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कोलकाता के 56 वर्षीय रजत सुभ्रा बिस्वास को मल्टीपल मायलोमा का निदान मिला था और उनकी बीएमटी (बोन मैरो ट्रांसप्लांट) सर्जरी भी हुई है। इस लेख में वे अपनी मल्टीपल मायलोमा की यात्रा के बारे में बात करते हैं। मुझे सितंबर 2018 में मल्टीपल मायलोमा का निदान…
ग्लूकोमा (काला मोतिया) अंधेपन का एक प्रमुख कारण है। ग्लूकोमा से दृष्टि की हानि होती है और अगर उपचार से इसे नियंत्रित न करें तो दृष्टि जा सकती है। ग्लूकोमा पर जानकारी के लिए हमने आईएचओपीई के साथ की गयी आंखों की बीमारियों का श्रृंखला के अंतर्गत दो…
सोनल गोरेगांवकर को माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप तक चढ़ने के वक्त एक स्ट्रोक हुआ जिससे उनकी बोलने की क्षमता चली गई। इस स्थिति को ग्लोबल एफेशिया (व्यापक वाचाघात) कहा जाता है। इस लेख में उनके सामान्य जीवन को फिर से शुरू करने और काम पर वापस लौटने के लिए…
जब अंजना त्रिपाठी की 14 साल की बेटी के टाइप 1 डायबिटीज़ (मधुमेह) का पता चला तो उन्हें बहुत बड़ा धक्का लगा। इस स्थिति के लिए आवश्यक समायोजन करने के लिए उन्हें बहुत बड़े बदलाव करने पड़े। अंजनाजी इस लेख में साझा करती हैं कि उनके परिवार ने इस स्थिति में…
सही काउंसलर ढूंढना कभी-कभी एक चुनौती हो सकती है। और यह भी हो सकता है कि जिस थेरेपिस्ट के पास आप गए हैं वे आपके लिए सही नहीं हैं। तनुजा बाबरे एक काउन्सलिंग साईकोलोगिस्ट हैं जो वर्तमान में आईकॉल, टीआईएसएस में प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर के रूप में कार्यरत…
पुणे की शैला भागवत को पिछले कुछ वर्षों से पार्किंसंस रोग है। लेकिन कोविड  के कारण हुए लॉकडाउन और सामाजिक दूरी बनाए रखने के माहौल में उन्होंने ऑनलाइन थेरेपी सत्रों और वर्चुअल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करना शुरू किया, और उन्हें ये पसंद आया। वे साझा…
67 वर्षीय शैला भागवत को पार्किंसंस रोग है जिस से उनका दाहिना हिस्सा प्रभावित है। वे आत्मनिर्भर रहने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं - वे अनेक उपयोगी गतिविधियों के कार्यक्रम का सख्त अनुपालन करती हैं जिसमें शामिल हैं व्यायाम, योग, मैडिटेशन (ध्यान),…
वीना शील भटनागर, 80, अर्थशास्त्र की लेक्चरर रह चुकी हैं। वे अपने परिवार के सदस्यों की पचास साल से अधिक समय तक लगातार देखभाल करती रही हैं। उन्होंने जिन प्रियजनों की देखभाल की है, उस श्रंखला में अंत में उनके दिवंगत पति विजय शील भटनागर थे, जिन्हें…
सड़क यातायात दुर्घटनाओं में वृद्धि के कारण ट्रॉमैटिक ब्रेन इंजरी (टी बी आई - अभिघातजन्य मस्तिष्क की चोट ) एक 'साइलेंट एपिडेमिक' (खामोशी से फैल रही महामारी) का रूप धारण कर रही है। भारत में 15 से 20 लाख लोगों को हर साल इस तरह की गंभीर मस्तिष्क…