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Submitted by PatientsEngage on 2 June 2022
Head shot of a bespectacled woman wearing a black and red dress and red necklace

जब बेंगलुरु की 38 वर्षीया ए चित्रा को सीज़र होने लगे, तो शुरू में उनका एपिलेप्सी (मिर्गी) के लिए इलाज किया गया, लेकिन अंततः उन्हें मैलिग्नेंट ग्लियोमा (एक प्रकार का ब्रेन ट्यूमर) का निदान मिला। वे बताती हैं कि कैसे उन्होंने डॉक्टरों, परिवार, दोस्तों और अपनी कंपनी की टीम के समर्थन से अपनी बीमारी के उपचार और भावनात्मक पीड़ा को संभाला।

कृपया हमें अपनी स्थिति के बारे में कुछ बताएं

मुझे एनाप्लास्टिक एस्ट्रोसाइटोमा ग्रेड 3 नामक ब्रेन ट्यूमर का निदान मिला था। यह एक दुर्लभ, मैलिग्नेंट ट्यूमर है जिसे मैलिग्नेंट ग्लियोमा भी कहा जाता है।

आपको निदान कब मिला?

मुझे फरवरी 2010 से सीज़र हो रहे थे। अक्टूबर 2011 में मेरे मस्तिष्क का एमआरआई लिया गया था, जिसकी रिपोर्ट में ग्लियोमा का जिक्र था। उसी महीने सर्जरी के दौरान लिए गए सैंपल की बायोप्सी से पता चला कि यह एनाप्लास्टिक एस्ट्रोसाइटोमा था।

Read in English: My Brain Tumour Diagnosis Made Me Bold

शुरुआती लक्षण क्या थे? आप डॉक्टर के पास कब गयीं?

मुझे फरवरी 2010 में सीज़र होने लगे। शुरू में मैं यह नहीं पहचान सकी कि मैं जो अनुभव कर रही था वह वास्तव में सीज़र थे। कुछ सेकंड के लिए लगता कि स्थिर वस्तुएं हिल रही हैं। मुझे वो सुनाई देने लगता जो कोई कह नहीं रहा था। मैंने कुछ मोबाइल कॉलों पर कुछ अनाप-शनाप बेमतलब वाक्य भी बोले। धीरे-धीरे मैं होश खोने लगी। मैंने ईईजी कराया और मुझे पता चला कि मुझे एपिलेप्सी (मिर्गी) है। अगस्त 2010 में  हमने बैंगलोर में एक प्रतिष्ठित न्यूरोफिजिशियन से सलाह ली। उसने मुझे एंटी-कन्वल्सेंट दवा देना शुरू कर दिया। दवाओं की खुराक और संख्या बढ़ती रही पर फिर भी मुझे हर महीने कम से कम दो बार सीज़र होते।

एक दिन मुझे एक ही दिन में दो बार सीज़र पड़े - एक बार सुबह और एक बार रात में। हम जल्द ही न्यूरोफिजिशियन से मिले और उन्होंने एमआरआई करवाने की सलाह दी जिससे यह स्पष्ट हो गया कि मुझे ब्रेन ट्यूमर है और ब्रेन सर्जरी करवानी होगी। यह अक्टूबर 2011 की बात है।

कृपया अपनी स्थिति के प्रबंधन के अपने अनुभव का वर्णन करें।

जब मुझे सीज़र होते थे तो जीवन बहुत कठिन था । कब सीज़र हो जाएगा, यह कहना असंभव था। मुझे सड़क पार करते समय भी सीज़र पड़े! जनवरी 2011 से  मैं दिन में 10 एंटी-कन्वल्सेंट दवाएं ले रही थी जिससे मैं उनींदा रहती थी। काम पर ध्यान दे पाना मुश्किल था।

जिस क्षण एमआरआई से पता चला कि मुझे ट्यूमर है, मैं खुश हो गयी क्योंकि मैंने सोचा इसे हटा दिए जाने के बाद मैं सीज़र से मुक्त हो जाऊंगी। शुक्र है, मैंने 'ग्लियोमा' शब्द पर खोज नहीं करी और मुझे पता नहीं चला कि यह कैंसर था, जिसके कारण मैंने सर्जरी के लिए पूरी तरह से सहयोग करा।

ट्यूमर मेरे मस्तिष्क के बाएं ललाट क्षेत्र (लेफ्ट फ्रंटल रीजन) में फैल चुका था (जो बोलने की क्षमता, दृष्टि और श्रवण सहित प्रमुख पहलुओं को नियंत्रित करता है), इसलिए मेरे न्यूरोसर्जन ने “अवेक क्रैनियोटॉमी” करने का फैसला किया। मुझे पार्शियल एनेस्थीसिया दिया गया ताकि मैं होश में रहूँ , और सर्जरी के दौरान सर्जन समय-समय पर मुझे एक शीट से चित्र पढ़ने के लिए कहते थे। सर्जरी के दौरान यह एक्सरसाइज तीन चार बार हुई।

सर्जरी के बाद, मुझे रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी दी गई। मैं डॉक्टरों की अपनी टीम के प्रति बहुत आभारी हूं कि वे मुझे आज भी दवा, प्रेरणा और देखभाल प्रदान करते हैं।

मैं आईबीएम इंडिया में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूं और निदान के बाद भी कंपनी ने मुझे काम पर रखे रखा और ऐसा रोल दिया जो मेरे लिए ठीक था -  मैं इस के लिए कंपनी मैनेजमेंट की बहुत आभारी हूँ कि उन्हें मुझ पर विश्वास रहा कि मैं अपने पैरों पर वापस खड़ी हो पाऊँगी और  बेहतर काम कर पाऊँगी।

जब मैंने कीमोथेरेपी के दौरान ऑफिस में फिर से काम करना शुरू किया, तो मुझे समझने, ध्यान केंद्रित करने और काम करने में अधिक समय लगता था। पर  मेरे सहयोगी और मैनेजमेंट अच्छे थे और उन्होंने मुझे प्रोत्साहित किया। मेरे काम करने के धीमेपन को लेकर कभी किसी ने मुझे अपमानित नहीं किया, कोई चोट लगाने वाली बात नहीं कही। नौकरी पर रहने से मुझे अपने काम में व्यस्त रहने के कारण अपने स्वास्थ्य की चिंता कम करने में मदद मिली। मुझे समय पर काम पूरा करने और अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखने की तीव्र इच्छा थी जिस से परोक्ष रूप से ठीक होने में मदद मिली।

आपकी वर्तमान स्थिति क्या है?

मैं आज स्वस्थ हूं। मुझे अभी भी एक एंटी-कन्वल्सेंट दवा जारी रखनी है क्योंकि अगर मैं सभी एंटी-कन्वल्सेंट दवाओं को बंद कर दूं तो सीज़र होने का खतरा है।

हाँ, ध्यान देने और काम फिर से शुरू करने में कुछ समय लगा, लगभग एक साल। तब से  मैं अपने करियर में प्रगति कर रही हूं और यहां तक कि मेरा एक प्रमोशन भी हुआ है। आज मुझे एक पेटेंट (मेरी टीम के साथ) मिल चुका है और हमने एक दूसरे पेटेंट के लिए फाइल भी करा है।

एक अस्थायी चिकित्सा स्थिति हमारी क्षमताओं को जिन्दगी भर के लिए ख़त्म नहीं करती है। हमें उपचार सहना होगा, आत्मविश्वास रखना होगा और जीवन को फिर से शुरू करना होगा।

क्या आपको अपनी प्राथमिक स्थिति से संबंधित कोई जटिलताएं हुई हैं?

मैं अभी भी एक एंटी-कन्वल्सेंट गोली, फ्रिसियम लेती हूँ। पिछले साल मुझे पार्शियल सीज़र पड़े और दवा की सूची में एक और टैबलेट जुड़ गयी। एक सामान्य दिन बिताने के लिए मुझे आठ से नौ घंटे की नींद की आवश्यकता चाहिए।

आपका इलाज का कोर्स क्या था? आप वर्तमान में कौन सी दवाएं ले रही हैं?

मेरी “अवेक क्रैनियोटॉमी” की गयी थी। चूंकि ट्यूमर मेरे मस्तिष्क के एक महत्वपूर्ण क्षेत्र में फैल चुका था, इसलिए इसे पूरी तरह से हटाना संभव नहीं था। तब रेडियोथेरेपी के तैंतीस सत्र किये गए। कीमोथेरेपी दवा की एक हल्की खुराक - टेमोज़ोलोमाइड 60 एमजी  को रेडियोथेरेपी से एक घंटे पहले लेना पड़ता था, ताकि कैंसर कोशिकाएं सक्रिय हो जाएँ। मेरे डॉक्टरों को रेडियोथेरेपी योजना पर अधिक समय देना पड़ा क्योंकि अवशेष कोशिकाएं (जिन्हें सर्जरी से हटाया नहीं सकता था) भी मस्तिष्क के महत्वपूर्ण स्थानों पर थीं। हर हफ्ते 6 रेडियोथेरेपी सत्र होते थे, - मैं सातवें दिन - जिस दिन कोई रेडियोथेरेपी  नहीं थी - का सचमुच बेसब्री से इंतजार करती थी। एक समय ऐसा था जब एक ही टाइम पर 12 एंटी-कन्वल्सेंट को निगलना होता था। इसके साथ ही उल्टी रोकने की दवा पेंटाडॉक और कुछ स्टेरॉयड भी दिए गए थे। डॉक्टर ने टेमोज़ोलोमाइड लेने से पहले तीन घंटे तक खाली पेट रहने की सलाह दी थी। मुझे सुबह 7:30 बजे उठना होता था, पेंटाडॉक लेना था, फिर चाय, टहलने जाना, फिर सुबह 9:30 बजे तक नाश्ता और दवाइयाँ लेना, फिर अपने पिता के साथ दोपहर 12:30 बजे तक अस्पताल पहुँचना, दोपहर 12:40 बजे टेम्पोज़ोलोमाइड लेना, और फिर “ट्रीटमेंट रूम”  दोपहर 1:40 बजे पहुंचना। उपचार केवल 8 से 10 मिनट तक चलता था। उसके बाद मुझे चक्कर आने लगते थे। माँ घर पहुँचने पर मुझे गरमा गरम लंच परोसतीं। मैं आमतौर पर शाम को आराम करती थी।

पंद्रह बीस  दिन के अंतराल के बाद, जनवरी 2012 में कीमोथेरेपी शुरू हुई। हर महीने लगातार 5 दिनों के लिए कीमोथेरेपी निर्धारित की गई और मुझे घर पर दवा लेनी थी। कीमोथेरेपी से पहले रोगी को मुख्य रूप से डब्ल्यूबीसी की संख्या की जांच के लिए रक्त परीक्षण किया जाता है। मैं 6 महीने के लिए टेमोज़ोलोमाइड 300 मिलीग्राम और फिर 3 महीने के लिए टेमोज़ोलोमाइड 250 मिलीग्राम पर थी।

क्या दवाओं के कोई दुष्प्रभाव थे? यदि हां, तो आप उन्हें कैसे प्रबंधित करती हैं?

मुझे सर्जरी के बाद हल्का दर्द हुआ और मुंह खोलने में दिक्कत हुई। यह एक दो हफ्ते में ठीक हो गया। स्टेरॉयड से मेरा शरीर फूल गया। मामूली त्वचा एलर्जी भी पैदा हुई। कैंसर के सेल ऐसे स्थान पर थे जहां उन्हें नष्ट करने के लिए दिए गए उपचार का मेरी दृष्टि पर हल्का सा असर पड़ा, मैं अब चश्मे का उपयोग कर रही हूं। पूरे उपचार के दौरान कब्ज की समस्या रही, खासकर रेडियोथेरेपी के दौरान।

टेमोज़ोलोमाइड के कारण उल्टी होती थी। मुझे अनिवार्य रूप से इसके साथ एक उल्टी-रोधी गोली लेनी पड़ी। कीमोथेरेपी के मेरे छठे महीने के चौथे दिन इसने मुझे इतना परेशान किया कि इसे मैं नहीं भूल सकती। रविवार का दिन था, लेकिन डॉ. अमित रौथन इतने अच्छे हैं कि जब भी हमें फोन किया तो उन्होंने कॉल को लिया और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कौन सी दवा लूं, इस पर सलाह दी। मुझे बाहर का खाना बिल्कुल पसंद नहीं था और जब मैं इसे सूंघती तक थी तो मितली आ जाती।

कहने की जरूरत नहीं, , यह एक कठिन दौर था और भगवान ने मुझे कठिनाइयों को नजरअंदाज करने और केवल ठीक होने पर ध्यान केंद्रित करने की शक्ति दी।

आप किस तरह के विशेषज्ञों से सलाह लेती हैं और कितनी बार?

मैं यह जांचने के लिए अपने सर्जन से परामर्श करती हूं कि मुझे एमआरआई की आवश्यकता है या नहीं और उन्हें रिपोर्ट दिखाती हूँ। हाल ही में उन्होंने साल में एक बार एमआरआई कराने की सलाह दी।

मैं नियमित रूप से एक न्यूरो चिकित्सक से परामर्श करती हूं और वे मुझे एंटी-कन्वल्सेंट पर सलाह देता है। वे अन्य विशेषज्ञों के साथ मेरे परामर्श पर, और मैं कौन-कौन से दवाएं ले रही हूँ,  इस पर भी नजर रखते हैं। मेरे डॉक्टर अब मेरे एक अच्छे दोस्त और शुभचिंतक हैं और वे मेरी एमआरआई रिपोर्ट का अध्ययन करते हैं और हमें डिटेल्स बताते हैं।

क्या आपने अपनी स्थिति के प्रबंधन करने में कुछ ऐसा सीखा है जो आप चाहती हैं कि आप पहले जानतीं?

पहले सीज़र के लक्षण के और एमआरआई के बीच का 18 महीने का अंतराल मेरे लिए भारी रहा - इस ने ट्यूमर को बढ़ने दिया और ट्यूमर का मुझ पर असर बढ़ गया। उन दिनों मेरे कई रिश्तेदारों और शुभचिंतकों ने मुझे दूसरी राय लेने की सलाह दी थी, लेकिन मैंने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया। अब लगता है कि अगर हमने ट्यूमर की पहले पहचान कर ली होती तो यह मेरे लिए काफी बेहतर होता।

रोगी द्वारा एक बार में ली जाने वाली सभी एंटी-कन्वल्सेंट दवाओं को हटाना संभव नहीं है। ऐसा करने से सीज़र पड़ सकते हैं। चूंकि मैं अपनी सर्जरी से एक दिन पहले 10 एंटी-कंसल्सेंट ले रही थी, और इसमें फ्रिसियम 10 एमजी जोड़ दी गयी, इसलिए मेरे डॉक्टर को इसे 12 दवाओं  से 2 तक लाने में 4 साल लग गए। कल्पना कीजिए कि इतने बड़े पैमाने से दवा लेने का मेरे शरीर पर क्या दुष्प्रभाव हुए होंगे। शुरू में दूसरी राय ले लेती तो निश्चित रूप से मेरी बहुत मदद होती। मेरी ओर से यह चूक हुई।

अपनी स्थिति के कारण आपने अपनी जीवनशैली में क्या बदलाव किए हैं?

मैं हर रात 8 से 9 घंटे सोती हूं। मेरे परिवार के लाड़ प्यार के कारण मैं शायद ही कभी कोई घर का काम या खाना पकाने का काम करती हूं।

हाँ, बीमारी के कारण मैंने ब्लॉग लिखना शुरू कर दिया। मेरा लेख, "अ कैंसर सर्वाइवर्स टेस्टिमनी ऑफ बैटल” (एक कैंसर उत्तरजीवी की लड़ाई का बयान) द हिंदू के ओपन पेज में प्रकाशित हुआ था। मैं तकनीकी और व्यक्तिगत, दोनों प्रकार के ब्लॉग लिखती हूं। मैं रोगियों में सकारात्मकता पैदा करने की आवश्यकता को अच्छी तरह समझती हूं, इसलिए उन्हें समझाती हूं कि उपचार का चरण बस कुछ दिन है, और वे सामान्य रूप से जी सकेंगे। यह अत्यंत जरूरी है कि पूरा समाज इसे समझे, रोगियों का समर्थन करे और उन्हें यह कह कर हताश न करे कि उनकी जीवन की अवधि कम हो सकती है।

क्या आपने होम्योपैथी या योग जैसी पूरक दवाओं या उपचारों की कोशिश की है? यदि हां, तो क्या इससे मदद मिली?

मैंने कोई अन्य दवा या उपचार लेने की कोशिश नहीं की।

आपने मानसिक/ भावनात्मक रूप से अपनी स्थिति का सामना कैसे किया?

जब मुझे पता चला कि बायोप्सी रिपोर्ट में क्या लिखा है, तो मैं फूट-फूट कर रोई। मेरे परिवार के अधिकांश लोग इसे जानते थे लेकिन शुक्र है कि सर्जरी से पहले मुझे सूचित नहीं किया गया। पता चलने पर मैं 3 घंटे तक रोई। मेरी मां ने मुझसे कहा कि भगवान हैं और वे मेरा साथ देंगे। उसके बाद मैंने किसी तरह रोना बंद करा। हमने तिरुचेंदूर मंदिर जाने की योजना बनाई थी और मेरी सर्जरी के कारण इसे रद्द कर दिया गया। इसलिए मेरे माता-पिता मुझे हर सप्ताहांत में उल्सूर सुब्रमण्यम स्वामी देवस्थान ले जाने लगे। मैं वहाँ भगवान मुरुगा के सामने रोई!

मूल रूप से मैं साहसी व्यक्ति नहीं हूं (हालांकि मेरी इच्छाशक्ति दृढ़ है), और वास्तव में मुझे मालूम नहीं कि मुझे अपनी स्थिति का और उपचार का सामना करने का साहस कैसे मिला।

क्या आप सहायता के लिए किसी काउंसलर से मिलीं? क्या आपके डॉक्टर ने आपको काउंसलिंग दी?

नहीं, मेरा न्यूरो-सर्जन ने ही मुझे काउंसलिंग दी। उन्होंने मुझे अपने आप से “मैं ठीक हूँ” (आई ऐम आलराईट) सौ बार  सुबह और सौ बार रात को सोने से पहले कहने की सलाह दी। उन्होंने यह भी कहा कि मैं अपनी बीमारी के बारे में इन्टरनेट पर ब्राउज न करूं क्योंकि उस से मैं गुमराह हो सकती हूँ।

आपके परिवार ने आपको कैसे सपोर्ट किया? इस सब के बीच आपका सबसे बड़ा समर्थक/ साथी कौन रहा है?

मेरे माता-पिता और बहन ने पूरे समय मुझे सहारा दिया। हालाँकि  मेरी बहन नई दिल्ली में कार्यरत थी, उसने मेरी सर्जरी के दौरान एक महीने की छुट्टी ली और वह मेरे साथ रही। वह मेरी कीमोथेरेपी से पहले फिर आई।

मेरे रिश्तेदार भी मेरे साथ समय बिताने के लिए अधिक बार आते थे। मेरा विश्वास करिए, वे सभी 14 अक्टूबर 2011 को मेरी सर्जरी के दौरान यहां मणिपाल अस्पताल में थे। और बुढ़ापे के बावजूद हमारे कुछ दूर के रिश्तेदार भी मुझसे मिलने आए। ऐसे अच्छे रिश्तेदार पाकर मैं धन्य हूं।

आपके दोस्तों ने आपके साथ कैसा व्यवहार किया? क्या आप को लगा कि आप अकेली हैं? क्या आपने निदान के तुरंत बाद अपना अनुभव उनके साथ साझा किया?

मेरे मित्र और सहकर्मी, जिनमें मेनेजर भी शामिल हैं, मुझसे अस्पताल और घर पर मिलने आते थे। मैं “सिक लीव” पर थी और केवल अपने मेनेजर को अपने निदान के बारे में बता पायी थी।

मेरी एक करीबी दोस्त, कविता अपने पति के साथ मुझसे मिलने आयी हालांकि वह गर्भवती थी और बहुत दूर रहती थी।

आपके निदान ने आपके जीवन के दृष्टिकोण और महत्वाकांक्षाओं को कैसे बदला है?

निदान ने मुझे बोल्ड बना दिया। मेरी महत्वाकांक्षाएं बरकरार हैं।

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