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89 वर्षीय श्री प्रमोद कुमार को 1980 में उम्र से संबंधित मैकुलर डिजनरेशन या एएमडी का निदान दिया गया था। इस लेख में वे हमें बताते हैं कि पिछले 25 वर्षों में उन्होंने अपनी इस दृष्टि संबंधी विकलांगता के साथ कैसे तालमेल बिठाया और जीवन को पूरी तरह से जीना…
70 वर्षीय साई नारायण करणाम पिछले 12 वर्षों से अपने स्टेज 4 फेफड़ों के कैंसर (लंग कैंसर) का प्रबंधन कर हैं। लक्षित दवा उनके लिए असरदार सिद्ध हुई है, साथ ही उनकी सकारात्मकता और अनुशासित जीवनशैली भी मददगार रही हैं। इस लेख में वे अपनी कहानी हमारे साथ…
हममें से कई लोगों ने पैरों में भारीपन का अनुभव किया है जो असहज महसूस होता है। कुछ मामलों में यह सामान्य होता है और अपने आप ठीक हो जाता है लेकिन अन्य मामलों में, यह स्वास्थ्य से संबंधित एक खतरनाक संकेत हो सकता है। यह लेख तीन मुख्य विषयों पर केंद्रित…
बच्चे हों या बड़े /वयस्क, हमारे जीवन में कभी न कभी सिरदर्द होना आम बात है। दैनिक जीवन को बाधित करने वाले लक्षणों में यह सबसे आम लक्षण है, और विश्व भर में दर्द निवारक दवाओं के दुरुपयोग/ अति-उपयोग के सबसे आम कारणों में से एक है। इस लेख में जानें कि…
66-वर्षीय राजेश शाह को मूत्राशय में स्टेज 2 कैंसर का निदान मिला, जिस के तुरंत बाद उन्हें एक लंबी सर्जरी करानी पड़ी। सर्जरी सफल रही और अब वे 6 साल से अधिक समय से सामान्य जीवन जी रहे हैं। इस लेख में वे जीवन के प्रति अपने दृष्टिकोण और स्टोमा बैग के साथ…
ए. अल्फोंस प्रभु रॉय, 60, को कम उम्र में ही दो क्रानिक ऑटोइम्यून बीमारियों, ल्यूपस और सजोग्रेन सिंड्रोम का निदान मिला, और उन्हें कई जटिल लक्षण हैं। इनमें सबसे चुनौतीपूर्ण हैं मुंह सूखा रहना और ब्रेन फॉग। वे इस लेख में अपने अनुभव साझा करते हैं और…
मूत्र पथ संक्रमण, मूत्र असंयम और क्रोनिक किडनी रोग के अलावा, बुजुर्गों में मूत्र संबंधी समस्याओं का सबसे आम कारण उम्र बढ़ना है। इस लेख में पढ़ें कि जीवन की गुणवत्ता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालने वाली इन समस्याओं को रोकने या विलंबित करने के लिए क्या कदम…
59 वर्षीया संगीता इस लेख में अपना अनुभव साझा करते हुए बताती हैं कि कैसे नृत्य और संतुलित आहार को एकीकृत करके उन्हें अपने रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिली। वे इस बात पर भी जोर देती हैं कि कौन कौन से उपचार का तरीका आपके शरीर के लिए…
7 साल तक कई तरह की अस्पष्ट परेशानियों से जूझने के बाद, महाराष्ट्र के देग्लूर के 32 वर्षीय नीलेश को तब राहत मिली जब उन को स्क्लेरोडर्मा (त्वककाठिन्य) का निदान मिला। इस रोग के कारण हो रहे स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव के बावजूद, वे सकारात्मक दृष्टिकोण के…