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Submitted by PatientsEngage on 10 January 2021
a man holding his head due to throbbing migraine headache

कोलकाता के मेडिका सुपरस्पेशलिटी अस्पताल में न्यूरोलॉजी के प्रमुख डॉ। अमित हलदर इस लेख में माइग्रेन पर अनेक अकसर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब देते हैं। डॉ। हलधर हमें माइग्रेन में ट्रिगर्स की भूमिका और माइग्रेन से बचने के सर्वोत्तम तरीके के बारे में भी बताते हैं।

क्या माइग्रेन और सामान्य सिरदर्द एक ही तकलीफ के दो नाम हैं? यदि नहीं, तो माइग्रेन और साधारण सिरदर्द कैसे भिन्न हैं?

माइग्रेन एक एपिसोडिक हेमिक्रानियल (एक तरफा) थ्रोबिंग सिरदर्द है। इस के निदान के लिए निश्चित मानदंड उपलब्ध हैं जिसमें प्रकाश और ध्वनि के प्रति असहिष्णुता शामिल है। इसमें मितली और उल्टी जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। नोट करें कि “सामान्य सिरदर्द (कॉमन हेडएक)” नामक बीमारी का चिकित्सा प्रणाली में कोई निदान नहीं है। कुछ स्थितियों में जब लोग सिरदर्द कहते हैं तो उनका मतलब माइग्रेन होता है। सिरदर्द के अन्य कारण भी हो सकते हैं जैसे कि तनाव। सिरदर्द कई बीमारियों में एक लक्षण हो सकता है, और इसकी गंभीरता और इलाज को समझने के लिए सही निदान करना होगा, इसलिए सिरदर्द को उसके पूरे सन्दर्भ में देखना चाहिए। इसे अपने आप में एक अलग विकार न समझें।

Read in English: Can Washing Hair Cause Migraines? Do Children Get Migraine? And More

माइग्रेन से व्यक्ति को कितनी दुर्बलता महसूस हो सकती है? आपके पास माइग्रेन संबंधी सबसे गंभीर केस कौन सा था?

माइग्रेन की गंभीरता बहुत भिन्न भिन्न हो सकती है। यदि व्यक्ति से कहा जाए कि वे अपने माइग्रेन को एक (सबसे कम) से दस (सबसे ज्यादा) तक के स्केल में चिह्नित करें तो ज्यादातर लोग अपने माइग्रेन को मध्यम (5) के करीब बताते हैं।

कुछ लोग के माइग्रेन के हमले बहुत गंभीर होते हैं और व्यक्ति को एकदम अक्षम कर देते हैं (उन्हें एक से दस के पैमाने पर 9 या 10 की तीव्रता का माइग्रेन होता है)। इन लोगों को कभी-कभी अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड भी जाना पड़ता है। मुझे ऐसे कुछ रोगियों को अस्पताल में दाखिल करना पड़ा है और उनके दर्द को नियंत्रित करने के लिए दवा को आईवी (इंट्रावेनस) द्वारा देना पड़ा है।

माइग्रेन के सबसे आम ट्रिगर क्या हैं?

माइग्रेन एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है जो कभी-कभी जीवनशैली के कारण बदतर हो सकता है। हमारे देश में देखे जाने वाले ट्रिगर और पश्चिमी देशों में देखे जाने वाले ट्रिगर सब एक से नहीं हैं पर कुछ माइग्रेन ट्रिगर सब जगह पाए जाते हैं - जैसे कि उपवास, नींद की कमी, तनाव, शराब, और धूम्रपान। वर्तमान समय में कंप्यूटर और वीडियो स्क्रीन के निरंतर उपयोग के कारण आँखों पर स्ट्रेन बढ़ता जा रहा है, और यह भी ट्रिगर हो सकता है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार चीज़, वाइन, चॉकलेट, अधिक कैफीन, स्मोक्ड मछली और ठंडा सलाद माइग्रेन के ट्रिगर हो सकते हैं।

भारत जैसे ट्रॉपिकल देश में, गर्म और नमी वाला मौसम, अधिक शोर और चमकदार रोशनी आम ट्रिगर हैं। भारतीय महिलाओं के बाल अकसर लंबे होते हैं और इन्हें धोने के बाद ठीक से न सुखाने से भी समस्या हो सकती है - इसे “हेयरवॉश हेडएक” के नाम से भी बुलाया जाता है। ग्लूटामेट (चाईनीज़ खाने में मौजूद एक तरह का नमक, एमएसजी) या एस्पार्टेम जैसे कुछ फ़ूड एड़ीटिव भी अकसर माइग्रेन ट्रिगर होते हैं।

क्या पुरुषों और महिलाओं के ट्रिगर आमतौर पर के बीच भिन्न होते हैं, या क्या हर व्यक्ति के ट्रिगर अलग-अलग होते हैं?

महिलाओं के लिए हार्मोन के स्तर में बदलाव माइग्रेन को ट्रिगर कर सकते हैं। जो महिलाएं माइग्रेन से पीड़ित हैं, उन्हें गर्भ निरोधक गोलियों से भी बचना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि गर्भ निरोधक गोलियों में आमतौर पर एस्ट्रोजन होता है और एस्ट्रोजन एक ऐसा हार्मोन है जो माइग्रेन को बढ़ा सकता है।

क्या माइग्रेन वंशानुगत है?

माइग्रेन एक जटिल आनुवांशिक विकार है जहां जीन का असर प्रकट होना (माइग्रेन की प्रवृत्ति होना) पर्यावरणीय कारकों पर निर्भर है। जुड़वां बच्चों के अध्ययनों से पता चला है कि जीन के कारण वंशानुगत प्रकार का माइग्रेन का जोखिम 34-51% होता है। यदि माता-पिता में कोई एक माइग्रेन से पीड़ित है तो बच्चे में माइग्रेन विकसित होने का लगभग 50 प्रतिशत जोखिम है। यदि दोनों को (माता को और पिता को) माइग्रेन होता है, तो बच्चे का माइग्रेन का जोखिम 75 प्रतिशत हो जाता है। यह जोखिम उन परिवारों में अधिक है जहां ऑरा ‌‍वाला माइग्रेन अधिक होता है या फेमिलियल हेमिप्रैजिक माइग्रेन है।

2010 में पता चला कि टीआरईएसके नामक जीन का एक सामान्य प्रकार के माइग्रेन से सीधा सम्बन्ध है।

क्या बच्चे माइग्रेन से पीड़ित हो सकते हैं? माता-पिता को किन संकेतों के प्रति सतर्क रहना चाहिए?

वयस्कों की तरह ही बच्चे भी माइग्रेन से पीड़ित हो सकते हैं। परन्तु बच्चों में माइग्रेन वयस्कों से अलग तरह से पेश होता है। बच्चे शायद सिरदर्द की शिकायत करें। उनमें कभी-कभी चक्कर आना भी मुख्य लक्षण हो सकता है (बचपन के बिनाइन पैरॉक्सिमल वर्टिगो)। कुछ बच्चों को एपिसोडिक पेट दर्द या यहां तक कि उल्टी हो सकती है (ऐबडोमिनल माइग्रेन या साइक्लिक वोमिटिंग ऑफ़ चाइल्डहुड) । इससे तीव्र भ्रम या गर्दन का विचलन हो सकता है।

बचपन वाले माइग्रेन का सही निदान करना माता-पिता और बाल रोग विशेषज्ञों के लिए एक चुनौती बन गया है। कोई भी इस तरह की घटना बार-बार हो जिसकी वजह पता नहीं चल रही हो तो माता-पिता को डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। उन्हें यह भी ध्यान रखना होगा कि चक्कर आना, उल्टी और पेट दर्द भी बचपन के माइग्रेन के लक्षण हो सकते हैं।

ट्रिगर्स का कॉम्बिनेशन क्या है? अपने ट्रिगर्स की पहचान करने के लिए सबसे अच्छा तरीका क्या है?

हम लेख में ऊपर माइग्रेन के ट्रिगर्स पर चर्चा कर चुके हैं। पर नोट करें कि अधिकाँश केस में माइग्रेन के कारक ट्रिगर एक से अधिक (ट्रिगर का संयोजन, कॉम्बिनेशन ऑफ़ ट्रिगर्स) होते है। एक समय पर एक ही ट्रिगर का सामना करना हो तो शायद व्यक्ति उसे सहन कर पायें और माइग्रेन न हो, लेकिन जब कई ट्रिगर एक साथ होते हैं या एक के बाद एक होते हैं, तो व्यक्ति की सहन करने की सीमा पार हो जाती है और उन्हें माइग्रेन का का दौरा हो सकता है।

मैं अपने रोगियों को “माइग्रेन डायरी” बनाने की सलाह देता हूं। इस डायरी में वे लिखते हैं कि उन्हें माइग्रेन किस तारीख को हुआ, और उस से जुड़े संभावित ट्रिगर क्या थे। वे फिर इस की एक मानक ट्रिगर चेकलिस्ट के साथ तुलना करते हैं। ऐसा कुछ महीनों तक करने के बाद, वे स्वयं अपने ट्रिगर्स पहचान सकते हैं और उसी हिसाब से अपनी जीवन शैली बदल सकते हैं।

माइग्रेन से उत्पन्न जटिलताओं क्या हैं? ऐसे कौन से खतरे के निशान हैं जिन से जाना जाए कि अधिक जांच की आवश्यकता है?

माइग्रेन के हमलों में आमतौर पर कोई दीर्घकालिक मेडिकल जटिलताएं नहीं होती हैं। हालांकि यह सुन कर आप आश्वस्त महसूस करेंगे, पर ध्यान दें कि अत्याधिक सिरदर्द की दवा के सेवन से भी नुकसान होते हैं। ओवर द काउंटर दवाओं (ऐसी दवा जो बिना डॉक्टर के पर्चे के मिलती हैं) का अत्यधिक उपयोग से उनका माइग्रेन पर असर चला जाता है और माइग्रेन असाध्य और चिरकालिक बन सकता है। एनाल्जेसिक गुर्दे को नुकसान पहुंचा सकते हैं और पेप्टिक अल्सर का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा, अनुचित तरीके से इलाज किए गए माइग्रेन रोज-रोज होने वाले सिरदर्द का रूप ले सकते हैं और इस का बहुत दुर्भाग्यपूर्ण परिणाम होगा।

आम तौर पर, डॉक्टर माइग्रेन का निदान अपने क्लिनिक में कर सकते हैं और इस के लिए किसी जांच/ परीक्षण की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन कुछ चेतावनी संकेत हैं जिनके होने पर माइग्रेन के रोगी की अधिक जांच/ परीक्षण करना आवश्यक है।

य़े हैं-

  • थंडरक्लैप सिरदर्द: बहुत तीव्र सिरदर्द जो तुरंत अपनी अधिकतम गंभीरता तक पहुँचता है (कुछ मिनटों के भीतर)। थंडरक्लैप सिरदर्द की स्थिति में तुर्रंत डॉक्टर में लेने की आवश्यकता होती है।
  • पोजीशन से सम्बंधित सिरदर्द: सिरदर्द जिसकी तीव्रता पोजीशन बदलने पर बहुत ज्यादा बदले - जैसे कि लेटने के बाद खड़े होना या खड़े होने के बाद लेटना।
  • जोर लगाने से सिर दर्द की शुरूआत: ऐसा सिरदर्द जो खांसी, छींक या जोर देने पर शुरू होता है।
  • नए सिरदर्द: विशेष रूप से यदि व्यक्ति 50 वर्ष से अधिक उम्र के हैं, या यदि उन्हें ऐसी मेडिकल समस्याएँ हैं जिन से चिंताजनक सिरदर्द अधिक संभव होता है (जैसे कैंसर, रक्त के थक्के से संबंधी विकार)।
  • सिरदर्द के पैटर्न में महत्वपूर्ण परिवर्तन: सिरदर्द की आवृत्ति में महत्वपूर्ण वृद्धि या सिरदर्द के पेश होने के तरीके में महत्वपूर्ण परिवर्तन
  • लगातार हो रहा सिरदर्द जो हमेशा सिर के एक ही स्थान पर होता है
  • चिंताजनक न्यूरोलॉजिक लक्षण: सिरदर्द जो कभी दूर नहीं होता है। आमतौर पर माइग्रेन की ‌‍ऑरा एक घंटे से कम समय तक रहती है।
  • सिस्टेमिक लक्षण जैसे कि बुखार, ठंड लगना, वजन कम होना, रात को पसीना आना सहित।

क्या माइग्रेन से बचा जा सकता है? माइग्रेन से सक्रिय रूप से बचने के लिए सबसे अच्छे तरीके क्या हैं?

माइग्रेन से बचने का सबसे अच्छा तरीका है ट्रिगर्स से दूर रहना।

पर यदि ट्रिगर से बचने के बावजूद माइग्रेन हो तो दवाओं की आवश्यकता होती है। ये रोगनिरोधी (प्रोफिलैक्तिक) दवाएं हैं। उनमें फ्लूनार्ज़िन, अमितिप्टिलिन, टॉपिरामेट, प्रोपनोलोल या डाइवलप्रोक्स सोडियम शामिल हो सकते हैं। पर इन दवाओं को डॉक्टर की सलाह से उनकी देखरेख में 3-6 महीने की न्यूनतम अवधि के लिए लिया जाना चाहिए।

कभी-कभी केवल दवाएं लेना पर्याप्त नहीं होता है। बेहतर माइग्रेन प्रबंधन के लिए जोखिम कारकों को भी बदलना होता है।

संबंधित लेख देखें: : Pro-active Management of Migraine

माइग्रेन का प्रबंधन करने के लिए एक व्यक्ति प्रोड्रोमल चरण (पूर्वरूप) के दौरान क्या कदम उठा सकते हैं?

प्रोड्रोम वह चरण है जो माइग्रेन अटैक से ठीक पहले होता है। इस दौरान किसी व्यक्ति को मूड स्विंग या चिड़चिड़ापन हो सकता है। प्रोड्रोम चरण में आराम लेना सबसे कारगर उपाय है। यदि ज्ञात है कि माइग्रेन के ट्रिगर क्या हैं, तो इनसे बचने की कोशिश करें। कुछ ऐसी भी दवाएं हैं जो इस अवस्था में लेने से हमला होने से रोका जा सकता है (रेस्क्यू मेडिसिन)। इन ख़ास दवाओं को सिर्फ ऑरा के दौरान दिया जाना चाहिए, प्रोड्रोम के दौरान नहीं।

गैर-औषधीय उपचार माइग्रेन के मामले में क्या मदद करते हैं?

चूंकि माइग्रेन अनुचित जीवनशैली से बढ़ सकता है, आमतौर पर ट्रिगर्स से बचने से माइग्रेन की समस्या संभालने में मदद मिल सकती है। सबसे महत्वपूर्ण कदम है तनाव कम करना। पर्याप्त नींद, आराम और सही आहार भी मदद कर सकते हैं। योग और विश्राम के तरीके तनाव प्रबंधन में मदद कर सकते हैं।

सूची

  1. ‘Hair wash’ or ‘head bath’ triggering migraine – observations in 94 Indian patients K Ravishankar
  2. http://thejcn.com/Synapse/Data/PDFData/0145JCN/jcn-1-
  3. https://americanmigrainefoundation.org/understanding-migraine/headache-red-flags-when-to-see-your-doctor/
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