Skip to main content
Submitted by PatientsEngage on 11 April 2023
Profile Picture of Shaila Bhagwat against a backdrop of an online video call and text overlay ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और थेरेपी एक वरदान

पुणे की शैला भागवत को पिछले कुछ वर्षों से पार्किंसंस रोग है। लेकिन कोविड  के कारण हुए लॉकडाउन और सामाजिक दूरी बनाए रखने के माहौल में उन्होंने ऑनलाइन थेरेपी सत्रों और वर्चुअल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करना शुरू किया, और उन्हें ये पसंद आया। वे साझा करती हैं कि कैसे उन्हें दोनों से लाभ हुआ। कोविड  के प्रतिबंधों में ढील के बाद भी उन्हें ये उपयोगी लग रहे हैं, और ये उनके लिए आकर्षक विकल्प हैं।

आपने ऑनलाइन थेरेपी के सत्र कब शुरू किए?

मैं बी.के. पारिख सपोर्ट ग्रुप की सदस्या हूं, जो पीडीएमडीएस (पार्किंसंस डिजीज एंड मूवमेंट डिसऑर्डर सोसाइटी), मुंबई का हिस्सा है, और पुणे के दीनानाथ अस्पताल में पार्किंसंस रोगियों के लिए पीडीएमडीएस का भी हिस्सा है। कोविड  के कारण जब लॉकडाउन की घोषणा की गई, तो पीडीएमडीएस ने मुंबई से मार्च 2020 के अंत से ऑनलाइन (ज़ूम) द्वारा काम करना शुरू कर दिया। पीडीएमडीएस के अब पूरे भारत में 61 केंद्रों हैं। मैं पार्किंसंस इंफॉर्मेशन एंड शेयरिंग ग्रुप का भी हिस्सा हूं, जो सदस्यों के बीच अनुभवों को साझा करने के अवसर, डॉक्टरों के लेक्चर, और साथ ही रचनात्मक गतिविधियों का आयोजन करता है।

शैला जी का पिछला साक्षात्कार पढ़ें: मैं शैय्याग्रस्त होने की अवस्था से बचने के लिए पूरा प्रयास कर रही हू

Read in English:  Moving To Online Platforms And Therapy For Parkinsons Has Been A Boon

शुरुआत  में आप इस ऑनलाइन माध्यम के साथ कितनी सहज थीं?

मुझे शुरु में कुछ परेशानियाँ तो हुईं। लेकिन जब भी कोई प्रॉब्लम हुई तो मेरे पति ने उसे हल करने में मेरी मदद की।

क्या आपको एडजस्ट करने में समय लगा?

शुरू में मुश्किल हुई, और हाँ, मुझे एडजस्ट करने में समय लगा। ऑनलाइन  प्लेटफॉर्म को इस्तेमाल कर पाने के अभ्यास के लिए कुछ वीडियो और पीडीएफ फाइलें भेजी गईं जिससे मदद मिली।

आपके अनुसार फिज़िकल थेरेपी और ऑनलाइन थेरेपी के बीच प्रमुख अंतर क्या थे?

मुझे फिजिकल इंटरेक्शन की आदत थी, इसलिए शुरू में मुझे फिजिकल थेरेपी की जरूरत महसूस हुई। लेकिन बहुत जल्द ही मुझे ऑनलाइन सेशन की आदत हो गई। फैसिलिटेटर हमारी कठिनाइयों को समझते थे और इसलिए उन्होंने शुरू में सेशन की गति धीरी रखी। वे हौसला-अफजाई करते थे। अधिकांश रोगियों की उम्र 70 और अधिक है और फसिलटैटर उनकी चुनौतियों को समझते थे। विभिन्न विषयों पर वेबिनार और यहां तक कि अन्य देशों से भाग लेने वालों के साथ बातचीत से मुझे बहुत लाभ मिला। साप्ताहिक सत्रों में पार्किंसंस रोगियों की समस्याओं से संबंधित विभिन्न विषय शामिल होते थे।

आपने फिज़िकल से ऑनलाइन थेरेपीके अंतर के साथ कैसे अजस्ट करा?

मैं समय के साथ इनकी आदी हो गई।

ऑनलाइन थेरेपी के इस्तेमाल में मुख्य चुनौतियाँ क्या हैं?

इंटरनेट कभी-कभी ठीक न चलना एक समस्या थी और मेरी टेक्नॉलजी की कम समझ भी प्रॉब्लम थी। लैपटॉप की तुलना में स्मार्टफोन पर अटेंड करना एक चुनौती है। चूंकि थेरपिस्ट को पीडी रोगियों की सुरक्षा को ध्यान में रखना होता है, इसलिए अधिकांश सत्रों में रोगी को बैठे रहना होता है। जब संतुलन बनाए रखने संबंधी अभ्यास किए जाते हैं, तो देखभाल करने वाले की उपस्थिति पर जोर दिया जाता है।

क्या आपको लॉकडाउन के दौरान फिजिकल सेशन का अभाव खटका? क्यों?

दोनों के अपने फायदे और नुकसान हैं। हम ऑनलाइन ग्रुप में सभी लोगों को नहीं देखते हैं और इसलिए बातचीत नहीं हो पाती। पर यह कमी हम व्हाट्सएप द्वारा अनुभव, टिप्स, जन्मदिन की बधाई आदि साझा करने से कुछ हद तर दूर कर पाते हैं। ऑनलाइन सत्रों में मेल-जोल की कमी है। पर साथ ही, ऑनलाइन सत्रों में आने-जाने के समय की बचत होती है, और महाराष्ट्र के विभिन्न शहरों से अधिक मरीज भी इन सत्रों में शामिल हो सकते हैं।

क्या आपको अपने ग्रुप में पहले जैसे दूसरों के साथ बातचीत कर पाने की कमी महसूस होती है? क्या ऑनलाइन सत्रों ने उस संबंध में मदद की है?

ऑनलाइन समूह के अन्य सदस्यों के साथ बातचीत नहीं हो पाती, और मुझे इस की कमी महसूस होती है। पर आंशिक रूप से व्हाट्सएप और कभी-कभी फोन पर जुड़कर कुछ हद तक बातचीत हो सकती है।

कृपया अपने ऑनलाइन थेरेपी सत्रों से कुछ किस्से साझा करें, जो ऐसी ही स्थिति वाले अन्य लोगों के लिए सहायक हो सकते हैं।

मुझे ऑनलाइन डांस थेरेपी के बारे में पता चला, और मैं 2021 मई  को इसमें शामिल हुई। कई पीडी रोगी इस थेरेपी का हिस्सा थे क्योंकि पीडी रोगियों के लिए डांस थेरेपी से चमत्कारिक सुधार हुआ  है। 2020 दिसंबर से 2021 मार्च तक मुझे कोरोना संक्रमण था जो मेरे लिए बहुत ही कठिन समय था, और उसके बाद डांस थेरेपी ने मुझे तेजी से ठीक होने में, और ऊर्जावान और खुश रहने में मेरी मदद की है।

मैं एक और पीडी शेयरिंग ग्रुप में शामिल हो गई हूं जो लॉकडाउन  के बाद से ऑनलाइन भी है। उन्होंने 20 अप्रैल, 2020 को जूम पर ट्रायल रन करा था और अब  महीने में दो बार ऑनलाइन मिलते हैं। दिलचस्प बात यह है कि वे वार्षिक दिवस समारोह, त्यौहार, जन्मदिन आदि सब मनाते हैं और यह लोगों के लिए अपनी रचनात्मकता प्रदर्शित करने का एक मंच है। उदाहरण के लिए फेविक्रिल कंपनी पेंटिंग वर्कशॉप आयोजित करती है जो मरीजों के लिए फायदेमंद होती है।

माई  लाफ्टर क्लब भी ऑनलाइन हो गया।

लॉकडाउन की अवधि अपने आप में एक सीखने का अनुभव था। इस के कारण विभिन्न ऑनलाइन मंच द्वारा रचनात्मकता दर्शाने के लिए और नई चीजें सीखने के लिए अनेक अवसर प्राप्त हो पाए हैं।

मैंने इन सभी गतिविधियों के कारण कोविड में भी कोई खास अकेलापन नहीं महसूस किया। मैं ऑनलाइन सत्रों को लॉकडाउन का सकारात्मक परिणाम मानती हूं।

क्या ऑनलाइन विकल्प अभी भी उपलब्ध है, या अब सभी सेवाओं और समर्थन के लिए पहले जैसे बाहर जाना होता है, या क्या अब दोनों तरह के (ऑनलाइन और इन-पर्स ) विकल्पों का मिश्रण है (हाइब्रिड)?

ऑनलाइन विकल्प अभी भी मौजूद हैं। बाहर के लिए तैयार होने और आने-जाने से मुझे थकान महसूस होती है, पर ऑनलाइन विकल्प में इसकी जरूरत नहीं होती इसलिए इनसे मैं थकान से बच जाती हूँ। लेकिन कुछ मौकों पर, जैसे कि पिछले 2 हफ्तों में, मैं बाहर जाने का विकल्प भी चुन रही हूँ। हम विश्व पार्किंसंस दिवस के कार्यक्रम के लिए अभ्यास कर रहे हैं। पुणे के निवासी ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से इसमें शामिल हो सकते हैं।

मेरे डांस ग्रुप के साथ भी ऐसा ही है। किसी भी कार्यक्रम की तैयारी के लिए अभ्यास अन्य लोगों के साथ करना होता है इसलिए मुझे बाहर जाना होता है। बाकी समय मैं ऑनलाइन कक्षा का इस्तेमाल करती हूँ। मुझे दोनों में आनंद आता है, क्योंकि लैपटॉप पर मैं 5 अन्य लोगों को देख सकती हूँ और इसलिए लैपटॉप पर भी एक समूह जैसा अनुभव होता है

यदि आपके पास विकल्प हो तो आपकी पहली पसंद क्या होती है? क्यों?

एक बार ऑनलाइन क्लासेज से परिचित होने के बाद मानो एक पूरा खजाना मिल गया है। विभिन्न वेबिनार से लाभान्वित होने के अलावा, मैंने यूट्यूब पर वारली पेंटिंग सीखी और अब मैं बॉटल पेंटिंग सीख रही हूं। इन से मेरे कंपन को कम करने में मदद मिली है।

इसके अलावा, मैंने दुर्लभ रोगों के संगठन (ORDI) द्वारा आयोजित रेस फॉर 7 में भाग लिया है, 3.5 किमी चली हूँ, और पार्किनसन के बारे में बात की है।

Condition