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Submitted by PatientsEngage on 11 September 2021
Stage 4 Lung cancer survivor sitting on the rocks in a green t-shirt and jeans

रामकी श्रीनिवासन को 2017 में स्टेज IV फेफड़ों के कैंसर का निदान मिला था। प्रारंभिक ब्रेन रेडिएशन (मस्तिष्क में विकिरण) और लक्षित चिकित्सा के साथ, उन्होंने उपचार और स्वास्थ्य की पुनर्प्राप्ति के लिए योग की भावना और अभ्यासों को दिल खोल कर अपनाया। इस लेख में वे कैंसर प्रबंधन में योग की विशाल क्षमता की वकालत करते हैं।

मैं एक अत्युसाही वन्यजीव फोटोग्राफर (वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर) और मुझे संरक्षणवाद का जुनून है । मैं अपना समय ज्यादातर बाहर जंगल में बिताता हूं।

सिक्किम का ट्रेक

साल 2017 मेरे लिए एक जीवन बदलने वाला साल था। नवंबर में, मैं सिक्किम के पहाड़ी क्षेत्र में लाल पांडा (राज्य का एक अत्यधिक लुप्तप्राय पशु) को ट्रैक करने के लिए अकेले यात्रा पर गया था। इस में मुझे ऊंचाई वाले इलाकों को कम ऑक्सीजन और भारी उपकरणों के साथ पार करना था। ठंड अभी शुरू ही हुई थी। मैं भारत के सबसे खूबसूरत स्थानों में से एक में था और मेरा मानसिक फ्रेम आनंदमय था। अपना काम पूरा करने के बाद मैं अपने शहर बंगलौर लौट रहा था।

Read in English: Yoga supported my stage 4 lung cancer treatment and recovery

जब मैं वापस आया, तो मुझे लगा कि कोई छोटी-मोटी बात मुझे परेशान कर रही है। तकलीफ क्या है, मैं वास्तव में उस पर उंगली नहीं रख पा रहा था। मुझे लगा कि मुझे गले में थोड़ी बेचैनी महसूस हो रही है, हालांकि मुझे खांसी नहीं थी। मैं करीब के ईएनटी के पास गया। उसने मेरे गले और छाती की जाँच की, लेकिन उसे कुछ भी समस्या नहीं मिली। चूंकि मैं लंबे अरसे से बाहर का खाना खा रहा था, इसलिए उसे पेट की समस्या का संदेह हुआ, और उसने एंटासिड का पांच दिन का कोर्स निर्धारित किया। मैंने दवा ली लेकिन कोई आराम नहीं मिला।

फेफड़ों के कैंसर का आश्चर्यजनक निदान

उस समय मुझे अन्य शारीरिक असुविधाएं भी थीं जिन पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता थी। चढ़ाई और ट्रेकिंग से मेरे घुटने पर स्ट्रेन पड़ाथा जिसे पहले ठीक करना था। मैंने मणिपाल अस्पताल में फिजियोथेरेपी सत्रों के लिए अपॉइंटमेंट बुक किया। ऐसे एक सत्र के बाद, और एक अन्य ईएनटी परामर्श के बाद, मुझे सुझाव मिला कि मैं अपने गले के मुद्दे के लिए पास के ही, उसी कॉरिडोर में मौजूद पल्मोनोलॉजिस्ट से मिल सकता हूं। पल्मोनोलॉजिस्ट ने छाती का एक्स-रे करवाने को कहा। जब रिपोर्ट आई तो मेरे दाहिने फेफड़े में कुछ असामान्य धुंधलापन दिखाई दिए। मुझे स्पष्ट शब्दों में बताया गया, "आप दो दिशाओं में से एक में जा सकते हैं: एक टीबी है और दूसरा ओन्को (कैंसर) है।"

एक बायोप्सी से जल्द ही एडेनोकार्सिनोमा का पता चला और मुझे पीईटी स्कैन करवाने की सलाह दी गई। पीईटी की रिपोर्ट डरावनी थी। मुझे स्टेज 4 फेफड़े के कैंसर का निदान मिला। कैंसर शरीर के कई प्रमुख हिस्सों में फैल चुका था (मेटास्टेसाइज हो चुका था)।  मेरे कॉलर बोन में कुछ लिम्फ नोड्स ठीक काम नहीं कर रहे थे, जिन्हें मैंने पहले नज़रअंदाज कर दिया था। और मेरे मस्तिष्क में एक दर्जन से ज्यादा लीश़न (घाव) थे। मैं अपनी किसी भी यात्रा के दौरान  आसानी से मर सकता था!

निदान पूर्णतया अप्रत्याशित था। कहाँ एक दिन मैं सिक्किम में जंगल में आनंदपूर्वक घूम रहा था, और बस उस के कुछ ही दिनों बाद मुझे पता चला कि मुझे खतरनाक और संभावित जानलेवा फेफड़ों का कैंसर है।

सबसे घबराने वाली बात यह थी कि मुझे इस समस्या का कोई सुराग नहीं था, कोई लक्षण नहीं था। यह एक विसंगति थी क्योंकि मैं जीवन भर एक अत्यंत स्वस्थ व्यक्ति रहा हूं। मुझे कभी भी स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या नहीं हुई थी। अपने 45 वर्षों के जीवन काल में मुझे ऐसा याद नहीं कि मैंने पहले कभी कोई रक्त परीक्षण भी करवाया हो। इस निदान ने मुझे इसलिए भी चौंकाया क्योंकि मैं अपने शारीरिक स्थिति और आहार संबंधी आदतों के प्रति काफी सचेत हूं। मैं वन्यजीव उत्साही होने के अलावा एक उत्साही योग अभ्यासी और एक धावक भी था। मैं पिछले दस वर्षों से एक कट्टर वीगन शाकाहारी हूँ (ऐसा कट्टर शाकाहारी जो दुग्ध पदार्थ, शहद, या ऐसे कोई खाद्य पदार्थ नहीं लेता जो किसी भी प्राणी से आते हैं)। मैं धूम्रपान नहीं करता हूँ। लेकिन मुझे अपने शरीर की स्थिति  के बारे में अधिक जागरूकता रहती है और इसलिए शायद अस्पष्ट लक्षणों के आधार पर मैं भांप पाया कि कुछ गड़बड़ है और मैं उसकी जाँच करा पाया। यह सब टेस्ट और चेक-अप मैं एक प्रकार की स्तब्धता की हालत में करवा रहा था - मैं अपने दिमाग में यह नहीं बिठा पा रहा था कि मेरे साथ क्या हो रहा है।

रेडिएशन थेरेपी (विकिरण उपचार)

मुझे अपने मस्तिष्क के लीशन की समस्या पर जल्द से जल्द कार्यवाही करवानी थी। ऑन्कोलॉजिस्ट ने मेरी रिपोर्ट देखने के अगले दिन ही रेडिएशन थेरेपी शुरू कर दी। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण हस्तक्षेप था क्योंकि लीशन मेरे पूरे मस्तिष्क में फैले हुए थे। मुझे किसी भी समय मस्तिष्क संबंधी दुष्प्रभाव हो सकते थे, लेकिन यह आश्चर्य था कि मैं पूरी तरह से लक्षणों से मुक्त था। मुझे कोई सिरदर्द नहीं था, कोई मितली नहीं थी, कोई सीज़र नहीं हे, कोई सुन्नता और दृष्टि में परिवर्तन नहीं था।

आरओएस1 फेफड़े का कैंसर

जब मेरा 10 दिन का रेडिएशन चल रहा था, हमने अस्पताल से अनुरोध किया कि आगे के निदान और उपचार में सहायता के लिए मेरे टिशू सैंपल (कंधे के लिम्फ नोड से एक छोटी सर्जरी करके निकाला गया सैंपल) अमेरिका के फाउंडेशनवन भेजा जाए ताकि वे उसमें म्युटेशन मार्कर के लिए चेक करें - यह जानकारी आगे के उपचार में आहूत सहायक हो सकती थी। यह एक महत्वपूर्ण कदम है और मैं सभी रोगियों को अपने ऑन्कोलॉजिस्ट के साथ इस विकल्प पर चर्चा करने की सलाह दूंगा। यह आपके ट्यूमर के डीएनए में कैंसर से संबंधित म्युटेशन के लिए 324 जीन की खोज करने के लिए सीजीपी (कॉमप्रिहेंसिव जीनोमिक प्रोफाइलिंग) का उपयोग करता है ताकि यह पहचानने में मदद मिल सके कि क्या कोई लक्षित चिकित्सा, इम्यूनोथेरेपी और नैदानिक परीक्षण विकल्प हैं जो आपके लिए सही हो सकते हैं। यह समझना वास्तव में फायदेमंद है कि आगे कौन सी विशिष्ट बीमारी और उपचार के विकल्प उपलब्ध हैं।

बायोमार्कर या जेनेटिक मेकअप परीक्षण ने मेरे फेफड़ों के कैंसर को आरओएस1 पॉजिटिव बताया। आरओएस1 एक दुर्लभ प्रकार का नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (एनएससीएलसी) है जो एक दोषपूर्ण जीन के कारण होता है और कई तरह से एएलके पॉजिटिव लंग कैंसर से संबंधित होता है। यह आक्रामक प्रकार का कैंसर है, आमतौर पर मस्तिष्क में फैलता है, और आमतौर पर इसका निदान उन्नत चरण में ही हो पाता है - यह सब मेरे मामले में सच था।

खुशी की बात यह थी कि आरओएस1 का पता लगने पर मैं तुरंत लक्षित चिकित्सा शुरू कर सकता था। डॉ. अमित रौथन (मणिपाल के मेडिकल ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट में एचओडी और कंसलटेंट) ने मेरे उपचार के लिए क्रिज़ोटिनिब की दो गोलियां रोज़ (एक लक्षित चिकित्सा उपचार) निर्धारित करीं। मुझे किसी तरह की कीमोथेरेपी या सर्जरी नहीं करवानी पड़ी, जो एक तरह से राहत की बात थी।

कैंसर के लिए योग द्वारा पुनर्वास

कैंसर से पीड़ित मरीजों को जल्द से जल्द ठीक होने के लिए अपने रिकवरी के तरीकों में योग को शामिल करना चाहिए। योग को सिर्फ एक 'फील गुड'  तरीका नहीं मानना चाहिए - बल्कि यह मन और शरीर में संतुलन लाकर उपचार में शक्तिशाली सहायता करता है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि कैंसर के लिए एकीकृत चिकित्सा विश्व स्तर पर मुख्यधारा बन रही है। इस क्षेत्र में अग्रणी है टेक्सास का एमडी एंडरसन सेंटर जो दुनिया का सबसे बड़ा कैंसर अस्पतालों में से एक है।

और इसलिए मैंने योग थेरेपी शुरू की - बड़े पैमाने पर।

मैं हमेशा से योग का उत्साही छात्र रहा हूं और मुझे इसके विविध लाभों और वैज्ञानिक ढांचे बहुत पसंद हैं। 2017 से पहले, मैं सप्ताह में तीन बार योग का अभ्यास करता था, और अभ्यास का हर सत्र डेढ़ घंटे का होता था। लेकिन कैंसर रिहैबिलिटेशन के दौरान मैं हर दिन तीन बार - सुबह, दोपहर और शाम - को योग कर रहा था। यह काफी कड़ी मेहनत थी। और मुझे कहना होगा कि इसने मेरे ठीक होने में सर्वोपरि भूमिका निभाई। मैं अब इसके सिद्धांतों और ज्ञान में और भी अधिक दृढ़ विश्वास करने लगा हूं।

एक व्यक्ति जो मेरे कैंसर के कठोर मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक और शारीरिक प्रभाव से मुझे बचाने में काफी हद तक सहायक रहे हैं वे हैं मेरे योग गुरु और डॉक्टर, डॉ नवीन विश्वेश्वरैया, जो एक इंटीग्रेटिव मेडिसिन डॉक्टर और योग शोधकर्ता हैं। उसने मेरे लिए कैंसर होने के झटका को काफी कम करा। चूंकि वे अस्पताल से जुड़े हुए थे, उन्होंने ही मुझे यह खबर दी कि मेरा कैंसर  स्टेज 4  है - फेफड़ों के कैंसर का सबसे उन्नत चरण। मुझे याद है कि खबर देने के बाद वे कुछ देर रुके, और फिर उन्होंने एक वाक्य जोड़ा: 'और - कोई स्टेज 5 नहीं होता है।' उस समय, मुझे कुछ सुराग नहीं था कि ये स्टेज क्या होते हैं। अपने पूरे 45 वर्षों में मैं अपने वन्यजीवों संबंधी काम में खुश रहा, चिकित्सा की कठिनाइयों से बेखबर। जब आप एक भयानक रिपोर्ट लिए एक डायग्नोस्टिक सेंटर या अस्पताल से बाहर निकलते हैं, तो आपको इस चक्रव्यूह/ भूलभुलइये से निकलने के मार्गदर्शन के लिए किसी की आवश्यकता होती है। आपके कोई ऐसा साथ में चाहिए जो जानकार भी हो और सहानुभूति भी रखता हो। इसलिए मैंने पूरी तरह से डॉ नवीन के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।

उन्होंने कहा कि हम आज से ही इस पर काम करना शुरू कर देंगे। रेडिएशन के ठीक अगले दिन से ही मैंने योग का अनुशासित कार्यक्रम शुरू किया। मैं श्वास, मन ध्वनि अनुनाद (माइंड साउंड रेजोनेंस), प्राणिक ऊर्जा उपचार और ध्यान, और रिलैक्सेशन की बहुत सारी तकनीकें अपनाईं।

मैं मुंगेर के बिहार स्कूल ऑफ योग में स्थित डॉ.स्वामी निर्मलानंद द्वारा लिखित पुस्तक 'योगिक मैनेजमेंट ऑफ कैंसर' से भी बहुत प्रभावित था। पुस्तक कैंसर और उसके कारणों को व्यावहारिक तरीके से आधुनिक वैज्ञानिक समझ और योग और आध्यात्मिक दृष्टिकोण की मदद से समझाती है। मैंने बिहार स्कूल ऑफ योग के कुछ रिलैक्सेशन और मैडिटेशन के सिद्धांतों को अपनाया जो बहुत फायदेमंद साबित हुए - जैसे योगनिद्रा, अंतरमौन, आदि।

मुझे लगता है कि चूंकि योग इतना समग्र, एकीकृत और बहु-विषयक है, इसमें उपचार और उसकी सहायता के लिए अमूल्य और अथाह क्षमता है। इसे निश्चित रूप से आधुनिक चिकित्सा मान्यताओं और प्रथाओं के साथ घनिष्ठ रूप से आत्मसात और एकीकृत किया जाना चाहिए।

संबंधित लेख: कैंसर रोगियों और उत्तरजीवियों के जीवन की गुणवत्ता के लिए योग

लोरेंजो कोहेन और एलिसन जेफरीज की एक बहुत ही उपयोगी गाइड बुक है 'एंटीकैंसर लिविंग: ट्रांसफॉर्म योर लाइफ एंड हेल्थ विद द मिक्स ऑफ सिक्स'। मैं रोगियों से उपचार में तेजी लाने के लिए इस पुस्तक में सुझाई गई जीवन शैली को अपनाने का दृढ़ता से आग्रह करता हूं।

देखभाल करना

कैंसर से पीड़ित व्यक्ति की देखभाल करना भावनात्मक और शारीरिक रूप से कठिन हो सकता है। पर देखभाल में ऐसे क्षण भी हो सकते हैं जो सुकून, संतोष और आनंद दें। आमतौर पर, देखभालकर्ता कैंसर से पीड़ित व्यक्ति का जीवनसाथी या परिवार का करीबी सदस्य होता है और मैं बहुत भाग्यशाली था कि मेरी पत्नी स्वर्णा मेरी प्राथमिक देखभालकर्ता थी। उसने बहुत सी चीजों का ध्यान रखा, खासकर शुरुआती दौर में जब ये इलाज और ठीक होने के लिए महत्वपूर्ण थीं। पेश हैं चीजों की उस लंबी सूची में से कुछ चीज़ें जिन्हें संभालने में वह कामयाब रही:

  • इलाज के लिए एक स्पष्ट रास्ता तय करना - डॉक्टरों और गैर-डॉक्टरों की अलग अलग राय को देखते हुए यह मुश्किल हो सकता है
  • रोगी की निगरानी और उसे आराम प्रदान करने का प्रबंधन
  • चिकित्सा देखभाल में निरंतर सहायता
  • वित्तीय और बीमा मुद्दों को देखना
  • रोगी और स्वास्थ्य देखभाल टीम के बीच लगातार संवाद स्थापित रखना, और साथ-साथ शुभचिंतकों को भी खबर देते रहना।

“वाइल्डलाइफ फॉर कैंसर” पहल

इलाज के लिए अस्पतालों में अन्दर बाहर जाते रहने के समय, मैंने एक क्रूर वास्तविकता का सामना करा - कैंसर एक सार्वभौमिक बीमारी है, लेकिन सभी इसके इलाज का खर्च नहीं उठा सकते है। कुछ लोग निदान का खर्चा भी नहीं उठा सकते हैं, इलाज शुरू करने की बात तो छोड़िये! मुझे लगा कि मैं इस वास्तविकता को बदलने के लिए कुछ करना चाहता हूं।

मैं दो दशकों से अधिक समय से भारत के जंगली इलाकों की तस्वीरें खींच रहा हूं। मैं व्यावसायिक फोटोग्राफर नहीं था, लेकिन अब मुझे लगा कि यह एक मौका है जब मैं अपनी वन्यजीव तस्वीरों का उपयोग एक अच्छे उद्देश्य के लिए कर सकता हूँ। और इस तरह “वाइल्डलाइफ फॉर कैंसर” के विचार का जन्म हुआ - एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जहां आगंतुक मेरी तस्वीरों के बड़े और उच्च गुणवत्ता वाले प्रिंट खरीद सकते हैं, और इस बिक्री से उत्पन्न पैसे सीधे जरूरतमंदों के कैंसर के इलाज के लिए किया जा सकता है।

वर्तमान स्वास्थ्य

मैं अब ठीक हूँ और 6-मासिक समीक्षाओं करवाता रहता हूं। कैंसर के इलाज के लिए अनुसंधान और एफडीए दवा अनुमोदन तेजी से प्रगति कर रहा है - जो हम रोगियों के लिए अच्छी खबर है क्योंकि इससे अधिकांश कैंसर की मृत्यु दर गिरता रहेगा। उपचार के साथ योग और स्वस्थ जीवन शैली जैसी अन्य प्रणालियों को जोड़कर रोगी करीब करीब सामान्य जीवन जी सकते हैं।

सलाह

एक मरीज के रूप में  मैं कहूंगा कि कैंसर होने के बारे में और इसके इलाज के बारे में वैसे ही सोचें जैसे कि किसी अन्य बीमारी के लिए सोचते हैं - हाँ, कुछ शोध करें पर बहुत ज्यादा नहीं, अपने देखभाल करने वाले के साथ अच्छा व्यवहार करें, अपने जीवन की दिशा को फिर से देखें और सोचें कि आप बाकी जीवन में वास्तव में क्या करना चाहते हैं और उसे प्राथमिकता दें!

(रामकी श्रीनिवासन बैंगलोर स्थित टेक्नोलॉजी इंटरप्रेन्योर और वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर हैं  और कन्ज़र्वैशन इंडिया के सह-संस्थापक हैं।)

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