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Submitted by PatientsEngage on 30 October 2024
Young man with facial hair and green shirt against a wooden background with text Ups and Downs of Scleroderma

7 साल तक कई तरह की अस्पष्ट परेशानियों से जूझने के बाद, महाराष्ट्र के देग्लूर के 32 वर्षीय नीलेश को तब राहत मिली जब उन को स्क्लेरोडर्मा (त्वककाठिन्य) का निदान मिला। इस रोग के कारण हो रहे स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव के बावजूद, वे सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ अपने व्यक्तिगत और कार्य जीवन दोनों को संभालने की कोशिश करते रहे हैं। उनके जीने का मंत्र है: "मृत्यु एक अंत है, जबकि जीवन संभावनाओं से भरा है।

कृपया हमें अपनी स्थिति के बारे में बताएं

मुझे स्केलेरोडर्मा नामक ऑटोइम्यून बीमारी है, जो त्वचा और आंतरिक अंगों के ऊतकों को मुख्य रूप से प्रभावित करती है और उन्हें सख्त बना देती है। इसके अलावा इस में अन्य भी कई समस्याएं होती हैं - रेनॉड्स, जोड़ों में दर्द और अकड़न, उंगलियों के सिरे पर व्रण (अल्सर), हाथों और चेहरे की त्वचा का कसना, एसिड रिफ्लक्स, लगातार हल्का बुखार रहना, निगलने में कठिनाई, सांस लेने में कठिनाई, कमज़ोरी, वजन कम होना, सिरदर्द, मुंह सूखना आदि।

आपका निदान कब हुआ?

मुझे 2017 में इसका निदान मिला । मैं 2010 से ही इसके लक्षणों का सामना कर रहा था। यह रोग ही ऐसा है कि इसका निदान करना मुश्किल होता है।

शुरुआती लक्षण क्या थे? आप किन लक्षणों के कारण डॉक्टर के पास गए?

मुझे आए दिन बुखार होता रहता था, जोड़ों में दर्द और कलाई और उंगलियों में बहुत सूजन होती, थकान, ठंड होने पर उंगलियां नीली पड़ जातीं, और अल्सर की समस्या थी। 2015 में मैं पुणे में था जब मुझे हेनोच-शोनलेन पर्पुरा की समस्या का सामना करना पड़ा, जो एक त्वचा रोग है। उस समय मेरी विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में जानने के बाद मेरे त्वचा विशेषज्ञ ने एएनए (एंटीन्यूक्लियर एंटीबॉडी) टेस्ट करवाने का सुझाव दिया ताकि पता चक सके कि क्या मुझे कुछ ऑटोइम्यून रोग हैं । मैंने टेस्ट करवाया और कुछ समय बाद रिजल्ट पाज़िटिव निकला।

एएनए टेस्ट के परिणाम के आने के बाद मुझे एक रुमेटोलॉजिस्ट से मिलने का सुझाव दिया गया, जिन्होंने मेरे स्क्लेरोडर्मा का निदान किया।

अगर आप गूगल पर स्क्लेरोडर्मा को लेकर सर्च करेंगे तो लगेगा कि यह मुख्य रूप से त्वचा रोग है, लेकिन यह उससे कहीं ज़्यादा गम्भीर है। हर दूसरे दिन, आपको नए लक्षणों और समस्याओं का सामना करना पड़ता है और आप शारीरिक रूप से कमज़ोर बन जाते हैं और आपके मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर होता है। इसके अलावा, क्योंकि आप काफ़ी "सामान्य" दिखते हैं, इसलिए आपके आस-पास के लोग यह नहीं समझ पाते हैं कि आप किन तकलीफों से गुज़र रहे हैं।

निदान पर आपकी क्या प्रतिक्रिया थी? आपने अपने परिवार को यह बात कैसे और कब बताई?

सच कहूँ तो मुझे कुछ राहत महसूस हुई क्योंकि वर्षों की पीड़ा और अनिश्चितता के बाद कुछ पता चला था। मैं शुरुआत में काफी आशावादी था लेकिन साथ ही मैं भविष्य को लेकर कुछ चिंतित भी था।

मैंने तुरंत परिवार के कुछ सदस्यों को इसकी जानकारी दी। उन्होंने सहारा तो दिया लेकिन वे बीमारी की जटिल प्रकृति के कारण इसकी गंभीरता को समझ नहीं पाए।

फिर क्या हुआ?

उपचार के प्रारंभिक कोर्स में इम्यूनोसप्रेसेन्ट और हल्के स्टेरॉयड दिए गए। बाद में स्टेरॉयड बंद कर दिए गए।

क्या स्केलेरोडर्मा से कोई जटिलताएं उत्पन्न हुईं?

शुरुआती चरण में कोई जटिलता नहीं थी लेकिन जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती गई, इसने मेरे फेफड़ों को प्रभावित करना शुरू कर दिया। मुझमें इंटरस्टिशियल लंग डिजीज (आईएलडी) विकसित हो गया जिसके कारण 2022 में स्वतः (स्पोंटेनियस ) न्यूमोथोरैक्स हो गया। यह अनुभव बहुत डरावना था क्योंकि यह जानलेवा हो सकता था।

क्या आपने पूरक चिकित्सा या होम्योपैथी या आयुर्वेद जैसी चिकित्सा पद्धतियों का इस्तेमाल किया है? अगर हाँ, तो क्या इससे आपको कोई लाभ हुआ?

नहीं, मैंने ये प्रयास नहीं किया है

वर्तमान में कौन सी दवाइयां चल रही हैं?

मैं वर्तमान में निम्नलिखित दवाएँ ले रहा हूँ:
माइकोफेनोलिक एसिड जो एक इम्यूनोसप्रेसेन्ट है
रक्त प्रवाह और रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए सिल्डेनाफिल
प्रतिदिन एस्पिरिन
आवश्यकता पड़ने पर दर्द से राहत के लिए ट्रामाडोल
एसिड रिफ्लक्स के लिए एसोमेप्राज़ोल (एसिडिटी के लिए एसओएस आवश्यकता पड़ने पर लेने वाली दवा)
हड्डियों और दांतों के स्वास्थ्य के लिए कोलेकैलिफ़ेरोल 2 महीने में एक बार

क्या दवाओं के कोई दुष्प्रभाव थे? यदि हाँ, तो आप उनका प्रबंधन कैसे करते हैं?

टैडालाफिल टैबलेट के कारण मांसपेशियों में असहनीय दर्द होने लगा, इसलिए मुझे इस महीने से सिल्डेनाफिल टैबलेट पर स्विच करना पड़ा। अभी तक कोई अन्य दुष्प्रभाव नहीं हुआ है।

आप किस प्रकार के विशेषज्ञों (जैसे कि फिजियो/ ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट/ मनोचिकित्सक आदि) से परामर्श करते हैं और कितनी बार?

अब तक मैंने केवल रुमेटोलॉजिस्ट और पल्मोनोलॉजिस्ट से ही परामर्श लिया है। किसी अन्य विशेषज्ञ की आवश्यकता नहीं पड़ी है।

क्या आपको उपचार या परामर्श के लिए अपने शहर से बाहर जाना पड़ा?

हाँ। मैं अभी अपने शहर देग्लूर में हूँ और मेरे डॉक्टर हैदराबाद से हैं। वे महीने में एक बार पास के एक शहर (नांदेड़) आते हैं, इसलिए मैं हर तीन महीने में उन से सलाह करने के लिए वहाँ जाता हूँ।

स्केलेरोडर्मा के कारण आपने अपनी जीवनशैली में क्या बदलाव किये हैं?

स्क्लेरोडर्मा के प्रबंधन में जीवनशैली महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।मैंने अपनी जीवनशैली पर बहुत मेहनत की है और स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम को बनाए रखता हूँ। मैंने मसालेदार और तले हुए खाद्य पदार्थ, जंक फूड, एसिड रिफ्लक्स पैदा करने वाले भोजन आदि को लगभग बंद कर दिया है। मैं खाने और सोने के लिए भी नियमित समय का सख्ती से पालन करता हूँ।

सुबह एक घंटे नियमित योग करने से मांसपेशियों की कमज़ोरी दूर करने और जोड़ों की गतिशीलता में सुधार लाने में बहुत मदद मिली है। शाम को मैं मांसपेशियों की मज़बूती और वज़न बढ़ाने के लिए वज़न के साथ प्रशिक्षण (वेट ट्रेनिंग) करता हूँ।

इनके अलावा मैं उचित आराम करता हूँ और अनावश्यक गतिविधियों से बचने की कोशिश करता हूँ। मैं केवल उन्हीं चीजों में भाग लेता हूँ जिन्हें करने में मैं सक्षम हूँ -मूल रूप से मैंने लोगों और कुछ चीजों को मना करना सीख लिया है।

आपने मानसिक/भावनात्मक रूप से इन सब का सामना कैसे किया?

सामान्य तौर पर, मेरा जीवन के प्रति काफी सकारात्मक दृष्टिकोण है, इसलिए जब मुझे बीमारी के शुरुआती चरणों में स्केलेरोडर्मा का पता चला, तो मुझे विश्वास था कि मैं इस बीमारी पर काबू पा सकता हूँ और इसे हरा सकता हूँ, भले ही मुझे पता था कि यह बीमारी ठीक नहीं हो सकती। लेकिन बाद में, मुझे एहसास हुआ कि मैं एक ऐसी लड़ाई लड़ रहा हूँ जिसे मैं शायद जीत न सकूँ। इसलिए, मैंने सच्चाई को स्वीकार करने का फैसला लिया और तय किया कि जो भी मुझे पसंद है उसे करके जितना संभव हो सके उतना अच्छा जीवन जियूँगा।

एक बात तो तय है: "आशावादी होना एक बात है, लेकिन कभी-कभी आपको जीवन में कड़वी सच्चाई और कठोर वास्तविकता को स्वीकार करना पड़ता है।"

जब हालात कठिन हो जाते हैं, तो मैं अपने परिवार के सदस्यों और दोस्तों से बात करना पसंद करता हूं, लेकिन आखिरकार मुझे एहसास हुआ है कि वे सिर्फ सहानुभूति जता सकते हैं, लेकिन मैं जो महसूस करता हूं या जिससे गुजर रहा हूं, उसको वास्तव में गहराई से समझ नहीं सकते, उसका अनुभव नहीं कर सकते।

मेरे लिए एक बहुत मुश्किल समय तब था जब मुझे अपनी बीमारी के कारण अपने करियर से समझौता करना पड़ा और अपने सपनों का पीछा करना छोड़ना पड़ा। शुरू में अपने सपनों को त्यागने के दुख को मैं व्यक्त नहीं कर पाया, उसका सामना नहीं कर पाया। किसी तरह, मैंने सच्चाई को स्वीकार करना पसंद किया और "जाने देने की कला" सीखी।

मैंने एक साल पहले स्क्लेरोडर्मा इंडिया फाउंडेशन, एक रोगी सहायता समूह से संपर्क किया था। मेरे जैसे लोगों से जुड़ने से मुझे राहत मिली और अपनेपन का एहसास हुआ - कम से कम कुछ लोग सचमुच मेरी स्थिति को समझ सकते हैं, और मैं भी अपने अनुभव को उनके साथ साझा करके किसी की मदद कर सकता हूँ। स्क्लेरोडर्मा इंडिया फाउंडेशन के लोग हमेशा मदद के लिए मौजूद रहते हैं, और मैं उनके साथ के लिए आभारी हूँ।

आपके परिवार ने किस तरह से आपका साथ दिया है? इस सब में आपका सबसे बड़ा सहारा/साथी कौन रहा है?

शुरू में, 2022 की न्यूमोथोरैक्स की घटना से पहले, मेरे परिवार वालों को बीमारी की गंभीरता के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। पर उसके बाद से, मैंने जो भी निर्णय लिया है, उन्होंने उसका समर्थन किया है और वे मेरी देखभाल के लिए हमेशा मौजूद रहे हैं।

आपने अपने दोस्तों और दूर के रिश्तेदारों को यह खबर कब बताई? उन्होंने इसे कैसे लिया?

2022 में, मुझे स्वतः न्यूमोथोरैक्स के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ा; मेरी स्थिति काफी गंभीर थी। उस समय मेरे आस-पास के सभी लोगों को मेरी बीमारी के बारे में पता चला, और अधिकांश को काफी झटका लगा। कोई भी वास्तव में बीमारी की जटिलता और इसका मुझ पर क्या असर हो रहा है, यह नहीं समझता। यह उनके लिए एक तरह का रहस्य है, इसलिए वे अपनी सीमित जानकारी के आधार पर बिना सोचे समझे, बेतरतीब राय देते हैं – यह भारत में काफी सामान्य है।

कभी-कभी मुझे लगता है कि अगर मुझे कैंसर होता तो मेरे लिए लोगों को अपनी स्थिति समझाना ज्यादा आसान होता और लोगों के लिए समझना भी आसान होता। शायद ऐसे में मेरे स्वास्थ्य को लेकर लोगों को कोई कन्फ़्युशन नहीं होता।

क्या आपने अपने कार्यस्थल को अपने स्क्लेरोडर्मा के बारे में सूचित किया? यदि हाँ, तो उनकी प्रतिक्रिया क्या रही?

फिलहाल मैंने अपने करियर से ब्रेक ले लिया है। शुरुआत में जब मैं निदान के बाद काम कर रहा था, तो मैं अक्सर बीमार पड़ जाता था और सहकर्मी मेरी स्थिति को समझ नहीं पाते थे क्योंकि मैं दिखने में फिट और ठीक-ठाक लगता था। कुछ लोग सोचते थे कि मैं अपनी नौकरी की जिम्मेदारियों से बचने के लिए बस बहाने बना रहा हूँ लेकिन बाद में जब मैंने अपने वरिष्ठों को अपनी स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में बताया, तो वे चिंतित हो गए और साथ ही सभी ने बहुत मदद की और जब भी ज़रूरत पड़ी, उन्होंने मेरा ख्याल रखा।

मुझे लगा कि मेरा काम पर बने रहना उचित नहीं है क्योंकि मैं ठीक से काम नहीं कर पा रहा था। जब मैंने इस्तीफा देने का फैसला किया, तो मेरे वरिष्ठों ने मुझे अपने काम के रोल पर बने रहने के लिए सभी संभव विकल्प दिए लेकिन मैं काम पर बने रहने के बारे मैं सहज नहीं था इसलिए आखिरकार मैंने इस्तीफा दे ही दिया। मेरे वरिष्ठों ने मुझसे कहा है कि अगर भविष्य में मैं वहाँ फिर से काम करना चाहूँगा तो मेरा हमेशा स्वागत किया जाएगा।

अपनी कुछ चुनौतियों के बारे में बताएं।

स्क्लेरोडर्मा के मरीज़ के लिए हर दिन एक चुनौती है। यह बीमारी आपको अपना जीवन पूरी तरह से जीने नहीं देती। नहाने जैसी दैनिक गतिविधियाँ भी कभी-कभी हमारे लिए चुनौती बन जाती हैं। पहले मैं काफी स्वस्थ रहता था और बड़े होने के दौरान बहुत सारे खेल भी खेलता था, लेकिन बीमारी के शुरुआती चरण में मैं एक साधारण बोतल का ढक्कन भी नहीं खोल पाता था।

स्क्लेरोडर्मा में आप किसी भी चीज़ में निरंतरता नहीं बनाए रख सकते। यह आपके जीवन के हर हिस्से को प्रभावित करता है, चाहे वह आपकी पढ़ाई हो, नौकरी हो, कोई भी शारीरिक गतिविधि हो, सामाजिक जीवन हो, पेशेवर जीवन हो, निजी जीवन हो या फिर आपके रिश्ते ही हों। कई बार, इसने मुझे मानसिक और भावनात्मक रूप से खोखला कर दिया है।

कल्पना कीजिए कि आप हर दूसरे दिन बीमार हैं। यह आपको अंदर से मार डालता है। बचपन से मैं बहुत उत्साही रहता था लेकिन स्क्लेरोडर्मा ने मुझे बहुत बदल दिया। एक समय था जब मैं हर वक्त बहुत कमज़ोर और बीमार रहता था। मैं भावनात्मक रूप से बहुत निराश था और अपने जीवन के हर पहलू में आत्मविश्वास खो चुका था। और सबसे बुरी बात यह थी कि मैं इसे खुल कर किसी के साथ साझा नहीं कर सकता था क्योंकि कोई भी इसे समझ नहीं सकता था।

कभी-कभी मुझे लगता है कि एक खयाल रखने वाली और मुझे समझने वाली जीवनसाथी होने से मेरी यात्रा थोड़ी आसान हो जाएगी, लेकिन इस स्वास्थ्य समस्या के होते हुए ऐसी साथी को पाना असंभव लगता है। बल्कि मुझे लगता है कि किसी को अपने जीवन में लाना और उसे मेरे जैसा ही कष्ट सहने देना एक अच्छा निर्णय नहीं होगा।. कहते हैं कि शादी जीवन का सबसे बड़ा जुआ है - अगर आपको सही साथी मिल जाए तो आप किसी भी तूफान से बच सकते हैं लेकिन अगर आपको सही साथी न मिले तो आप निश्चित रूप से डूब जाएंगे। सही साथी मेरी ज़िंदगी को आसान बना देगी लेकिन गलत साथी तनाव को बढ़ा देगी जो हानिकारक हो सकता है। इसलिए मैंने अभी तक सिंगल रहना पसंद किया है.. पर आप कभी नहीं जानते कि आगे चलकर क्या होगा।

आपकी वर्तमान स्थिति क्या है?

फिलहाल मैं ठीक-ठाक हूं। मैंने हिम्मत जुटाई है और फिर से जीवन से जूझने के लिए खड़ा हो गया हूं। स्वस्थ जीवनशैली - स्वस्थ आहार, व्यायाम, दवा और सबसे महत्वपूर्ण, सकारात्मक सोच - की मदद से मैंने अपने कई लक्षणों को सफलतापूर्वक नियंत्रित किया है।

आप भविष्य के लिए किस बात से चिंतित हैं?

भविष्य के बारे में तो इतना नहीं, लेकिन परिवार पर निर्भर रहना कभी-कभी मुझे चिंतित करता है। और हां, मैं अपनी वित्तीय स्थिति के बारे में कुछ चिंतित हूं, अगर भविष्य में कोई बड़ी स्वास्थ्य समस्या आए तो क्या होगा।

आपने क्या सीखा है जिसे आप उन मरीजों के साथ साझा करना चाहेंगे जो आपसे मिलती-जुलती चुनौतियों का सामना कर रहे हैं?

उम्मीद मत खोइए और जीवन से हार मत मानिए। हालाँकि इस बीमारी को अभी तक ठीक करने के लिए कोई उपचार नहीं है, लेकिन स्वस्थ जीवनशैली और उचित दवाइयों से इसे कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। जीवन के प्रति आभारी रहें। निराशा भरी और नकारात्मक बातों को छोड़ देने की कला सीखें।

जब दिन अच्छे हों तो हर पल को खुल कर जियो और जब दिन बुरे हों तो पूरा आराम करो

अब मैं इस मंत्र के अनुसार जीता हूँ: "मृत्यु एक अंत है, जबकि जीवन संभावनाओं से भरा है।

Changed
23/Nov/2024