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Submitted by PatientsEngage on 14 July 2022
Ewing Sarcoma survivor Gauri in a pink dress in the foreground and some buildings in the background

गौरी सिंह 25 वर्ष की थीं  जब उन्हें इविंग सरकोमा का निदान मिला। अब वे 9 साल से कैंसर मुक्त हैं और इस लेख में अपनी कैंसर की यात्रा साझा करती हैं, इस उद्देश्य से कि हम जान पायें कि हँसते रहने से और परिवार के समर्थन के साथ आप कैंसर होने के बाद भी फल-फूल सकते हैं।

हमें अपने बारे में कुछ बताएं। और अपने कैंसर के इतिहास के बारे में बताएं - प्रारंभिक लक्षण, निदान, उपचार।

मैं आगरा में एक संयुक्त परिवार में पली-बढ़ी। इंजीनियरिंग करी, फिर एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम शुरू करा। करीब डेढ़ साल तक अमेरिका में काम करने का मौका मिला। जब मैं वापस लौटी तो मेरी माँ ने मेरे ऊपरी होंठ के ऊपर सूजन को नोटिस करा। मैं अपने पारिवारिक दंत चिकित्सक के पास गई, उन्होंने एक्स-रे करवाया और कहा कि यह एक सिस्ट है जिसे एक छोटी सी सर्जरी से हटाया जा सकता है। लेकिन कुछ ही हफ्तों में सूजन वापस आ गई और इस बार मेरी एक बड़ी सर्जरी हुई। बायोप्सी में कैंसर का पता नहीं चला। कुछ महीनों के बाद जब सूजन फिर वापस आई तो डॉक्टरों ने सीटी स्कैन और एफएनएसी की सलाह दी, और  मुझे मैक्सिला (ऊपरी जबड़े की हड्डी) में इविंग सरकोमा का निदान मिला (एक प्रकार का कैंसर)। मैं टाटा मेमोरियल अस्पताल गई और अनेक परीक्षणों के बाद, कीमोथेरेपी शुरू की गई और उसके बाद रेडिएशन (विकरण)।

Read in English: Life is Even More Beautiful After Cancer

कैंसर से पहले और बाद का जीवन -क्या बदला - शारीरिक, भावनात्मक, सामाजिक?

मेरे बाल झड़ गए; कीमोथेरेपी के कारण शारीरिक सहनशक्ति कम हो गई, और रेडिएशन के कारण मेरा चेहरा काला पड़ गया। पर यह सब अस्थायी था।

उपचार के दौरान, मेरे विचार दो चरम सीमाओं के बीच झूलते रहते। कभी-कभी मैं सोचती - "भगवान, यह मेरे साथ ही क्यों हो रहा है? मैंने इतना बुरा क्या करा है? मैंने कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया, कभी धोखा नहीं दिया, कभी चोरी नहीं की।" और फिर मैं सोचती, "क्या स्थिति इससे भी बदतर हो सकती है?" मैं भगवान की शुक्रगुजार थी कि मेरा इलाज अच्छे परिणाम दिखा रहा था; मेरे आस-पास कई अन्य लोगों की तरह मुझे अपने अंग कटवाने की जरूरत नहीं थी, और हाँ, मैं मर नहीं रही थी!! मतलब , कभी मायूस और खुद को पीड़ित समझती, कभी खुद को भाग्यवान समझती।

कई बार, मैंने खुद को सीसॉ झूले पर अकेला पाया, जब मैं इतना नीचे महसूस कर रही थी और मुझे झूले पर ऊपर पहुंचाने के लिए धक्का देने वाला कोई दोस्त नहीं था। मेरे अधिकांश दोस्त अपने रोज़ के जीवन में व्यस्त थे और कोई भी मेरे साथ सहानुभूति रखने के लिए मेरे साथ नहीं था। लेकिन फिर मैंने कैंसर वाले युवाओं के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की खोज की जहां वे अपने ख़याल और स्थिति संबंधी अंतर्दृष्टि साझा कर सकते थे, अपने डरों का सामना कर सकते हैं, हंस सकते हैं, और यहाँ तक कि कैंसर का मजाक भी उड़ा सकते थे।

इस कैंसर की यात्रा के दौरान मुझे एहसास हुआ कि हम इंसान अकसर अपने छोटे से बुलबुलों में सीमित रहते हैं, और वास्तविकताओं से बेखबर छोटी-छोटी बातों पर झल्लाते रहते हैं जब तक कि कोई त्रासदी हमें या हमारे किसी परिजन पर न आ जाए। मौत को करीब आते देखने के बाद ही मैंने जिन्दगी के प्रति अधिक प्यार और सम्मान महसूस किया।

इस समय में आपके जीवन में क्या अपरिवर्तित रहा?

इस दौरान मेरा परिवार मेरे साथ चट्टान जैसे स्थिर रहा। मेरे माता-पिता, भाई, कजिन और मेरा पूरा विस्तारित परिवार इस यात्रा में मेरा सहारा थे। माता-पिता से प्राप्त निस्वार्थ प्यार, परवरिश और सहारे को देखकर मैं उनके अधिक करीब हो गई।

मैंने भी अपना मजाकिया रवैय्या, अपना सेंस ऑफ ह्यूमर नहीं खोया। ऐसी कठिन परिस्थिति को हलके से लेने से, उसमें मजाक कर पाने से मुझे रिलैक्स करने में मदद मिली।

मेरी महत्वाकांक्षा पहले की तरह बुलंद रही। इलाज पूरा होने  के बाद, मैंने फिर से काम पर जाना शुरू कर दिया। शुरू के कुछ महीनों के लिए धीमी गति के काम किया। फिर, जैसे-जैसे ऊर्जा और सहनशक्ति लौटीं, मैंने एक प्रोजेक्ट का लीडरशिप का काम संभाला। कुछ सालों के बाद, मुझे लगा कि मैं आगे नहीं बढ़ रही हूँ, मेरा करियर रुक गया है, इसलिए मैंने एमबीए करने का फैसला किया। मैंने बिज़नस स्कूलों में अप्लाई किया और जब एडमिशन मिला तो मैं बहुत उत्साहित थी। कॉलेज का समय पढ़ाई और कई अन्य गतिविधियों के कारण काफी व्यस्त समय था लेकिन मैं सब संभाल पाई।

20 के दशक की युवा महिला के रूप में आपके जीवन में कीमो का आप पर क्या असर रहा?

शुरू में मुझे पता ही नहीं था कि कीमो का मतलब क्या होता है। मैंने इसके बारे में ऑनलाइन शोध किया और मुझे इसके अधिकांश दुष्प्रभावों के बारे में पता चला। मेरे मन में फिर भी बहुत सारे सवाल थे जैसे कि वास्तव में बाल कब झड़ते हैं और मैं अपनी नर्सों से ये सवाल पूछती थी। मेरे एक करीबी कजिन की शादी की तारीख मेरे कीमो शुरू होने के ठीक बाद होनी थी और मैं उसमें शामिल होना चाहती थी। मैं चाहती थी कि मेरे बाल तब तक ठीक बने रहें। शुक्र है कि बालों का झड़ना शादी के बाद ही शुरू हुआ। पर शादी के समारोह में मैंने देखा कि लोग मेरी ओर इशारा करते हुए फुसफुसा कर बात कर रहे थे। मुझे इस बीमारी के इर्द-गिर्द के कलंक का अहसास हुआ लेकिन ऐसा क्यों है, मैं इस का कारण कभी नहीं समझ पाई हूँ।

कैंसर यात्रा के बारे में हम सभी की अपनी-अपनी धारणा है। आपको कैंसर के अनुभव के किस पहलू से आश्चर्य हुआ?

"आप कभी नहीं जानते कि आप कितने मजबूत हैं, जब तक कि मजबूत होना ही आपका एकमात्र विकल्प हो।" जिस चीज ने मुझे सबसे ज्यादा हैरान किया वह थी मेरी अपनी इच्छा शक्ति, सकारात्मकता और साहस – इन्हीं के कारण मैं हिम्मत करके इस सफ़र में आगे चल पाई।

आपके सबसे कठिन दिन या सप्ताह कौन से थे? और आपने इन्हें कैसे संभाला?

कीमो न केवल कैंसर कोशिकाओं को बल्कि स्वस्थ कोशिकाओं को भी मारता है। कई बार मेरी लाल रक्त कोशिकाएं और सफेद रक्त कोशिकाएं बहुत कम हो जाती थीं। मुझे तब तुरंत अस्पताल ले जाया जाता था और खून चढ़ाया जाता था (ब्लड ट्रांसफ्यूजन) और आईवी द्वारा एंटीबायोटिक्स दिए जाते थे। एक दिन ऐसा था जब मैं खुद नहीं नहा पाई। उन दिनों सब समस्याओं के बावजूद मैं अपने आप से स्नान कर पाती थी और इसलिए उस दिन, खुद नहा न सकने पर, मुझे बहुत बुरा लगा। एक और दिन था जब मुझे ऐसा लगा कि मेरा जीवन मानो धीरे-धीरे ख़त्म हो रहा है। यह भावना समझाना मुश्किल है लेकिन मुझे लगा कि उस दिन कुछ गंभीर रूप से गलत था।

पर मुझे इलाज पूरा करने के बाद के भविष्य के सुखद अनुभवों का इंतजार था, और मैं उनकी कल्पना करके, उन काल्पनिक दृश्यों के सहारे इन दोनों स्थितियों से उबर पाई। मैं यूरोप की यात्रा करने और न्यूयॉर्क में रहने की कल्पना करती। इन कल्पना की तकनीकों (विज़ुअलाइज़ेशन) ने मेरी बहुत मदद की।

आपने चिंता और क्रोध का सामना कैसे किया?

कई बार मैं बहुत चिड़चिड़ी और चिंतित भी रहती थी। मैं किसी काउंसलर से बात करने के लिए भी तैयार नहीं थी। मुझे कैंसर सर्वाईवर (उत्तरजीवी) द्वारा लिखी किताबें पढ़ने से सुकून मिलता था। उन्होंने मेरी बहुत उम्मीद बांधी।

मेरी पसंदीदा किताबों में से एक है अभिनेत्री क्रिस कैर की "द क्रेज़ी सेक्सी कैंसर बुक"। इसने मुझे कैंसर को मात देने के लिए बहुत सारे सुझाव दिए और वह भी रोचक शैली में: “कैंसर को बड़ा मत करो। इसे इतना महत्व देना बिलकुल मना है। वास्तव में मैंने इसे गलत रूप से लिखती हूँ: सी-ए-एन-एस-ई-आर। इस छोटे बेकार से दो शब्दांश के शब्द को क्यों अपने ऊपर इतना हावी होने दें।" मज़ेदार बात है, है ना?!

मुझे अपने आस-पास के अन्य रोगियों से भी बहुत प्रेरणा मिली, जिनमें से कुछ तो कैंसर से दूसरी या तीसरी बार जूझ रहे थे। मुझे इन शब्दों पर विश्वास था: "जब कैंसर अपने बसने के लिए एक शरीर की तलाश कर रहा था, तो उसने मेरा शरीर चुनकर बहुत बड़ी गलती। वाकई उसकी बहुत बड़ी गलती थी!"

जिम वल्वानो के बहु-चर्चित शब्दों ने मुझ पर बहुत प्रभाव डाला। "कैंसर मेरी सभी शारीरिक क्षमताओं को छीन सकता है। यह मेरे दिमाग को नहीं छू सकता है, यह मेरे दिल को नहीं छू सकता है, और यह मेरी आत्मा को नहीं छू सकता है। और वे तीन चीजें हमेशा रहेंगी।"

आप अपने कैंसर के अनुभव खुले तौर पर क्यों साझा करती हैं, खासकर जब लोग आपसे कहते हैं कि कैंसर की पुरानी बातें छोड़ कर आपको आगे के जीवन पर ध्यान देना चाहिए?

मैं अपनी कहानी को दूर-दूर तक साझा करना चाहती हूं ताकि यह संदेश फैले कि आप न केवल कैंसर से बच सकते हैं बल्कि इसके बाद जीवन में आनंद और सफलता पा सकते हैं। मैं अब 9+ साल से कैंसर मुक्त हूं। और मेरी जिंदगी और भी अधिक खूबसूरत है। मैंने कई बार 10 किलोमीटर की दौड़ में भाग लिया है, अकेले यूरोप में “बैकपैक” (कम खर्च और सामान के साथ जगह-जगह घूमना) किया है और यहां तक कि एक ज्वालामुखी पर्वत पर चढ़ाई की है।

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