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Submitted by PatientsEngage on 22 October 2024
Picture of a spectacled man with greying hair. Text on the left Learnings from a heart attack and two strokes

मुंबई के 60 वर्षीय हेमंत मेहता को 2006 में दिल का दौरा पड़ा था और फिर 2024 में उन्हें एक के बाद एक, तीन महीने के अंदर दो बार ब्रेन स्ट्रोक हुआ। इस लेख में वे साझा करते हैं कि कैसे उनके अनुभव ने उन्हें अपने शरीर के संकेत और लक्षणों के प्रति सतर्क रहना सिखाया, और कैसे इस सतर्कता ने उन्हें स्ट्रोक होने पर समय पर अस्पताल पहुँचने में मदद की।

मैं हेमंत मेहता हूँ,। मैं 60 साल का हूँ और 40 साल से अपना एक व्यवसाय चला रहा हूँ। मैं पिछले 35 सालों से नियमित रूप से योग का अभ्यास कर रहा हूँ और मैं एक बहुत सक्रिय व्यक्ति हूँ और अपनी शारीरिक फिटनेस के बारे में बहुत ध्यान रखता हूँ। मैं व्यायाम पर तो बहुत ध्यान करता था लेकिन अपने आहार के संबंध में नहीं - मैं जंक फ़ूड ज़्यादा खाता था और सोचता था कि व्यायाम करने से मैं इस जंक फ़ूड के दुष्प्रभाव को आसानी से नियंत्रित कर सकता था।

मुझे 2006 में दिल का दौरा पड़ा था। यह संभवतः मेरी रक्त वाहिकाओं में कहीं घनास्त्रता (थ्रोमबाउसिस, रक्त प्रवाह में बाधा डालने वाला थक्का) के कारण हुआ था। उस दिन मुझे योग सत्र के वार्म अप चरण के दौरान में कुछ असुविधा महसूस हुई थी और इसलिए मैंने आराम किया और शाम को डॉक्टर से सलाह लेने का फैसला किया। इस तरह डॉक्टर से मिलने के लिए शाम तक इंतजार करने के फैसले से मेरा उपचार सही समय पर शुरू नहीं हुआ। मैंने डॉक्टर से शाम की अपॉइन्ट्मन्ट ली, लेकिन इससे पहले कि मैं उस के लिए क्लिनिक पहुँच पाता, मुझे बहुत तेज़ दर्द हुआ और मैं बेहोश हो गया। दोस्तों और रिश्तेदारों की मदद से मुझे अस्पताल ले जाया गया। मैं भाग्यशाली था कि मैं समय पर अस्पताल पहुँच पाया और वहाँ मुझे आपातकालीन उपचार (ईमर्जन्सी ट्रीट्मन्ट) मिल पाया – मुझे ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफ़िब्रिलेटर (AED) द्वारा दिल को झटके दिए गए और मुझे होश आ गया। यह ध्यान रखना जरूरी है कि यदि शरीर किसी तरह की समस्या का संकेत देता है और जब दर्द असामान्य लगे, तो डॉक्टर से तुरंत बात करना आवश्यक है। मेरे मामले में मैंने इसे पहचान लिया और डॉक्टर से संपर्क किया पर फिर मैंने डॉक्टर से मिलने के लिए शाम तक इंतज़ार करना चाहा, पर यह विलंब करना ठीक नहीं था। लेकिन शुक्र है कि मैं समय पर अस्पताल पहुँच गया और मुझे उपचार मिल पाया और मैं होश में आ गया।

मैंने इस घटना के बाद अपना व्यायाम जारी रखा और जंक फ़ूड का सेवन सीमित कर दिया। अगले 15 सालों तक मैंने एक बहुत ही व्यवस्थित जीवन शैली अपनाई। उच्च रक्तचाप के लिए मेरे लिए बीटा ब्लॉकर्स - मेटोप्रोलोल 25 एमजी निर्धारित किया गया था।

इस के बाद आपको स्ट्रोक हुआ – कृपया इस अगले स्वास्थ्य संबंधी हादसे के लक्षणों का वर्णन करें। क्या इन लक्षणों को तुरंत पहचाना गया? क्या कार्रवाई की गई? यह आपकी पहले से मौजूद स्वास्थ्य समस्याओं से कैसे जुड़ा था?

पहला स्ट्रोक
मुझे पहला स्ट्रोक 9 फरवरी 2024 को आधी रात के करीब हुआ। इस से पहले कुछ रातों से मेरे शरीर ने स्ट्रोक के संकेत दिए थे, जब मुझे लगता था कि मेरे सिर में कुछ असामान्य है, लेकिन फिर मैं सो जाता था। तीसरी बार 31 जनवरी को जब यह हुआ, तो मैंने अपनी पत्नी को बताया कि कुछ समस्या है, लेकिन मुझे पक्का मालूम नहीं नहीं था कि यह मेरा कोई सपना था या सच में हुआ था।

9 फरवरी को यह असामान्य महसूस होने का अनुभव लंबा चला और मेरे चेहरे और दाहिने हाथ पर लकवा मार गया। मेरे परिवार वाले यात्रा पर गए हुए थे और घर पर नहीं थे। मैं किसी तरह अपने घर के नौकर के कमरे तक पहुंचने में कामयाब रहा (मुझे यह खयाल नहीं आया मैं अपने फोन का इस्तेमाल कर सकता था)। मैंने उसका दरवाजा जोर से खटखटाया और उसे तुरंत कार्रवाई करने के लिए कहा। पड़ोसियों, दोस्तों और रिश्तेदारों को सतर्क कर दिया गया और मुझे 15 मिनट के भीतर अस्पताल पहुंचाया गया। मैं बेहद भाग्यशाली था कि मेरा गोल्डन ऑवर में थ्रोम्बोलिसिस (रक्त का थक्का घोलने का इलाज) किया गया, जिससे मेरी रिकवरी जल्दी हो पाई, और क्षति पर नियंत्रण मिला।

मुझे स्ट्रोक से लेकर अस्पताल तक के सभी पल याद हैं - मैं होश में था और मुझे पता था कि मेरे साथ क्या हो रहा है। मेरा हाथ 10-15 मिनट में ठीक हो गया और जब मैं अस्पताल पहुंचा तो मैं खड़े होने के लिए इसका इस्तेमाल कर रहा था। मुझे फेशियल पाल्सी (चेहरे का पक्षाघात) थी और अस्पताल में मेरी बोलने की क्षमता चली गई थी। उपचार के बाद, मेरी बोलने की क्षमता वापस आ गई, लेकिन मेरी बोली अस्पष्ट थी।

क्योंकि मुझे पहले हार्ट अटैक हो चुका था, डॉक्टर ने यह पता चलाने की कोशिश की कि थ्रोम्बोसिस की उत्पत्ति कहाँ हुई थी (थक्के कहाँ बन रहे थे)। थक्के के स्रोत की जांच के लिए ट्रांस थोरैसिक ईसीजी (टीटीई) एंडोस्कोपी टेस्ट किया गया और 7 दिनों के लिए होल्टर मॉनिटर लगाया गया। पर इन परीक्षणों से थक्कों की उत्पत्ति का पता नहीं लग पाया। मुझे रक्त पतला करने वाली और थक्कारोधी दवाएं दी गई। मैं इलाज के लिए एक सप्ताह तक अस्पताल में रहा और फिर मुझे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। मस्तिष्क की गतिविधि की जांच के लिए ईईजी भी किया गया। मेरा ईईजी असामान्य था इसलिए सीजर से बचाव के लिए मुझे 6 महीने के लिए एंटी-एपिलेप्टिक दवा का कोर्स दिया गया।

दूसरा स्ट्रोक
15 मई को फिर से सुबह 11.30 बजे से दोपहर 12 बजे के बीच मेरी दृष्टि धुंधली हो गई, जो 10 मिनट में ठीक हो गई। हालाँकि मेरी दृष्टि सामान्य हो गई थी, लेकिन मेरे पिछले स्ट्रोक के अनुभव के कारण, मैंने अपने डॉक्टर से परामर्श करना बेहतर समझा और इसलिए अपॉइंटमेंट लिया और शाम को डॉक्टर के पास गया ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मैं अपने कंसल्टेंट विशेषज्ञ से मिलूँ। एमआरआई ने इस बात की पुष्टि की कि मुझे एक छोटा स्ट्रोक हुआ था जिसने मेरी दृष्टि को अस्थायी रूप से प्रभावित किया था और कोई बड़ी क्षति नहीं हुई थी।

मुझे अधिक जांच के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया। लिपिड प्रोफाइल की जांच की गई, मेरे टोटल कोलेस्ट्रॉल, एचडीएल/ एलडीएल के स्तर सामान्य थे, हालांकि अधिक जांच से पता चला कि मेरा लो डेंसिटी लिपो-प्रोटीन (ए) अधिक था, जो दिल के दौरे या स्ट्रोक का एक जोखिम कारक था।

होल्टर टेस्ट और ईईजी सामान्य थे। चूंकि एमआरआई में असामान्यता दिखी थी, इसलिए मेरी दवा बदलने की जरूरत थी - 2 महीने के लिए रक्त पतला करने वाली दवा की खुराक बढ़ाई गई और मेरी नाड़ी की गति को नियंत्रित करने के लिए भी दवा दी गई। अगस्त में एक और होल्टर टेस्ट किया गया, जिसके बाद डॉक्टरों ने इस नवीनतम दवा प्रोफ़ाइल को जारी रखने का फैसला किया। साथ ही, उन्होंने 6 महीने के बाद होल्टर टेस्ट और नियमित जांच करवाने का सुझाव दिया।

मुझे इस बात का भी ध्यान रखना है कि मुझे कोई आंतरिक या बाहरी चोट न लगे, क्योंकि मैं रक्त का थक्का जमने से रोकने वाली दवा की बहुत ऊंची खुराक ले रहा हूं। चोट लगी तो रक्तस्राव बहुत अधिक और हानिकारक हो सकता है।

पहले स्ट्रोक के लगभग 10-12 दिन बाद जब मैं घर वापस आया, तो मेरी उंगलियों के सिरों में कुछ सुन्नता थी जो कभी कुछ उंगलियों में होती तो कभी कुछ दूसरी उंगलियों में। मुझे ऐसा भी महसूस होता था जैसे मेरे सिर में नियमित अंतराल पर कुछ हो रहा है। बातें कर रहा होता तो मुझे अपने सिर में एक तरह का शॉर्ट-सर्किट महसूस होता, जिसके कारण मैं कुछ सेकंड के लिए अचानक बोलना बंद कर देता था। ऐसा 15-20 दिन पहले भी हुआ था , लेकिन इन हादसों के बीच की अवधि बढ़ गई है।

इसलिए, मुझे एपलेप्टिक सीजर के जोखिम को कम करने के लिए एंटी-एपिलेप्टिक दवाएँ दी गईं। मैंने दवा शुरू करने से पहले एक दूसरे डॉक्टर से भी राय ली। मुझे बताया गया कि संभावना थी कि यह दवा 6 महीने बाद बंद की जा सकती है।

दूसरे स्ट्रोक के बाद भी ईईजी किया गया और इस बार यह सामान्य था, लेकिन चूंकि एंटी-एपिलेप्टिक दवा शुरू हो चुकी थी डॉक्टरों ने सलाह दी कि इस दवा को एक निश्चित अवधि तक जारी रखा जाना चाहिए। अब मैंने दूसरे स्ट्रोक के बाद के सामान्य ईईजी के बाद एंटी-एपिलेप्टिक दवा लेना बंद कर दिया है।

मेरी हालत में सुधार हुआ है और मैं हर गुजरते दिन के साथ बेहतर महसूस कर रहा हूं।

दो स्ट्रोक के बीच के 3 महीनों में, मैं कमज़ोर और उदास महसूस करता था, हर समय बस लेटा रहता था, और किसी भी तरह की बातचीत करने के मूड में नहीं होता था। अब इस अतिरिक्त रक्त पतला करने वाली दवा के शुरू होने के बाद, दूसरे स्ट्रोक के बाद, मैं पहले से ज़्यादा सामान्य महसूस करता हूँ – मेरा बाहर जाने का मन करता है, मैं वास्तव में अपने काम पर ध्यान केंद्रित करने और यहाँ तक कि पुणे में अपने कार्यालय जाने में भी दिलचस्पी रखता हूँ।

आपके स्ट्रोक का कारण क्या था?

मेरा रक्तचाप हमेशा ऊंचा रहता था और मैं बीटा ब्लॉकर्स लेता था, जिससे मेरे उच्च रक्तचाप को नियंत्रित रखने में मदद मिली। तनाव शायद एक और कारण था। चिकित्सकीय रूप से किसी भी कारण की पुष्टि नहीं हुई है। पहले थक्का बना था जिससे दिल का दौरा पड़ा और मुझे बताया गया कि मेरे शरीर में रक्त के थक्के बनाने की अधिक प्रवृत्ति है।

क्या आपके परिवार में स्ट्रोक या हृदय रोग का इतिहास है?

मेरे बड़े भाई को दिल की बीमारी थी। मेरे माता-पिता दोनों स्वस्थ जीवन जी रहे थे - मेरे पिता को उनकी मृत्यु से कुछ समय पहले पार्किंसन और उससे जुड़ी गतिशीलता संबंधी समस्याओं हुई थीं। मेरी माँ को 75 साल की उम्र में पहली बार सीजर हुआ था। न्यूरोलॉजिकल समस्याओं से संबंधित पारिवारिक इतिहास में, मेरे दादाजी को लकवा था, जिसका कारण पता नहीं था या पहचाना नहीं गया था। मैंने अपने डॉक्टर को पारिवारिक इतिहास बताने के बारे में नहीं सोचा। दिल का दौरा पड़ने के बाद, पिछले 15 सालों से मैं हर साल चेक-अप करवाता रहा हूँ, सिवाय पिछले 2 सालों के जब मैं थोड़ा नियंत्रण के बारे में ढीला और आलसी हो गया था।

स्ट्रोक का क्या इलाज किया गया था? क्या आपको कोई सह-रुग्णता थी, और यदि हाँ, तो इसका आपके इलाज पर क्या प्रभाव पड़ा?

केवल थ्रोम्बोलिसिस की आवश्यकता थी और कोई सर्जरी नहीं हुई क्योंकि मैं सामान्य हो गया था और मुझे केवल बोलने में कुछ दिक्कत थी। मुझे मधुमेह नहीं है लेकिन मैं उच्च रक्तचाप की गोलियाँ ले रहा हूँ जिससे मेरा रक्तचाप नियंत्रण में है। हृदय से रक्त की पंपिंग थोड़ी कम है, मेरा इजेक्शन फ्रैक्शन लगभग 35-40, और यह इसी तरह बना हुआ है और हाल ही में 33 थी। मुझे बताया गया था कि हृदय की धड़कनों की असामान्यता के कारण थक्के बन सकते हैं, लेकिन यह सब एक धारणा है क्योंकि इसका अभी तक स्पष्ट रूप से निदान नहीं किया गया है। हृदय रोग विशेषज्ञ का कहना है कि यह कोई समस्या नहीं है, लेकिन न्यूरोलॉजिस्ट का कहना है कि इससे थक्के बन सकते हैं। मैं एक सप्ताह तक अस्पताल में रहा और अफेसिया के लिए स्पीच रीहैब (पुनर्वास) शुरू किया गया।

आपका अस्पताल से डिस्चार्ज का अनुभव कैसा था और डिस्चार्ज के बाद क्या सहायता प्रदान की गई?

डिस्चार्ज एक सहज प्रक्रिया थी और मैं हर 2 महीने नियमित रूप से डॉक्टर से मिलने के लिए वापस जाता हूं। आखिरी बार जब मैं अपने डॉक्टर - न्यूरोलॉजिस्ट - से मिला था, दूसरे स्ट्रोक के बाद, उन्होंने कहा था कि जब तक कोई आपातकालीन स्थिति न हो, मुझे फिर से उनके पास आने की आवश्यकता नहीं है। बस मुझे अपनी स्पीच थेरेपी पर काम करते रहने की जरूरत है।

इस स्थिति और स्ट्रोक के बाद की विकलांगता ने आपको शारीरिक और मानसिक रूप से किस तरह प्रभावित किया? इस स्थिति के कारण आपने अपनी जीवनशैली में क्या बदलाव किए हैं?

दिल का दौरा पड़ने के बाद मैंने अपना नियमित व्यायाम जारी रखा था - योग का अभ्यास और सुबह की सैर – और यह मैं स्ट्रोक से पहले भी करता था। अपने पहले स्ट्रोक के एक महीने बाद, मैंने अपनी सुबह की सैर फिर से शुरू की। पर दूसरे स्ट्रोक के बाद मैंने अभी तक यह शुरू नहीं किया है और अपनी गतिविधि को सीमित रखा है, बस केवल मंत्रोच्चार और सांस संबंधी व्यायाम करता हूँ। बस कुछ ही दिन पहले मैंने योग फिर से शुरू किया है और मेरा इरादा है कि एक महीने के बाद मैं सुबह की सैर भी शुरू करूंगा। अब मैं अपने शरीर की प्रतिक्रिया के आधार पर तय करता हूँ कि कितना और कैसा व्यायाम करूँ – मेरा शरीर मुझ से क्या कह रहा है, मैं वह सुनता हूँ।

मैंने पहले जैसा आहार जारी रखा है, बस सिर्फ जंक फूड खाना कम कर दिया है। डॉक्टरों ने भी आहार में कोई बड़ा बदलाव करने की सलाह नहीं दी है।

आप वर्तमान में कौन सी दवाएँ ले रहे हैं? कृपया सब सप्लमेन्ट के बारे में भी बताएं, और यह भी बताएं कि कौन सी दवा किस के लिए हैं। क्या आपको इन दवाओं को लेने से कोई दुष्प्रभाव महसूस हुआ?

मैं रक्त पतला करने वाली दवाएँ/ रक्त का थक्का जमने से रोकने वाली दवाएँ, नाड़ी की गति को नियंत्रित करने वाली दवाएँ ले रहा हूँ। मैं अब सीजर-रोधी दवाएँ नहीं ले रहा हूँ – क्योंकि ये सीमित अवधि तक ही लेनी थीं। इसलिए अब मैं मेट्रोप्रोलोल 25 एमजी , उच्च रक्तचाप के लिए सैक्यूबिट्रिल और वाल्सार्टन 50 एमजी, रक्त पतला करने वाली दवा के रूप में एपिक्सैबन 5 एमजी, कोलेस्ट्रॉल के लिए एटोरवास्टेटिन 40 एमजी, बेम्पेडोइक एसिड 180 एमजी और एज़ेटिमीब 10 एमजी, अतिरिक्त रक्त पतला करने वाली दवा के रूप में क्लोपिडोग्रेल 75 एमजी, और अनियमित दिल की धड़कन के लिए एमियोडेरोन 100 एमजी ले रहा हूँ।

क्या आपने किसी पुनर्वास का विकल्प चुना और क्या इस का केंद्र आपके घर के नज़दीक था या कहीं और? अपने लिए सही विकल्प खोजने में आपको किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा?

मुझे स्पीच थेरेपी के अलावा किसी अन्य प्रकार के पुनर्वास का सुझाव नहीं दिया गया। हाँ, मैंने स्पीच थेरेपिस्ट से सलाह ली थी। मेरी स्पीच थेरेपी के लिए मुझसे कहा गया कि, मुझे जितना संभव हो सके, धीरे-धीरे और स्पष्ट रूप से बात करने की कोशिश करती रहनी चाहिए। डॉक्टर ने मुझे बताया कि सुधार धीरे-धीरे होगा और अगर 80% तक रिकवरी हो जाए तो काफी अच्छा होगा और मुझे इतने से खुश होना चाहिए।

शुरुआत में मैं ठीक से लिख भी नहीं पाता था। हस्ताक्षर करने में भी समस्या थी, और यह अब भी पूरी तरह ठीक नहीं हुआ है - अब भी मुझ हस्ताक्षर करते समय संकोच रहता है और मैं चिंता करता हूँ कि सही से हस्ताक्षर कर पाऊँगा या नहीं। आजकल, चूँकि हस्ताक्षर की बहुत कम आवश्यकता होती है, इसलिए यह कोई बड़ी समस्या नहीं है। बैंक चेक पास हो जाते हैं इसलिए बैंक में मेरे हस्ताक्षर बदलने की कोई ज़रूरत नहीं पड़ी।

आप काम कैसे करते हैं/करते थे?

मेरा बेटा मेरा व्यवसाय संभालने के लिए मेरे साथ ही था। मेरे कर्मचारी अनुभवी हैं और वे और मेरा बेटा मिल कर व्यवसाय के नियमित काम को शत प्रतिशत जारी रख रहे हैं और सब अच्छी तरह से प्रबंधित करते हैं। डेढ़-दो महीने तक मैं पूरी तरह से काम से दूर रहा। धीरे-धीरे मैंने काम फिर से शुरू किया और अब मैं 50-60% सक्रिय हूँ। मुझे इस अवधि के दौरान किसी भी निर्णय लेने में शामिल होने की आवश्यकता महसूस नहीं हुई।

आपने मानसिक/भावनात्मक रूप से इन सब का सामना कैसे किया? कृपया कोई विशेष समय और समस्याएँ बताएँ जो आपके लिए कठिन थीं। क्या आपने सहायता के लिए किसी काउन्सलर से मिले?

दूसरे स्ट्रोक के बाद, मैं भावनात्मक रूप से और भी अधिक परेशान हो गया था, खास तौर पर अपने परिवार को लेकर। मैं अच्छी तरह से जानता हूँ कि हर किसी की एक ‘एक्सपायरी डेट’ होती है, सब का मरने का दिन तय होता है। इसलिए मेरा मानना है कि सभी दस्तावेज़ों को स्पष्ट रूप से प्रबंधित करना हमेशा बेहतर होता है ताकि भविष्य में परिवार वालों को कोई परेशानी न हो। ये विचार दूसरे स्ट्रोक के बाद और भी अधिक उभरने लगे, खासकर इसलिए क्योंकि यह पहले स्ट्रोक के तीन महीने के भीतर हुआ था। मैं इसलिए भी बहुत परेशान था क्योंकि मुझे बताया गया था कि मेरे शरीर में रक्त के थक्के जमने की संभावना अधिक है, इसलिए मैं कह नहीं सकता हों कि स्ट्रोक फिर से कब और कैसे हो सकता है।

आपके परिवार ने आपको किस तरह से सहयोग दिया है? आपके परिवार को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा और उन्होंने उनका सामना कैसे किया?

मैं धन्य हूँ कि मुझे बहुत अच्छे परिवार वाले और दोस्त मिले हैं। उन्होंने मुझे तीनों बार बचाया है। वे मुझे दिल का दौरा पड़ने के बाद सही समय पर अस्पताल ले गए और मुझे समय पर प्रभावी उपचार मिल पाया । मैं उस दिन को अपने दूसरे जन्मदिन के रूप में मनाता हूँ।

मेरे ब्रेन स्ट्रोक के बाद, मुझे पता था कि मैं मरने वाला नहीं हूँ, लेकिन मैं विकलांग हो सकता था और ऐसे में मुझे हमेशा किसी के सहारे की ज़रूरत होती। लेकिन मेरे नौकर और करीबी दोस्तों और रिश्तेदारों की सही मदद से मुझे गोल्डन ऑवर के भीतर उचित उपचार मिल पाया।

आप अब किन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं? क्या आपको भविष्य को लेकर कोई चिंता है?

मैं मानता हूँ कि जैसे-जैसे कुछ होता है, हमें वैसे-वैसे ही उसे स्वीकार करते रहना चाहिए। मौज-मस्ती करें, जीवन का भरपूर आनंद लें और खुल कर जियें क्योंकि ज़िंदगी का कोई ठिकाना नहीं है।

डॉक्टर ने मुझे यात्रा करने से मना किया है और पूरी सावधानी बरतने को कहा है। कोई ज़रूरी यात्रा करनी हो तो सभी टेस्ट रिपोर्ट तैयार रखनी चाहियें, सिर्फ बड़े शहरों में जाना ठीक रहेगा, और अगर कोई समस्या हो तो नर्सिंग होम के बजाय बड़े अस्पतालों में जाना चाहिए।

अपनी स्थिति को प्रबंधित करने में आपने ऐसा क्या सीखा है जो आप सोचते हैं कि आपको पहले पता होता तो अच्छा होता? आप अपनी जैसी चुनौतियों का सामना करने वाले व्यक्तियों को क्या सलाह देंगे?

पीछे मुड़कर देखने पर मैं कह सकता हूँ कि शरीर द्वारा दिए जाने वाले सभी छोटे-छोटे संकेतों पर ध्यान देना जरूरी है और किसी भी असामान्य चीज़ को अनदेखा नहीं करना चाहिए (जैसे कि दिल के दौरे के दौरान मुझे सीने में दर्द हुआ था)। मुझे आम तौर पर किसी भी लक्षण को नज़रअंदाज़ करने की आदत नहीं है, लेकिन इन अनुभवों ने मुझे ज़्यादा जानकार और सतर्क बना दिया है। दूसरे स्ट्रोक की शुरुआत के दौरान हुई धुंधली दृष्टि मुझे पहले कभी होती तो खास चिंतित नहीं करती क्योंकि मैं तब यह सब नहीं जानता था और इसे गंभीर नहीं समझता, और जाँच के लिए नहीं जाता। पर पहले स्ट्रोक के अनुभव के कारण मैं अधिक सतर्क था।

जब लोग अपने अनुभवों के बारे में बात करते हैं तो मैं सुनता जरूर हूँ लेकिन इस बात-चीत में ज़्यादा शामिल नहीं होता। ऐसे कई लोग हैं जिनकी स्थिति मेरी स्थिति से बदतर है और जिन्होंने मुझसे ज़्यादा दुख झेले हैं -उनके बारे में जब सोचता हूँ तो खुद को धन्य मानता हूँ।

मेरी सलाह यह होगी कि किसी भी असामान्य बात को नजरअंदाज न करें और उस के लिए तुरंत सलाह लें, भले ही बाद में पता चले कि वह कोई गंभीर बात नहीं थी।

As told to Lata Chopra

Changed
27/Oct/2024