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Submitted by PatientsEngage on 13 January 2020

एक प्रकाशित ओवेरियन (अंडाशयी) कैंसर की योद्धा, कामिनी प्रधान के शब्दों में

कैंसर के रोगी के इलाज में परिवार और दोस्तों की प्रमुख भूमिका होती है। ऐसे रोगियों की सहायता निम्नलिखित तरीकों से की जा सकती है: -

मानसिक / भावनात्मक समर्थन

1.   स्वीकृति - अस्वीकृति से बचें। बीमारी का व्यक्ति पर क्या असर हो रहा है, इस को जानें और समझें ताकि इलाज प्रक्रिया में आप रोगी के मददगार बन सकें।

2.   सकारात्मकता - याद रखें कि इस बीमारी में आपको को पूरी तरह से सकारात्मक रहना होगा और रोगी को भी सकारात्मक रखना होगा। आपको यह विश्वास रखना होगा कि सब ठीक हो जाएगा। किसी भी तरह की नकारात्मकता से दूर रहें।

3.   सामान्य इलाज - रोगी का ज्यादा से ज्यादा ध्यान रखें परन्तु उनकी आदतें न बिगड़ने दें । उन्हें ऐसे काम करने दें जो वे सहजता से कर सकते हैं। उन्हें यह महसूस न होने दें कि वे किसी पर बोझ हैं।

4.   प्यार और देखभाल - रोगी को हर तरह से अपना समर्थन दें। उन्हें महसूस होना चाहिए कि उन्हें प्यार की कमी नहीं है और इस बीमारी से उन्हें अकेले मुकाबला नहीं करना है। रोगी को ज्यादा से ज्यादा प्यार और स्नेह दें और उनकी अच्छे से देखभाल करें।

5.   प्रसन्नचित्त - रोगी को हर समय प्रसन्नचित्त रहना चाहिए। मनोरंजक फिल्में देखनी चाहिए, सकारात्मक किताबें पढ़नी चाहिए, अच्छी कम्पनी रखनी चाहिए और अच्छे मूड में रहना चाहिए। हँसी ही सबसे अच्छी दवा है।

भौतिक समर्थन

1.   साफ-सफाई - रोगी को हर समय साफ-सुथरा रहना चाहिए। न केवल रोगी, बल्कि परिचारक और परिवेश को भी बिल्कुल साफ और संक्रमण-मुक्त रखा जाना चाहिए। याद रखें कि रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली (immunity level) बेहद कमजोर होती है।

2.   पानी - ध्यान रखें कि रोगी दिन में कम से कम 3 से 4 लीटर तरल पदार्थ पिए ताकि विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकाला जा सके। भारत में बोतलबंद पानी पर भरोसा नहीं किया जा सकता है और फ़िल्टर किया हुआ पानी थोड़ी देर के बाद अशुद्ध हो जाता है। इसलिए उबला हुआ पानी सबसे सुरक्षित और पीने के लिए सबसे उपयुक्त होता है।

3.   दवा – रोगी को सही समय पर सभी दवाएं और इंजेक्शन दिए जाने चाहिए। दरअसल सही समय पर दवा देना इसलिए जरूरी है क्योंकि कई दवाओं का सेवन निर्धारित समय सीमा के भीतर न करने पर वे अपना प्रभाव खो देती हैं।

4.   आहार - अनेक परन्तु छोटे-छोटे पौष्टिक भोजन देना सबसे उचित होता है। रोगी को ठूस-ठूस कर खिलाने की कोशिश न करें क्योंकि वैसे भी उपचार के कारण उनकी भूख कम हो जाती है। खाने के प्रति रुचि पैदा करने के लिए उन्हें अलग-अलग तरह के व्यंजन दें। भोजन ताजा और घर का बना होना चाहिए और स्वच्छता से बनाया एवं परोसा जाना चाहिए। खाना परोसने के बर्तन और छुरी-कांटे-चम्मच गर्म पानी से जरूर धोए जाने चाहिए। फलों को अच्छी तरह से धोना चाहिए और ठीक से छीलना चाहिए (सामान्य से अधिक छीलें)।

5.   गतिविधि - रोगी को सैर के लिए ले जाएं और उन्हें उनकी कुछ पसंदीदा हल्की शारीरिक गतिविधियों में शामिल करें।

6.   मेहमान - रोगी को तय करने दें कि वे किससे मिलना चाहते हैं। सर्दी / खांसी / बुखार से पीड़ित किसी भी व्यक्ति को रोगी के करीब न जाने दें। बाहर और घर के लिए अलग जूते-चप्पल रखें। रोगी के कमरे में प्रवेश करने से पहले मेहमानों के साथ-साथ घरवालों को भी जूते बदलने चाहिए। रोगी को फूलों से दूर रखें क्योंकि फूल संक्रमण का एक स्रोत हो सकते हैं। अनचाहे मेहमानों को बाहर रखें - चाहे इसके लिए आपको उनके साथ सख्ती से ही पेश क्यों न आना पड़े।

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