
89 वर्षीय श्री प्रमोद कुमार को 1980 में उम्र से संबंधित मैकुलर डिजनरेशन या एएमडी का निदान दिया गया था। इस लेख में वे हमें बताते हैं कि पिछले 25 वर्षों में उन्होंने अपनी इस दृष्टि संबंधी विकलांगता के साथ कैसे तालमेल बिठाया और जीवन को पूरी तरह से जीना जारी रखा|
स्थिति
एएमडी मैक्युला पर हमला करती है जो कि केन्द्रीय दृष्टि (सेंट्रल विज़न) के लिए आवश्यक है और जिस के बिना पढ़ना और बारीक काम नहीं किया जा सकता। मेरी दाहिनी आँख की बारीक दृष्टि खो गई है और यहाँ तक कि मेरी परिधीय दृष्टि (पेरिफेरल विज़न) भी कम होती जा रही है। इसलिए, अब मैं परिधीय दृष्टि के लिए केवल अपनी बाईं आँख का उपयोग कर पाता हूँ और दोनों आँखों की बारीक दृष्टि लगभग पूरी तरह से खो चुका हूँ।
Read the English version: Living with Age Related Macular Degeneration
निदान कब हुआ
समस्या पहली बार 1976 में स्पष्ट हुई थी, लेकिन डॉक्टर इसे पहचान नहीं पाए। इसका अंततः 1980 में निदान किया गया जब अजमेर के एक नेत्र रोग विशेषज्ञ ने मुझे एम्स जाने के लिए कहा। एम्स के डॉक्टर ने मुझे बताया कि एएमडी विकसित हो रहा है, और यह समय के साथ धीमी गति से आगे बढ़ेगा।
लक्षण क्या थे
मैं मॉन्ट्रियल में रिश्तेदारों से मिलने गया हुआ था। हम हाईवे पर गाड़ी चला रहे थे और दोनों तरफ़ के बैरिकेड मुझे घुमावदार लग रहे थे। मुझे लगता रहा कि यू-आकार का लूप मेरे साथ चल रहा है। एक अन्य समस्या थी कि टीवी देखते समय मुझे दाईं आँख से सब टेढ़ा-मेढ़ा, विकृत नजर आ रहा था। इसके कारण मैं अंततः एम्स पहुंचा जहाँ उन्होंने एएमडी का निदान किया। इसके बाद मैं लंदन में मूरफील्ड आई हॉस्पिटल गया। वहाँ के डॉक्टर ने आँखों की एंजियोग्राफी की और एएमडी निदान की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि यह सूखा प्रकार का एएमडी था जिसमें प्रगति धीमी गति से होती है लेकिन इसका कोई ज्ञात उपचार नहीं है।
मूरफील्ड के डॉक्टर बहुत मददगार थे और उन्होंने मुझे सिखाया कि भविष्य में मैं सुने हुए शब्दों और मैग्निफायर (आवर्धक) ग्लास की मदद से काम कैसे कर सकूँगा। उन्होंने मुझे बताया कि फिलहाल तो मैं उस समय तो देख सकता हूँ, लेकिन कुछ सालों में मेरे पढ़ने की क्षमता चली जाएगी। उन्होंने सुझाव दिया कि मुझे इस बात से समन्वय कर लेना चाहिए कि मुझे पढ़ने के बजाय सुने हुए शब्दों के आधार पर काम करना होगा – कोई मुझे पढ़कर सामग्री सुनाएगा, और मैं खुद नहीं पढ़ पाऊँगा –मुझे इसकी आदत डाल लेनी चाहिए ताकि मैं देखने की समस्या के बावजूद, बाद में भी कुशलता से काम करना जारी रख सकूँ। उन्होंने मुझे कुछ सुझाव दिए कि कैसे दृष्टि के बिना भी प्रभावी ढंग से मीटिंग में चर्चा के लिए मोटे अक्षरों का और क्यू पॉइंट (संकेत शब्द) का उपयोग किया जा सकता है।
क्या इस के लिए कोई विशेष टेस्ट थे?
मूरफील्ड में आंखों के एंजियोग्राम के अलावा कोई विशेष टेस्ट नहीं किया गया था। मैंने 1988 में यूएसए में इन परीक्षणों को दोहराया, जिसने शुष्क एएमडी और धीमी प्रगति के निदान की पुष्टि की।
पारिवारिक इतिहास:
मुझे एएमडी का कोई पारिवारिक इतिहास ज्ञात नहीं है। मेरे करीबी या विस्तारित परिवार में किसी को भी एएमडी नहीं हुआ है। जब मैंने डॉक्टरों से पूछा कि क्या मेरे बेटे भी इसी समस्या से प्रभावित होंगे, तो उन्होंने मुझे आश्वासन दिया कि वे सुरक्षित रहेंगे।
निदान के बाद आपकी प्रतिक्रिया:
जब मैंने निदान सुना तो मैं परेशान नहीं हुआ। मुझे एहसास हुआ कि मैं दृष्टि के संबंध में विकलांग था (दृष्टि-बाधित था) और मैंने फैसला किया कि मैं अपनी उत्कृष्ट स्मृति शक्ति और बेहतरीन सुनने की क्षमता जैसी क्षमताओं का उपयोग करूंगा और अपना आगे का जीवन जीऊँगा।
मुझे एएमडी के कारण कार्य क्षेत्र में एक बड़ा अवसर छोड़ना पड़ा, जिसे मैं अन्यथा जरूर लेता, लेकिन मैंने खुद को इस से परेशान नहीं होने दिया। यह सब जीवन के खेल का हिस्सा है। मेरा सौभाग्य है कि मेरा पूरा परिवार बहुत समर्थक रहा है। मेरी पत्नी ने मेरी बहुत मदद की है और वह अब भी मेरा सहारा बनी हुई है।
परिवार की प्रतिक्रिया:
निदान सुनकर मेरे पिता परेशान हो गए थे, लेकिन जब मैंने उन्हें बताया कि डॉक्टरों ने मुझे आश्वासन दिया है कि भले ही मैं पढ़ने की क्षमता खो दूँगा, लेकिन मेरी परिधीय दृष्टि कभी नहीं जाएगी, और मैं सामान्य रूप से काम कर पाऊँगा, तो उन्हें तसल्ली हुई। मेरे परिवार ने निदान को सहजता और विनम्रता से स्वीकार किया। मुझे अपनी पत्नी को बताना पड़ा कि मुझे समय से पहले सेवानिवृत्ति लेनी पड़ सकती है क्योंकि मैं किसी का एहसान लेकर काम नहीं करना चाहता, और उसने मेरा समर्थन किया। सौभाग्य से, ऐसा करने की ज़रूरत नहीं पड़ी, और मैं डीजल लोकोमोटिव वर्क्स, वाराणसी में महाप्रबंधक के एक बहुत वरिष्ठ पद पर से सेवानिवृत्त हुआ।
Above: Mr. Pramod Kumar with his wife
कार्य जीवन:
निदान के बाद मैं कुछ समय तक टाइप करने में सक्षम रहा और टाइप की गई सामग्री को भी पढ़ सकता था, लेकिन 1985 तक मैं हाथ से लिखा हुआ पत्र बिल्कुल भी नहीं पढ़ सकता था। अगले पाँच वर्षों में मुझे इंडिया टुडे जैसी पत्रिका में छोटे टाइप को पढ़ना मुश्किल लगने लगा। और कार्यालय में टाइप की गई सामग्री को भी बहुत धीरे-धीरे ही पढ़ पाता था।
मैंने अपने काम को पढ़ने के बजाए बोलने और सुनने के आधार पर प्रबंधित करना सीखा। मेरी सेक्रेटरी मीटिंग्स से पहले मुझे हर दस्तावेज़ पढ़कर सुनाती थी और चूँकि मेरी याददाश्त बहुत तेज़ है, इसलिए जो मुझे पढ़कर सुनाया गया था उसके आधार पर मैं चर्चा कर पाता था और निर्णय भी ले पाता था।
मैंने अपनी मेज के ऊपर तेज, केंद्रित रोशनी रखी थी जिससे मुझे देखने में मदद मिलती थी। मैं अलग-अलग तरह के पढ़ने के उपकरणों का भी इस्तेमाल करता था। मैंने पढ़ने के लिए आवर्धक चश्मे और रेलवे कोच पर चार्ट जैसे छोटे प्रिंट को देखने के लिए दूरबीन लेंस का इस्तेमाल करता था। मुझे अलग-अलग समय और उपयोग के लिए अलग-अलग चश्मों की ज़रूरत थी जैसे लेआउट डायग्राम पढ़ने के लिए एक जोड़ी, बाहरी उपयोग के लिए एक जोड़ी आदि। मैं काम पर तीन जोड़ी चश्मा ले जाता था। जब मैं नाटक देखने जाता था तो बाइनोकुलर का इस्तेमाल करता था।
मुझे रेलवे बोर्ड कार्यालय में एक महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त किया जाना था, जो सेवानिवृत्ति के बाद भी मेरे लिए मददगार होता, लेकिन मैं इसे स्वीकार नहीं कर सका क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि मेरी पढ़ने की अक्षमता का पता चले और वे मुझे सेवानिवृत्त होने के लिए कह दें। मैंने अपनी दृष्टि की समस्या को बाधा बनाए बिना अपने कर्तव्यों का पालन किया और डीएलडब्ल्यू कार्यशाला का महाप्रबंधक बन गया। कार्यशाला में मैंने हमेशा यह सुनिश्चित किया कि मेरे साथ एक एस्कॉर्ट हो जो मुझे गिरने से बचाने के लिए शॉपफ्लोर के फर्श पर चलने में मदद करे। मैंने अपनी सभी क्षमताओं और अपने विश्वसनीय सेक्रेटरीस की मदद का उपयोग किया और मैं जो अपने लिए निर्धारित उच्च मानक रखे थे, मैंने उन के अनुसार अपना काम किया।
अन्य उपचार:
एक करीबी रिश्तेदार ने होम्योपैथी का सुझाव दिया और मैंने इसे आजमाया, लेकिन इस से कोई फायदा नहीं हुआ। मॉन्ट्रियल, कनाडा में रहने वाले एक अन्य रिश्तेदार ने मुझे एक व्यक्ति का लेख भेजा जो उच्च घनत्व, गाढ़े विटामिन की उच्च खुराक की वकालत कर रहा था। वे महंगे थे लेकिन मैंने उन्हें एक साल तक आजमाया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। मूरफील्ड के डॉक्टर ने मुझे कोई दवा न लेने के लिए कहा था, क्योंकि वे मुझे नुकसान पहुँचा सकती थीं, इसके बावजूद मैंने ये सभी दवाएँ आज़माईं। मुझे लगता है कि मैंने विटामिन पर भरोसा इसलिए किया क्योंकि वे कनाडा से आए थे, लेकिन अब मुझे एहसास हुआ कि मैं एक चालबाज़ के बहकावे में आ गया था।
वर्तमान दवा:
मैं इस स्थिति के लिए कोई दवा नहीं लेता है। मैं साल में एक बार चेक-अप करवाता हूँ, हालाँकि वे 6-मासिक परीक्षण की सलाह देते हैं। मुझे चेतावनी दी गई है कि एएमडी का सूखा प्रकार गीले प्रकार में बदल सकता है। उन्होंने मुझे बताया है कि अगर ऐसा होता है तो मुझे पता चल जाएगा क्योंकि दृष्टि बहुत जल्दी खराब होने लगेगी। डॉक्टर ने मुझे बताया है कि लीक करने वाली नस को ब्लॉक करने और एएमडी के गीले प्रकार में नुकसान को रोकने के लिए दवा उपलब्ध है।
जीवनशैली में बदलाव:
मैं गाड़ी नहीं चला सकता था इसलिए मुझे इधर-उधर जाने के लिए ड्राइवर रखना पड़ा। दूसरा बदलाव था सामग्री पढ़ने के बजाए सुनने की आदत डालना। मैं पढ़ने का शौकीन हूँ और वर्तमान समाचार और राजनीति का फॉलोअर हूँ। मेरा आईपैड मेरे लिए बहुत कुछ पढ़कर सुनाता है, जिसमें समाचार और किताबें भी शामिल हैं। मेरे पास ऑडिबल ऐप पर पुस्तकों की वेटिंग लिस्ट है। लेकिन कभी-कभी मुझे फोन पर मैसेज जैसी कोई चीज़ पढ़ने के लिए मदद माँगनी पड़ती है।
पिछले दो सालों में जब मैं किसी अनजान जगह पर जाता हूँ, जहाँ के बारे में मुझे कुछ भी पता नहीं होता, तो मुझे रास्ता खोजने में और बिना टकराए या गिरे चलने में मदद की ज़रूरत पड़ती है। ऐसी जगहों पर जहाँ कई गलियारे होते हैं और कई साइनबोर्ड लगे होते हैं (जैसे कि अस्पताल), वहाँ अकेले चलना मुश्किल होता है। अगर सीढ़ियाँ या गड्ढे आदि हों, तो चोट लगने का भी खतरा रहता है। अपनी रोज़ाना की सैर के लिए मैं यह नहीं जान पाता कि मुझे किस दिशा में चलना है। मुझे सही दिशा चुनने में अगर मदद मिले तो उसके बाद मैं खुद मैनेज कर पाता हूँ। मैं घर पर अपनी रोज़ाना की दिनचर्या से सहज हूँ और अपने सारे काम खुद ही करता हूँ। मैं क्लब जैसी जानी-पहचानी जगहों पर भी आसानी से जा सकता हूँ, जहाँ क्या कहाँ है, यह मुझे सब पता है।
पहले मैं अपनी इस विकलांगता के बारे में किसी को नहीं बताता था और कई लोगों को लगता था कि मैं बहुत घमंडी हूँ। अब मैं लोगों को बता देता हूँ कि मैं ठीक से देख नहीं सकता, इसलिए मैं उन्हें तब तक नहीं पहचान सकता जब तक वे बात न करें और मैं उनकी आवाज़ न पहचान लूँ।
भविष्य
मैं अपनी सीमाओं के साथ लगातार तालमेल बिठाते हुए अपना जीवन सबसे अच्छे तरीके से जी रहा हूँ। मैंने 2018 में रेलवे के बारे में “क्रॉसिंग द लाइन्स” नामक एक किताब प्रकाशित की और अब मैं अपनी दूसरी किताब लिख रहा हूँ। मैं 89 साल का हूँ, और मुझे उम्मीद है कि मेरी बाईं आँख अगले दशक तक काम करती रहेगी।
सलाह:
अपनी विकलांगता का बहादुरी और व्यावहारिक रूप से सामना करें। अपनी अन्य क्षमताओं का पूरा उपयोग करें।
Original in English: Living with Age Related Macular Degeneration
As told to Smita Vyas