेटे को पसंद नहीं आया और उसने विग को एक दिन फेंक दिया। मुझे लगता है कि वह अपनी मां को नकली बालों में नहीं देखना चाहता था। मेरा बेटा अब बड़ा हो गया है लेकिन अब भी बहुत रक्षात्मक है।
क्या आपको अपनी चिकित्सा या डॉक्टर से परामर्श के लिए अपने शहर से बाहर जाना पडा?
सस्ते इलाज के विकल्प और बेहतर पारिवारिक समर्थन और सहारे के कारण हमने सारा इलाज अहमदाबाद में ही करवाया।
क्या आपने होम्योपैथी या योग जैसी पूरक दवाओं या उपचारों की कोशिश की?
हिस्टेरेक्टॉमी के बाद मेरा वजन बढ़ रहा था, इसलिए मैंने बैठकर या लेटते हुए फंक्शनल एक्सरसाइज (कार्यात्मक व्यायाम, जिस से रोज़ के काम कर पाने की क्षमता बढ़े) करना शुरू कर दिया। योग और प्राणायाम भी करीब 7 साल पहले शुरू की थी।
आपके परिवार ने आपको कैसे सपोर्ट किया है? इस सब के दौरान आपका सबसे बड़ा समर्थन/साथी कौन रहा है?
मेरे पति ने मुझे बहुत प्रेरित किया और मुझे स्वतंत्र होने और फिर से चल पाने के लिए प्रोत्साहित किया। मेरा डॉक्टर बहुत स्पष्टवादी थे और उन्होंने मुझसे साफ़ कहा कि मुझे मजबूत होना है। मेरे माता-पिता और बहनें मेरी रीढ़ की हड्डी थीं; उन्होंने बारी-बारी से मेरी और मेरे बेटे की देखभाल की।
कुछ लोगों को भगवान स्वयं धरा पर भजते हैं, जैसे कि मेरे बेटे की दूसरी कक्षा की टीचर – बेटा जब स्कूल नहीं जा पाता तो उसकी पढ़ाई पीछे न रहे, इसके लिए टीचरउसके होमवर्क वगैरह को घर भेज देतीं और वे अकसर मुझसे मिलने भी आती थीं। हमने अब भी संपर्क जारी रखा है और दोस्त बन गए हैं।
अपनी कुछ चुनौतियों के बारे में बताएं?
निदान के समय से ही मुझे पता था कि मुझे अपने बेटे के लिए जीना था और कैंसर से लड़ते रहना था – मेरा बेटा तब सिर्फ एक वर्ष का था। फिर भी, जब मुझे बताया गया कि मेरी टांग काटनी होगी तो मुझे बहुत झटका लगा। मुझे एहसास हुआ कि मैं अपनी वर्तमान नौकरी में अब और काम नहीं कर पाऊंगी और मुझे शून्य से वापस शुरुआत करनी होगी। मैं बहुत चिंतित थी कि मैं शारीरिक और आर्थिक रूप से कैसे प्रबंधन करूंगी। वे सच में बहुत कठिन समय था!