
70 वर्षीय साई नारायण करणाम पिछले 12 वर्षों से अपने स्टेज 4 फेफड़ों के कैंसर (लंग कैंसर) का प्रबंधन कर हैं। लक्षित दवा उनके लिए असरदार सिद्ध हुई है, साथ ही उनकी सकारात्मकता और अनुशासित जीवनशैली भी मददगार रही हैं। इस लेख में वे अपनी कहानी हमारे साथ साझा करते हैं।
मेरा नाम साई नारायण करणाम है। मैं 70 वर्ष का हूं, और अपनी पत्नी के साथ आंध्र प्रदेश के मंदिरों के शहर तिरुपति में रहता हूं। हम दोनों सेवानिवृत्त हाई स्कूल प्रिंसिपल हैं, और हमने अपना जीवन शिक्षा के लिए समर्पित करा है। हम 14 साल पहले सेवानिवृत्त हुए थे। हमारा इकलौता बेटा, जो एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है, यूएसए में रहता है, लेकिन नियमित वीडियो कॉल और बार-बार भारत की यात्राओं के माध्यम से हमसे गहराई से जुड़ा रहता है। वह यह सुनिश्चित करता है कि हम कभी उस से दूर न महसूस करें।
आज, इस लेख द्वारा मुझे आपके साथ अपनी अनूठी यात्रा साझा करने का सौभाग्य मिला है। मैं 12 वर्षों से अधिक समय से स्टेज 4 फेफड़ों के कैंसर के साथ जी रहा हूँ, सिर्फ एक लक्षित दवा क्रिज़ोटिनिब (250 एमजी दिन में दो बार) के सहारे। मेरे कैंसर का उन्नत अवस्था में निदान होने के बावजूद, मेरा कैंसर अब मेटाबालिक रूप से निष्क्रिय है। मेरा जीवन चिकित्सा विज्ञान की शक्ति, मेरी जूझने की क्षमता, और मेरे परिवार और दोस्तों के अटूट समर्थन का प्रमाण है।
निदान और प्रारंभिक उपचार
सितंबर 2012 में, मुझे लगातार खांसी, जुकाम और गले में जलन की समस्या हुई जो 10 दिनों से ज़्यादा बनी रही। शक्तिशाली एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल के बावजूद, मेरे लक्षण बने रहे, जिससे मेरे डॉक्टर को संदेह हुआ कि मुझे कुछ ज़्यादा गंभीर समस्या है। एक्स-रे किया गया, और फिर सीटी स्कैन, और पता चला कि मेरे दाहिने फेफड़े के निचले हिस्से में एक गांठ है।
बिना किसी विलंब के, मैंने और मेरे परिवार ने तिरुपति से 120 किलोमीटर दूर चेन्नई के अपोलो कैंसर अस्पताल में एक डॉक्टर से सलाह ली। बायोप्सी और पीईटी स्कैन से सबसे खराब स्थिति की पुष्टि हुई: फेफड़े का स्टेज 4 एडेनोकार्सिनोमा जो मीडियास्टिनम और सी 7 कशेरुका (वर्टेब्रा) तक फैल चुका था।
जब मैंने पहली बार निदान सुना, तो मुझे झटका लगा लेकिन मैंने ठान लिया कि मैं तुरंत कार्रवाई करूंगा। मेरी पत्नी का दिल टूट गया था लेकिन उसने मुझे बेहिचक दृढ़ समर्थन दिया और मेरे साथ जुड़ी रही और मुझे उसकी श्रद्धा और विश्वास से ताकत मिली। मेरा बेटा उस समय मेरे साथ था; निदान से उसे भी सदमा लगा था लेकिन वह मजबूत बना रहा। वह लगातार प्रोत्साहन देता रहा और हमारे द्वारा लिए गए हर फैसले में सक्रिय रूप से शामिल रहा। मैंने निदान के तुरंत बाद अपने करीबी परिवार और दोस्तों को यह खबर दी। हालांकि सब इस खबर से हिल गए, लेकिन उन्होंने मुझे भरपूर समर्थन और प्रोत्साहन दिया, जिससे मेरा स्थिति से जूझने का संकल्प और मजबूत हुआ।
उस समय, लक्षित उपचार का विकल्प उपलब्ध नहीं था। मैंने कीमोथेरेपी (पेमेट्रेक्स और कार्बोप्लाटिन) और ट्रूबीम तकनीक का उपयोग करके रेडीओथेरपी करवाए। मेरे ऑन्कोलॉजिस्ट ने कीमोथेरेपी के बाद एर्लोटिनिब दवा निर्धारित की, जिसका मैंने नौ महीने तक उपयोग किया - अप्रैल 2015 तक। शारीरिक और भावनात्मक चुनौतियों के बावजूद, मैं सकारात्मक रहा और उपचार के प्रत्येक चरण पर ध्यान केंद्रित करता रहा। मैंने कीमोथेरेपी के दौरान अपने आहार का पूरा खयाल रखा और अधिक सब्जियां और स्वस्थ भोजन खाने पर ध्यान दिया। उपचार के बावजूद, मैं शारीरिक रूप से सक्रिय रहा और बिना विशेष तकलीफ के तिरुमाला पहाड़ियों की 3,600 सीढ़ियाँ और श्रवणबेलगोला की 700 सीढ़ियाँ चढ़ पाया। इस ने मुझे इस चुनौतीपूर्ण चरण के दौरान प्रेरित करा और शारीरिक रूप से मजबूत बनाए रखा।
दोस्तों की सलाह पर, मैंने चार महीने तक सोरसोप (ग्रैविओला, हनुमान फल) के पत्तों के अर्क का भी इस्तेमाल किया और तीन महीने (लगभग 2014-15) तक कुछ हर्बल दवाओं का इस्तेमाल किया, हालाँकि उनकी प्रभावशीलता के बारे में मैं कुछ स्पष्ट रूप से नहीं कह सकता। ये सब स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए हर संभव रास्ता तलाशने के मेरे दृढ़ संकल्प का हिस्सा थे।
उपचार में महत्वपूर्ण नई दिशा
अप्रैल 2015 में, मेरे कैंसर का रिलैप्स हुआ - कैंसर मेरी अड्रीनल ग्लैन्ड (अधिवृक्क ग्रंथियों) तक फैल गया था। दूसरी बायोप्सी से पता चला कि मेरा कैंसर एएलके डी5एफ3 जीन म्यूटेशन (उत्परिवर्तन) के कारण था – यह बहुत महत्वपूर्ण जानकारी थी क्योंकि इस से लक्षित चिकित्सा का विकल्प अब उपलब्ध हो गया था। मेरे ऑन्कोलॉजिस्ट ने एक मौखिक लक्षित चिकित्सा – क्रिज़ोटिनिब - निर्धारित की, और यह दवा मेरे लिए जीवन बदलने वाली साबित हुई।
क्रिज़ोटिनिब शुरू करने के दो दिनों के भीतर ही मेरी खांसी कम हो गई, और मेरी ऊर्जा का स्तर बेहतर हो गया। इस उपचार के शुरू होने का बाद, पिछले कुछ वर्षों में, मैंने 10 पीईटी स्कैन, 7 ब्रेन एमआरआईएल और 6 सीटी स्कैन करवाए हैं, और इन में से कोई भी सक्रिय कैंसर का कोई सबूत नहीं दिखाते हैं। मेरा ऑन्कोलॉजिस्ट अब हर छह महीने में मेरी स्थिति की समीक्षा करते हैं, और मैं उसी दवा को लेना जारी रखता हूँ, क्योंकि इसने मेरी प्राथमिक बीमारी को नियंत्रण में रखा है।
चुनौतियों पर काबू पाना
क्रिज़ोटिनिब जीवनरक्षक तो रहा है परंतु इसके दुष्प्रभाव लगभग छह साल पहले सामने आने लगे थे। धीरे-धीरे किडनी की कार्यक्षमता में गिरावट के कारण सीरम क्रिएटिनिन का स्तर 1.4 और ग्लोमेरुलर फिल्ट्रैशन रेट 58 हो गए। लगातार बनी हुई सूजन को नियंत्रित करने के लिए, मैं एसओएस आधार पर (जब जरूरत हो, तब) मूत्रवर्धक टॉरसेमाइड (10 मिलीग्राम) लेता हूं। मैं किडनी के स्वास्थ्य के लिए होम्योपैथिक और आयुर्वेदिक उपचार भी लेता हूं। मैं सुरक्षित रहने के लिए अक्सर अपने हृदय रोग विशेषज्ञ और नेफ्रोलॉजिस्ट के पास जाता हूं, उन्हें अपने स्वास्थ्य के बारे में सूचित करता हूं और नियमित रूप से उनकी सलाह लेता हूं।
2020 में, मुझे कोविड-19 महामारी के दौरान गंभीर स्वास्थ्य संकट का सामना करना पड़ा - मुझे कोविड -19 और निमोनिया की जटिलताओं के कारण तीन बार अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। एक समय ऐसा भी आया जब मैं दो दिनों तक वेंटिलेशन पर था और डॉक्टरों ने मेरे ठीक होने की उम्मीद छोड़ दी थी। पर दृढ़ संकल्प और विश्वास बनाए रखने से मैं बच पाया, हालांकि सांस फूलना और सूजन जैसे कोविड के बाद के प्रभाव अब भी एक चुनौती हैं।
इसके अलावा, 2019 से मेरे बाएं घुटने में ऑस्टियोआर्थराइटिस ने मेरी गतिशीलता को बाधित कर दिया है। अब मेरा वजन 86 किलोग्राम है और मैं एक बार में कुछ कदम से ज़्यादा नहीं चल पाता हूं। मुझे घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी का सुझाव दिया गया था, पर मैंने इस से जुड़े जोखिमों के कारण इसे नहीं चुना।
जीवनशैली और सहायता
इस पूरी यात्रा के दौरान, मैंने स्वस्थ आहार, सब्ज़ियों और पौष्टिक भोजन से भरपूर आहार बनाए रखा है, मैं हल्के व्यायाम और साँस लेने की तकनीकों द्वारा सक्रिय रहा हूँ, और मैंने स्वच्छ और अनुशासित जीवनशैली को बनाए रखा है। मैंने अपने जीवन के किसी भी चरण में कभी भी किसी भी प्रकार का तम्बाकू या शराब का सेवन नहीं किया है। छोटी उम्र से ही, मेरा दृढ़ विश्वास था कि इन आदतों से मुक्त जीवन जीना चाहिए, स्वास्थ्य के लिए इनके संभावित नुकसान को समझना चाहिए। इसके बावजूद, मुझे कभी-कभी दूसरों से, जिनमें मेडिकल प्रोफेशनल भी शामिल हैं, यह धारणाएँ सुनने को मिली हैं कि मेरी स्थिति धूम्रपान से जुड़ी हो सकती है। इन अवसरों पर मुझे ऐसे पदार्थों से दूर रहने की अपनी आजीवन प्रतिबद्धता को स्पष्ट करने की आवश्यकता होती है। मेरा पक्का विश्वास है कि मेरी स्वच्छ जीवनशैली ने मेरे समग्र स्वास्थ्य और जूझ पाने की क्षमता का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मेरा जीवन यह साबित करता है कि अनुशासित और मानसिक रूप से मजबूत रहना शारीरिक स्वास्थ्य जितना ही महत्वपूर्ण है।
मेरा परिवार मेरे समर्थन का सबसे मजबूत स्तंभ रहा है। मेरी पत्नी, जो मानती है कि मेरा बचना भगवान का आशीर्वाद है, अटूट समर्पण और करुणा के साथ मेरी देखभाल करती है। वह हमारे जीवन के हर पहलू का बिना थके प्रबंधित करती है, और यह सुनिश्चित करती है कि मैं अपनी यात्रा के हर कदम पर समर्थित और आश्वस्त महसूस करूँ। उसकी ताकत और भक्ति मेरे लिए अपार प्रेरणा का स्रोत है।
हमारा इकलौता बेटा दूरी के बावजूद हमसे गहराई से जुड़ा रहता है। हम रोजाना लंबे समय तक बातें करते हैं, हँसते हैं, यादें बांटते है, और खबरों का आदान-प्रदान करते हैं, जो हमें भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ रखता है। वह अक्सर हमसे मिलने आता है और सुनिश्चित करता है कि मुझे उसकी अनुपस्थिति कभी महसूस न हो, वह मुझे व्हीलचेयर पर दिलचस्प जगहों पर ले जाता है और हमारे जीवन को सार्थक और आनंदमय बनाता है। उसका हमारा खयाल रखना और भरपूर प्यार हमारे जीवन में बेशुमार खुशियाँ लाता है।
आस्था और समुदाय
मैं अपने जीवित रहने का श्रेय ईश्वरीय आशीर्वाद, उन्नत चिकित्सा अनुसंधान और सकारात्मक मानसिकता को देता हूँ। मैं एएलके पाज़िटिव वर्क्शाप व्हाट्सप्प समूहों और फेसबुक पर एएलके पाज़िटिव वर्ल्डवाइड समूह जैसे ऑनलाइन मंचों में सक्रिय रूप से भाग लेता हूँ, जो रोगियों और देखभाल करने वालों को बहुमूल्य जानकारी और भावनात्मक समर्थन प्रदान करते हैं। ये समुदाय मेरे जैसे कई लोगों के लिए मार्गदर्शन और आशा प्रदान करने वाली जीवन रेखा हैं।
कृतज्ञता की भावना सदैव बनाए रखना
अपनी स्वास्थ्य चुनौतियों के बावजूद, मैं एक संतुष्ट, भरपूर जीवन जीता हूँ। 70+ की उम्र में भी मैं युवा महसूस करता हूँ और दिखता हूँ, और अक्सर यह भूल जाता हूँ कि मुझे स्टेज 4 फेफड़ों का कैंसर है। मेरा मंत्र सरल लेकिन गहन है: जो ज़रूरी है वह करो, बाकी को भाग्य पर छोड़ दो और जीवन के हर पल को जियो।
मैं कैंसर अनुसंधान के भविष्य के बारे में आशावादी हूँ, खासकर एएलके -पॉज़िटिव रोगियों के लिए। मेरी आशा है कि अनुसंधान में लगातार हो रही प्रगति से इस बीमारी को पूरी तरह ठीक करना संभव होगा, जिससे कई रोगियों को लंबा और सार्थक जीवन जीने का मौका मिलेगा।
साथी रोगियों को संदेश
कैंसर से जूझ रहे हर व्यक्ति को मेरा संदेश: जान लें कि सही उपचार, एक मजबूत सहायता प्रणाली और सकारात्मक दृष्टिकोण से हर चुनौती पर जीत मिल सकती है। अपने आप को प्यार और उम्मीद से घेरें, हर पल का आनंद लें और इस प्रक्रिया पर भरोसा रखें।
वर्तमान में, मैं भारत में (और संभवतः विश्व में) एक अनूठा रिकॉर्ड रखता हूँ, क्योंकि मैं स्टेज 4 फेफड़ों के कैंसर से 12 साल से अधिक समय तक एक ही लक्षित चिकित्सा दवा, क्रिज़ोटिनिब के सहारे जीवित रहने वाला एकमात्र ज्ञात रोगी हूँ। मेरा कैंसर मेटाबालिक रूप से निष्क्रिय है और इस एक टीकेआई (टायरोसिन किनेज अवरोधक) के साथ पूरी तरह से नियंत्रण में रहता है, बिना किसी जटिलता के। मुझे उम्मीद है कि मेरी यात्रा प्रोत्साहन के स्रोत के रूप में काम करेगी, यह दर्शाएगी कि चिकित्सकीय प्रगति, और व्यक्ति की दृढ़ता और विश्वास के साथ, उन्नत अवस्था के कैंसर के सामने भी लंबे समय तक जीना संभव है।
As told to Moyna Sen