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Submitted by PatientsEngage on 14 December 2023
आपातकाल के लिए तैयार रहें

मेडिकल इमरजेंसी (आपातकालीन स्थिति) कभी भी, किसी भी समय हो सकती है और हमें तुरंत जोखिम में डाल देती हैं। इस लेख में देखें कि ऐसी सात शीर्ष इमरजेंसी के बारे में आपको क्या जानना चाहिए और जानें कि इन्हें बिगड़ने से रोकने के लिए आपको तुरंत क्या करना चाहिए।

1. दिल का दौरा (हार्ट अटैक)

सबसे आम और जान को खतरे में डालने वाली इमरजेंसी में से एक है - दिल का दौरा (हार्ट अटैक)। इसे चिकित्सकीय भाषा में मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन (एमआई) कहते हैं। तत्काल कार्रवाई से हम हार्ट अटैक के केस में जीवन बचा सकते हैं और इस से होने वाली क्षति को कम कर सकते हैं।

क्या हो सकता है:

दिल का दौरा तब पड़ता है जब रक्त वाहिकाओं की दीवारों के अंदर वसा से बनी पट्टिका (प्लैक) से रक्त प्रवाह में बाधा होती है। रक्त प्रवाह में लंबे समय तक रुकावट हृदय की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचाती है और हृदय को ठीक से धड़कने से रोकती है।

Must Read: How to be prepared for a medical emergency at home

लक्षण

  • छाती में दबाव, जकड़न या सिकुड़न महसूस होना
  • दर्द छाती से ऊपरी जबड़े या बाएं कंधे या बांह तक फैल सकता है
  • ब्लैकआउट/बेहोशी हो सकती है
  • बहुत ज़्यादा पसीना आना
  • कभी-कभी कोई लक्षण नहीं होते हैं, खासकर मधुमेह वाले लोगों में।
  • लक्षण धीरे-धीरे शुरू हो सकते हैं, हल्के दर्द से, चाहे व्यक्ति आराम कर रहे हों या सक्रिय हों।

आपको क्या करना चाहिए?

  • यदि व्यक्ति होश में है, तो उन्हें एस्पिरिन दें. यदि व्यक्ति पहले से ही रक्त पतला करने वाली दवा ले रहे हैं तो एस्पिरिन का उपयोग न करें क्योंकि इससे रक्तस्राव हो सकता है। समस्या की पुष्टि के लिए उन्हें ईसीजी के लिए निकटतम अस्पताल में ले जाएं।
  • यदि व्यक्ति बेहोश हैं तो AVPU का पालन करें
  • ए –ऐलर्ट (सतर्क)। व्यक्ति पूरी तरह से होश में हैं (चाहे उन्हें समय स्थान वगैरह का सही बोध न हो)। आपकी आवाज सुनने पर व्यक्ति स्वतः ही आंखें खोल देंगे, आवाज पर प्रतिक्रिया दिखाएंगे,  और कुछ शारीरिक हरकत होगी। 
  • V- (रिसपोनडिंग टू वॉयस) आवाज पर प्रतिक्रिया होना। जब आप उनसे कुछ कहते हैं तो उनकी कुछ प्रतिक्रिया होगी। जैसे कि, उनकी आँखें खोलना, आपके प्रश्नों का उत्तर देना या कुछ हरकत होना। आपकी आवाज पर उनकी प्रतिक्रिया हल्की सी ध्वनि या कराह या किसी अंग की हल्की सी हरकत हो सकती है। 
  • पी - (रिसपोनडिंग टू पेन) दर्द पर प्रतिक्रिया करना। हल्का से दर्द की उत्तेजना देने पर - जैसे कि छाती की हड्डी को मलना, अंगुलियों को हल्के से दबाना - व्यक्ति में प्रतिक्रिया उत्पन्न हो सकती है। यदि व्यक्ति आंशिक रूप से सचेत हैं तो उनकी प्रतिक्रिया बोलने से, आँखों से, या शरीर हिलाने से हो सकती है। 
  • यू – (अनरिसपोनसिवनेस/ अनकॅनशियसनेस) कोई प्रतिक्रिया नहीं/ होश में नहीं। जब व्यक्ति आपकी आवाज या दर्द देने पर कोई प्रतिक्रिया न दें - आंख, आवाज या शरीर द्वारा कोई प्रतिक्रिया नहीं हो।

यदि मरीज में कोई प्रतिक्रिया न (अनरिसपोनसीव) हो तो सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) शुरू करें:

ए. (एयरवे) वायुमार्ग:

सिर पीछे झुकाकर और ठुड्डी उठाकर उनका वायुमार्ग खोलें:

  • ध्यानपूर्वक सिर को पीछे की ओर झुकाएं
  • वायुमार्ग को खोलने के लिए ठुड्डी को ऊपर उठाएं

बी (ब्रीदिंग) श्वास:

  • मूल्यांकन करें कि क्या व्यक्ति सांस ले रहे हैं (लगभग 10 सेकंड): देखें कि क्या उनकी छाती ऊपर-नीचे हो रही है। व्यक्ति के मुंह के पास कान लगाकर उनके सांस लेने की आवाज़ सुनें। अपने हाथ या गाल पर उनकी सांस को महसूस करने की कोशिश करें।
  • यदि व्यक्ति कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखा रहे हैं, उन का वायुमार्ग खुला है, और वे सांस ले रहे हैं, तो व्यक्ति का हाथ सामने रखते हुए उन्हें एक तरफ करवट पर लिटाएं। इससे व्यक्ति को उल्टी होने पर दम घुटने से रोका जा सकेगा।
  • यदि वायुमार्ग अवरुद्ध है, तो वायुमार्ग को खोलें: सिर को पीछे झुकाकर और ठुड्डी को ऊपर उठाकर उनकी पोसिशन को बदलें। मुँह के अंदर रुकावट करने वाली वस्तु के लिए चेक करें। अपनी उंगली से इस बाधा करने वाली वस्तु को हटाकर वायुमार्ग खोलें
  • उनकी सांस की प्रक्रिया को देखते रहें: सांस को देखें, सुनें और महसूस करें
  • मदद आने तक, या जब तक आप व्यक्ति को दूसरी जगह देखभाल के लिए नहीं ले जा सकते, तब तक निगरानी रखें
  • सांस ले रहे हैं, इस के लिए देखते रहें - छाती ऊपर नीचे हो रही है, आपका हाथ उनके मुंह और नाक के सामने रखने पर क्या आप सांस महसूस कर रहे हैं, सांस लेने की आवाज सुन पा रहे हैं। 

सी. सर्कुलेशन: यदि वे अभी भी सांस नहीं ले रहे हैं तो सीपीआर (कार्डियो-पल्मनरी रिससिटेश) शुरू करें

चेस्ट कम्प्रेशन (छाती का संकुचन):

  • व्यक्ति को उनकी पीठ पर लिटाएं और उनके बगल में आप घुटनों के बल बैठ जाएं।
  • अपने हाथ की एड़ी को उनकी छाती के मध्य में, छाती की हड्डी के निचले आधे भाग पर रखें। अपने दूसरे हाथ को पहले हाथ के ऊपर रखें और उंगलियों को आपस में बांध लें।
  • अपने आप को रोगी की छाती के ऊपर पोजिशन करें।
  • अपने शरीर के वजन का उपयोग करें और अपनी बाहों को सीधा रखते हुए,  उनकी छाती पर हाथों से सीधा दबाव डालें। फिर ढीला छोड़ दें।
  • एक बार नीचे दबाना और छोड़ना को एक कम्प्रेशन कहते है।

मुँह से मुँह श्वसन:

  • व्यक्ति के सिर को पीछे झुकाने के लिए एक हाथ को उनके माथे पर और दूसरे हाथ को ठुड्डी के नीचे रखकर व्यक्ति के वायुमार्ग को खोलें।
  • अपनी तर्जनी और अंगूठे से उनकी नाक को दबा कर बंद करें।
  • व्यक्ति का मुंह खोलें.
  • सांस लें और अपने होठों को व्यक्ति के मुंह से चिपकाकर रख लें, यह सुनिश्चित करते हुए कि आपके और उनके मुंह के बीच से बाहर कोई हवा नहीं निकाल सकेगी, और उनकी नाक भी बंद है । 
  • उनके मुँह में अपनी सांस छोड़ें और उनकी छाती को ऊपर उठते हुए देखते हुए, लगभग 1 सेकंड ऐसा करें।
  • अपना मुंह हटा लें और देखें कि व्यक्ति की छाती गिरी है या नहीं। उन संकेतों को सुनें और महसूस करें जिनसे पता चलता है कि क्या उन्होंने सांस छोड़ी है (क्या हवा बाहर निकाली जा रही है)। उनके सिर को झुकाए रखने और ठुड्डी को ऊपर उठाए रखने की स्थिति बनाए रखें।
  • उनके मुंह की दोबारा जांच करें और यदि छाती ऊपर नहीं उठ रही हो श्वसन मार्ग में से किसी भी रुकावट को हटा दें। जांचें कि आपका और उस व्यक्ति का मुंह एक साथ बंद है और नाक बंद हैं ताकि जब आप अपनी सांस उन में डाल रहे हैं तो हवा बाहर न निकल सके।
  • प्रक्रिया को दोहराएँ

छाती को 30 बार कम्प्रेशन दें और उसके बाद 2 बार मुंह से सांस दें। अनुपात "30:2"।

लगभग 2 मिनट में 30:2 के 5 सेट का लक्ष्य रखें

यदि केवल छाती के कम्प्रेशन कर रहे है,, तो लगभग 100 - 120 कम्प्रेशन /मिनट का लक्ष्य रखें।

30 कम्प्रेशन और फिर 2 सांसों की क्रिया तब तक जारी रखें जब तक व्यक्ति ठीक न हो जाएँ या एम्बुलेंस न आ जाए

सीपीआर कब नहीं करना चाहिए?

  • व्यक्ति की मृत्यु के स्पष्ट संकेत
  • व्यक्ति सामान्य रूप से सांस ले रहे हैं 
  • एम्बुलेंस के आगमन पर
  • जगह असुरक्षित है, या खतरनाक स्थिति है, जैसे कि व्यस्त सड़क पर कार दुर्घटना

2. कार्डियक अरेस्ट (दिल की धड़कन रुकना)

क्या हो सकता है:

कार्डियक अरेस्ट तब होता है जब व्यक्ति का हृदय शरीर में रक्त पंप करना बंद कर देता है और व्यक्ति सामान्य रूप से सांस लेना बंद कर देते हैं। कई कार्डियक अरेस्ट दिल का दौरा पड़ने (हार्ट अटैक) के कारण होते हैं। जब हृदय की पंपिंग क्रिया अनियमित हो जाती है या बंद हो जाती है, तो हृदय सभी महत्वपूर्ण अंगों - जैसे कि गुर्दे, मस्तिष्क, फेफड़े आदि - में रक्त पंप करना बंद कर सकता है और इससे चेतना खो जाती है और मृत्यु हो सकती है।

लक्षण:

  • अचानक चेतना खोना 
  • कोई नाड़ी नहीं
  • सांस बंद होना 
  • दिल का दौरा पड़ने के लक्षण (ऊपर देखें) 

आपको क्या करना चाहिए?

यदि व्यक्ति में कोई प्रतिक्रिया नहीं है तो सीपीआर शुरू करें। अधिक जानने के लिए पढ़ें: https://www.patientsengage.com/conditions/first-aid-cardiac-arrest

3. स्ट्रोक 

क्या हो सकता है:

स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क के एक क्षेत्र में रक्त का प्रवाह बंद हो जाता है, जिससे ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और उस भाग में  मस्तिष्क की कोशिकाएं मर जाती हैं। परिणामस्वरूप, मस्तिष्क के उस क्षेत्र द्वारा नियंत्रित स्मृति और मांसपेशियों पर नियंत्रण जैसी क्षमताएं नष्ट हो जाती हैं। स्ट्रोक का समय पर इलाज नहीं किया जाए तो यह पक्षाघात, आंत्र और मूत्राशय पर नियंत्रण की हानि, हाथों और पैरों में दर्द जैसी दीर्घकालिक जटिलताओं का कारण बन सकता है।

लक्षण:

स्ट्रोक का इलाज पहले लक्षण प्रकट होने के 3 घंटे के भीतर किया जाना चाहिए। यदि आपको संदेह है कि किसी को स्ट्रोक हो रहा है तो बी ई एफ ए एस टी  परीक्षण का उपयोग करें।

  • बी: बैलन्स ( संतुलन)- क्या व्यक्ति चल सकते हैं? क्या उन्हें चक्कर आ रहा है या समन्वय की कमी है?
  • ई (आई) आँख - एक या दोनों आँखों में दृष्टि संबंधी समस्याएँ जैसे धुंधली दृष्टि।
  • एफ (फेस) चेहरा - उनके चेहरे की जाँच करें। क्या यह असममित लगता है (दोनों तरफ बहुत अलग हैं, जैसे कि एक तरफ लटका हो)?
  • ए (आर्म्स) बाहें - क्या वे दोनों बाहें उठाकर उन्हें उठाया हुआ रख सकते हैं?
  • एस (स्पीच)  वाणी - क्या उनकी वाणी अस्पष्ट है?
  • टी  (टाइम) समय पर कार्रवाई महत्वपूर्ण है. यदि आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे तो नजदीकी अस्पताल को फोन करें

आपको क्या करना चाहिए?

व्यक्ति होश में हैं 

  • व्यक्ति को आरामदायक स्थिति में बैठाएं/लेटाएं।
  • एम्बुलेंस बुलाएँ या व्यक्ति को तुरंत अस्पताल पहुँचाएँ।

अचेतन व्यक्ति

  • व्यक्ति को उनकी बायीं ओर (रिकवरी पोजीशन), सिर और कंधों को सहारा देकर लिटाएं।
  • उनकी गर्दन के आसपास मौजूद किसी भी तंग कपड़े को ढीला कर दें और व्यक्ति को शांत करें।
  • उनका सांस बनाए रखें, और यदि आवश्यक हो तो उनके मुंह को खोलकर कोशिश करें कि वे मुंह से सांस लें।
  • व्यक्ति को कुछ भी खाने-पीने को न दें।
  • एम्बुलेंस को बुलाएं या व्यक्ति को तुरंत अस्पताल ले जाएं।

4. सीज़र 

क्या हो सकता है:

सीज़र उन लोगों में हो सकते हैं जिन्हें मिर्गी (अपस्मार) है का निदान है या अन्य लोगों में भी हो सकता है।

लक्षण:

  • सीज़र में शरीर के किसी हिस्से या पूरे शरीर में अनैच्छिक और अनियंत्रित झटके, मरोड़ या कंपन हो सकती हैं।
  • सीज़र के एक अन्य रूप में शरीर में कोई हलचल नहीं होती या न्यूनतम गति होती है और  व्यक्ति आकाश में देखता हुआ प्रतीत हो सकते हैं। इस स्थिति में, अगर कोई उनसे बात करे तो व्यक्ति की कोई प्रतिक्रिया नहीं होती।

आपको क्या करना चाहिए?

  • व्यक्ति को फर्श पर आराम से लिटाएं।
  • व्यक्ति को सांस लेने में मदद करने के लिए उन्हें एक तरफ करवट दे कर लिटाएं।
  • उन्हें चोट से बचाने के लिए उन के आस-पास से सभी कठोर या नुकीली चीजें हटा दें।
  • उनके सिर के नीचे कोई नरम और सपाट वस्तु, जैसे मुड़ा हुआ कपड़ा, रखें।
  • उनका चश्मा उतारें.
  • उनके गर्दन के आसपास की किसी भी कपड़े या चीज़ को ढीला कर दें (जैसे कि टाई या मफ्लर)।
  • यदि दौरा 5 मिनट से अधिक समय तक रहता है तो एम्बुलेंस को कॉल करें।

सीज़र के बाद हमेशा न्यूरोलॉजिस्ट से परामर्श लेने का सुझाव दिया जाता है, भले ही दौरा 5 मिनट से कम समय तक चला हो।

5. फॉल्स (गिरना) 

क्या हो सकता है?

बढ़ती उम्र के साथ अकसर गिरने की समस्या होती है। प्रत्येक वर्ष, समुदाय में रहने वाले 65 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लगभग 26-37% लोग गिर जाते हैं। जिन बुजुर्गों को चलने में कठिनाई होती है, उन्हें दूसरों की तुलना में गिरने से संबंधित चोटों की काफी अधिक संभावना है। गिरने से संबंधित चोटें बुजुर्गों के लिए असुविधा और विकलांगता के साथ-साथ देखभाल करने वालों के लिए तनाव का कारण बनती हैं।

गिरने के सामान्य कारणों में:

  • संतुलन खोना
  • चाल ठीक न होना 
  • दवाओं या अन्य कारणों से चक्कर आना - जैसे निम्न रक्त शर्करा, रक्तचाप में अचानक गिरावट
  • बाथरूम में फिसल जाना
  • कमजोर दृष्टि
  • गठिया- जिससे जोड़ों में अकड़न और गतिशीलता संबंधी समस्याएं हो सकती हैं
  • रक्तचाप में उतार-चढ़ाव के कारण होश खोना, ब्लैकआउट होना 

बुजुर्गों में गिरने से जुड़ी समस्याएं:

  • हड्डियों का टूटना। कूल्हे, जांघ और खोपड़ी का फ्रैक्चर बहुत खतरनाक हो सकता है।
  • चोट लगना
  • मस्तिष्क की चोट से या मस्तिष्क में रक्तस्राव के कारण चेतना खोना 
  • मानसिक आघात और चिंता
  • कटना और अन्य घाव

आपको क्या करना चाहिए?

  • यदि हो सके तो मदद के लिए लोगों को पुकारें। यदि आपको हिलने-डुलने में दर्द महसूस हो तो स्वयं हिलने-डुलने से बचें।
  • देखभाल करने वाले को घायल बुजुर्ग को हिलाने/डुलाने से या अस्पताल ले जाने से पहले गिरने से हुए सदमे को कम होने का इंतजार करना चाहिए
  • यदि आपको संदेह है कि उन्हें फ्रैक्चर हुआ है, या व्यक्ति सिर या गर्दन में दर्द की शिकायत करते हैं, तो उन्हें न हिलाएं – बल्कि एम्बुलेंस को बुलाएं
  • यदि व्यक्ति बेहोश हैं, तो यह सिर की चोट हो सकती है, एम्बुलेंस बुलाएं और जांच के लिए उचित सावधानी के साथ अस्पताल ले जाएं

यदि आप लक्षणों और उनके कारण के बारे में अनिश्चित हैं तो सही मूल्यांकन के लिए हमेशा डॉक्टर से मिलें।

बुजुर्गों को गिरने से बचाने के लिए क्या करें:

  • समान का फर्श पर अव्यवस्थित फैलाव और तार आदि सभी ऐसी चीजों को हटा दें जिन से व्यक्ति गिर सकते हैं। 
  • शौचालय और शॉवर में सहायता के लिए रेलिंग लगाएं 
  • उनके जूते ऐसे हों जो फर्श पर ठीक से जमें और फिसलें नहीं 
  • घर में उचित रोशनी रखें
  • उनके व्यायाम में ऐसी एक्सर्साइज़ जोड़ें जो शरीर के मध्य की पेशियों (कोर मसल्स) को मजबूत रखें और संतुलन बेहतर करें 
  • पर्याप्त नींद भी आवश्यक है 
  • शराब से बचना चाहिए (स्वीकार्य सीमा महिलाओं के लिए एक दिन में एक पेय और पुरुषों के लिए एक दिन में दो पेय तक है; एक पेय के उदाहरणों में शामिल हैं: बीयर: 355 मिली, वाइन: 148 मिली, डिस्टिल्ड स्पिरिट 44 मिली।)

बिस्तर से गिरने से कैसे बचें:

  • कम ऊंचाई वाले पलंग का प्रयोग करें
  • बिस्तर के बगल में सुरक्षा के लिए रेलिंग लगाएं 
  • उठने के लिए व्यक्ति को धीरे से बगल की ओर लुढ़क कर फिर बैठना चाहिए, कुछ सेकंड तक रुकना चाहिए और फिर सहारा लेकर उठना चाहिए। 

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6. बर्न्स (जलना) 

क्या हो सकता है?

जलने के सामान्य कारण:

  • थर्मल बर्न: आग, गर्म तरल पदार्थ, भाप और गर्म सतहों के साथ संपर्क जैसे अत्याधिक गर्मी के स्रोत जलने के सबसे आम कारण हैं।
  • केमिकल बर्न: अम्ल (ऐसिड) जैसे रसायन से। 
  • रेडीऐशन बर्न: विकिरण (रेडीऐशन) से जलना।
  • इलेक्ट्रिक बर्न: बिजली का करंट लगने से  
  • सन बर्न: तेज या अधिक धूप से त्वचा जलना।

लक्षण:

प्रथम श्रेणी का जलना (फर्स्ट डिग्री बर्न्स)।

  • यह मामूली हल्का जलना है और केवल त्वचा की बाहरी परत (एपिडर्मिस) को प्रभावित करती है।
  • इससे लालिमा और दर्द हो सकता है।

दूसरी श्रेणी का जलना (सेकंड डिग्री बर्न्स)।

  • यह एपिडर्मिस और त्वचा की दूसरी परत (डर्मिस), दोनों को प्रभावित करता है।
  • इससे सूजन और त्वचा लाल, सफेद या जली हुई हो सकती है।
  • छाले (फफोले) विकसित हो सकते हैं जो बहुत दर्दनाक हो सकते हैं।
  • दूसरी डिग्री के गहरे जलने से स्कार (क्षति के चिह्न) रह सकते हैं।

तीसरी श्रेणी का जलना (थर्ड डिग्री बर्न्स)।

  • यह जलना त्वचा के नीचे वसा की परत तक पहुंच जाता है।
  • जले हुए क्षेत्र काले, भूरे या सफेद हो सकते हैं।
  • त्वचा चमड़े जैसी दिख सकती है।
  • थर्ड-डिग्री जलने से नसें नष्ट हो सकती हैं, जिससे सुन्नता हो सकती है।

आपको क्या करना चाहिए?

प्रथम श्रेणी का जलना (फर्स्ट डिग्री बर्न्स):

  • जले हुए स्थान पर सामान्य नल का पानी चलाएं।
  • बर्फ न लगाएं। धूप से हुए जलने (सनबर्न) के लिए आप एलोवेरा जेल लगा सकते हैं।
  • थर्मल बर्न (अत्याधिक गरम स्रोतों के कारण जलना) के लिए एंटीबायोटिक क्रीम लगाएं।
  • बिना नुस्खे (ओवर-द-काउंटर) मिलने वाली दर्द की दवा ली जा सकती है।

दूसरी श्रेणी का जलना (सेकंड डिग्री बर्न्स): (डॉक्टर के मूल्यांकन की आवश्यकता है)

  • प्रथम-श्रेणी के जलने के समान प्रबंधन।
  • आपका डॉक्टर बैक्टिरीअल संक्रमण को रोकने के लिए ऐसी एंटीबायोटिक क्रीम लिख सकता है जिसमें सिल्वर होता है, जैसे सिल्वर सल्फ़ैडज़िन।
  • दर्द और सूजन को कम करने के लिए जले हुए हिस्से को शरीर के मुकाबले ऊपर उठाए हुए रखें।

तीसरी श्रेणी की जलन (थर्ड डिग्री बर्न्स): (अस्पताल जाने की आवश्यकता है)

  • इस तरह का जलना जीवन के लिए खतरनाक हो सकता है। इस में अकसर त्वचा ग्राफ्ट करने की आवश्यकता होती है।
  • त्वचा ग्राफ्ट में व्यक्ति के शरीर के किसी अन्य (बिना क्षति वाले) हिस्से से ली त्वचा को जले हुए क्षतिग्रस्त हिस्से पर प्रत्यारोपीत किया जाता है। 

7. चोकिंग  (दम घुटना / श्वसन मार्ग में अवरोध)

क्या हो सकता है?

चोकिंग तब होती है जब कोई व्यक्ति ठीक से सांस नहीं ले पाता क्योंकि कोई चीज वायुमार्ग को अवरुद्ध कर रही होती है।

लक्षण:

  • व्यक्ति अचानक अपना गला पकड़ लेते हैं और उकाई जैसी हरकत करते हैं 
  • वे बात करने, रोने या कोई आवाज़ निकालने में असमर्थ होते हैं 
  • सांस लेने में दिक्कत होती है 
  • खांस न पाना 
  • होंठ और जीभ नीले पड़ जाते हैं
  • यदि रुकावट दूर न हो तो वे चेतना खो देते हैं 

आपको क्या करना चाहिए?

  • यदि व्यक्ति बोल पा रहे हैं, खांस सकते हैं या सांस ले पा रहे हैं तो उन्हें जोर से खांसने के लिए प्रोत्साहित करें क्योंकि जोर से खाँसने से अकसर गले में अटकी वस्तु बाहर आ जाती है। यदि व्यक्ति बोल नहीं सकते, खांस नहीं सकते या सांस नहीं ले प रहे हैं तो 5 और 5 का तरीका अपनाएं: अपने हाथ की एड़ी से व्यक्ति की पीठ पर, कंधे के ब्लेड के बीच 5 बार तक मारें। हर बार के बाद देखें कि क्या अटकी हुई वस्तु ढीली पड़ कर निकाल गयी है।
  • यदि वस्तु फिर भी अटकी है तो हेमलिच मैन्यूवर करें (चित्र देखें)
  • व्यक्ति के पीछे खड़े हो जाएं और अपनी बांहें उनके पेट के चारों ओर लपेट लें।
  • एक हाथ से मुट्ठी बनाएं और अपने दूसरे हाथ को उसके ऊपर कसकर बांध लें।
  • अपनी मुट्ठी के अंगूठे वाले हिस्से को उनकी पसलियों के ठीक नीचे और उनकी नाभि से लगभग दो इंच ऊपर रखें।
  • तेजी से और जोर से अपने हाथों को पांच बार अंदर और ऊपर की ओर दबाएं
  • इस प्रक्रिया को तब तक दोहराते रहें जब तक कि अटकी हुई वस्तु निकल न आए या व्यक्ति बेहोश न हो जाए। यदि व्यक्ति बेहोश हो जाएँ तो सीपीआर शुरू करें।

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References:

https://www.cdc.gov/epilepsy/about/first-aid.htm
https://www.ambulanceoncall.com/blogs/first-aid-common-medical-emergenc…
https://www.firstresponse.org.uk/.well-known/sgcaptcha/?r=%2Ffirst-aid-…
https://bmcpublichealth.biomedcentral.com/articles/10.1186/s12889-022-1…" https://bmcpublichealth.biomedcentral.com/articles/10.1186/s12889-022-1…
https://www.mdpi.com/2308-3417/8/2/43

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    Stroke is one of the leading causes of disability and death worldwide. The good news is that stroke is treatable, and the patient has most chances of recovery when immediate treatment is given. Dr. PN Sylaja, Professor and Head of Neurology, In-Charge Comprehensive Stroke Program, SCTIMST Trivandrum, Kerala explains how to recognize signs of stroke and to be aware of the risk of stroke. Introduction Stroke is one of the leading causes of disability and death worldwide. In India itself, the…
  • BEFAST Stroke Symptoms Downloadable Flyer
    Acting within the golden hour for stroke is very important. It is therefore important that we all recognise the signs and symptoms of stroke. Now available in an easy to understand downloadable flyer form.    Stroke happens suddenly, often without warning. But acting in a timely manner is very important. If the patient gets treatment within the golden hour of 4.5 hours, the outcomes for the patient are far better. Save this. Print this and put it up in an accessible and easy to find…