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Submitted by PatientsEngage on 3 August 2021

वेरिकोज़ वेंस (अपस्फीत शिरा, ऐंठी हुई शिराएं) 5 में से 1 व्यक्ति को प्रभावित करती हैं। इस लेख में डॉ शीतल रावल पटेल बताती हैं कि वेरिकोज़ वेंस क्या हैं, इसके कारण और जोखिम कारक क्या हैं, निदान के लिए क्या परीक्षण किए जाते हैं, और इसके उपचार और खुद प्रबंधन करने के लिए के क्या विकल्प हैं।

वेरिकोज़ वेंस क्या हैं?

पैरों के शिरापरक तंत्र (वेनस सिस्टम) में 3 प्रकार की वेंस (शिराएं) होती हैं  (शिराएं / वेंस वे रक्त वाहिकाएं हैं जो रक्त को हृदय की ओर ले जाती हैं)।:

  1. उपरिस्थ (सतही, सुपर्फ़िशिअल) दीर्घ और लघु अधःशाखा शिरा जो पैरों के सतह पर होती हैं (इन्हें सैफेनस वेंस कहते हैं) । ये पैरों की सतह के पास की प्रमुख शिराएं हैं।
  2. अंतस्थ (गहरी, डीप) शिराएं जो पैर की मांसपेशियों में होती हैं
  3. वेधक (परफोरेटर): वे शिराएं जो अंतस्थ (गहरी) शिराओं को उपरिस्थ (सतही) शिराओं से जोड़ती हैं

Read in English: Manage Varicose Veins

लगभग सभी वेंस,, विशेष रूप से बड़ी वेंस में वाल्व होते हैं। वेरिकोज़ वेंस लम्बी, फैली हुई (प्रसारण वाली), अक्सर ऐंठी हुई शिराएं होती हैं जिनके वाल्व (कपाट) अक्षम हैं और रक्त के प्रवाह को सही दिशा में करने का ठीक काम नहीं करते हैं।

यूके के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, वयस्कों में लगभग 30% तक वयस्कों को वेरिकोज़ वेंस हैं। लेकिन महिलाओं में इसका जोखिम अधिक होता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (यूएसए) का अनुमान है कि अमेरिका में 33% महिलाएं और 17% पुरुष इस से प्रभावित हैं।

वेरिकोज़ वेंस क्यों होती हैं

सामान्यतः: शिराओं में वाल्व रक्त को हृदय की ओर प्रवाहित करते रहते हैं, और इस प्रवाह के सुचारु बने रहने से रक्त कहीं भी रुक कर जमा नहीं होता है। लेकिन कभी-कभी, वाल्व ठीक काम नहीं कर पाते और रक्त को ऊपर हृदय की ओर चढ़ने में असमर्थ होते हैं। शिराओं में खून जमा हो जाता है, शिराएं सूज जाती हैं और उनमें दबाव बढ़ जाता है। शिराएं फिर दुर्बल हो जाती हैं, और खून के जमा होने के कारण फूल जाती हैं और टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती हैं। वे देखने में नीले या गहरे बैंगनी रंग की हो जाती हैं और दर्द और परेशानी का कारण बन सकती हैं।

कुछ लोग में “स्पाइडर वेंन्स” (मकड़ी के जाल जैसी दिखने वाली शिराओं का जाल) का विकास होता हैं। ये वेरिकोज़ वेंस का एक हल्का रूप है जो त्वचा की सतह के ठीक नीचे होता है - जैसे कि चेहरे या पैर के आसपास। इन्हें असली वैरिकाज़ वेंस नहीं माना जाता है और यह एक गंभीर चिकित्सा समस्या नहीं है।

क्या आपको वेरिकोज़ वेंस होने का खतरा है?

वैरिकाज़ वेंस के जोखिम कारकों में शामिल हैं:

लिंग: महिलाएं के लिए (पुरुषों के मुकाबले) इस की संभावना लगभग दुगनी मानी जाती है, संभवतः इसलिए क्योंकि प्रोजेस्टेरोन (महिलाओं में पाया जाने वाला एक हॉर्मोन) का वेनस सिस्टम (शिरापरक तंत्र) पर प्रभाव पड़ता है। यह माना जाता है कि प्रोजेस्टेरोन शिराओं की दीवारों को कमजोर करता है जो शिराओं में आसानी से रक्त एकत्र करने का कारण बनता है।

उम्र: 30 साल की उम्र के बाद वेरिकोज़ वेंस होने की संभावना बढ़ जाती है क्योंकि शिराओं का लचीलापन (इलास्टिसिटी) कम होने लगती है

मोटापा: शरीर के वजन के बढ़ने से पैरों की शिराओं पर दबाव बढ़ जाता है जिस से धीरे-धीरे वाल्व अक्षम हो सकते हैं।

पारिवारिक इतिहास: इस स्थिति के होने में एक वंशानुगत घटक भी है लेकिन इस के स्पष्ट और विशिष्ट कारकों की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है।

गर्भावस्था: गर्भावस्था के हार्मोन, रक्त की मात्रा में वृद्धि और बढ़ते गर्भ के कारण शिराओं पर दबाव बढ़ता है और इस कारण गर्भवती माताओं में अकसर वेरिकोज़ वेंस देखने को मिलती हैं। आमतौर पर बच्चे की डिलीवरी के एक साल के अन्दर शिराएं पुनः सामान्य हो जाती हैं।.

धूम्रपान: यह शिरापरक तंत्र में निम्न रक्तचाप का कारण बनता है। लंबे समय से धूम्रपान करने वालों का रक्तचाप कम होता है क्योंकि निकोटीन के दीर्घकालिक प्रभाव से भूख और वजन कम हो जाता है, रक्त वाहिकाओं में केमिकल जमा हो जाते हैं, थक्कों (क्लॉट) का खतरा बढ़ जाता है और रक्त प्रवाह धीमा हो जाता है।

कुछ प्रकार की नौकरियां: ऐसी नौकरियां जिनमें बहुत अधिक खड़ा रहना पड़ता है, वे वेरिकोज़ वेंस का कारण हो सकती हैं

वेरिकोज़ वेंस के संकेत और लक्षण

  • लंबे समय तक खड़े या बैठे रहने पर दर्द और भारीपन
  • शिराओं में जलन महसूस करना
  • शिराओं का बैंगनी या नीला पड़ना 
  • शिराएं सूजी हुई लगती हैं और रस्सियों के उभरे हुए गुच्छों जैसे दिखाई देती हैं
  • शिराओं के आसपास खुजली होना
  • रात में (रात के समय) पिंडली में क्रेम्प्स (ऐंठन)
  • गंभीर मामलों में, टखने के आसपास ज़ख्म और अल्सर बन सकते हैं

जैसे ही आप को लगे कि आपको वेरिकोज़ वेंस हैं, आपको डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए, भले ही वे दर्दनाक न हों। इस से आप यह सुनिश्चित कर पाएंगे कि स्थिति अधिक खराब न हों।

वेरिकोज़ वेंस का निदान कैसे किया जाता है? वेरिकोज़ वेंस के लिए परीक्षण

आपका डॉक्टर निम्नलिखित में से कुछ सुझा सकता है:

शिरापरक अपर्याप्तता (वेनस इनसफीशियेंसी, शिराएं रक्त का ठीक से प्रवाह नहीं कर पा रही हैं) के लक्षणों की जांच के लिए परीक्षण  करे जाते हैं।

टेस्ट में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:

हैण्ड-हेल्ड या कलर डॉपलर या वेनस डूप्ले स्कैन 
आधुनिक चिकित्सा प्रणाली में वेरिकोज़ वेंस का पता लगाने के लिए यह अब स्वर्ण मानक परीक्षण है। यह शिराओं के रक्त प्रवाह और वाल्व के कार्य का आकलन करने के लिए एक अल्ट्रासाउंड प्रक्रिया है। ग्रेट सैफेनस वेन पैर के पूरे मध्य भाग से रक्त की निकासी करती है और स्मॉल सेफेनस वेंस निचले पैर के पार्श्व भाग से रक्त की निकासी करती हैं। यदि नितंबों पर और जननांगों के आसपास वेरिकोज़ वेंस हों तो ये पेल्विस (श्रोणि) के भीतर शिरापरक तंत्र को प्रभावित करने वाली विकृति का संकेत हैं।

मैग्नेटिक रेजोनेंस वेनोग्रफी - एम्आरवी
यह एक प्रकार का एमआरआई है जिस में शिराओं को देखने के लिए एक इंट्रावेनस (शिरा के अन्दर डाला जाने वाला) कंट्रास्ट डाई का उपयोग करा जाता है। इस परीक्षण का उपयोग तब किया जाता है जब डॉपलर द्वारा बहुत गहरी शिराओं का आकलन नहीं हो पाता है। एमआरवी पेसमेकर वाले लोगों के लिए उपयुक्त नहीं है।

सीटी वेनोग्राफी
यह एक प्रकार का सीटी स्कैन जिसका उपयोग शिरापरक विकृतियों और शिराओं की शारीरिक संरचना को देखने और उनका मूल्यांकन करने के लिए होता है। एमआरवी के मुकाबले यह जल्दी होता है और इस का स्पेशिअल (स्थानिक) रेसोल्यूशन भी बेहतर है।

मोरिसे टेस्ट-
इसे कफ़ इम्पल्स टेस्ट (खांसी आवेग परीक्षण) के नाम से भी जाना जाता है। हाथ को सैफेनोफेमोरल जंक्शन पर रखा जाता है और व्यक्ति को खांसने के लिए कहा जाता है। यदि कोई आवेग महसूस होता है, तो यह इंगित करता है कि शिराओं में फैलाव है।

परकशन (टैप टेस्ट)-
टैप टेस्ट (थपथपाने द्वारा परीक्षण) निचले अंगों में शिरापरक वाल्व की योग्यता का एक कच्चा अंदाजा लगाने के लिए एक अपरिष्कृत परीक्षण है। यह आधुनिक नैदानिक प्रक्रिया  में बहुत कम ही करा जाता है।

श्वार्ट्ज टेस्ट-
यह टैप टेस्ट निचली भुजाओं की सतही शिरापरक प्रणाली की अक्षमता की जांच के लिए किया जाता है।

पर्थ टेस्ट
यह एक नैदानिक परीक्षण है जिस से यह आकलन करा जाता है कि डीप फेमोर्फल वेन (गहरी ऊरु/ जांघ शिरा) कितनी खुली और अबाधित है।

ब्रॉडी-ट्रेंडेलेनबर्ग टेस्ट- इस टेस्ट का उपयोग यह पता लगाने के लिए किया जाता है कि शिराओं के भीतर अक्षम वाल्व कहाँ हैं। इसमें यह देखा जाता है कि जब व्यक्ति पैरों को ऊपर उठाकर फिर नीचे करता है तो शिराओं में रक्त कैसे भरता है। इसको करने के लिए उंगलियों का या एक टूर्निकेट (रक्त-रोधी यंत्र) का इस्तेमाल किया जाता है।

उपचार के विकल्प

इस में जटिलताएं दुर्लभ हैं, पर फिर भी इन से बचने की कोशिश करनी चाहिए। संभव जटिलताओं में शामिल हैं - थ्रोम्बोफ्लिबिटिस (वेंस में इनफ्लामेशन), डीप वेन थ्रोम्बोसिस (अंतस्थ शिरा घनास्त्रता) या रक्त के थक्के, त्वचा पर अल्सर / एक्जिमा या लिपोडर्माटोस्क्लेरोसिस (त्वचा के नीचे की वसा की परत का मोटा होना)। कुछ अत्यंत दुर्लभ केस में वेरिकोज़ वेंस से खून भी बह सकता है! इसलिए जटिलताओं को रोकने के लिए उचित उपचार आवश्यक है।

उपचार के विकल्पों में स्व-देखभाल और कम्प्रेशन स्टॉकिंग्स शामिल हैं। गंभीर वेरिकोज़ वेंस की स्थिति के लिए, सर्जरी के तरीकों का उपयोग किया जाता है। इन सर्जरी तरीकों में शामिल हैं: स्क्लेरोथेरेपी, लेजर सर्जरी, वेन स्ट्रिपिंग, एम्बुलेटरी फ्लेबेक्टोमी और एंडोस्कोपिक प्रक्रिया। ध्यान रखें कि इनमें से कुछ को कॉस्मेटिक सर्जरी माना जाता है और वेरिकोज़ वेंस की फिर से पुनरावृत्ति हो सकती है।

स्वयं की देखभाल अनिवार्य:

कम्प्रेशन स्टॉकिंग: ये ऐसे स्टॉकिंग्स (लम्बे मोज़े) हैं जो तंग (कसी) फिट वाली हैं जिस से स्टॉकिंग्स से पैरों को संपीड़ित करने और रक्त के वापसी प्रवाह (अपेक्षित दिशा के विपरीत) को रोकने में मदद मिलती हैं। अगर इन्हें रोजाना पहना जाए तो ये बहुत कारगर होती हैं और यहां तक कि त्वचा में वैरिकोज़ वेंस के कारण हुए घाव को रोकने और ठीक करने में भी मदद मिलती है।

वजन कम करें और कम नमक वाला आहार लें: वजन कम करने से शिराओं पर दबाव कम होता है और कम नमक वाला आहार रक्तचाप को कम करने में मदद करता है।

पैरों को ऊपर रखें: मरीजों को सलाह दी जाती है कि वे दिन में 3-4 बार पैरों को दिल के स्तर से ऊपर रखते हुए आराम करें। यह सूजन को कम करने और दर्द और अन्य लक्षणों से राहत दिलाने में मदद करता है।

लंबे समय तक खड़े रहने या बैठने से बचें, और बैठते समय पैरों को क्रॉस न करें (एक दूसरे के ऊपर न रखें)।

उपयुक्त जूते पहनें: ऊँची एड़ी के जूते या ठीक से फिट न होने वाले या दर्द देने वाले जूते न पहनें।

दैनिक व्यायाम: व्यायाम करने से रक्त के सही प्रवाह होते रहने में मदद होती है, और शरीर को अधिक स्वस्थ रहने में भी मदद मिलती है। व्यायाम हृदय में रक्त की वापसी को बढ़ाता है और नई वेरिकोज़ वेंस के होने की संभावना कम कर सकता है, और उनका दर्द कम करने में भी मदद कर सकता है। याद रखें कि व्यायाम धीरे-धीरे किया जाना चाहिए और अगर कोई असुविधा या दर्द हो, तो तुरंत बंद कर दें।

कुछ अधिक कारगर व्यायाम हैं: चलना, दौड़ना, एक्सरसाइज बाइक पर पेडलिंग करना, और तैराकी करना।

आप निम्नलिखित एक्सरसाइज भी आजमा सकते हैं:

(कृपया इस लेख में दिए गए या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा बताए गए किसी भी व्यायाम को शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से जरूर पूछ लें कि क्या ये आपके लिए ठीक हैं)

  1. पीठ के बल लेटते हुए दोनों पैरों को ऊपर उठाएं और तब उस पोजीशन में रखें जब तक ऐसा लगे कि वेंस में रुके हुए रक्त की निकासी हो रही है और रुका हुआ रक्त शरीर की तरफ बह कर कम हो गया है। पैरों को कुछ मिनट के लिए नीचे लाएं, थोड़ा आराम करें, और फिर पुनः 20-30 मिनट के लिए पैरों को इस तरह उठाने की क्रिया दोहराएं। इससे प्रभावित शिराओं से हृदय की ओर रक्त का प्रवाह होता है, और दर्द और सूजन कम होती है।
  2. पीठ के बल लेटते हुए एक पैर को ऊपर उठाएं और दूसरे को मोड़ें। पैरों को घुमाते हुए ऐसे चक्कर लें मानो आप साइकिल चला रहे हों। यह रोजाना कम से कम 30 मिनट तक जारी रखें (यदि आवश्यक हो तो बीच-बीच में आराम के लिए ब्रेक ले लें)। इससे पैरों में रक्त का बहाव (सर्कुलेशन) बढ़ेगा।
  3. सहारे के लिए दीवार पर लगे डंडे (बार) को पकड़कर खड़े हों। फिर पैर की उंगलियों (पंजों) पर खड़े हों जिस से पिंडली की मांसपेशियां लम्बी होंगी और स्ट्रेच हो पाएंगी । इसे दिन में कई बार दोहराएं जब तक पिंडली की मांसपेशियां में तनाव कम होने लगे।
  4. पीठ के बल लेट जाएं और धीरे से एक घुटने को छाती की ओर लाएं। अब अपने टखने को सभी दिशाओं में गोल-गोल घुमाएं। यह पिंडली की मांसपेशियों और टखने के आसपास के टेंडन को कसने  में मदद करता है। यही क्रिया दूसरे पैर से दोहराएँ।

अधिक जोर लगाने वाली एक्सरसाइज - जैसे कि ज्यादा वज़न उठाने वाली (वेट लिफ्टिंग) - न करें। लंबे समय तक एक ही पोजीशन में रहने वाले व्यायाम न करें - जैसे कि योग में एक ही आसन में बैठे रहना। सिट-अप्स, क्रंचेज, लंग्स आदि जैसे व्यायामों से बचना चाहिए। यह एहतियात इसलिए ज़रूरी है क्योंकि ऐसी एक्सरसाइज से शिरा में रक्त जमा हो सकता है और रक्त के हृदय की ओर वापसी में बाधा उत्पन्न हो सकती है।