Skip to main content
Submitted by PatientsEngage on 3 June 2021

दीप्ति का परिवार, उसके माता-पिता सहित, एक साल से अधिक समय तक कोविड से सुरक्षित रहा पर फिर सब कुछ बदल गया। टीकाकरण करवाने के बावजूद, सावधान बरतने के बावजूद, उसके पिता, एक वरिष्ठ डॉक्टर और उसकी माँ को कोविड हुआ, और फिर परिवार के अन्य सदस्यों को भी कोविड हुआ। दीप्ति कोविड की इस दूसरी लहर और अपने चुनौतीपूर्ण अनुभव से क्या सीखा, यह साझा करती हैं।

जब हमारे देश में कोविड का एक साल पूरा हुआ तो मुझे और हमारे परिवार को सुरक्षित रखने के लिए मैंने अपने दिल की गहराइयों से भगवान को धन्यवाद दिया। हम उन कुछ परिवारों में से थे जो अभी भी दोस्तों के साथ मिल जुल नहीं रहे थे और सुरक्षित रहने के लिए पूरी सावधानी बरत रहे थे। मेरे माता-पिता 75 वर्ष के हैं और उनके लिये जोखिम अधिक है, इसलिए मैं बार-बार उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग (दो गज की दूरी) के महत्व पर जोर देती, ताकि वे कोविड के जाल में न पड़ें।

Read in English: My Family's Ordeal With COVID

मेरे पिता दिल्ली के अपोलो अस्पताल में सीनियर कंसलटेंट कार्डियोलॉजिस्ट (हृदय रोग विशेषज्ञ) हैं, लेकिन वे पूरे साल अपने अस्पताल की ओपीडी के लिए नहीं गए थे। माँ और उन्होंने कोविड के टीके के दोनों शॉट लेने के बाद ही उन्होंने अपनी ओपीडी में फिर से परामर्श (कन्सल्ट) करना उचित समझा।

उन्होंने 1 मार्च से ओपीडी करना शुरू किया था। 24-25 मार्च को मेरी माँ को बुखार होने लगा। यह बेचैनी के साथ हलके बुखार के रूप में शुरू हुआ। यह जानते हुए कि उन्हें टीका लगाया गया था, मेरे पिता ने कोविड होगा, यह ख़याल खारिज कर दिया और दोनों ने सोचा कि यह बदलते मौसम का बस एक वार्षिक प्रभाव है। 28 तारीख तक माँ के शरीर में अत्यधिक दर्द के साथ बुखार 102-103 तक बढ़ गया। इस समय तक पिता में भी ऐसे ही लक्षण दिखने लगे थे।

मेरे माता-पिता ने 28 तारीख को अपना टेस्ट करवाया। इस दौरान दोनों का ऑक्सीजन स्तर 97-98 रहा था और उन्हें उम्मीद थी कि यह मौसमी फ्लू ही होगा। 29 की सुबह उनके टेस्ट का रिजल्ट आया और दोनों कोविड पॉजिटिव थे। उन्होंने तुरंत अपोलो अस्पताल में बेड की उपलब्धता के बारे में पूछताछ की। एक मरीज को उसी दिन छुट्टी मिलने वाली थी, इसलिए मेरे माता-पिता ने जल्दी से अपना बैग पैक किया, नाश्ता करा और फटाफट अस्पताल पहुंचे - उन्हें अस्पताल पहुँचने की जल्दी थी इसलिए निकलने से पहले वे सिर्फ हल्का नाश्ता कर पाए (एक कटोरी सीरियल और दूध) ।

अस्पताल में कमरा खाली होने और उनके भर्ती होने का इंतजार काफी लंबा था। छह घंटे के इंतजार का उन पर काफी असर हुआ लेकिन अस्पताल के बेड की भारी कमी को देखते हुए, अब भी सोचते हैं तो यही लगता है कि अस्पताल जाने का यह फैसला उनके अच्छे फैसलों में से एक था। अगले दो दिनों में उनका तापमान सामान्य तक गिर गया और उनकी ऑक्सीजन संतृप्ति 95 के करीब रही। हालांकि वे अभी भी बहुत कमजोर थे, हमें उम्मीद थी कि उन्हें 31 मार्च या 1 अप्रैल तक अस्पताल से छुट्टी मिल जायेगी।

अचानक आईसीयू की जरूरत

बुधवार, 31 मार्च की भयानक रात को, मेरी माँ तड़के 3 बजे बाथरूम का उपयोग करने के लिए गयीं, लेकिन आधे रास्ते ही ऑक्सीजन कम होने के कारण वे गिर गयीं। उन्हें तुरंत आईसीयू ले जाया गया। कुछ ही घंटों के भीतर, उन्होंने पूरा वाक्य बोल पाने की ताकत भी खो दी थी। अगले 10 दिन उन्होंने शरीर में कोरोनावायरस के हानिकारक प्रभावों से जूझते हुए बिताए। मेरे माता-पिता को देश की सबसे अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं में से एक में भर्ती थे परन्तु फिर भी उन्होंने अत्यधिक काम में दबे कर्मचारियों और खचाखच भरे अस्पतालों के असर को महसूस किया। यहां तक कि पानी की एक घूंट के लिए भी मेरी मां को, सांस लेने की अपनी दिक्कतों के बावजूद, नर्स या हाउसकीपिंग को लगातार मिनटों या घंटों तक पुकारना पड़ता था। अगले कुछ दिन पूरे परिवार के लिए बेहद कठिन थे - हम उनके ठीक होने की प्रार्थना कर रहे थे, और वे लाचार और निराश पड़ी हुई थीं। शुक्र है मेरे पिता बिना किसी गंभीर लक्षणों के सामान्य कोविड वार्ड में ठीक हो रहे थे, पर मेरी मां की रिकवरी बहुत धीमी थी। उनके लिए आवश्यक सभी दवाएं आसानी से उपलब्ध थीं और समय पर दी जा रही थीं। फिर भी, हम सभी असहनीय तनाव से गुजर रहे थे। मैं उन परिवारों की दुर्दशा की कल्पना भी नहीं कर सकती जो इस तरह के संकट के समय में अपने प्रिय परिवार के सदस्यों के लिए ऑक्सीजन या यहां तक कि निर्धारित दवाएं पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

आईसीयू में 12-13 दिनों के बाद जब मेरी मां सामान्य कोविड वार्ड में वापस आईं, तो उनके शरीर में ताकत नहीं बची थी और उनका वजन भी बहुत गिर गया था। हालांकि वे लगभग 9-10 लीटर ऑक्सीजन पर अपेक्षाकृत स्थिर थीं, अब वे एक दूसरों पर निर्भर रोगी थीं जिन्हें चौबीसों घंटे अपने भोजन के लिए या बाथरूम जाने के लिए देखभाल कर्ता की आवश्यकता थी। वार्ड में 4-5 दिनों के बाद, हमें खुशी हुई कि वे 'रेड-अलर्ट' के डरावने चरण से बाहर आ गए थीं और हम यह उम्मीद कर रहे थे कि यह अत्यंत बुरा दौर अब हमारे पीछे है।

घर पर देखभाल के माहौल की स्थापना

18 अप्रैल को मेरे माता-पिता को एक पड़ोसी से पता चला कि उनके घर का मुख्य दरवाजा खुला था, घर पर चोरी हुई थी और चोरों ने घर में बुरी तरह से तोड़फोड़ भी की थी। यह जान कर अत्यंत चिंता की स्थिति में, मेरी माँ ने घर जाने की जिद्द की - उन्होंने कहा कि मरना ही है तो वे अपने घर में ही मरना चाहती हैं। उन्होंने अस्पताल से अर्ली डिस्चार्ज (जल्दी छुट्टी) लिया और 19 तारीख को घर पहुंचे।

मेरे पिता का कोविड के विरुद्ध अपना अगला अध्याय एक बहुत चुनौतीपूर्ण तरह से शुरू हुआ - घर पूरी तरह से अस्त-व्यस्त था, पत्नी ऐसे एम्बुलेंस में थीं जिसमें ऑक्सीजन सपोर्ट नहीं था, घर पर खाना पानी और यहाँ तक की हवा (वास्तव मैं!) का कोई साधन नहीं था। पिता ने यह विश्वास बनाए रखा कि भगवान सब ठीक कर देंगे।

मेरे पिताजी ने माँ को गेट पर एम्बुलेंस में तब तक रखा, जब तक वे एक दोस्त की मदद से ऑक्सीजन कांसन्ट्रेटर की व्यवस्था करने में कामयाब नहीं हुए । इस में करीब 5 घंटे लगे। उन्होंने बेडसाइड पेशेंट टॉयलेट सीट की भी व्यवस्था की। उनका बेडरूम तो चोरों ने बुरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया था और उसे साफ़ करना संभव नहीं था इसलिए उन्होंने मेहमानों के कमरे ( गेस्ट रूम) को किसी तरह से खाली करा। इस सब के बाद ही वे माँ को घर के अन्दर ले गए। अब ऑक्सीजन कांसन्ट्रेटर और बेडसाइड टॉयलेट ही उनके स्थिति से जूझने के लिए लाइफलाइन थे।

कोविड का डर

मैं मुंबई में रहती हूँ। देहली जाने की अपनी यात्रा के लिए, मैंने अपना आरटी-पीसीआर करवाया, अपना बैग पैक किया और 21 अप्रैल की सुबह के लिए अपने टिकट बुक किए और मदद के लिए पहुँची। तब तक, उन्होंने खाने के प्रबंध के लिए मेरी एक आंटी द्वारा भेजे गए भोजन को और 2 टिफिन सेवाओं को आजमाया, लेकिन कोई भी इंतज़ाम ऐसा नहीं निकला जिस में खाना उनके लायक हो। उन्हें सादा, ताजा पके हुए भोजन की जरूरत थी। हमने महसूस किया कि इस लहर में लोगों में कोविड का डर कितना गहरा बैठा हुआ था। पड़ोसियों से लेकर माली तक, हाउस हेल्प से लेकर कार वॉशर तक, कोई भी मदद करने के लिए नहीं आया, सब ने कहा "सॉरी, इस घर में कोविड है"। मैं देख रही थी कि मेरे पिताजी पहले से ही कोविड के साथ इस संघर्ष से बहुत थक चुके थे, और दिन-रात मेरी माँ की देखभाल करना उनके स्वास्थ्य पर बहुत भारी पड़ रहा था।

अगले कुछ दिनों के लिए, मैंने खाना पकाने, सफाई करने, झाडू लगाने, धूल झाड़ने, बर्तन धोने, कपड़े धोने, बागवानी करने और व्यावहारिक रूप से बाकी सब कुछ संभाला ताकि मेरे माता-पिता अपने ठीक होने पर ध्यान केंद्रित कर सकें। घर की सफाई केवल सामान्य रोजमर्रा वाली सफाई नहीं थी, मुझे चोरों द्वारा अस्त-व्यस्त और तोड़-फोड़ वाले कमरों को ठीक करना था - चीजों को वापस ठीक जगह रखना, फर्श पर पड़े कपड़ों के ढेर को धोना, घर भर में जमा धुल की मोटी परतों को साफ़ करना, यह सभी काम करना था।

मेरे पिताजी ने मेरी माँ के लिए एक डॉक्टर, नर्स, परिचारक और साथी की भूमिका निभाई। उन्हें खाना खिलाना, दवाएँ देना, शौचालय के लिए मदद करना, और साथ ही माँ के ऑक्सीजन, रक्त शर्करा, हृदय गति की निगरानी रखना - उन्होंने यह सब किया। एक डॉक्टर होने के नाते, वे यह सब करने में सक्षम थे। मैं कल्पना भी नहीं सकती कि जिन परिवारों में कोई डॉक्टर या स्वास्थ्य कर्मचारी नहीं है, वे परिवार बिना चिकित्सीय सहायता के घर पर कोविड से ठीक हो रहे व्यक्ति की देखभाल कैसे कर पाते हैं।

मेरे पति और बच्चों की कोविड गाथा

अगले 10 दिनों में मेरी माँ की ऑक्सीजन की आवश्यकता 4-5 लीटर प्रतिदिन से घट कर दिन में एक या दो बार 1 लीटर हो गई। 1 मई बिना ऑक्सीजन के उनका पहला दिन था। मदद के साथ अब वे कुछ कदम भी चल पा रही थीं। लग रहा था कि अब स्थिति में सुधार हो रहा है। उस शाम मुझे मुंबई में अपने पति से पता चला कि उनका कोविड का टेस्ट पॉजिटिव आया है। उन्होंने तुरंत मेरठ में अपने सहपाठी, एक कोविड विशेषज्ञ से परामर्श किया और बेसिक दवाओं को शुरू कर दिया। इसके अलावा उन्होंने खुद को एक कमरे में अलग कर लिया था, और मेरे बच्चे (उम्र 8 साल और 12 साल) बाहर वाले कमरों में एक नई फुल-टाइम काम करने वाली की देखरेख में रह रहे थे। अब तक वे मेरे बिना काम चला रहे थे क्योंकि वे बच्चों को व्यस्त रख रहे थे, एक कमरे से घर चला रहे थे और हमारे बिल्डिंग काम्प्लेक्स में घर से खाना बनाकर भेजने वालों से खाना मंगवा रहे थे। हालाँकि मेरे पति मुझे आश्वासन देते रहे, मैं चिंतित थी कि अब मेरे पति की आइसोलेशन वाली स्थिति में सब कुछ कैसे संभालेंगे। मैं अभी भी अपने माता-पिता के घर पर किसी सहायक को नियुक्त नहीं कर पाई थी इसलिए उन्हें उस स्थिति में नहीं छोड़ सकती थी। भगवान की कृपा से एक महिला 2 मई को काम पर बात करने आई और 3 मई को उसने घर की साधारण सफाई और बर्तन साफ़ करने का काम शुरू कर दिया। मैं 2 मई को एक वक्त आकर खाना बनाने के लिए एक कुक का भी इंतज़ाम कर पाई। 4 मई तक मेरी माँ के स्वास्थ्य में और सुधार हुआ और वे बिना सहारे के कुछ दूरी तक चल पा रही थीं। मैंने अब उन्हें उनके बेडरूम में स्थानांतरित कर दिया जहां वे अधिक आराम से रह सकती थीं। अब तक मुंबई में मेरी बेटी को भी कुछ लक्षणों की शिकायत होने लगी थी। इसने मुझे और अधिक चिंतित कर दिया। मैंने बच्चों के डॉक्टर (एक बाल रोग विशेषज्ञ) से संपर्क किया और उनकी सलाह से बच्चों को कुछ बेसिक सप्प्लीमेंट्स दिलवाना शुरू कर दिया। अब समय था मेरे एक और आरटी-पीसीआर टेस्ट का और मुंबई की उड़ान के टिकट बुक करने का। शुक्र है कि मेरी आरटी-पीसीआर की रिपोर्ट नेगेटिव आई और मैं 6 मई को वापस मुंबई आ गयी। तब तक मेरे दोनों बच्चों और सहायक का भी परीक्षण हो चूका था और दोनों बच्चे कोविड पॉजिटिव थे।

जब मैं घर पहुँची, तो मैंने अपने पति और बच्चों को घर के एक हिस्से में अलग कर दिया, और अपने रहने के लिए अतिथि कक्ष चुना (शुक्र है घर में मेहमानों के लिए एक अलग कमरा था!) शुक्र है कि मेरी बेटी की तबीयत अधिक नहीं बिगड़ी और दोनों बच्चे कुछ ही दिनों में बिल्कुल ठीक हो गए। मेरे पति के लक्षण हल्के थे और वे इस हलके स्तर पर ही बने रहे और ये लक्षण भी धीरे-धीरे कम हो गए।

इन कोविड अनुभव से कुछ सीख

वैक्सीन आपकी रक्षा कर सकते हैं लेकिन सिर्फ कुछ हद तक। अगर आपको कोविड के लक्षण दिखें तो उन्हें गंभीरता से लें। कोविड रोगी में ऑक्सीजन का स्तर छटे या सातवें दिन तक शायद न गिरे। इसलिए अपनी बीमारी को हल्के में न लें, शांत रहें लेकिन डॉक्टरी सलाह जरूर लेते रहें। बेहतर है कि वरिष्ठ नागरिकों को (यदि संभव हो) अस्पताल में भर्ती करें जिस से उन की निगरानी अच्छी रहे। यह जानें कि यदि आप कोविड पॉजिटिव हों तो किस से संपर्क कर सकते हैं - अपने डॉक्टर को बता दें कि ऐसी स्थिति के लिए वे आपकी 'टू कॉल' सूची में हैं। कुछ आपातकालीन नंबर आसानी से उपलब्ध रहें, ऐसे रखे - दोस्त, परिवार, पड़ोसी - ऐसे कोई भी लोग जो जरूरत होने पर कुछ सहायता कर पायेंगे - एक आंटी रोज अपने ड्राइवर को मेरे माता-पिता के घर भेजती थीं ताकि हम जरूरी किराने का सामान ले पायें, और इस से हमें बहुत मदद मिली थी। यदि आप अस्पताल से डिस्चार्ज लेने की सोच रहे हैं, तो घर पर देखभाल के लिए पहले से इंतजाम करें - नर्स, बेडसाइड टॉयलेट सीट, सेलाइन ड्रिप के लिए स्टैंड और उपकरण और ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर जैसी बुनियादी चीजों की व्यवस्था करें। मैंने बहुत से ऐसे केस के बारे में सुना है जहां रोगी की हालत बिगड़ने और चिकित्सा सहायता की कमी के कारण रोगी को फिर से अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है। कोविड दूसरों को कैसे लगता है और बीमारी की किस अवस्था में एक व्यक्ति से दूसरे तक फैल सकता है, इस बारे में अपने सहायकों को शिक्षित करें। बीमारी का खौफ इतना फैल चुका है कि निगेटिव रिपोर्ट आने के बाद भी आधे काम करने वाले उस घर में हफ्तों तक काम करने से डरते हैं। मेरे जाने के बाद हालांकि मेरे पति घर से काम (वर्क फ्रॉम होम) कर रहे थे, वे एक दिन ऑफिस गए थे और कुछ जरूरी राशन लेने हमारे बिल्डिंग कोम्प्लेस के अन्दर भी निकले थे। आप अपने परिवार को कितना भी सुरक्षित क्यों न रखें, वह एक आउटिंग, या वह एक पार्टी या वह एक मेल-जोल का मौका संक्रमित होने के लिए पर्याप्त है। बच्चों में कोविड आमतौर पर बिना लक्षण वाला या हलके लक्षण वाला होता है लेकिन उन्हें तबीयत कुछ खराब है, या भूख ठीक नहीं लगने का एहसास हो सकता है। सुनिश्चित करें कि उन्हें तरल पदार्थ ठीक मात्रा में मिल रहे हैं और वे नियमित रूप से सांस के व्यायाम कर रहे हैं। अंततः, अपने मास्क पहनें, सोशल डिस्टेंस बनाए रखें और सुरक्षित रहें!