
हममें से कई लोगों ने पैरों में भारीपन का अनुभव किया है जो असहज महसूस होता है। कुछ मामलों में यह सामान्य होता है और अपने आप ठीक हो जाता है लेकिन अन्य मामलों में, यह स्वास्थ्य से संबंधित एक खतरनाक संकेत हो सकता है। यह लेख तीन मुख्य विषयों पर केंद्रित है: पैरों में सूजन का कारण क्या है, इसके बारे में कब चिंतित होना चाहिए और इस के लिए स्वास्थ्य सेवा पेशेवर से कब मिलना चाहिए।
पैरों में सूजन निचले अंगों के ऊतकों में अतिरिक्त द्रव प्रतिधारण के कारण होती है। यह द्रव सामान्य रूप से परिसंचरण तंत्र (सरकुलेटरी सिस्टम) में होता है, लेकिन यह उस से निकल कर पैर की मांसपेशियों और कोमल ऊतकों में पहुँच जाता है और वहां जमा होकर सूजन पैदा कर सकता है। चिकित्सकीय रूप से इसके लिए "पेरिफेरल एडिमा" शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। यह कई तरह की समस्याओं के कारण हो सकता है। अधिक वजन होने पर या प्रोटीन की कमी वाले लोगों में, गर्भावस्था के दौरान, लसीका द्रव (लिम्फैटिक फ्लूइड) की निकासी में कमी वाले लोगों में या हृदय, गुर्दे या लिवर की बीमारी वाले लोगों में पैरों में सूजन होना सामान्य है।
पैरों में सूजन का अर्थ हैं टखनों, पैरों या टांगों में सूजन। पैरों में सूजन के साथ ये लक्षण दिखाई दे सकते हैं:
- पैरों में दर्द
- खुजली
- पैरों में लालिमा या पीलापन
- पैरों में थरथराहट महसूस होना
- चकत्ते
- सांस लेने में तकलीफ
पैर की सूजन को पिटिंग और नॉन-पिटिंग में भी वर्गीकृत किया जा सकता है
- नॉन-पिटिंग प्रकार की पैर की सूजन अक्सर लसीका प्रणाली के विकारों के कारण होती है, जैसे लिम्फेडेमा, जिसमें लसीका द्रव निकासी के अवरुद्ध होने के कारण पैर में जमा हो जाता है।
- पिटिंग प्रकार की पैर की सूजन आमतौर पर रक्त परिसंचरण की समस्याओं के कारण होती है, जो अक्सर हृदय की विफलता, गुर्दे की बीमारी या शिरा कार्य में कमी से जुड़ी होती है, जिसके परिणामस्वरूप ऊतकों में तरल पदार्थ जमा हो जाता है, और जिस में सूजन पर दबाने से गड्ढे रह जाते हैं।
सूजन पिटिंग प्रकार की है या नॉन-पिटिंग प्रकार, इसका मूल्यांकन करने के लिए डॉक्टर आमतौर पर सूजे हुए क्षेत्र पर उंगली को धीरे से 5-15 सेकंड तक दबाकर देखते हैं। यदि दबाव छोड़ने के बाद कोई गड्ढा दिखाई देता है तो यह संकेत देता है कि ऊतकों में तरल पदार्थ जमा हो गया है, यानि कि सूजन पिटिंग प्रकार की है।
टखनों, पैरों या टांगों में सूजन के सामान्य कारण हैं
- लंबे समय तक खड़े रहना
- अधिक वजन या मोटापा होना
- गर्भावस्था
- अधिक नमक का सेवन
- कुछ सामान्य दवाएँ जैसे एम्लोडिपिन/निफ़ेडिपिन जैसी उच्च रक्तचाप रोधी दवाएँ, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन युक्त हार्मोनल गोलियाँ, स्टेरॉयड या अवसादरोधी गोलियाँ।
- पैर /टांग की चोट
- कीड़े के काटने से
पैरों में सूजन के प्रणालीगत कारण (शरीर की किसी प्रणाली में समस्या के कारण)
- क्रोनिक किडनी रोग जैसी किडनी की बीमारियाँ- इसमें थकावट, आँखों के आस-पास सूजन, कम हीमोग्लोबिन, मतली, प्यास में वृद्धि और आसानी से चोट लगने जैसे लक्षण भी शामिल होंगे।
- हार्ट फेलियर- इसमें सांस लेने की तकलीफ, आँखों के आस-पास सूजन, खांसी, आसानी से थकान जैसे लक्षण शामिल होंगे,
- लिवर की बीमारियाँ- इस में लिवर एंजाइम के स्तर और रक्तस्राव में परिवर्तन, थक्के के कारक (क्लाटिंग फैक्टर),थकावट, पीलिया और आसानी से चोट लगना भी शामिल होगा।
- थायरॉयड संबंधी समस्याएँ (हाइपोथायरायडिज्म)
- मच्छर जनित बीमारी जैसे फाइलेरिया एकतरफा (सिर्फ़ एक पैर में) पैरों में सूजन पैदा कर सकती है।
- नसों से जुड़ी समस्याएँ - आमतौर पर एकतरफा (सिर्फ़ एक पैर में)
- डीप वेन थ्रोम्बोसिस (डीवीटी)- पैरों की नसों में जमा थक्का टूटकर फेफड़ों तक पहुँच सकता है और जानलेवा हो सकता है। पैर में रंग (लाल/नीला) दिखाई दे सकता है, स्पर्श पर दर्द/ अतिसंवेदनशीलता, और पिंडली छूने पर गर्म महसूस हो सकती है। ऐसे में डॉक्टर को तुरंत दिखाना चाहिए।
- थ्रोम्बोफ्लिबिटिस-थक्के जो सतही होते हैं और त्वचा के करीब होते हैं और जिनके टूटने की संभावना कम होती है।
- वैरिकाज़ नसें- पैरों से रक्त हृदय में ठीक से प्रवाहित नहीं होता है और कुछ अंश वापस लीक हो जाता है जिससे पैरों में रक्त का जमाव होता है जो नसों के नीले रंग के समूह के रूप में दिखाई देता है और पैर में सूजन पैदा कर सकता है। लक्षणों में शामिल हैं खड़े होने के बाद दर्द, शुष्क त्वचा, अल्सर और पैरों में त्वचा का रंग बदलना।
- लिम्फेडेमा- दिन भर की गतिविधियों के दौरान मांसपेशियों में संकुचन से, और लसीका वाहिका की दीवार में छोटे पंप के कार्य से लसीका द्रव को लसीका वाहिकाओं में जबरदस्ती प्रवेश करने पर मजबूर किया जाता है। जब लसीका वाहिकाएँ लसीका द्रव को पर्याप्त रूप से नहीं निकाल पाती हैं, आमतौर पर हाथ या पैर से, तो लिम्फेडेमा विकसित होता है। इस के कारणों में शामिल हैं कैंसर, कैंसर के लिए ली गई रेडियोथेरेपी (जो कभी-कभी लिम्फ नोड्स या लसीका वाहिकाओं पर निशान पड़ने का और सूजन का कारण बन सकता है) और पैरासिटिक (परजीवी) संक्रमण जो लिम्फ नोड्स को अवरुद्ध करते हैं, जैसे सूत्रकृमि (थ्रेडवर्म)।
- एनीमिया (अल्परक्तता) - कम हीमोग्लोबिन के कारण महिलाओं में थकान, सिरदर्द, घबराहट, मूड में उतार-चढ़ाव और मासिक धर्म में बदलाव होता है।
- शरीर में प्रोटीन की कमी (हाइपोप्रोटीनेमिया)- इसके कारण बाल पतले हो जाते हैं, मूड में उतार-चढ़ाव होता है, मांसपेशियों का शोष आदि।
डॉक्टर को कब दिखाएँ:
अगर घरेलू उपचार आजमाने के बाद भी पैरों की सूजन कम नहीं होती है, तो सूजन का कारण जानने और सही उपचार पाने के लिए डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
अगर पैरों में सूजन के साथ-साथ आपको ये लक्षण भी हो तो डॉक्टर से तुरंत सलाह करें
- सांस लेने में तकलीफ
- सीने में दर्द
- पैरों में सूजन बढ़ने के साथ हृदय या किडनी की बीमारी का इतिहास
- पैरों में सूजन बढ़ने के साथ पेट में सूजन हो और व्यक्ति को लिवर की बीमारी का इतिहास हो
- पैर स्पर्श पर गर्म लगे और देखने में चमकदार हो और त्वचा सूजन पर खिंची हुई लगे
- पैरों में सूजन के साथ बुखार होना ।
- गर्भावस्था में आराम करने से पैरों की सूजन कम नहीं होती।
- एकतरफा पैरों में सूजन
पैरों में सूजन से बचने के लिए क्या किया जा सकता है?
- रक्त प्रवाह को बनाए रखने के लिए गतिशीलता बढ़ाना।
- नियमित व्यायाम, जैसे कि साइकिल चलाना, तैरना या पैदल चलना ।
- स्वस्थ आहार खाना, जिस में नमक कम मात्रा में हो।
- आवश्यक हाइड्रेशन बनाए रखना।
- वजन घटाना- लंबाई के हिसाब से आदर्श शारीरिक वजन बनाए रखना पैरों में सूजन से बचने में मदद कर सकता है।
- अगर किसी को लंबे समय तक बैठना पड़ता है (जैसे, हवाई यात्रा में) तो कम्प्रेशन स्टॉकिंग्स का इस्तेमाल करें।
- पैरों को ऊपर उठाकर रखना।
पैर की सूजन के कारण का पता लगाने के लिए टेस्ट:
डॉक्टर सभी संबंधित लक्षण या हृदय, फेफड़े, गुर्दे की बीमारी या गर्भावस्था आदि जैसी सहवर्ती समस्याओं के इतिहास का पता लगाने के लिए विस्तृत इतिहास लेंगे। वे रक्तचाप और हृदय गति जैसे महत्वपूर्ण माप लेंगे और हृदय, फेफड़े और पेट की व्यवस्थित जांच करेंगे। डॉक्टर पैर की सूजन वाली जगह की स्थानीय जांच करेंगे।
पैर की सूजन के कारण का पता लगाने के लिए किए जाने वाले टेस्ट हैं:
- पूर्ण रक्त गणना (कम्प्लीट ब्लड काउन्ट), इलेक्ट्रोलाइट्स और लिवर और गुर्दे की कार्यक्षमता के टेस्ट (लिवर एण्ड किड्नी फ़ंक्शन टेस्ट) और डी-डिमर ब्लड टेस्ट सहित ब्लड टेस्ट।
- क्लॉटिंग टेस्ट
- छाती का एक्स-रे, पैरों का एक्सरे
- पैरों की नसों को देखने के लिए डॉपलर अल्ट्रासाउंड।
- ईसीजी- इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम
- मूत्र का रूटीन टेस्ट
पैरों की सूजन का प्रबंधन
पैरों की सूजन को कम करने के लिए घर पर क्या किया जा सकता है?
- लेटते समय अपने पैरों को ऊपर रखें और उनके नीचे तकिया रखें। इसे दिन में 3-4 बार और रात में 30 मिनट तक करें।
- पैरों से द्रव को वापस हृदय तक पहुंचाने के लिए पैरों के व्यायाम करें, जैसे कि एड़ी पर खड़े होना और फिर पैर की उंगलियों पर खड़े होना।
- तरल पदार्थ के जमाव और उसके परिणामस्वरूप सूजन को कम करने के लिए कम नमक वाला आहार लें। बुजुर्गों और हृदय रोग वाले लोगों को सोडियम के स्तर का कम होने से बचने के लिए ऐसा बदलाव डॉक्टर से सलाह करने के बाद ही करना चाहिए।
- जल निकासी हो पाए इस के लिए कम्प्रेशन स्टाकींग पहनें।
- यात्रा करते समय या ऐसी स्थितियों में जब लंबे समय तक एक ही जगह बैठा रहना हो, ऐसे में छोटे विराम लेते रहें जिन में खड़े हों, या इधर-उधर घूमें।
- तंग कपड़े या जूते पहनने से बचें।
- उम्र के हिसाब से आदर्श वजन बनाए रखने की कोशिश करें।
चिकित्सा प्रबंधन
- हृदय, लिवर या गुर्दे की बीमारी या थक्के जैसे सूजन के अंतर्निहित (सूजन के प्रणालीगत) कारणों का इलाज करने के लिए दवा दी जाती है। कभी-कभी शरीर में जमा अतिरिक्त तरल पदार्थ को बाहर निकालने के लिए मूत्रवर्धक (डाइयुरेटिक) दिए जाते हैं।
- रक्त परिसंचरण में सुधार और सूजन को कम करने के लिए फिज़िकल थेरपी।
- नयूमैटिक कम्प्रेशन पम्प थेरेपी, जो लसीका के कारण हुई सूजन को कम करने के लिए हवा द्वारा नियमित अंतराल में कम्प्रेशन का उपयोग करती है।
- सर्जरी- गंभीर परिस्थितियों में, सूजन के अंतर्निहित कारण को ठीक करने के लिए सर्जरी आवश्यक हो सकती है।
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