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Submitted by PatientsEngage on 3 May 2022
long covid symptoms and management

लॉन्ग-कोविड के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ रही है। यूनाइटेड किंगडम में कंसल्टेंट रुमेटोलॉजिस्ट और जनरल फिजिशियन डॉ अरविंद नुने इस लेख में लॉन्ग-कोविड के लक्षण, निदान और प्रबंधन के बारे में बताते हैं।

लॉन्ग-कोविड क्या है?

कोविड-19 संक्रमण से ठीक हो रहे कुछ रोगियों में संक्रमण की तीव्र अवस्था के बाद कुछ ऐसे लक्षण होते हैं जो कई हफ्तों से लेकर महीनों तक रह सकते हैं। इसे व्यापक रूप से "लॉन्ग कोविड" के नाम से जाना जाता है।

लॉन्ग-कोविड को एक एसआआरएस-सीओवी -2 संक्रमण की लंबी अवधि की अगली कड़ी के रूप में परिभाषित किया गया है, जो संक्रमण से उबरने के कई हफ्तों बाद लगातार बने रहते हैं या संक्रमण से ठीक होने के कई हफ़्तों बाद आते हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड केयर एक्सीलेंस (एनआईसीई) पोस्ट-सीओवीआईडी -19 सिंड्रोम को उन लक्षणों के रूप में परिभाषित करता है जो कोविड -19 के अनुरूप संक्रमण के दौरान या उसके बाद उत्पन्न होते हैं। ये लक्षण 12 सप्ताह से अधिक समय तक बने रहते हैं और इनके कारण का कोई अन्य निदान नहीं हो सकता।

अक्टूबर 2021 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने लॉन्ग कोविड को "पोस्ट कोविड -19 कंडीशन" के रूप में परिभाषित किया है, जो उन व्यक्तियों में होता है जिन्हें (संभावित या पुष्टि प्राप्त) एसआआरएस-सीओवी  -2 संक्रमण हुआ था, और आमतौर पर कोविड -19 की शुरुआत से 3 महीने  बाद होता है - ये लक्षण कम से कम 2 महीने तक रहते  हैं और इनका कारण कोई अन्य रोग नहीं होता है।

भारत में लॉन्ग-कोविड कितना व्यापक है?

हम यह नहीं जानते कि भारत में लॉन्ग-कोविड के सही आंकड़े क्या हैं। ऐसा अनुमान है कि यूके में 2.1% आबादी में लॉन्ग-कोविड विकसित हो रहा है, और इस के आधार पर हम यह अनुमान लगा सकते हैं कि 27.6 मिलियन भारतीय आबादी को लॉन्ग-कोविड हो सकता है।

जाहिर है, जैसे-जैसे कोविड -19 के मामलों में वृद्धि होती रहेगी, हम साथ-साथ लॉन्ग कोविड के केस में भी वृद्धि देखेंगे। समय के साथ, लॉन्ग कोविड के बढ़ते केस से सभी देशों की स्वास्थ्य प्रणालियों पर अधिक बोझ पड़ेगा।

लॉन्ग-कोविड के लक्षण क्या हैं?

लॉन्ग-कोविड के लक्षण लोगों में अलग-अलग हो सकते हैं। सबसे आम लक्षणों में शामिल हैं - सांस फूलना, खांसी, थकान, जोड़ों में दर्द, नींद में समस्या, ब्रेन फॉग और मांसपेशियों में दर्द। यूके ऑफिस ऑफ़ नेशनल स्टैटिस्टिक्स के अनुसार, रोगियों ने जो अपने लक्षण बताए उनमें सबसे आम थे- थकान (58%), सांस फूलना (42%), मांसपेशियों में दर्द (32%) और ध्यान लगा पाने में दिक्कत(31%)।

कुछ रोगियों में लॉन्ग-कोविड का निदान करना मुश्किल क्यों है?

लॉन्ग-कोविड का निदान करना आमतौर पर सीधा होता है। पर कुछ रोगियों में इसका निदान करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है क्योंकि कुछ चिकित्सीय स्थितियों के लक्षण लॉन्ग-कोविड के लक्षण के समान हैं। इनमें  रूमेटोइड आर्थराइटिस (आरए, गठिया), कनेक्टिव टिशू डिजीज (सीटीडी), इंफ्लेमेटरी मायोसिटिस (आईएम) और फाइब्रोमाल्जिया (एफएम) और क्रोनिक फटीग सिंड्रोम (सीएफएस) जैसे सिस्टमिक ऑटोम्यून्यून रूमेटिक रोग (एसएआरडी) शामिल हैं। इन के और लॉन्ग कोविड के लक्षण में कई समानताएं हैं - जैसे कि जोड़ों का दर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकान और सांस फूलना। इसी तरह, अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी सांस की बीमारियां भी सांस फूलने का कारण बन सकती हैं।

निदान में विशेष चुनौती उन व्यक्तिओं में होती है जिन में लगातार जोड़ या मांसपेशियों के लक्षण विकसित होते हैं और जिन्हें कोविड -19 संक्रमण का निदान मिला था और रूमेटिक रोगों का इतिहास भी है। उनके लक्षण लॉन्ग-कोविड की वजह से हो सकते हैं, या पहले से मौजूद रूमेटिक रोग के बढ़ जाने के कारण हो सकते हैं। इसलिए, यदि कोई संदेह है, तो निदान की पुष्टि करने के लिए रोगियों को अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

लॉन्ग-कोविड का निदान कैसे किया जाता है?

लॉन्ग-कोविड का निदान मुख्य रूप से क्लिनिक में होता है। निदान व्यक्ति के लक्षणों के आधार पर किया जा सकता है, चाहे व्यक्ति का कोविड का टेस्ट (पीसीआर, एंटीजन, या एंटीबॉडी) पॉजिटिव हो या नहीं। लॉन्ग-कोविड का निदान एक “डायग्नोसिस ऑफ़ एक्सक्लूशन” है, यानी कि, यह निदान तब दिया जाता है जब उचित मूल्यांकन के बावजूद, व्यक्ति के लक्षणों का कोई अन्य कारण नहीं मिलता।

यदि निदान संबंधी दुविधा हो, तो निदान देने से पहले डॉक्टर व्यक्ति की विस्तृत मेडिकल हिस्ट्री लेंगे, और शारीरिक परीक्षण और उचित जांच भी करेंगे।

कुछ कोविड के रोगियों में आगे चल कर लॉन्ग-कोविड होता है और अन्य रोगियों में नहीं, ऐसा क्यूं?

वर्तमान में, यह मालूम नहीं है कि कुछ रोगियों में लॉन्ग-कोविड क्यों विकसित होता है जबकि दूसरों में नहीं होता। हालांकि इसका कारण अभी पक्का नहीं पता, कुछ अध्ययनों से पता चला है कि कोविड-19 निमोनिया की गंभीरता, रोगी को आईसीयू में दाखिल होने की जरूरत होना, अधिक उम्र, और महिला होना - ये सब लॉन्ग कोविड होने की और उसकी की गंभीरता अधिक होने की संभावना बढ़ाते हैं। यह तर्कसंगत है कि कोविड का वैक्सीन से कोविड का, और इसलिए लॉन्ग-कोविड का जोखिम कम होता है। जाहिर है कि कोविड -19 संक्रमण न हो तो रोगियों में लॉन्ग-कोविड विकसित नहीं होगा। इसलिए, कोविड वैक्सीन लेना लॉन्ग-कोविड को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका है।

लॉन्ग कोविड कितना लंबा चल सकता है, और इसमें क्या-क्या हो सकता है?

अभी यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है। अध्ययनों के अनुसार, लॉन्ग कोविड के लक्षण कुछ हफ्तों से लेकर महीनों तक रह सकते हैं। यूनाइटेड किंगडम में 89 तीव्र कोविड -19 के रोगियों के अध्ययन में हमने पाया कि उनमें से लगभग आधे में 9 महीने बाद भी लॉन्ग-कोविड के लक्षण थे। एक तिहाई से अधिक में लॉन्ग-कोविड के एक से अधिक लक्षण थे। पर सौभाग्य से मरीज होलिस्टिक उपायों से अपने लॉन्ग कोविड के लक्षणों को कम कर सकते हैं।

रोगी लक्षणों में सुधार कैसे प्राप्त कर सकते हैं?

हालांकि लॉन्ग कोविड के इलाज का मुख्य आधार बहु-विषयक (मल्टी-डिसीप्लिनरी) दृष्टिकोण है, लेकिन मरीज स्वयं कुछ कदम लेने से अपने लक्षणों में सुधार प्राप्त कर सकते हैं।

  • अपने जीवन की गति और कार्यभार को अपनी स्थिति के अनुरूप रखने से थकान कम होगी।
  • ताई ची, योग और तैराकी जैसी माइंडफुलनेस वाली गतिविधियाँ से थकान, नींद के पैटर्न और अन्य संज्ञानात्मक कार्यों वाले समस्याओं जैसे लॉन्ग-कोविड लक्षणों को बेहतर करने में मदद मिल सकती हैं।
  • उचित दर्द राहत और दर्द प्रबंधन के तरीके दर्द संबंधी लक्षणों के लिए उपयोगी हैं।
  • रिलैक्स करने और सांस के व्यायाम करने से सांस फूलने की समस्या को कम करने में मदद मिल सकती है।

यदि इस तरह के उपायों के बावजूद लक्षण बने रहते हैं तो मरीजों को अपने डॉक्टर से सलाह करनी चाहिए।

क्या लॉन्ग-कोविड के लिए कोई उपचार उपलब्ध हैं?

लॉन्ग-कोविड के लिए कोई विशिष्ट उपचार उपलब्ध नहीं है। हाँ, बीमारी का कारण समझने पर हम उपचार ढूंढ सकते हैं। वर्तमान रणनीति यह है कि कोविड-19 संक्रमण से बचें ताकि लॉन्ग-कोविड न हो। इस के लिए फेस मास्क और सैनिटाइजेशन जैसी “बाधा” विधियों पर महत्व दिया जाता है।

लॉन्ग-कोविड का प्रबंधन कैसे किया जाता है?

लॉन्ग-कोविड संलक्षण की जटिलता के कारण, आदर्श रूप से इस के प्रबंधन में बहु-विषयक दृष्टिकोण शामिल होना चाहिए। यूनाइटेड किंगडम में लॉन्ग-कोविड के क्लीनिकों में प्रबंधन को एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करने के लिए टीम में ऑक्यूपेशनल थेरापिस्ट, फिजियोथेरेपिस्ट और क्लिनिकल साइकोलोजिस्ट शामिल होते हैं। संसाधनों की कमी के कारण कई निम्न और मध्यम आय वाले देशों (एलएमआईसी) में लॉन्ग-कोविड क्लीनिक में इस तरह की टीम उपलब्ध नहीं हैं। हर देश में स्वास्थ्य देखभाल वितरण फर्क है, इसलिए हम यह सलाह देते हैं कि रोगी अपने देश की विशिष्ट दिशानिर्देशों का पालन करें।

चिकित्सकों और रोगियों में लॉन्ग-कोविड के बारे में जागरूकता और शिक्षा बढ़ाने से इसका निदान जल्दी करने में मदद मिलेगी। यदि लॉन्ग-कोविड के निदान के बारे में अनिश्चितता है, तो डॉक्टर और रोगी नीचे दिए गए फ़्लोचार्ट को देख सकते हैं।

Fig. 2 Flowchart of the management of a patient presenting with long COVID. (anti-CCP anticyclic-citrullinated protein, CFS chronic fatigue syndrome, CK creatinine kinase, CT computed tomography, CXR chest X-ray, Dx diagnosis, ENA extractable nuclear antigen, ESR erythrocyte sedimentation ratio, FM fibromyalgia, H/O history of, Ix investigation, PCR polymerase chain reaction, RF rheumatoid factor, SOB shortness of breath,+ve positive, *in presence of contact with confirmed or suspected COVID-19 within 2 weeks of onset symptoms.)

डॉ अरविंद नुने (एमबीबीसीएच, एमएससी, एमआरसीपी) एक क्लिनिशियन, टीचर और रिसर्चर हैं। वे यूनाइटेड किंगडम में प्रक्टिसिंग कंसलटेंट रुमेटोलॉजिस्ट और जनरल फिजिशियन हैं। उनकी स्नातक की पढ़ाई भारत में हुई थी। उनकी रिसर्च की रूचि के विषय हैं “इन्फेक्शन और इन्फ्लामैशन” हैं और उन्होंने कोविड-19 के दौरान रुमेटोलॉजी केयर डिलीवरी पर अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में कई पियर-रेव्यूड (सहकर्मी-समीक्षित) लेख प्रकाशित किए हैं, एसआआरएस-सीओवी -2 संक्रमण और टीकाकरण के बाद होने वाले नए रूमेटिक रोगों का उद्भव, और लॉन्ग-कोविड। उन्होंने ऐसे वयस्क रोगी में मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (एम्आईएस-V) का पहला केस प्रकाशित किया, जिस में एसआआरएस-सीओवी -2 टीकाकरण के बाद भी संक्रमण  के प्रति कोई इम्युनिटी नहीं थी। वे अस्पताल में भर्ती रोगियों के अस्पताल से छुट्टी के 9 महीने बाद होने वाली लॉन्ग-कोविड की व्यापकता और पूर्व-सूचक का अध्ययन करने वाले पहले शोधकर्ताओं में से एक थे।

References:

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